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Daily-current-affairs / 14 Oct 2025

डिजिटल संप्रभुता की ओर: भारत का क्वांटम साइबर मिशन

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सन्दर्भ:

भारत ने साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा महत्त्वपूर्ण निर्णय लिया है। इस निर्णय से देश क्वांटम तकनीक की मदद से क्वांटम-प्रतिरोधीसुरक्षा प्रणाली की दिशा में आगे बढ़ रहा है। हाल ही में सच्ची यादृच्छिक संख्याओं की खोज और क्वांटम साइबर रेडीनेसश्वेतपत्र का प्रकाशन यह दर्शाता है कि भारत अब भविष्य के क्वांटम युग के लिए तकनीकी और नीतिगत दोनों स्तरों पर तैयार हो रहा है। यह कदम न केवल वैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि रणनीतिक रूप से भी भारत की डिजिटल संप्रभुता, डेटा सुरक्षा और तकनीकी नेतृत्व को मज़बूत करने की दिशा में एक बड़ा परिवर्तन है।

    • इस दिशा में दो महत्वपूर्ण काम हुए हैं, पहला भारतीय वैज्ञानिकों ने ऐसी क्वांटम तकनीक बनाई और प्रमाणित की है, जो सच्ची यादृच्छिक संख्याएँ (True Random Numbers) उत्पन्न करती है। ये डिजिटल सुरक्षा की बुनियाद हैं और दूसरी सरकार ने ट्रांजिशनिंग टू क्वांटम साइबर रेडीनेसनाम से एक श्वेतपत्र (Whitepaper) जारी किया है, जिसमें बताया गया है कि भारत भविष्य के क्वांटम कंप्यूटिंग युगके लिए कैसे तैयार होगा। ये दोनों पहलें दिखाती हैं कि भारत अब क्वांटम विज्ञान, डिजिटल सुरक्षा और तकनीकी शासन के क्षेत्र में मज़बूत कदम बढ़ा रहा है जो आने वाले वर्षों में भारत की डिजिटल स्वतंत्रता और सुरक्षा तय करेंगे।

डिजिटल सुरक्षा में यादृच्छिक संख्याओं का महत्व:

    • हर पासवर्ड, बैंक ट्रांज़ेक्शन या सुरक्षित ऑनलाइन संदेश के पीछे यादृच्छिक संख्याओं की  ही भूमिका होती है।
      इन यादृच्छिक (random) संख्याओं से एन्क्रिप्शन कीज़ (Keys) बनती हैं जो किसी भी डेटा को सुरक्षित रखती हैं ताकि उसे कोई डिकोड न कर सके।
    • लेकिन, ज़्यादातर सिस्टम आज छद्म-यादृच्छिक संख्याएँ (pseudorandom numbers)” इस्तेमाल करते हैं।
      ये कंप्यूटर एल्गोरिद्म से बनती हैं, अर्थात दिखने में यादृच्छिक लगती हैं, लेकिन असल में एक तय गणितीय क्रम से निकली होती हैं। इसलिए अगर किसी को एल्गोरिद्म और उसकी शुरुआती वैल्यू पता चल जाए, तो वो इन संख्याओं को दोबारा बना सकता है।
    • अभी तक ये तरीका ठीक काम करता रहा, लेकिन क्वांटम कंप्यूटरों के आने से अब यह सुरक्षा खतरे में है, क्योंकि वे बेहद तेज़ गणना कर सकते हैं और पुराने एन्क्रिप्शन तोड़ सकते हैं।

India's Quantum Cyber Mission

वैज्ञानिक चुनौती: सच्ची यादृच्छिकता कैसे मिले?

