परिचय:
सेमीकंडक्टर आधुनिक डिजिटल अर्थव्यवस्था की नींव हैं। ये मोबाइल फोन और लैपटॉप से लेकर इलेक्ट्रिक वाहनों, रक्षा प्रणालियों, उपग्रहों और चिकित्सा उपकरणों तक सब कुछ संचालित करते हैं। सेमीकंडक्टर के बिना डिजिटलीकरण, स्वचालन और कृत्रिम बुद्धिमत्ता केवल कागज़ पर ही सीमित रह जाते। इसे समझते हुए, भारत ने पिछले कुछ वर्षों में निर्णायक रूप से कदम उठाए हैं ताकि वह वैश्विक सेमीकंडक्टर मूल्य श्रृंखला में एक विश्वसनीय और नवोन्मेषी खिलाड़ी के रूप में अपनी पहचान स्थापित कर सके।
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- 2021 में इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) की शुरुआत और ₹76,000 करोड़ के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा के साथ भारत ने वैश्विक सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र में औपचारिक प्रवेश किया। मात्र चार वर्षों में, भारत चिप्स का उपभोक्ता भर होने से आगे बढ़कर अपने स्वदेशी डिज़ाइन, पैकेजिंग सुविधाओं और विनिर्माण क्षमताओं का विकास कर चुका है। हाल ही में आयोजित सेमिकॉन इंडिया 2025 सम्मेलन ने इन उपलब्धियों को प्रदर्शित किया और भारत की यह महत्वाकांक्षा स्पष्ट की कि वह एक वैश्विक सेमीकंडक्टर महाशक्ति बने।
- 2021 में इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) की शुरुआत और ₹76,000 करोड़ के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा के साथ भारत ने वैश्विक सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र में औपचारिक प्रवेश किया। मात्र चार वर्षों में, भारत चिप्स का उपभोक्ता भर होने से आगे बढ़कर अपने स्वदेशी डिज़ाइन, पैकेजिंग सुविधाओं और विनिर्माण क्षमताओं का विकास कर चुका है। हाल ही में आयोजित सेमिकॉन इंडिया 2025 सम्मेलन ने इन उपलब्धियों को प्रदर्शित किया और भारत की यह महत्वाकांक्षा स्पष्ट की कि वह एक वैश्विक सेमीकंडक्टर महाशक्ति बने।
इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM):
इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) देश में सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले संबंधी योजनाओं को लागू करने वाली नोडल एजेंसी है। इसका उद्देश्य भारत को सेमीकंडक्टर डिज़ाइन, विनिर्माण और नवाचार का वैश्विक केंद्र बनाना है, जिसके लिए यह कदम उठाए जा रहे हैं:
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- फैब्रिकेशन प्लांट (फैब्स), पैकेजिंग और टेस्टिंग इकाइयों की स्थापना।
- चिप डिज़ाइन में स्टार्ट-अप्स का समर्थन।
- कच्चे माल, रसायन, गैसों और उपकरणों की विश्वसनीय आपूर्ति श्रृंखला का विकास।
- स्वदेशी बौद्धिक संपदा सृजन को बढ़ावा।
- कुशल कार्यबल और उत्कृष्टता केंद्रों का निर्माण।
- वैश्विक कंपनियों, अनुसंधान संस्थानों और विश्वविद्यालयों के साथ साझेदारी को प्रोत्साहन।
- फैब्रिकेशन प्लांट (फैब्स), पैकेजिंग और टेस्टिंग इकाइयों की स्थापना।
अब तक भारत ने छह राज्यों में 10 सेमीकंडक्टर परियोजनाओं को मंज़ूरी दी है, जिनमें ₹1.6 लाख करोड़ का निवेश हो रहा है। ये परियोजनाएं वाणिज्यिक सिलिकॉन कार्बाइड फैब्स, उन्नत पैकेजिंग सुविधाओं और आउटसोर्स्ड असेम्बली एंड टेस्टिंग प्लांट्स (OSAT) को कवर करती हैं।
वित्तीय प्रोत्साहन और नीतिगत बढ़ावा:
सेमीकंडक्टर विनिर्माण और डिज़ाइन को समर्थन देने के लिए सरकार ने दो प्रमुख प्रोत्साहन योजनाएं बनाई हैं:
1. उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना
o ₹76,000 करोड़ आवंटित।
o लगभग ₹65,000 करोड़ पहले ही प्रतिबद्ध।
o वैश्विक निवेशकों को आकर्षित करने और पैमाने की अर्थव्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन।
2. डिज़ाइन आधारित प्रोत्साहन (DLI) योजना
o सेमीकंडक्टर स्टार्ट-अप्स और नवोन्मेषकों को वित्तीय सहायता।
o अब तक 23 चिप डिज़ाइन परियोजनाओं को मंज़ूरी।
o वर्वसेमी माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स जैसी कंपनियाँ एयरोस्पेस, रक्षा और ईवी के लिए उन्नत चिप्स डिज़ाइन कर रही हैं।
