सन्दर्भ:
भारत का स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन एक निर्णायक चरण में प्रवेश कर रहा है, जहाँ सरकार स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (SMRs) छोटे, फैक्ट्री में निर्मित, स्वच्छ, सुरक्षित और लचीले परमाणु ऊर्जा स्रोत को बढ़ावा दे रही है। एक बड़े विकास के तहत, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड, टाटा पावर, अदाणी पावर, हिंदाल्को इंडस्ट्रीज, जेएसडब्ल्यू एनर्जी और जिंदल स्टील ने भारत स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर्स (BSMRs) स्थापित करने के लिए न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NPCIL) के साथ साझेदारी में रुचि दिखाई है।
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- यह भारत की परमाणु नीति में एक ऐतिहासिक बदलाव को दर्शाता है, क्योंकि यह क्षेत्र, जो परंपरागत रूप से सार्वजनिक क्षेत्र के एकाधिकार में था, अब निजी भागीदारी के लिए खोला जा रहा है। लगभग छह राज्यों, गुजरात, मध्य प्रदेश, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, झारखंड और छत्तीसगढ़ में 16 स्थलों की पहचान SMR परियोजनाओं के लिए की गई है।
- योजना के अनुसार, NPCIL स्वामित्व और परिचालन नियंत्रण बनाए रखेगा, जबकि निजी कंपनियाँ संपूर्ण परियोजना का वित्तपोषण करेंगी, जिसमें पूंजीगत और जीवनचक्र लागत शामिल हैं। इसके बदले, उन्हें उत्पादित शुद्ध बिजली पर अधिकार प्राप्त होगा, जिसे वे अपनी ऊर्जा-प्रधान उद्योगों — जैसे इस्पात, एल्युमिनियम, सीमेंट और पेट्रोकेमिकल्स — में कैप्टिव उपयोग के लिए इस्तेमाल कर सकेंगी।
स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (SMRs) क्या हैं?
स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (SMRs) उन्नत परमाणु रिएक्टर हैं जिनकी विद्युत उत्पादन क्षमता प्रति यूनिट 300 मेगावाट (MW(e)) तक होती है — जो पारंपरिक रिएक्टरों के आकार का लगभग एक-तिहाई है।
इनकी प्रमुख विशेषताएँ हैं:
• छोटा आकार: कॉम्पैक्ट रिएक्टर जिन्हें स्थापित करना आसान है और जो मौजूदा बुनियादी ढाँचे में फिट हो सकते हैं।
• मॉड्यूलर निर्माण: फैक्ट्री में बनाए गए यूनिट जिन्हें साइट पर ले जाकर असेंबल किया जा सकता है, जिससे समय और लागत दोनों कम होती हैं।
• निष्क्रिय सुरक्षा प्रणाली (Passive Safety Systems): ये गुरुत्वाकर्षण और प्राकृतिक परिसंचरण पर निर्भर करती हैं, न कि पंप या बाहरी बिजली पर — जिससे ये अधिक सुरक्षित बनती हैं।
• बहुउद्देश्यीय उपयोग: बिजली उत्पादन के अलावा औद्योगिक ताप, हाइड्रोजन या विलवणीकृत जल (desalinated water) उत्पादन के लिए भी प्रयोग किए जा सकते हैं।
SMRs को भूमिगत, जलमग्न या तैरते प्लेटफॉर्म पर भी स्थापित किया जा सकता है, जिससे ये भूकंप, बाढ़ या तोड़फोड़ जैसी स्थितियों के प्रति अधिक लचीले बन जाते हैं।
इनकी यह लचीलापन इन्हें दूरस्थ क्षेत्रों, द्वीपों और कमजोर ग्रिड वाले इलाकों के लिए उपयुक्त बनाती है।
भारत के लिए SMRs का महत्व:
SMRs भारत की ऊर्जा सुरक्षा और स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों को प्राप्त करने में प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं।
1. कम-कार्बन, विश्वसनीय ऊर्जा: बिना ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के 24×7 स्थिर विद्युत आपूर्ति, जो नवीकरणीय ऊर्जा का पूरक बनती है।
2. औद्योगिक डीकार्बोनाइजेशन: उद्योगों को कैप्टिव स्वच्छ ऊर्जा उत्पन्न करने और जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता घटाने में मदद।
3. ग्रिड स्थिरता: सौर और पवन ऊर्जा के उतार-चढ़ाव को संतुलित करने के लिए स्थिर बेसलोड पावर की आपूर्ति।
4. थर्मल साइट्स का पुनः उपयोग: पुराने कोयला संयंत्र स्थलों पर SMRs स्थापित किए जा सकते हैं, जिससे भूमि और ग्रिड लिंक का पुनः उपयोग होगा।