    • प्रकृति में कण एक ही समय में कई अवस्थाओं में हो सकते हैं (जिसे सुपरपोज़िशन कहते हैं)। क्वांटम क्षेत्र में, फोटॉन और इलेक्ट्रॉन जैसे कण सुपरपोज़िशन (superposition) में होते हैं, अर्थात वे एक साथ कई अवस्थाओं में रह सकते हैं। जब उनका मापन किया जाता है, तो वे यादृच्छिक रूप से एक निश्चित अवस्था चुनतेहैं।
    • इसी सिद्धांत पर क्वांटम रैंडम नंबर जेनरेटर (QRNG) काम करता है। यह क्वांटम घटनाओं से ‘0’ और ‘1’ जैसी संख्याएँ बनाता है जो सच में अप्रत्याशित होती हैं।
    • लेकिन सबसे बड़ी चुनौती रही है कि यह साबित करना कि ये संख्याएँ सच में क्वांटम स्रोत से ही आई हैं, न कि मशीन की किसी गड़बड़ी या बाहरी असर से। यही प्रमाणन या (certification) वैज्ञानिकों के लिए अब तक चुनौती बनी रही जो क्वांटम सूचना विज्ञान की सबसे जटिल समस्याओं में से एक रहा है।

भारत की उपलब्धि: उपकरण-स्वतंत्र क्वांटम यादृच्छिकता

    • भारतीय वैज्ञानिकों ने पहली बार एक सामान्य क्वांटम कंप्यूटर पर यह दिखाया कि यादृच्छिकता को बिना किसी विशेष उपकरण पर निर्भर हुए प्रमाणित किया जा सकता है।
      पहले के प्रयोगों में दो उलझे हुए कणों को सैकड़ों मीटर दूर रखकर यह साबित किया जाता था कि परिणाम यादृच्छिक हैं पर भारतीय टीम ने नया तरीका निकाला
      उन्होंने एक ही क्वांटम कण में समय के अंतर (time separation) का उपयोग किया और लेगेटगार्ग असमानता के उल्लंघन को मापा। इससे साबित हुआ कि यादृच्छिकता वास्तव में क्वांटम कारणों से आई है, न कि किसी गड़बड़ी से।
    • सबसे अहम बात यह थी कि यह प्रयोग एक सामान्य क्वांटम कंप्यूटर पर हुआ, जो असली परिस्थितियों में भी ठीक से काम करता है। यह उपलब्धि अब प्रयोगशाला से निकलकर वास्तविक उपयोग की दिशा में एक बड़ा कदम है।

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इस खोज के लाभ:

1.        क्वांटम-सुरक्षित एन्क्रिप्शन: सच्ची यादृच्छिक संख्याओं से ऐसा डेटा सुरक्षा सिस्टम बनाया जा सकता है जिसे कोई भी कंप्यूटर नहीं तोड़ सके।

2.      राष्ट्रीय सुरक्षा: सेना और खुफिया विभाग सुरक्षित संचार के लिए इसका उपयोग कर सकते हैं।

3.      डेटा गोपनीयता: बैंकिंग और ऑनलाइन लेनदेन में नागरिकों के डेटा को और मज़बूती से सुरक्षित किया जा सकेगा।

4.     वैज्ञानिक नेतृत्व: यह भारत के राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (NQM) को आगे बढ़ाने वाली बड़ी सफलता है।

क्वांटम कंप्यूटिंग और एन्क्रिप्शन का खतरा

    • अभी जो एन्क्रिप्शन सिस्टम (जैसे RSA, ECC) इस्तेमाल होते हैं, वे गणित की ऐसी कठिन समस्याओं पर आधारित हैं जिन्हें आम कंप्यूटर नहीं सुलझा सकते। लेकिन क्वांटम कंप्यूटर ये गणनाएँ बहुत तेज़ी से कर सकते हैं (जैसे Shor’s Algorithm के ज़रिए)।
      इससे पुराने एन्क्रिप्शन सिस्टम बेअसर हो सकते हैं और संवेदनशील जानकारी खतरे में पड़ सकती है।
    • विशेषज्ञों का मानना है कि अगले 10 सालों में क्वांटम कंप्यूटर इतने शक्तिशाली हो जाएंगे कि वे आज के अधिकांश डिजिटल सुरक्षा ढाँचों को तोड़ सकते हैं बैंकिंग से लेकर रक्षा नेटवर्क तक।

भारत का क्वांटम साइबर रेडीनेसश्वेतपत्र:

