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Daily-current-affairs / 05 Nov 2025

समुद्री अमृतकाल विजन 2047: भारत की वैश्विक समुद्री रणनीति का मूल्यांकन

समुद्री अमृतकाल विजन 2047: भारत की वैश्विक समुद्री रणनीति का मूल्यांकन

सन्दर्भ:

भारत का समुद्री क्षेत्र अभूतपूर्व परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। हाल ही में मुंबई में आयोजित इंडिया मैरीटाइम वीक 2025 को संबोधित करते हुए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को एक विश्वसनीय व्यापार, निवेश और संपर्क केंद्र के रूप में अशांत वैश्विक समुद्रों में स्थिर प्रकाशस्तंभबताया है। 85 से अधिक देशों की भागीदारी के साथ आयोजित इस कार्यक्रम ने यह प्रदर्शित किया कि भारत किस प्रकार प्राचीन समुद्री विरासत को आधुनिक नवाचार से जोड़ते हुए एक प्रमुख समुद्री शक्ति के रूप में उभर रहा है।

    • सरकार ने इस क्षेत्र में लगभग ₹70,000 करोड़ के निवेश की प्रतिबद्धता जताई है, जिसमें सतत तटीय विकास, उन्नत जहाज निर्माण और हरित लॉजिस्टिक्स पर बल दिया गया है। यह नया समुद्री प्रोत्साहन दीर्घकालिक मैरीटाइम अमृत काल विजन 2047 के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य भारत को विश्व की अग्रणी समुद्री शक्तियों में स्थापित करना है।

वैश्विक समुद्री क्षेत्र में भारत की स्थिति:

    • भारत वैश्विक समुद्री परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। 7,500 किलोमीटर लंबी तटीय रेखा (और द्वीपीय क्षेत्रों सहित 11,000 किमी से अधिक) तथा 13 तटीय राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के साथ, भारत प्रमुख अंतरराष्ट्रीय नौवहन मार्गों के केंद्र में रणनीतिक रूप से स्थित है। भारत के कुल व्यापार का लगभग 95% (मात्रा) और 70% (मूल्य) समुद्री परिवहन के माध्यम से होता है।
    • पिछले एक दशक में भारत के बंदरगाह अधिक कुशल और प्रतिस्पर्धी बने हैं। औसत पोत टर्नअराउंड समय 96 घंटे से घटकर केवल 48 घंटे रह गया है, जबकि कंटेनर ड्वेल समय तीन दिनों से भी कम हो गया है, जो कई विकसित देशों से बेहतर है। कार्गो हैंडलिंग क्षमता लगभग दोगुनी हो गई है, जबकि अंतर्देशीय जलमार्गों पर माल परिवहन में 700% से अधिक की वृद्धि हुई है।
    • विश्व बैंक के लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस इंडेक्स (LPI) में भारत का प्रदर्शन भी उल्लेखनीय रूप से सुधरा है। देश 2014 में 54वें स्थान से 2023 में 38वें स्थान पर पहुंच गया, जो मजबूत लॉजिस्टिक्स, बंदरगाह दक्षता और आपूर्ति श्रृंखला की लचीलापन को दर्शाता है।
    • इसके अलावा, भारत अब विश्व में नाविकों की संख्या के मामले में शीर्ष तीन देशों में शामिल है। वर्तमान में 3 लाख से अधिक भारतीय नाविक कार्यरत हैं, जो एक दशक पहले 1.25 लाख थे।

इंडिया मैरीटाइम वीक 2025: महासागरों को एकजुट करने की एक दृष्टि:

    • इंडिया मैरीटाइम वीक (IMW) 2025 का आयोजन पोत, नौवहन और जलमार्ग मंत्रालय (MoPSW) द्वारा मुंबई में 27–31 अक्टूबर 2025 तक किया गया। महासागरों का एकीकरण, एक समुद्री दृष्टिकोण (Uniting Oceans, One Maritime Vision)”  थीम पर आधारित
    • इस आयोजन का उद्देश्य समुद्री क्षेत्र में नवाचार, स्थिरता और समावेशी विकास पर वैश्विक संवाद के लिए एक मंच प्रदान करना था।
      इस सम्मेलन में 85 देशों की भागीदारी हुई, जिनमें अग्रणी वैश्विक शिपिंग कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, नीति निर्माता, स्टार्टअप्स और छोटे द्वीपीय देशों के प्रतिनिधि शामिल थे। सहभागिता का यह स्तर और लाखों करोड़ रुपये के समझौतों (MoUs) पर हस्ताक्षर भारत की समुद्री क्षमता में बढ़ते वैश्विक विश्वास को दर्शाते हैं।
    • IMW 2025 ने कई प्रमुख अवसंरचना परियोजनाओं और नीति सुधारों के कार्यान्वयन को भी चिह्नित किया, जिससे यह भारत के लिए एक ऐतिहासिक आयोजन बन गया। इस कार्यक्रम के तहत आयोजित ग्लोबल मैरीटाइम CEO फोरम में हरित नौवहन, ब्लू इकोनॉमी रणनीतियाँ और सुदृढ़ आपूर्ति श्रृंखलाओं जैसे विषयों पर चर्चा हुई।

