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Daily-current-affairs / 15 Oct 2025

भारत–ब्रिटेन व्यापक आर्थिक एवं व्यापार समझौता: द्विपक्षीय संबंधों में एक नया अध्याय

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सन्दर्भ:

हाल ही में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर की भारत यात्रा ने भारतब्रिटेन संबंधों के एक नए चरण की शुरुआत की है। 100 से अधिक व्यापारिक नेताओं, सांस्कृतिक प्रतिनिधियों और विश्वविद्यालय प्रमुखों के मजबूत प्रतिनिधिमंडल के साथ आई इस यात्रा ने व्यापक आर्थिक एवं व्यापार समझौते (CETA) के बढ़ते महत्व को रेखांकित किया जो दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश को गहराई देने वाला एक ऐतिहासिक समझौता है।

    • यह यात्रा एक महत्वपूर्ण समय पर हुई है, क्योंकि भारत बाहरी व्यापारिक चुनौतियों का सामना कर रहा है जैसे कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 50 प्रतिशत टैरिफ का लगाया जाना। ऐसे में ब्रिटेन के साथ आर्थिक संबंधों को मजबूत करना न केवल अच्छी कूटनीति है बल्कि एक समझदारी भरी आर्थिक रणनीति भी है।

भारतब्रिटेन व्यापक आर्थिक एवं व्यापार समझौते (CETA) के बारे में:

    • भारतब्रिटेन CETA एक महत्वाकांक्षी और व्यापक व्यापार समझौता है, जिसका उद्देश्य द्विपक्षीय वाणिज्य, निवेश और प्रौद्योगिकी सहयोग को बढ़ाना है। यह समझौता औद्योगिक और कृषि उत्पादों की 99 प्रतिशत से अधिक टैरिफ लाइनों को शामिल करता है जिससे यह भारत के सबसे व्यापक व्यापार समझौतों में से एक बन जाता है।
    • CETA का लक्ष्य 2030 तक वस्तुओं और सेवाओं के द्विपक्षीय व्यापार को वर्तमान $56 अरब से बढ़ाकर $120 अरब तक करना है। इसमें लगभग $23 अरब का वस्तु व्यापार और $33 अरब की सेवाएँ शामिल हैं। भारत वर्तमान में दोनों श्रेणियों में ब्रिटेन के साथ व्यापार अधिशेष का आनंद लेता है, लेकिन विकास की संभावनाएँ अभी भी बहुत अधिक हैं।

भारतब्रिटेन व्यापार एक नज़र में:

• द्विपक्षीय व्यापार (2024): $56 अरब
ब्रिटेन को भारत का वस्तु निर्यात: $12.9 अरब
ब्रिटेन को भारत का सेवा निर्यात: $19.8 अरब
भारत द्वारा ब्रिटेन से आयात: वस्तुओं में $8.4 अरब और सेवाओं में $13 अरब
हालाँकि ब्रिटेन के कुल आयात में भारत की हिस्सेदारी अभी भी सीमित है। वस्तुओं में लगभग 1.5% और सेवाओं में 4.6% लेकिन विस्तार की संभावनाएँ बहुत बड़ी हैं। CETA उस संभावनाओं को साकार करने का ढाँचा प्रदान करता है।

India–UK Comprehensive Economic and Trade Agreement

भारत के लिए CETA का महत्व:

ब्रिटेन विश्व के शीर्ष आयातक देशों में से एक है। 2024 में इसके कुल वस्तु आयात $815 अरब और सेवाओं के आयात $423 अरब रहे। वर्तमान में ब्रिटेन के प्रमुख आयात साझेदारों में चीन, अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस और इटली शामिल हैं। भारत के लिए यह अवसर है कि वह उन क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति बढ़ाए जहाँ पहले से क्षमता है लेकिन बाजार में सीमित पहुँच रही है।

1.        रत्न और आभूषण (Gems and Jewellery)
ब्रिटेन ने 2024 में $92.8 अरब मूल्य के रत्न और आभूषण आयात किए, लेकिन इसमें भारत का योगदान मात्र $0.6 अरब रहा। हीरा कटाई और आभूषण निर्यात में भारत की मजबूत स्थिति को देखते हुए यह क्षेत्र विविधीकरण का स्पष्ट अवसर प्रदान करता है विशेष रूप से तब जब अमेरिका के साथ टैरिफ अस्थिरता बनी हुई है।

2.      वस्त्र और परिधान (Textiles and Apparel)
2023 में ब्रिटेन ने $22.3 अरब मूल्य के परिधान और निर्मित वस्त्र आयात किए, जबकि भारत का निर्यात केवल $1.59 अरब रहा। CETA से पहले भारतीय परिधान पर 9–12% तक शुल्क लगता था, जबकि बांग्लादेश और वियतनाम जैसे प्रतिस्पर्धियों को शुल्क-मुक्त पहुँच थी। नए समझौते के तहत अब भारतीय निर्यातकों को समान अवसर मिलेंगे, जिससे उनकी लागत में कमी आएगी।

