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Daily-current-affairs / 28 Jul 2023

भारत का सेमीकंडक्टर उद्योग: अवसरों की एक नई दुनिया - डेली न्यूज़ एनालिसिस

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तारीख (Date): 29-07-2023

प्रासंगिकता: जीएस पेपर 3 - अर्थव्यवस्था - उद्योग

की-वर्ड: सेमीकॉन इंडिया, भारत सेमीकंडक्टर मिशन (ISM), घरेलू सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र, आत्मनिर्भरता, वैश्विक मूल्य श्रृंखला, डिजिटल संप्रभुता।

सन्दर्भ:

  • इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) का वार्षिक सम्मेलन और सेमीकॉन इंडिया का दूसरा संस्करण, भारत के सेमीकंडक्टर उद्योग में एक महत्वपूर्ण उभरते हुए चरण का प्रतीक है । चूंकि वैश्विक सेमीकंडक्टर परिदृश्य में तेजी से बदलाव हो रहा है, जिसमें यह सम्मेलन सेमीकंडक्टर डिजाइन और विनिर्माण में भारत की प्रगति को उल्लेखित करता है।
  • एक आत्मनिर्भर घरेलू पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने और भारत को वैश्विक मूल्य श्रृंखला में एक प्रमुख प्रतिभागी के रूप में पहचान दिलाने की सरकार की प्रतिबद्धता उसके अभूतपूर्व राजकोषीय समर्थन एवं उद्योग के दिग्गजों के साथ उनके सक्रिय साझेदारी को भी स्पष्ट करता है।

स्क्रैच से निर्माण: भारत के छूटे हुए अवसर

  • पिछले कुछ वर्षों में, भारत के पास एक संपन्न सेमीकंडक्टर उद्योग स्थापित करने के कई अवसर सामने आये हैं । किन्तु 60 के दशक में फेयरचाइल्ड सेमीकंडक्टर फैब से पहली बार चूकने से लेकर 2000 के दशक के मध्य में एक वैश्विक सेमीकंडक्टर कंपनी के हित में विनियामक और नौकरशाही बाधाओं से चूकने एवं 2000 के दशक के अंत में इंटेल के वैश्विक विस्तार से वियतनाम-भारत के हाथ से दुबारा यह अवसर निकल गया। इसका एक संभावित कारण तत्कालीन सरकार की अपारदर्शी कार्यप्रणाली और दृष्टिकोण को अस्पष्ट करने तथा एक औपचारिक नीति का मसौदा तैयार करने में अत्यधिक देरी का होना माना जा सकता है।
  • सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा आशाजनक शुरुआत के बावजूद, भारत शुरुआती दिनों में प्रदर्शित क्षमता का लाभ उठाने में विफल रहा। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) और कुछ अन्य प्रयोगशालाएं एवं संस्थान प्रतिस्पर्धा के लिए आवश्यक संसाधन प्राप्त करने में सक्षम नहीं थे और न ही उनके पास उद्योग का नेतृत्व करने के लिए अत्याधुनिक तकनीक थी।
  • चंडीगढ़ के सेमीकंडक्टर कॉम्प्लेक्स लिमिटेड (SCL) में भारत के VLSI फैब्रिकेशन प्लांट ने सेमी-कंडक्टर विनिर्माण में ताइवान से काफी पहले उत्पादन शुरू कर दिया था लेकिन, वर्ष 1989 में भीषण आग लगने के बाद यह कई वर्षों तक बंद रहा । SCL में परिचालन को तेजी से फिर से शुरू करने में लगातार सरकारों की अक्षमता इस बात की याद दिलाती है, कि कैसे रणनीतिक दृष्टि की कमी और नीतिगत विफलता ने भारत को अग्रणी देशों के साथ तालमेल बिठाने से रोक दिया है।
  • सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा आशाजनक शुरुआत के बावजूद, रणनीतिक दृष्टि और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी की कमी ने इस क्षेत्र की प्रतिस्पर्धात्मकता में बाधा उत्पन्न की है।
  • परिणामस्वरूप, भारत सेमीकंडक्टर आयात पर बहुत अधिक निर्भर हो गया, जिससे न केवल आर्थिक विकास पर असर पड़ा बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर भी चिंताएँ बढ़ गईं। हालाँकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए भारत सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) का उद्देश्य इस प्रवृत्ति को उलटना और सेमीकंडक्टर आत्मनिर्भरता को शीघ्रातिशीघ्र प्राप्त करना है।

