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Daily-current-affairs / 01 Aug 2023

भारतीय प्रबंध संस्थान (संशोधन) विधेयक, 2023 और भारतीय प्रबंधन संस्थानों में जवाबदेही - डेली न्यूज़ एनालिसिस

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तारीख (Date): 02-08-2023

प्रासंगिकता: जीएस पेपर 2 - राजनीति - सरकारी नीतियां और हस्तक्षेप ।

की-वर्ड: बीओजी, आईआईएम, आईआईटी, जवाबदेही ।

सन्दर्भ :

  • सरकार ने भारतीय प्रबंध संस्थान (संशोधन) विधेयक, 2023 पेश किया है , जिसका उद्देश्य भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) अधिनियम 2017 में आईआईएम को सौंपी गई कुछ शक्तियों को रद्द करना है।

आईआईएम प्रशासन पर दोबारा विचार करने की आवश्कता

  • 2017 में, भारतीय संसद ने भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) अधिनियम पारित किया था , जिसमें आईआईएम को महत्वपूर्ण स्वायत्तता प्रदान की गई थी । अधिनियम के एक आवश्यक खंड में आईआईएम के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स (बीओजी) को हर तीन साल में संस्थानों की स्वतंत्र समीक्षा करने और रिपोर्ट को सार्वजनिक करने का प्रावधान था । दुर्भाग्य से, छह वर्षों के बाद, केवल कुछ आईआईएम ने इस प्रावधान का अनुपालन किया है, जिससे शासन और जवाबदेही के बारे में चिंताएं बढ़ गई हैं।
  • इस गैर-अनुपालन और शासन के बारे में बढ़ती चिंताओं के सन्दर्भ में, सरकार ने आईआईएम (संशोधन) विधेयक 2023 प्रस्तुत किया है। विधेयक का उद्देश्य 2017 के अधिनियम में आईआईएम को सौंपी गई कुछ शक्तियों को रद्द करना है, साथ ही कुछ नए प्रावधान प्रख्यापित करना है।

2023 विधेयक के प्रावधान

  • 2017 के अधिनियम में महतवपूर्ण नियुक्तियों और निर्णयों को लेने का अधिकार, आईआईएम के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के पास था । वहीँ भारतीय प्रबंध संस्थान (संशोधन) विधेयक, 2023 के अनुसार, भारत के राष्ट्रपति प्रत्येक संस्थान के विजिटर होंगे।
  • ‘‘विज़िटर किसी भी संस्थान के काम और प्रगति की समीक्षा करने, उसके मामलों की जांच करने और विज़िटर द्वारा निर्देशित तरीके से रिपोर्ट करने के लिए एक या एक से अधिक व्यक्तियों को नियुक्त कर सकते हैं। बोर्ड विज़िटर को उस संस्थान के खिलाफ उचित समझे जाने वाली जांच की सिफारिश भी कर सकता है, जो अधिनियम के प्रावधानों और उद्देश्यों के अनुसार काम नहीं कर रहा है।’’
  • रिपोर्टों से पता चलता है कि प्रश्नों और सुझावों के प्रति आईआईएम की प्रतिक्रिया की कमी को लेकर सरकार का असंतोष इस संशोधन के पीछे एक प्रेरक शक्ति है। हालाँकि, आईआईएम प्रणाली के भीतर हालिया उथल-पुथल से संबंधित गहरी चिंताएँ हैं, जिनमें आईआईएम अहमदाबाद, आईआईएम कलकत्ता और आईआईएम रोहतक के मुद्दे भी शामिल हैं। कुछ अन्य आईआईएम के निदेशकों पर सत्ता के दुरुपयोग और एमबीए पाठ्यक्रम की फीस में मनमानी वृद्धि के आरोपों का भी सामना करना पड़ा है।