3.      चमड़ा और जूते (Leather and Footwear)
ब्रिटेन ने $8.5 अरब मूल्य का चमड़ा और जूते आयात किया, जबकि इसमें भारत की हिस्सेदारी मात्र $453 मिलियन रही। पहले भारत को जूतों पर 8% आयात शुल्क देना पड़ता था, जबकि चीन और वियतनाम पर इससे भी अधिक दरें लागू थीं। CETA के तहत इन शुल्कों में कमी से भारत की प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति बेहतर होगी।

4.     फार्मास्युटिकल्स और मशीनरी (Pharmaceuticals and Machinery)
ब्रिटेन के इन क्षेत्रों में आयात पर अमेरिका, जर्मनी और चीन का वर्चस्व है। CETA भारतीय कंपनियों के लिए इन उच्च-मूल्य क्षेत्रों में नए अवसर खोलेगा, विशेष रूप से जेनेरिक दवाओं, सक्रिय औषधीय घटकों (APIs), और सटीक इंजीनियरिंग उत्पादों में।

ब्रिटेन को होने वाले लाभ:

यह समझौता एकतरफा नहीं है। ब्रिटेन को भी भारत के बड़े और उभरते बाजार तक अधिक पहुँच मिलेगी। इस सौदे का एक प्रमुख परिणाम भारत में मादक पेय पदार्थों पर उच्च आयात शुल्क में चरणबद्ध कमी है, जैसे स्कॉच व्हिस्की और जिन पर शुल्क 150% से घटाकर तुरंत 75% किया जाएगा और दस वर्षों में इसे 40% तक लाया जाएगा।
ब्रिटेन के लिए अन्य रुचि वाले क्षेत्र शामिल हैं:

• उन्नत मशीनरी और रक्षा उपकरण
स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियाँ
चिकित्सा उपकरण
उच्च शिक्षा और अनुसंधान सहयोग
ये सभी क्षेत्र भारत की घरेलू प्राथमिकताओं रक्षा उद्योग का आधुनिकीकरण, स्वच्छ ऊर्जा की ओर संक्रमण, और मानव पूंजी निर्माण के अनुरूप हैं।

ब्रिटिश प्रधानमंत्री की यात्रा के प्रमुख परिणाम:

1.        उच्च स्तरीय व्यापार प्रतिनिधिमंडल:
100 से अधिक उद्यमियों और उद्योगपतियों ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री के साथ यात्रा की, जो भारत की तीव्र गति से बढ़ती अर्थव्यवस्था के प्रति लंदन की नई रुचि को दर्शाता है।

2.      निवेश प्रतिबद्धताएँ:
करीब 64 भारतीय कंपनियों ने ब्रिटेन में £1.3 अरब के निवेश का वादा किया, जिससे द्विपक्षीय संबंधों में आपसी विश्वास मजबूत हुआ।

3.      रक्षा सहयोग:
इस यात्रा के दौरान £350 मिलियन मूल्य का मिसाइल आपूर्ति समझौता हुआ, जिसने भारत की रक्षा क्षमताओं को सशक्त बनाया और सुरक्षा सहयोग को भी गहराई दी।

4.     सांस्कृतिक और शैक्षिक साझेदारी:
प्रसिद्ध यशराज फिल्म्स ब्रिटेन में तीन प्रमुख फिल्मों की शूटिंग करेगी, जिससे सांस्कृतिक संबंध मजबूत होंगे। साथ ही, दो ब्रिटिश विश्वविद्यालय भारत में अपने परिसर स्थापित करेंगे, जिससे शैक्षिक सहयोग को गहराई मिलेगी।

India–UK Comprehensive Economic and Trade Agreement

भारत की घरेलू चुनौतियाँ और सुधार:

CETA नए बाजार खोलता है, लेकिन असली परीक्षा भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता को बनाए रखने में है। केवल टैरिफ में कमी पर्याप्त नहीं होगी; घरेलू सुधार आवश्यक हैं।

1.        व्यापार सुविधा (Trade Facilitation)
भारत की लॉजिस्टिक्स और सीमा शुल्क प्रक्रियाएँ अभी भी जटिल हैं। विश्व बैंक एंटरप्राइज सर्वे के अनुसार, भारत में निर्यात की औसत सीमा शुल्क निकासी अवधि 17.3 दिन है, जबकि बांग्लादेश में 6.7 दिन और चीन में मात्र 3.3 दिन लगते हैं। बंदरगाह संचालन को सुव्यवस्थित करना, दस्तावेज़ों का डिजिटलीकरण और एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय लागत को कम कर सकते हैं।