ISM की दूरदर्शिता और कार्रवाई

  • आईएसएम का दृष्टिकोण एक मजबूत घरेलू सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र बनाने पर केंद्रित है जो आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है, उद्योगों को वैश्विक व्यवधानों से बचाता है, और डिजिटल संप्रभुता सुनिश्चित करता है। अन्य उद्योगों के विपरीत, जहां मौजूदा घरेलू क्षेत्रों को उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से बढ़ावा दिया जाता है, सेमीकंडक्टर क्षेत्र लगभग पूरी तरह से स्क्रैच से बनाया जा रहा है।
  • सरकार के राजकोषीय प्रोत्साहन और नियामक समर्थन, वैश्विक निवेशकों को भारत में अपने विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने के लिए आकर्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। नीति निर्माता सेमीकंडक्टर क्षेत्र के विकास के लिए आवश्यक दीर्घकालिक समर्थन को प्रोत्साहित करते हैं, और उनका व्यापक दृष्टिकोण सेमीकंडक्टर डिजाइन से लेकर अंतिम असेंबलीकरण और परीक्षण तक के संपूर्ण मूल्य श्रृंखला तक विस्तृत है।
  • नीति निर्माताओं के अनुसार सेमीकंडक्टर उद्योग एक मूलभूत और मुख्य उद्योग है, जो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कई उद्योगों के विकास को बढ़ावा देता है और रोजगार सृजन में अत्यधिक योगदान देता है। सरकार ने वैश्विक सेमीकंडक्टर की कमी से अवसरों के हानि की पहचान की, जिसने उद्योगों में आपूर्ति श्रृंखलाओं को बाधित कर दिया, और सेमीकंडक्टर आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की तात्कालिकता को महसूस किया । इसके अतिरिक्त, राष्ट्रीय सुरक्षा के एक महत्वपूर्ण पहलू "डिजिटल संप्रभुता" को सुनिश्चित करने के लिए सेमीकंडक्टर का घरेलू विनिर्माण आवश्यक है ।
  • चुनिंदा स्टार्टअप को डिज़ाइन लिंक्ड इंसेंटिव (DLI) योजना के माध्यम से समर्थन दिया जाता है, और चंडीगढ़ में सेमीकंडक्टर कॉम्प्लेक्स लिमिटेड को आधुनिक बनाने के प्रयास चल रहे हैं। इस सन्दर्भ में अमेरिका और जापान के साथ समझौते, भारत की वैश्विक अपील और सेमीकंडक्टर विकास और प्रतिभा पोषण के प्रति प्रतिबद्धता का उदाहरण देते हैं।

सतत सेमीकंडक्टर विनिर्माण: भारत के लिए एक अवसर

  • यद्यपि सेमीकंडक्टर उद्योग को उच्च ऊर्जा और पानी की खपत से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ता है। तथापि यह चुनौती भारत के लिए हरित प्रौद्योगिकियों में निवेश और नवाचारों को बढ़ावा देकर सतत एवं दीर्घस्थायी सेमीकंडक्टर विनिर्माण पर ध्यान केंद्रित करने का अवसर प्रस्तुत करती है।
  • जैसे-जैसे पर्यावरण संबंधी दृष्टिकोण विश्व स्तर पर प्रमुखता प्राप्त कर रहे हैं, भारत सेमीकंडक्टर उद्योग के स्थायी निर्माण प्रक्रियाओं में खुद को अग्रणी रूप में स्थापित कर सकता है।