5. वैश्विक समन्वय: गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी टेक कंपनियाँ अपने डेटा सेंटरों के लिए परमाणु ऊर्जा अपना रही हैं; भारत की SMR पहल इस वैश्विक प्रवृत्ति के अनुरूप है।
भारत का परमाणु ऊर्जा मिशन:
भारत का लक्ष्य है कि परमाणु ऊर्जा को अपनी स्वच्छ ऊर्जा रणनीति का एक प्रमुख हिस्सा बनाया जाए।
मुख्य लक्ष्य:
• 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु क्षमता प्राप्त करना, जो “विकसित भारत” दृष्टि के अनुरूप है।
• स्थापित परमाणु क्षमता 2025 के 8,180 मेगावाट से बढ़ाकर 2031–32 तक 22,480 मेगावाट तक पहुँचाना।
• 2033 तक कम-से-कम पाँच SMRs स्थापित करना।
नीतिगत सुधार:
निजी भागीदारी सक्षम करने के लिए सरकार निम्नलिखित कानूनों में संशोधन पर विचार कर रही है:
1. परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962
2. नाभिकीय क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम, 2010
इन सुधारों से SMR विकास, अनुसंधान, और NPCIL के साथ संयुक्त उद्यमों में निजी निवेश को अनुमति मिलेगी।
स्वदेशी विकास और तकनीकी विविधता:
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- भारत का परमाणु कार्यक्रम मुख्य रूप से प्रेसराइज्ड हेवी वॉटर रिएक्टर (PHWR) पर आधारित रहा है, जो प्राकृतिक यूरेनियम और भारी जल का उपयोग करता है।
हालाँकि, वैश्विक स्तर पर प्रेसराइज्ड वॉटर रिएक्टर (PWR), जो हल्के जल का उपयोग करते हैं, अधिक सामान्य हैं क्योंकि वे अधिक दक्षता और स्केलेबिलिटी प्रदान करते हैं।
- भारत का परमाणु कार्यक्रम मुख्य रूप से प्रेसराइज्ड हेवी वॉटर रिएक्टर (PHWR) पर आधारित रहा है, जो प्राकृतिक यूरेनियम और भारी जल का उपयोग करता है।
वैश्विक प्रवृत्तियों के अनुरूप, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) तीन स्वदेशी SMR प्रोटोटाइप विकसित कर रहा है:
रिएक्टर प्रकार |
ऊर्जा उत्पादन |
प्रौद्योगिकी प्रकार |
विवरण |
भारत स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (BSMR) |
200 MWe |
लाइट वॉटर रिएक्टर (PWR) |
कैप्टिव उपयोग हेतु कॉम्पैक्ट मॉड्यूलर रिएक्टर |
भारत स्मॉल रिएक्टर (BSR) |
220 MWe |
PHWR-आधारित |
भारी जल और प्राकृतिक यूरेनियम का उपयोग |
SMR-55 |
55 MWe |
लाइट वॉटर रिएक्टर (PWR) |
दूरस्थ या औद्योगिक स्थलों के लिए छोटा मॉड्यूलर डिज़ाइन |
SMR-55 और BSMR-200 के प्रारंभिक यूनिट्स को परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) के स्थलों पर प्रदर्शन परियोजनाओं के रूप में बनाया जाएगा, जिनकी स्वीकृति के बाद 60–72 महीनों में पूर्णता अपेक्षित है।
BARC उच्च तापमान गैस-शीतित रिएक्टरों और पिघले हुए लवण रिएक्टरों (Molten Salt Reactors) पर भी अनुसंधान कर रहा है, जो भारत के थोरियम भंडार का उपयोग कर सकते हैं, जिससे दीर्घकालिक ऊर्जा आत्मनिर्भरता बढ़ेगी।
वैश्विक SMR विकास:
वैश्विक स्तर पर, SMRs अभी प्रारंभिक चरण में हैं। अब तक केवल दो संचालित हैं:
1. रूस – अकादेमिक लोमोनोसोव: दो 35 MWe रिएक्टरों वाला एक तैरता हुआ SMR, 2020 से परिचालन में।
2. चीन – HTR-PM परियोजना: एक उच्च तापमान गैस-शीतित SMR, जो 2021 में ग्रिड से जुड़ा और 2023 से वाणिज्यिक संचालन में है।
अन्य प्रमुख डेवलपर्स:
• न्यूस्केल पावर (यूएसए) – VOYGR SMR डिज़ाइन
• रोल्स-रॉयस SMR (यूके)
• होल्टेक इंटरनेशनल (यूएसए)
• वेस्टिंगहाउस इलेक्ट्रिक – AP300 SMR
• जीई -हिताची – BWRX-300
भारत अमेरिका, रूस और फ्रांस के साथ सहयोग कर रहा है ताकि स्वदेशी क्षमता विकास और निर्यात योग्य SMR डिज़ाइन तैयार किए जा सकें।
भारत का नागरिक परमाणु सहयोग नेटवर्क:
• रूस: कुदनकुलम परमाणु ऊर्जा परियोजना (2008 IGA)
• संयुक्त राज्य अमेरिका: 123 समझौता (2008) – परमाणु व्यापार की अनुमति