यह द्विपक्षीय दृष्टिकोण सुनिश्चित करता है कि भारत केवल चिप्स असेंबल ही नहीं कर रहा बल्कि वैश्विक बाज़ार के लिए स्वदेशी डिज़ाइन भी तैयार कर रहा है।
भारत की सेमीकंडक्टर यात्रा के प्रमुख मील के पत्थर:
1. स्वदेशी माइक्रोप्रोसेसर – विक्रम का शुभारंभ
सेमिकॉन इंडिया 2025 सम्मेलन में केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने विक्रम, भारत का पहला पूर्णत: स्वदेशी 32-बिट माइक्रोप्रोसेसर लॉन्च किया। यह उपलब्धि रक्षा, स्वास्थ्य सेवा और संचार जैसे क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण चिप्स डिज़ाइन करने की भारत की क्षमता को दर्शाती है।
2. आउटसोर्स्ड सेमीकंडक्टर असेम्बली एंड टेस्ट (OSAT) सुविधाएँ
28 अगस्त 2025 को गुजरात के साणंद में भारत ने अपना पहला एंड-टू-एंड OSAT पायलट लाइन प्लांट सीजी सेमी द्वारा विकसित कर उद्घाटित किया। यह सुविधा चिप असेंबली, परीक्षण और पैकेजिंग में अहम भूमिका निभाएगी। यह संयंत्र 2026 में पहला ‘मेड इन इंडिया’ चिप लॉन्च करने की संभावना रखता है।
3. उन्नत सेमीकंडक्टर डिज़ाइन केंद्र
मई 2025 में भारत ने नोएडा और बेंगलुरु में अपनी पहली 3-नैनोमीटर चिप डिज़ाइन सुविधाओं की शुरुआत की। ये केंद्र पहले के 5nm और 7nm डिज़ाइनों से एक छलांग हैं और भारत को वैश्विक स्तर पर अत्याधुनिक चिप डिज़ाइन में स्थापित करते हैं।
4. वैश्विक सहयोग और निवेश
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- माइक्रोन टेक्नोलॉजी गुजरात में ₹22,500 करोड़ का निवेश कर रही है।
- टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स और ताइवान की PSMC धोलेरा में ₹91,000 करोड़ के करीब निवेश कर रहे हैं।
- फॉक्सकॉन, एएमडी, रेनिसास और अप्लाइड मैटेरियल्स ने भी भारत में निवेश की घोषणा की है।
- माइक्रोन टेक्नोलॉजी गुजरात में ₹22,500 करोड़ का निवेश कर रही है।
सेमीकंडक्टर का सामरिक महत्व:
सेमीकंडक्टर केवल आर्थिक संसाधन नहीं हैं; ये सामरिक संपत्ति भी हैं। कोविड-19 महामारी और यूक्रेन युद्ध के दौरान वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान ने इस बात को स्पष्ट किया कि कुछ भौगोलिक क्षेत्रों (जैसे ताइवान, जो दुनिया के 60% चिप्स और 90% उन्नत चिप्स का उत्पादन करता है) पर अत्यधिक निर्भरता कितनी जोखिमपूर्ण है।
सेमीकंडक्टर क्या हैं?
सेमीकंडक्टर वह पदार्थ है जिसकी विद्युत चालकता कंडक्टर (जैसे तांबा) और इंसुलेटर (जैसे कांच) के बीच होती है। इसकी चालकता को डोपिंग, तापमान या विद्युत क्षेत्र से नियंत्रित किया जा सकता है।
ये करंट को सटीक रूप से नियंत्रित करने में सक्षम होते हैं, जो इन्हें ट्रांजिस्टर और इंटीग्रेटेड सर्किट के लिए उपयुक्त बनाता है।
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- सामान्य सामग्री: सिलिकॉन (सबसे व्यापक रूप से प्रयुक्त), गैलियम नाइट्राइड (GaN) और सिलिकॉन कार्बाइड (SiC)।
चिप को एक सूक्ष्म नगरी के रूप में समझा जा सकता है, जहाँ अरबों छोटे-छोटे स्विच (ट्रांजिस्टर) एक साथ काम करते हैं। जितने छोटे और घने ये ट्रांजिस्टर होते हैं (नैनोमीटर में मापा जाता है — 7nm, 5nm, 3nm), चिप उतना ही अधिक शक्तिशाली और दक्ष होता है।
- सामान्य सामग्री: सिलिकॉन (सबसे व्यापक रूप से प्रयुक्त), गैलियम नाइट्राइड (GaN) और सिलिकॉन कार्बाइड (SiC)।
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सेमीकंडक्टर चिप्स के प्रकार:
1. लॉजिक चिप्स – CPU, GPU, माइक्रोकंट्रोलर, जो गणनाएँ करते हैं और अनुप्रयोग चलाते हैं।
2. मेमोरी चिप्स – DRAM, SRAM, NAND फ्लैश, जो डेटा संग्रहीत करते हैं।
3. एनालॉग चिप्स – वास्तविक दुनिया के संकेतों (ध्वनि, तापमान, दबाव) को डिजिटल संकेतों में बदलते हैं।
4. डिस्क्रीट डिवाइस – सरल पावर और रेडियो-फ्रीक्वेंसी अवयव।
भारत के लिए सेमीकंडक्टर का महत्व:
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- आर्थिक सुरक्षा: इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल, दूरसंचार और ऊर्जा जैसी उद्योगों को समर्थन।
- सामरिक स्वायत्तता: रक्षा और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों के लिए आयात पर निर्भरता कम करना।