वैश्विक सेमीकंडक्टर हब के रूप में भारत का उदय

  • सेमीकॉन इंडिया सम्मलेन, 2023 में वैश्विक निवेशकों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ओजपूर्ण संबोधन वैश्विक सेमीकंडक्टर हब बनने की भारत की आकांक्षा को उजागर करती है। सरकार के नीतिगत सुधार, कर प्रोत्साहन और भारत में विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने के लिए वैश्विक खिलाड़ियों को आकर्षित करने के प्रयास इस दृष्टिकोण में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
  • प्रधानमंत्री ने देश में इंटरनेट पहुंच और फाइबर बुनियादी ढांचे, प्रतिभा की उपलब्धता, एक विशाल बाजार के अलावा एक अनुकूल और आकर्षक कॉर्पोरेट कर प्रणाली पर भी जोर दिया। उन्होंने देश में राजनीतिक स्थिरता को भी रेखांकित किया है ।
  • प्रधानमंत्री ने अत्यधिक गरीबी में कमी और किफायती डेटा कनेक्टिविटी की व्यापक उपलब्धता का सन्दर्भ देते हुए भारत के भविष्य की आकांक्षाओं से प्रेरित विकास पर चर्चा की, जो देश के अंतिम छोर के स्थानों तक भी पहुंच गई है।
  • उनके अनुसार, देश ने इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण क्षेत्र में व्यापक प्रगति की है जो 30 अरब डॉलर से बढ़कर 100 अरब डॉलर से भी अधिक हो गया है और उन्होंने देश से बढ़ते इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण निर्यात और भारत में 200 से अधिक मोबाइल विनिर्माण इकाइयों की स्थापना के बारे में भी बात की।
  • बेंगलुरु में अपना सबसे बड़ा डिजाइन सेंटर बनाने के लिए एएमडी के 400 मिलियन डॉलर के निवेश की घोषणा भारत की सेमीकंडक्टर क्षमता में वैश्विक भागीदारी के विश्वास का प्रमाण है। फॉक्सकॉन के चेयरमैन द्वारा भारत के दृढ़ संकल्प और विकास क्षमता के बारे में आशावदी संबोधन व्यक्त करना सेमीकंडक्टर विनिर्माण के लिए एक आकर्षक गंतव्य के रूप में भारत की स्थिति को और मजबूत करता है।

निष्कर्ष:

  • भारत की सेमीकंडक्टर यात्रा लगभग गैर-मौजूद घरेलू पारिस्थितिकी तंत्र से वैश्विक निवेशकों को आकर्षित करने वाले एक संपन्न क्षेत्र तक विकसित हुई है। ISM के दृष्टिकोण और ठोस कार्यों ने उद्योग जगत के दिग्गजों के बीच विश्वास पैदा किया है। जैसे-जैसे भारत अवसरों की इस नई दुनिया को अपनाता है, उसे वैश्विक सेमीकंडक्टर परिदृश्य में खुद को एक महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में स्थापित करने के लिए स्थायी प्रथाओं और रणनीतिक साझेदारी पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। सरकार के अटूट समर्थन और सेमीकंडक्टर उद्योग की वैश्विक मूल्य श्रृंखला के पुनर्संतुलन के साथ, भारत स्वयं को एक वैश्विक सेमीकंडक्टर हब में बदलने के कगार पर खड़ा है।

यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न:

  • प्रश्न 1. सेमीकंडक्टर उद्योग में भारत के विकास में बाधा डालने वाले गँवाए गए अवसरों का विश्लेषण करें। भारत सेमीकंडक्टर मिशन (आईएसएम) इन चुनौतियों पर काबू पाने और सेमीकंडक्टर आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए रणनीतिक रूप से कैसे काम कर रहा है? (10 अंक, 150 शब्द)
  • प्रश्न 2. वैश्विक निवेशकों को आकर्षित करने में सरकार के राजकोषीय प्रोत्साहन और नियामक समर्थन पर विचार करते हुए, वैश्विक सेमीकंडक्टर हब के रूप में भारत के उद्भव के महत्व का आकलन करें। भारत वैश्विक पर्यावरणीय चिंताओं के अनुरूप टिकाऊ सेमीकंडक्टर विनिर्माण कैसे सुनिश्चित कर सकता है? (15 अंक, 250 शब्द)

स्रोत - द हिंदू

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