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Daily-current-affairs / 27 Feb 2024

इसरो के सीई-20 इंजन का विकास व महत्व

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संदर्भ:

अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में, नवाचार की कोई सीमा नहीं है। प्रत्येक नवीन खोज के साथ, मानवता के लिए संभावनाओं के नवीन द्वार खुलते है, और ब्रह्मांड के उनसुलझे रहस्यों से पर्दा उठता है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) इस यात्रा में अग्रणी प्रतिस्पर्धियों में से एक है। इसरो की हालिया उपलब्धियों के केंद्र में CE-20 क्रायोजेनिक इंजन का विकास है, जो एक अंतरिक्ष यात्री राष्ट्र के रूप में भारत की बढ़ती सफलता का प्रतीक है। ध्यातव्य है, कि इसरो महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन की तैयारी कर रहा है, जिसके माध्यम से भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में ले जाया जाएगा। CE-20 इंजन इस ऐतिहासिक प्रयास की आधारशिला है। प्रस्तुत लेख में हम इस अभूतपूर्व प्रौद्योगिकी के विकास, जटिलताओं और इसकी उल्लेखनीय विरासत का विश्लेषण कर रहे हैं।


नवाचार की उत्पत्तिः प्रतिबंधों से सफलता तक

1980 के दशक की चुनौतियों के बीच, जब संयुक्त राज्य अमेरिका ने भारत के खिलाफ प्रतिबंध लगा दिए थे, इसरो ने अपने इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियों को प्राप्त किया। बाहरी दबावों से विचलित हुए बिना, इसरो ने रॉकेट प्रणोदन प्रौद्योगिकी में स्वदेशी क्षमताओं को विकसित किया। यह दृढ़ संकल्प के साथ आत्मनिर्भरता के मार्ग की शुरुआत थी। इसी दृढ़ संकल्प का परिणाम सीई-20 क्रायोजेनिक इंजन का विकास है, जो प्रतिकूल परिस्थितियों में भारत की सरलता और लचीलेपन का प्रमाण है। ध्यातव्य हो कि ठोस ईंधनों के विपरीत, तरल ईंधन अधिक दक्षता और लचीलापन प्रदान करते हैं, इस कारण इन्हे रॉकेट प्रणोदन के लिए पसंदीदा विकल्प माना जाता है। तरल ईंधनों में, हाइड्रोजन का ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाता है, यह ऑक्सीजन के साथ दहन करने पर उच्चतम निकास वेग प्रदान  करता है। हालांकि, तरल हाइड्रोजन का दोहन इसकी क्रायोजेनिक प्रकृति के कारण जटिल  चुनौतियां प्रस्तुत करता है, जिसके लिए विशेष उपकरण और विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है।

CE-20 का विकासः

क्रायोजेनिक तकनीक में महारत हासिल करने की दिशा में इसरो की यात्रा अग्रलिखित इंजनों के क्रमिक विकास से गुजरी हैः KVD-1, CE-7.5, और CE-20 CE- 7.5 इंजन का विकास  रूस से मिलने वाले KVD-1 इंजन से प्रेरणा लेकर किया गया था। लेकिन CE-20 इंजन ने प्रणोदन उत्कृष्टता के एक नए युग की शुरुआत की है। CE-20 का विकास जीएसएलवी एमके III के लिए किया गया था, जिसे बाद में एलवीएम-3 नाम दिया गया। सीई-20 ने प्रदर्शन और विश्वसनीयता में अभूतपूर्व प्रदर्शन किया है। पिछले इंजनों के विपरीत, सीई-20 में गैस-जनरेटर चक्र को अपनाया गया है, जो इसके डिजाइन को सुव्यवस्थित करता है और इसके निर्माण एवं परीक्षण की आसानी को बढ़ाता है। यह नवाचार निरंतर सुधार और अनुकूलन के लिए इसरो की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।

इंजीनियरिंग सरलताः क्रायोजेनिक चुनौतियों पर विजय

तरल हाइड्रोजन के उपयोग में कई तकनीकी बाधाएँ और लॉजिस्टिक जटिलताएँ है। क्रायोजेनिक इंजन के संचालन के लिए हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को ठंडा करने वाले क्रायोपम्प से लेकर ईंधन की आवाजाही को सुविधाजनक बनाने वाले टर्बोपम्प तक सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं पर सावधानीपूर्वक ध्यान देने की आवश्यकता है। सीई-20 इंजन के गैस-जनरेटर चक्र में क्रायोजेनिक प्रणोदन से जुड़ी इंजीनियरिंग जटिलता को सरल बनाते हुए दक्षता को बढ़ाया गया है। नोजल गिम्बॉलिंग के पक्ष में प्री-बर्नर एग्जॉस्ट और वर्नियर थ्रस्टर्स को छोड़कर, इसरो ने एक ऐसा विकल्प तैयार किया है जो प्रदर्शन, विश्वसनीयता और विनिर्माण क्षमता को संतुलित करता है। ये नवाचार केवल भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं को आगे बढ़ाते हैं, बल्कि रॉकेट प्रणोदन प्रौद्योगिकी हेतु वैश्विक प्रगति में भी योगदान करते हैं।