• फ्रांस: जैतापुर परमाणु ऊर्जा परियोजना
• अन्य साझेदार: कनाडा, दक्षिण कोरिया, जापान (2016), यूके (2015), ऑस्ट्रेलिया, कजाकिस्तान, नामीबिया और यूरोपीय संघ।
इस नेटवर्क ने भारत की ईंधन, प्रौद्योगिकी और सुरक्षा विशेषज्ञता तक पहुँच को मजबूत किया है, जिससे SMR तैनाती को गति मिलेगी।
SMRs के लाभ और रणनीतिक महत्व:
1. कॉम्पैक्ट और सुरक्षित डिज़ाइन: निष्क्रिय कूलिंग बाहरी बिजली पर निर्भरता कम करती है। उदाहरण के लिए, NuScale SMR (USA) आपात स्थितियों में ग्रिड बिजली के बिना भी सुरक्षित रूप से संचालित हो सकता है।
2. तेज़ निर्माण: फैक्ट्री निर्माण गुणवत्ता सुधारता है और समय कम करता है।
3. स्केलेबिलिटी: माँग बढ़ने पर कई यूनिट जोड़ी जा सकती हैं।
4. लचीला उपयोग: बिजली, औद्योगिक ताप, विलवणीकृत जल या हाइड्रोजन उत्पादन में सक्षम।
5. लचीलापन (Resilience): भूमिगत या तैरते SMRs, जैसे रूस का अकादेमिक लोमोनोसोव, कठोर परिस्थितियों को सहन कर सकते हैं।
6. ऊर्जा परिवर्तन का समर्थन: SMRs भारत को 2030 तक 500 GW गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता और 50% बिजली माँग नवीकरणीय स्रोतों से पूरी करने के COP26 (ग्लासगो, 2021) लक्ष्य तक पहुँचने में मदद करेंगे।
चुनौतियाँ और जोखिम:
1. आर्थिक व्यवहार्यता: SMRs की प्रति यूनिट लागत अधिक है। उदाहरण के लिए, 1,100 MWe रिएक्टर की लागत 180 MWe यूनिट की तुलना में केवल तीन गुना होती है, लेकिन वह छह गुना अधिक बिजली उत्पन्न करता है।
2. सुरक्षा चिंताएँ: अमेरिकी परमाणु नियामक आयोग (NRC) ने पाया कि NuScale SMR की निष्क्रिय प्रणाली दुर्घटनाओं के बाद बोरॉन की कमी (boron depletion) जैसी समस्याओं का सामना कर सकती है।
3. रेडियोधर्मी अपशिष्ट: SMRs बड़े रिएक्टरों की तरह प्रति ऊर्जा इकाई समान उच्च-स्तरीय अपशिष्ट उत्पन्न करते हैं, जिसके लिए समान निपटान विधियों की आवश्यकता होती है।
4. ईंधन आपूर्ति: कुछ SMRs को हाई-असे लो-एनरिच्ड यूरेनियम (HALEU) की आवश्यकता होती है, जिसका संवर्धन जटिल है।
5. निजी निगरानी: लाभ-उन्मुख लागत कटौती सुरक्षा पर जोखिम डाल सकती है — जैसा कि फुकुशिमा के बाद के नियमों से सीखा गया है।
6. जन स्वीकृति: परमाणु दुर्घटनाओं का भय और आधुनिक सुरक्षा तकनीकों के प्रति कम जागरूकता अभी भी सामाजिक बाधाएँ हैं।
आगे की राह:
1. प्रदर्शन परियोजनाएँ: सरकार के समर्थन से प्रारंभिक SMRs का निर्माण, दीर्घकालिक PPA या साझा लागत मॉडल के माध्यम से निजी जोखिम कम करना।
2. नियामक सुदृढ़ीकरण: IAEA मानकों के अनुरूप SMR-विशिष्ट नियामक ढाँचा तैयार करना, जिसमें सुरक्षा, लाइसेंसिंग और अपशिष्ट निपटान शामिल हों।
3. पब्लिक-प्राइवेट मॉडल: NPCIL–निजी संयुक्त संरचना से दक्षता और जवाबदेही दोनों सुनिश्चित की जा सकती हैं।
4. नवीन वित्तीय तंत्र: ग्रीन फाइनेंस, ग्रीन टैक्सोनॉमी में समावेशन और कम ब्याज दरों वाली ऋण लाइनें परियोजनाओं की व्यवहार्यता बढ़ा सकती हैं।
5. डिज़ाइन द्वारा सुरक्षा (Safeguards by Design): रिएक्टर डिजाइन स्तर पर ही अप्रसार (non-proliferation) सुरक्षा उपायों को शामिल करना।
6. तकनीकी-आर्थिक अध्ययन: परियोजना लागू करने से पहले उत्सर्जन में कमी, लागत-प्रभावशीलता और दक्षता का मूल्यांकन करना।
निष्कर्ष:
स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (SMRs) भारत के स्वच्छ ऊर्जा भविष्य के लिए एक परिवर्तनकारी अवसर का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये परमाणु क्षमता का विस्तार, उद्योगों का डीकार्बोनाइजेशन और ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत कर सकते हैं।
UPSC/PSC मुख्य प्रश्न: स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (SMRs) को नवीकरणीय ऊर्जा और पारंपरिक परमाणु ऊर्जा के बीच एक सेतु के रूप में देखा जा रहा है। चर्चा कीजिये। |