भारत का समुद्री क्षेत्र

भारत के समुद्री क्षेत्र में प्रमुख विकास:

सरकार का लगातार ध्यान सुधार, नवाचार और क्षमता विस्तार पर केंद्रित रहा है, जिससे भारत का समुद्री क्षेत्र एक नए स्तर पर पहुंचा है।
कुछ उल्लेखनीय विकास इस प्रकार हैं:

      • विझिंजम पोर्ट का संचालन भारत का पहला डीप-वाटर अंतरराष्ट्रीय ट्रांस-शिपमेंट हब, जहाँ हाल ही में विश्व का सबसे बड़ा कंटेनर पोत आया।
      • वित्त वर्ष 2024–25 में प्रमुख बंदरगाहों द्वारा अब तक का सर्वाधिक कार्गो हैंडलिंग।
      • कांडला पोर्ट पर ग्रीन हाइड्रोजन सुविधा का शुभारंभ स्वच्छ पोर्ट ऊर्जा प्रणाली में भारत की एंट्री।
      • JNPT पर भारत मुंबई कंटेनर टर्मिनल के चरण 2 का उद्घाटन इसकी क्षमता दोगुनी हुई, जिससे यह भारत का सबसे बड़ा कंटेनर पोर्ट बना और इसे रिकॉर्ड विदेशी निवेश प्राप्त हुआ।
      • महाराष्ट्र में ₹76,000 करोड़ की लागत से वधावन पोर्ट का निर्माण, जो एक विश्व-स्तरीय मेगा पोर्ट होगा।

इसके अतिरिक्त, अंतर्देशीय जलमार्गों की संख्या 3 से बढ़कर 32 हो गई है, जिससे सड़कों और रेल पर माल परिवहन का दबाव काफी कम हुआ है।
भारत के बंदरगाहों ने पिछले दशक में वार्षिक शुद्ध अधिशेष में नौ गुना वृद्धि हासिल की है, जो दर्शाता है कि सुधार और दक्षता लाभप्रदता के साथ-साथ चल सकते हैं।

प्रमुख सरकारी सुधार और योजनाएँ:

1.        मैरीटाइम इंडिया विजन 2030 और मैरीटाइम अमृत काल विजन 2047
ये दीर्घकालिक रणनीतियाँ चार स्तंभों पर केंद्रित हैं पोर्ट-नेतृत्व विकास, जहाज निर्माण, सुगम लॉजिस्टिक्स और समुद्री कौशल विकास। इनका उद्देश्य भारत को एक वैश्विक समुद्री केंद्र में बदलना और विश्व व्यापार में उसकी हिस्सेदारी बढ़ाना है।

2.      तटीय शिपिंग अधिनियम
यह नया कानून व्यापार को सरल बनाता है, आपूर्ति श्रृंखला की सुरक्षा को सुदृढ़ करता है और भारत की तटीय रेखा के साथ संतुलित विकास सुनिश्चित करता है। यह तटीय शिपिंग को पर्यावरण-अनुकूल और किफायती परिवहन के रूप में प्रोत्साहित करता है।

3.      वाणिज्यिक नौवहन अधिनियम (Merchant Shipping Act)
औपनिवेशिक युग के कानूनों को बदलते हुए यह अधिनियम समुद्री शासन का आधुनिकीकरण करता है और भारतीय नियमों को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाता है। यह सुरक्षा मानकों, डिजिटलीकरण और बंदरगाह संचालन में व्यवसाय सुगमता को बढ़ावा देता है।

4.     सागरमाला कार्यक्रम
पोर्ट-नेतृत्व औद्योगीकरण को प्रोत्साहित करने के लिए शुरू किया गया यह कार्यक्रम ₹5.5 लाख करोड़ मूल्य की 800 से अधिक परियोजनाओं को शामिल करता है, जिनमें पोर्ट आधुनिकीकरण, संपर्क अवसंरचना और तटीय समुदायों का विकास सम्मिलित है।

5.      हरित सागर और ग्रीन पोर्ट पहलें
हरित लॉजिस्टिक्स, कचरा प्रबंधन और नवीकरणीय ऊर्जा उपयोग पर केंद्रित ये पहलें सतत बंदरगाह संचालन और कार्बन-तटस्थ विकास को प्रोत्साहित करती हैं।