अधिनियम, 2017 के साथ चुनौतियाँ और मुद्दे

  • 2017 के अधिनियम के परिणामस्वरूप निदेशकों के अधिकार पर सीमित जाँच और संतुलन के आभाव के कारण जवाबदेही में कमी आ गई थी । बोर्ड ऑफ गवर्नर्स पर दो सरकारी नामांकित व्यक्तियों ने निष्क्रिय भूमिका निभाई, जबकि अन्य बोर्ड सदस्यों में व्यक्तिगत उत्तरदायित्व की कमी पाई गई थी, जिसके चलते सीमित निरीक्षण ही हो पाया । इसके अलावा, अधिनियम प्रमुख मामलों, जैसे डीन की नियुक्ति, के लिए स्पष्ट मानदंड स्थापित करने में विफल रहा, जिससे स्थिति और खराब हो गई है ।
  • स्पष्ट जवाबदेही के अभाव से बोर्ड की ज़िम्मेदारियों पर भी सवाल उठ रहे हैं, जिससे प्रशासन अप्रभावी हो गया है ।
  • अमेरिका में निजी विश्वविद्यालयों के साथ तुलना करें तो वहाँ अक्सर मजबूत ट्रस्टी बोर्ड होते हैं, फंडिंग मॉडल, प्रेरणा और प्रतिस्पर्धी माहौल में अंतर को उजागर करते हैं जो बोर्ड की प्रभावशीलता को प्रभावित करते हैं।

सरकारी नियंत्रण और जवाबदेही

  • प्रस्तावित विधेयक के आलोचक यह तर्क दे रहें हैं कि सरकारी नियंत्रण शैक्षणिक संस्थानों के लिए हानिकारक है। हालाँकि, कैलिफोर्निया में राज्य-नियंत्रित विश्वविद्यालयों और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) के कामकाज के उदाहरण दर्शाते हैं कि सरकारी नियंत्रण आवश्यक रूप से उत्कृष्टता में बाधा नहीं डालते है। परिचालन मामलों में अपनी स्वायत्तता के कारण आईआईएम स्वयं सरकारी नियंत्रण में दशकों तक फलते-फूलते रहे हैं ।
  • संशोधन का उद्देश्य लोकतांत्रिक संस्थानों के प्रति जवाबदेही बहाल करना है और यह सुनिश्चित करना कि सार्वजनिक संस्थान पारदर्शिता एवं शासन के सिद्धांतों से विमुक्त न हों। हालांकि कुछ लोग सरकार की बढ़ती भागीदारी पर आपत्ति कर सकते हैं, लेकिन आईआईएम के ब्रांड और प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए जांच और संतुलन की आवश्यकता सर्वोपरि है।

जवाबदेही और स्वायत्तता की आवश्यकता

  • आईआईएम, भारत में प्रमुख प्रबंधन संस्थान होने के नाते, भविष्य के नेताओं को आकार देने और देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालाँकि, स्वायत्त निकायों के रूप में, उन्हें अकादमिक स्वतंत्रता और जवाबदेह शासन के बीच संतुलन बनाना होगा। एक मजबूत समीक्षा तंत्र की अनुपस्थिति ने कुछ मुद्दों को उत्त्पन्न किया है, जिससे संकाय, पूर्व छात्रों और निदेशकों के बीच विवाद की स्थिति बनी है । इन विवाद के मुद्दों में लोगो परिवर्तन, वास्तुशिल्प विरासत और निर्देशकीय कामकाज पर विवाद शामिल हैं ।
  • 2023 के विधेयक के पक्ष में मुख्य तर्कों में से एक मौजूदा शासन संबंधी कमियों को दूर करने के लिए एक आधिकारिक निरीक्षण निकाय-विज़िटर-की आवश्यकता को संदर्भित करता है है। जैसा कि संशोधन में प्रस्तावित है, विज़िटर की भूमिका समीक्षा और पूछताछ करने के लिए एक औपचारिक तंत्र प्रदान करेगी, जिससे सिस्टम में अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही आएगी।