अंतरिक्ष में मानव मिशन की सुरक्षा सुनिश्चित करना

इसरो अंतरिक्ष में पहली बार मानव भेजने हेतु गगनयान मिशन की तैयारी कर रहा है,इस संदर्भ में सीई-20 इंजन के महत्व को कम नहीं किया जा सकता है। मानव रहित उपग्रहों के विपरीत, मानव अंतरिक्ष उड़ान में की तरह के जोखिम और जिम्मेदारीयां होती है। मानव-मिशन में अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करते हुए मिशन की विफलता की संभावना को कम करने के लिए कठोर परीक्षण और सत्यापन की आवश्यकता होती है। ध्यातव्य हो कि नासा का वाणिज्यिक चालक दल कार्यक्रम, मिशन विश्वसनीयता के लिए कड़े मानक निर्धारित करता है, जिसमें असफलता की संभावनाओं को टेक ऑफ और वापसी के दौरान 1/500 से नीचे रहने की आवश्यकता होती है। कुल 8,810 सेकंड के व्यापक हॉट-फायर परीक्षणों के माध्यम से, इसरो ने आने वाली चुनौतियों के लिए सीई-20 की तैयारी का प्रदर्शन किया है। ये परीक्षण सबसे अधिक जटिल परिस्थितियों में इंजन के प्रदर्शन और विश्वसनीयता को दर्शाते है।

उत्कृष्टता की विरासतः अंतरिक्ष अन्वेषण के भविष्य की योजनाएं

सीई-20 इंजन के विकास का अंतरिक्ष अनुसंधान हेतु विकसित उपकरणों में महत्वपूर्ण स्थान  है। चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 जैसे चंद्र मिशनों से लेकर वनवेब के लिए वाणिज्यिक पेलोड लॉन्च करने तक, सीई-20 ने प्रत्येक बार अपनी क्षमता साबित की है। इसरो पुनः अंतरिक्ष में गगनयान की पहली मानव रहित परीक्षण उड़ान के लिए तैयार है। नवाचार, दृढ़ता और उत्कृष्टता के प्रति प्रतिबद्धता के माध्यम से, इसरो अंतरिक्ष की असीम क्षमता का विस्तार कर रहा है। सीई-20 इंजन केवल भारत के तकनीकी कौशल का प्रमाण है, बल्कि अंतरिक्ष अनुसंधानकर्ताओं की आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा भी है।

निष्कर्ष

अंतरिक्ष के अनंत विस्तार में, जहां अज्ञात संकेत और असंभव संभव हो जाता है, सीई-20 इंजन मानव सरलता और दृढ़ संकल्प के प्रमाण के रूप में खड़ा है। सामान्य शुरुआत से लेकर शानदार उपलब्धियों तक, क्रायोजेनिक प्रणोदन के साथ इसरो की यात्रा अन्वेषण और खोज की भावना का प्रतीक है। सीई-20 इंजन की उल्लेखनीय विरासत नवाचार, उत्कृष्टता और असाधारण की अथक खोज का पर्याय है। प्रत्येक इग्निशन, प्रत्येक लॉन्च और प्रत्येक मिशन के साथ, सीई-20 इंजन हमें एक ऐसे भविष्य की ओर ले जाता है जहां ब्रह्मांड के रहस्य उद्घाटन का इंतजार कर रहे हैं।

यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न

1. भारत के अंतरिक्ष अन्वेषण में सीई-20 क्रायोजेनिक इंजन के महत्व पर चर्चा करें, इसके विकास, इंजीनियरिंग नवाचारों और मिशन योगदान को विश्लेषित करें। इसरो की स्वदेशी क्रायोजेनिक तकनीक ने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम और आत्मनिर्भरता को कैसे प्रभावित किया है? (10 marks, 150 words)

2. इसरो के गगनयान मिशन के लिए सीई-20 इंजन की मानव-रेटिंग में चुनौतियों और प्रगति का मूल्यांकन करें। यह प्रक्रिया चालक दल वाले अंतरिक्ष मिशनों के लिए भारत की तैयारी और अंतरिक्ष अन्वेषण उत्कृष्टता के लिए इसकी प्रतिबद्धता को कैसे दर्शाती है? (15 marks, 250 words)

Source – The Hindu

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