- प्रौद्योगिकीय नेतृत्व: एआई, बिग डेटा और IoT में वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं का हिस्सा बनना।
- रोज़गार सृजन: हजारों उच्च-कुशल रोजगार के अवसर उत्पन्न करना।
- आर्थिक सुरक्षा: इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल, दूरसंचार और ऊर्जा जैसी उद्योगों को समर्थन।
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भारत की सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र में ताकतें:
भारत की प्रगति तीन मजबूत स्तंभों पर आधारित है:
1. सामग्री: भारत चिप निर्माण के लिए आवश्यक खनिजों, गैसों और रसायनों से समृद्ध है।
2. उपकरण और एमएसएमई: मज़बूत एमएसएमई आधार सेमीकंडक्टर उपकरणों के लिए अवयव बना सकता है।
3. सेवाएँ और प्रतिभा: भारत आईटी, एआई और क्लाउड कंप्यूटिंग में वैश्विक बढ़त रखता है और यहाँ इंजीनियरिंग प्रतिभा की विशाल पूल उपलब्ध है।
यह संयोजन भारत को वैश्विक सेमीकंडक्टर श्रृंखला में डिज़ाइन, विनिर्माण और सेवाओं के सभी खंडों में एकीकृत करने में सक्षम बनाता है।
अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकियों की ओर संक्रमण:
भारत स्वयं को केवल पारंपरिक सिलिकॉन चिप्स तक सीमित नहीं रख रहा है। यह:
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- सिलिकॉन कार्बाइड (SiC) सेमीकंडक्टर की ओर बढ़ रहा है, जो अधिक ऊष्मा और वोल्टेज सहन कर सकते हैं, और रक्षा, ईवी तथा अंतरिक्ष के लिए अहम हैं।
- 3D ग्लास पैकेजिंग तकनीक का अन्वेषण कर रहा है, जो दक्षता और प्रदर्शन को बढ़ाती है।
- उन्नत पैकेजिंग और यौगिक सेमीकंडक्टर की सुविधाओं की स्थापना कर रहा है, जिससे भारत वैश्विक नेताओं के समकक्ष खड़ा हो रहा है।
- सिलिकॉन कार्बाइड (SiC) सेमीकंडक्टर की ओर बढ़ रहा है, जो अधिक ऊष्मा और वोल्टेज सहन कर सकते हैं, और रक्षा, ईवी तथा अंतरिक्ष के लिए अहम हैं।
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कौशल विकास और अकादमिक-उद्योग संबंध:
60,000 से अधिक छात्र पहले ही सेमीकंडक्टर केंद्रित प्रशिक्षण कार्यक्रमों से लाभान्वित हो चुके हैं। ISM ने शैक्षणिक संस्थानों के साथ मिलकर:
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- प्रमाणन और व्यावहारिक प्रशिक्षण।
- स्टार्ट-अप्स के लिए परामर्श।
- अत्याधुनिक अनुसंधान के लिए उत्कृष्टता केंद्र।
- प्रमाणन और व्यावहारिक प्रशिक्षण।
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इन उपायों का उद्देश्य 2030 तक उद्योग की एक मिलियन अतिरिक्त कुशल कर्मियों की मांग पूरी करने के लिए एक विविध और भविष्य-तैयार कार्यबल का निर्माण करना है।
निष्कर्ष:
भारत की सेमीकंडक्टर यात्रा ने रिकॉर्ड समय में दृष्टि से क्रियान्वयन तक का सफ़र तय किया है। नीतिगत समर्थन, विशाल निवेश, स्वदेशी डिज़ाइन क्षमताओं और वैश्विक सहयोगों के साथ देश आत्मनिर्भर और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र की नींव रख रहा है। सेमिकॉन इंडिया 2025 महत्वाकांक्षा और प्रगति की इस भावना को दर्शाता है। भारत अब केवल चिप्स का बाज़ार नहीं है, बल्कि उत्पादक, नवोन्मेषक और वैश्विक प्रौद्योगिकी के भविष्य को आकार देने वाला एक सामरिक भागीदार बन रहा है। डिज़ाइन, पैकेजिंग, विनिर्माण, कौशल विकास और सततता पर ध्यान केंद्रित करके भारत वैश्विक नेताओं के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होने की तैयारी कर रहा है। आने वाला दशक निर्णायक होगा। यदि वर्तमान गति जारी रहती है, तो भारत वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं पर निर्भर होने से निकलकर उनका एक महत्वपूर्ण स्तंभ बन सकता है — उद्योगों को शक्ति देते हुए, आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए और विश्व के डिजिटल भविष्य को आकार देते हुए।
UPSC/PSC मुख्य प्रश्न: सेमीकंडक्टर को प्रायः "21वीं सदी का तेल" कहा जाता है। भारत की आर्थिक वृद्धि और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए इनके महत्व पर चर्चा कीजिए। |