2.      वित्त तक पहुँच (Access to Finance)
लघु और मध्यम उद्यम जो श्रम-प्रधान क्षेत्रों जैसे वस्त्र, रत्न और जूते में प्रमुख भूमिका निभाते हैं, सुलभ ऋण प्राप्त करने में कठिनाई झेलते हैं। वित्तीय समावेशन बढ़ाने, संपार्श्विक आवश्यकताओं को सरल बनाने और क्रेडिट गारंटी योजनाओं के विस्तार से इन निर्यातकों को प्रोत्साहन मिलेगा।

3.      नियामक सुधार (Regulatory Reforms)
अर्थशास्त्री मनीष सभरवाल ने भारत की जटिल अनुपालन प्रणाली को नियामक कोलेस्ट्रॉलकहा है। व्यवसाय पंजीकरण, श्रम कानूनों और कर अनुपालन को सरल बनाना निवेश को बढ़ावा देगा और उत्पादकता में सुधार करेगा।

4.     औद्योगिक क्लस्टर और अवसंरचना
भारत को अपने विनिर्माण क्लस्टरों को मजबूत करने की आवश्यकता है जिसमें सामान्य परीक्षण सुविधाओं, गुणवत्ता प्रमाणन केंद्रों और बेहतर लॉजिस्टिक्स में निवेश शामिल है। साझा अवसंरचना लागत घटाती है और वैश्विक बाजारों में भारतीय उत्पादों की विश्वसनीयता बढ़ाती है।

रणनीतिक निहितार्थ (Strategic Implications):

    • CETA का एक व्यापक रणनीतिक आयाम है। जैसे-जैसे वैश्विक व्यापार पुनर्संरचित हो रहा है, भारत अपने निर्यात गंतव्यों को विविध बनाना चाहता है। ब्रिटेन के साथ यह समझौता अमेरिका और यूरोप को यह संदेश देता है कि भारत संतुलित और पारस्परिक रूप से लाभकारी समझौते करने में सक्षम है।
    • भारत के लिए ब्रिटेन यूरोप का द्वार बन सकता है, विशेषकर तब जब भारतयूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौते पर वार्ताएँ जारी हैं। वहीं ब्रिटेन के लिए, ब्रेक्जिट के बाद की वास्तविकता में भारत एक आवश्यक साझेदार है जो बड़े, उभरते बाजारों तक पहुँच प्रदान करता है।

आगे की राह:

1.        त्वरित कार्यान्वयन: भारत को टैरिफ में कटौती की समयसीमा, विशेषकर पेय उद्योग में कम करने पर विचार करना चाहिए ताकि प्रतिबद्धता और सद्भावना प्रदर्शित हो सके।

2.      प्रतिस्पर्धात्मकता पर ध्यान: विनिर्माण और निर्यात में संरचनात्मक बाधाओं को दूर करना भारत को कम टैरिफ का वास्तविक लाभ दिला सकता है।

3.      सेवा व्यापार का उपयोग: आईटी, डिजिटल सेवाओं और वित्तीय क्षेत्र में भारत की ताकत को पेशेवर योग्यताओं की पारस्परिक मान्यता और कुशल श्रमिकों की आवाजाही को आसान बनाकर और बढ़ाया जा सकता है।

4.     नवाचार और सहयोग: विजन 2035 फ्रेमवर्क के तहत शुरू की गई शिक्षा और अनुसंधान साझेदारियों का उपयोग स्वच्छ ऊर्जा, एआई, और जैव प्रौद्योगिकी में सह-नवाचार के लिए किया जा सकता है।

निष्कर्ष:

ब्रिटेन प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर की यात्रा भारतब्रिटेन संबंधों में एक निर्णायक मोड़ का प्रतीक है। व्यापक आर्थिक एवं व्यापार समझौता (CETA) केवल व्यापार तक सीमित नहीं है, यह निवेश, रक्षा, प्रौद्योगिकी, और शिक्षा तक फैला एक गहरा और संतुलित साझेदारी का मार्ग प्रशस्त करता है। भारत के लिए यह अवसर भी है और परीक्षा भी। संरचनात्मक सुधारों, बेहतर लॉजिस्टिक्स, और नीतिगत समर्थन के साथ भारत ब्रिटेन के बाजार को वैश्विक व्यापार अस्थिरता के विरुद्ध एक रणनीतिक सुरक्षा कवच में बदल सकता है और एक नए युग की आर्थिक कूटनीति में विश्व से समान स्तर पर जुड़ने की अपनी क्षमता प्रदर्शित कर सकता है।

UPSC/PSC मुख्य प्रश्न: भारतब्रिटेन व्यापक आर्थिक एवं व्यापार समझौता (CETA) केवल आर्थिक सहयोग नहीं, बल्कि रणनीतिक साझेदारी की नई परिभाषा प्रस्तुत करता है।इस कथन के आलोक में भारतब्रिटेन संबंधों के बदलते आयामों का विश्लेषण कीजिए।