    • इस उभरते चुनौती को पहचानते हुए, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया दल (CERT-In) और एक अग्रणी साइबर सुरक्षा फर्म के सहयोग से ट्रांजिशनिंग टू क्वांटम साइबर रेडीनेसनामक श्वेतपत्र जारी किया है।
    • यह श्वेतपत्र क्वांटम-प्रतिरोधी सुरक्षा प्रणालियों की ओर भारत के संक्रमण को मार्गदर्शित करने के लिए एक व्यापक नीति और तकनीकी ढाँचा प्रदान करता है। इसमें भारत के लिए एक स्पष्ट नीति और तकनीकी रोडमैप दिया गया है ताकि देश की साइबर सुरक्षा भविष्य में भी सुरक्षित रह सके।

मुख्य उद्देश्य हैं:

      • मौजूदा एन्क्रिप्शन सिस्टम की कमजोरियों का आकलन।
      • नए क्वांटम-प्रतिरोधी एल्गोरिद्मअपनाने की रणनीति बनाना।
      • पुराने सिस्टम में नए एल्गोरिद्म को आसानी से जोड़ने की योजना।
      • बैंकिंग, स्वास्थ्य, और शासन जैसे संवेदनशील क्षेत्रों को प्राथमिकता देना।

CERT-In: भारत की साइबर सुरक्षा की रीढ़

CERT-In (Indian Computer Emergency Response Team) देश की साइबर सुरक्षा एजेंसी है।
यह काम करती है:

    • साइबर हमलों की निगरानी और विश्लेषण करने में,
    • चेतावनी और दिशा-निर्देश जारी करने में,
    • बड़े साइबर खतरों पर राष्ट्रीय प्रतिक्रिया का समन्वय करने में,
    • साइबर सुरक्षा पर श्वेतपत्र और दिशानिर्देश जारी करने में।

यह सरकार, निजी कंपनियों और शिक्षण संस्थानों के साथ मिलकर काम करती है ताकि देश क्वांटम युग के साइबर खतरों के लिए तैयार रहे।

क्वांटम तैयारी क्यों ज़रूरी है?

    • भारत की डिजिटल योजनाएँ  जैसे आधार, यूपीआई, और डिजिटल इंडिया  ने देश को एक डिजिटल शक्ति बना दिया है।
      लेकिन जितना बड़ा यह नेटवर्क है, उतना ही यह साइबर हमलों के लिए आकर्षक लक्ष्य भी है। इसलिए, क्वांटम-तैयार होना केवल तकनीकी नहीं, बल्कि रणनीतिक ज़रूरत है।
      इससे देश की अर्थव्यवस्था, शासन और रक्षा तंत्र भविष्य के खतरों से सुरक्षित रहेंगे।
    • क्वांटम तकनीकें सिर्फ साइबर सुरक्षा तक सीमित नहीं हैं वे एआई, संचार, पदार्थ अनुसंधान और सटीक मापन जैसे क्षेत्रों में भी बदलाव लाने की क्षमता रखती हैं। आज इन पर निवेश करने का मतलब है कल के लिए तकनीकी नेतृत्व सुनिश्चित करना।

निष्कर्ष:

भारत ने एक साथ वैज्ञानिक और नीतिगत स्तर पर दो बड़ी उपलब्धियाँ हासिल की हैं

1.        सच्ची क्वांटम यादृच्छिकता का प्रयोग, और

2.      क्वांटम साइबर तत्परता श्वेतपत्र का जारी होना।

पहला कदम तकनीकी सुरक्षा सुनिश्चित करता है,जबकि दूसरा संस्थागत और नीतिगत तैयारी का मार्ग दिखाता है। ये दोनों मिलकर भारत को वैश्विक क्वांटम तकनीकी नेतृत्व की दिशा में आगे बढ़ाते हैं।
यह भारत की उस प्रतिबद्धता का प्रतीक हैं कि उसका डिजिटल भविष्य सुरक्षित, स्वायत्त और क्वांटम युग के लिए तैयार रहेगा।

UPSC/PSC मुख्य प्रश्न: क्वांटम तकनीक साइबर सुरक्षा के परिदृश्य को किस प्रकार बदल सकती है? भारत को क्वांटम-तत्पर साइबर सुरक्षा प्रणाली अपनाने की आवश्यकता पर चर्चा कीजिए।