6.     प्रधानमंत्री गति शक्ति और वन नेशन, वन पोर्ट प्रक्रिया
एकीकृत डिजिटल अवसंरचना के माध्यम से ये पहलें लॉजिस्टिक्स को सुव्यवस्थित करती हैं, दस्तावेज़ीकरण को मानकीकृत करती हैं और टर्नअराउंड समय को घटाकर बंदरगाह प्रतिस्पर्धा बढ़ाती हैं।

7.      जहाज निर्माण और मरम्मत नीतियाँ
भारत ने बड़े जहाजों को अवसंरचना संपत्ति का दर्जा दिया है, जिससे शिपबिल्डरों के लिए वित्त तक पहुंच आसान हुई है और ब्याज लागत कम हुई है। ₹70,000 करोड़ के निवेश प्रोत्साहन के साथ ग्रीनफील्ड और ब्राउनफील्ड शिपयार्ड दोनों विकसित किए जा रहे हैं।

भारत की वैश्विक समुद्री दृष्टि:

    • भारत की समुद्री रणनीति केवल घरेलू क्षमता निर्माण तक सीमित नहीं है यह वैश्विक व्यापार, ऊर्जा सुरक्षा और जलवायु लचीलापन से गहराई से जुड़ी है। इंडियामिडिल ईस्टयूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर (IMEC) जैसी परियोजनाएँ स्वच्छ और स्मार्ट लॉजिस्टिक्स के माध्यम से वैश्विक व्यापार मार्गों को पुनर्परिभाषित करने के भारत के प्रयासों को दर्शाती हैं।
    • समुद्री विकास समावेशी होना चाहिए जिससे न केवल भारत, बल्कि छोटे द्वीपीय विकासशील देश (SIDS) और अल्पविकसित देश (LDCs) भी लाभान्वित हों। भारत इन देशों के साथ तकनीक, प्रशिक्षण और अवसंरचना साझा करना चाहता है, जिससे वह एक जिम्मेदार वैश्विक भागीदार के रूप में अपनी भूमिका को सुदृढ़ करे।
    • इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन, डीकार्बोनाइजेशन और ब्लू इकोनॉमी विकास पर वैश्विक समुद्री संवादों में भारत की सक्रिय भागीदारी उसके व्यापक सतत विकास एजेंडे के अनुरूप है।

आगे की राह:

अगले 25 वर्ष भारत का समुद्री अमृत काल, देश को एक समुद्री शक्ति के रूप में सशक्त करेगा। निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान देने की आवश्यकता होगी:

    • विश्व-स्तरीय मेगा पोर्ट्स का विकास और कंटेनरीकृत व्यापार में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाना।
    • जहाज निर्माण और मरीन इंजीनियरिंग क्षमता को तेज़ करना ताकि भारत वैश्विक हब बन सके।
    • हाइड्रोजन चालित पोतों और शून्य-उत्सर्जन लॉजिस्टिक्स जैसी हरित तकनीकों को आगे बढ़ाना।
    • पर्यटन, मत्स्य पालन और स्थानीय आजीविकाओं को प्रोत्साहित करने के लिए तटीय अवसंरचना को सुदृढ़ बनाना।
    • वैश्विक समुद्री संचालन में उभरती भूमिकाओं के लिए युवाओं को तैयार करने हेतु कौशल विकास को मजबूत करना।

बंदरगाहों और नौवहन में 100% विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) की अनुमति के साथ, यह क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय सहयोग और निजी निवेश के लिए व्यापक अवसर प्रस्तुत करता है।

निष्कर्ष:

भारत का समुद्री पुनरुत्थान केवल अवसंरचना की कहानी नहीं है, यह रणनीतिक आत्मविश्वास और वैश्विक प्रासंगिकता का प्रतीक है। औपनिवेशिक कानूनों से लेकर भावी विधानों तक का परिवर्तन, सीमित पोर्ट क्षमता से विश्व-स्तरीय अवसंरचना तक की यात्रा, भारत की उस दृष्टि को दर्शाती है जिसमें वह वैश्विक व्यापार के लिए एक स्थिर प्रकाशस्तंभबनना चाहता है। जब विश्व अनिश्चित भू-राजनीतिक परिस्थितियों और आपूर्ति श्रृंखला के व्यवधानों से जूझ रहा है, भारत का समुद्री क्षेत्र स्थिरता, स्थायित्व और अवसर का प्रतीक बनकर उभर रहा है।

 

UPSC/PCS मुख्य प्रश्न: भारत की समुद्री नीति तेजी से समावेशिता और छोटे द्वीपीय विकासशील देशों (SIDS) के साथ सहयोग पर बल दे रही है। यह भारत की व्यापक विदेश नीति और सतत वैश्विक विकास के प्रति उसकी प्रतिबद्धताओं के साथ किस प्रकार मेल खाती है? चर्चा कीजिए।