स्वायत्तता और जवाबदेही को संतुलित करना

हालाँकि अकादमिक संस्थानों के लिए स्वायत्तता आवश्यक है, लेकिन जिम्मेदार निर्णय लेने की प्रक्रिया को सुनिश्चित करने के लिए इसे जवाबदेही के साथ संतुलित किया जाना चाहिए। पिछले अधिनियम में डीन की नियुक्तियों जैसे प्रमुख मामलों पर स्पष्टता की कमी ने ऐसे वातावरण में योगदान दिया जहां निदेशकों के पास अनियंत्रित शक्तियां थी। 2023 का विधेयक एक विजिटर की अवधारणा को पेश करके इस असंतुलन को दूर करने का प्रयास करता है जो आवश्यक होने पर सुधारात्मक उपाय भी कर सकता है।

इस विधेयक के पीछे, सरकार का लक्ष्य आईआईएम में विश्वास बहाल करना, उनके ब्रांड की सुरक्षा करना और उत्कृष्टता की उनकी विरासत को संरक्षित करना है। लोकतांत्रिक जवाबदेही सुनिश्चित करते हुए अकादमिक उत्कृष्टता को बढ़ावा देने वाली प्रणाली बनाने के लिए सरकारी भागीदारी और संस्थागत स्वायत्तता के बीच संतुलन बनाना महत्वपूर्ण है।

निष्कर्ष

भारतीय प्रबंधन संस्थान देश के भावी नेताओं को आकार देने और आर्थिक विकास में योगदान देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 2023 आईआईएम संशोधन विधेयक आईआईएम प्रणाली में शासन और जवाबदेही की चिंताओं को दूर करने के लिए सरकार द्वारा एक महत्वपूर्ण कदम का प्रतिनिधित्व करता है। एक विजिटर की अवधारणा प्रस्तुत करके और उन्हें निरीक्षण अधिकार के साथ सशक्त बनाकर, सरकार स्वायत्तता एवं जवाबदेही के बीच संतुलन बनाना चाहती है।

यद्यपि , सरकार की बढ़ती भागीदारी के बारे में कुछ आशंकाएं हो सकती हैं, लेकिन आईआईएम के ब्रांड और प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए जांच और संतुलन की आवश्यकता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। इन प्रमुख संस्थानों में जवाबदेही बहाल करने के लिए कदम उठाकर, सरकार लोकतांत्रिक सिद्धांतों को बनाए रखते हुए अकादमिक उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित कर रही है। जैसे-जैसे विधेयक संसद के माध्यम से आगे बढ़ता है, एक रूपरेखा बनाने के लिए विचारशील चर्चा और विचार-विमर्श करना आवश्यक होगा जो आईआईएम की निरंतर सफलता और देश की प्रगति पर प्रभाव सुनिश्चित करेगा।

मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न:

  • प्रश्न 1. भारतीय प्रबंधन संस्थानों (आईआईएम) के प्रशासन और स्वायत्तता पर 2023 आईआईएम संशोधन विधेयक के प्रावधानों और निहितार्थों पर चर्चा कीजिये । संस्थागत उत्कृष्टता को बनाए रखते हुए जवाबदेही बहाल करने में विजिटर की भूमिका की आवश्यकता का मूल्यांकन कीजिये। (10 अंक, 150 शब्द)
  • प्रश्न 2. 2023 आईआईएम संशोधन विधेयक में प्रस्तावित विजिटर की भूमिका, शक्तियों और आईआईएम के कामकाज पर इसके संभावित प्रभाव का विश्लेषण कीजिये। आईआईएम और आईआईटी जैसे अन्य राज्य-नियंत्रित शैक्षिक निकायों में स्वायत्तता और जवाबदेही के बीच संतुलन की तुलना कीजिये। (15 अंक, 250 शब्द)

स्रोत - हिन्दू

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