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Daily-current-affairs / 11 Sep 2025

भारत–मॉरीशस संबंध: हिंद महासागर में एक आदर्श साझेदारी

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परिचय-
भारत और मॉरीशस हिंद महासागर क्षेत्र में इतिहास, संस्कृति, व्यापार, निवेश, सुरक्षा तथा जन-से-जन संबंधों पर आधारित सबसे व्यापक साझेदारियों में से एक साझा करते हैं। भारत और मॉरीशस का संबंध, स्वतंत्रता (1968) से पहले का है, क्योंकि भारत ने 1948 में ही राजनयिक संबंध स्थापित कर लिए थे।

भारत के लिए, मॉरीशस एक विश्वसनीय सांस्कृतिक साझेदार और पश्चिमी हिंद महासागर में एक महत्वपूर्ण सामुद्रिक सहयोगी है, एक ऐसा क्षेत्र जो समुद्री डकैती, अवैध मछली पकड़ने, आतंकवाद और महाशक्ति प्रतिद्वंद्विता (विशेष रूप से चीन की बढ़ती उपस्थिति) से प्रभावित हो रहा है। वहीं, मॉरीशस के लिए भारत लगातार एक विश्वसनीय विकास साझेदार और संकट की घड़ी में प्रथम प्रत्युत्तरकर्ता रहा है चाहे वह कोविड-19 महामारी हो या 2020 का वाकाशियो तेल रिसाव।

ऐतिहासिक संबंध-

      • औपनिवेशिक अतीत: मॉरीशस पर पहले फ्रांसीसियों और बाद में ब्रिटिशों ने शासन किया। फ्रांसीसी शासन (1729 से आगे) के दौरान, पहले भारतीयों को पुदुचेरी से कारीगर और राजमिस्त्री के रूप में लाया गया। ब्रिटिश शासन में यह द्वीप गिरमिटिया मज़दूरों का केंद्र बन गया।

      • गिरमिटिया मज़दूर प्रवासन: 1834 से लेकर शुरुआती 1900 के दशक तक, लगभग पाँच लाख भारतीय गिरमिटिया मज़दूरों को मॉरीशस की गन्ने की खेती पर काम करने के लिए ले जाया गया। इस प्रवासन ने भारतीय मूल के उस मज़बूत समुदाय को जन्म दिया जो आज मॉरीशस में बहुसंख्यक है।

      • आप्रवासी घाट और आप्रवासी दिवस: 2 नवंबर 1834 को 36 भारतीय मज़दूरों का पहला दल एटलस नामक जहाज से मॉरीशस पहुँचा। यह स्थल आज विश्व धरोहर स्थल आप्रवासी घाट के रूप में मान्यता प्राप्त है, और इस दिन को आप्रवासी दिवस के रूप में मनाया जाता है।

      • साझा स्वतंत्रता नायक: मॉरीशस के पहले प्रधानमंत्री सर सीवूसागर रामगुलाम ने 1920 के दशक की शुरुआत में लंदन में सुभाष चंद्र बोस के साथ निकटता से काम किया। रामगुलाम ने बोस की पुस्तक द इंडियन स्ट्रगल का प्रूफरीड भी किया। इन शुरुआती संबंधों ने भारतीय और मॉरीशस के नेताओं के बीच एकजुटता को मज़बूत किया।

      • प्रतीकात्मक संबंध: मॉरीशस 12 मार्च को अपना राष्ट्रीय दिवस मनाता है, जिस दिन गांधीजी का दांडी मार्च हुआ थायह दोनों देशों की जुड़ी हुई तकदीरों का प्रतीक है।

      • राजनयिक उपलब्धि: स्वतंत्र भारत ने 1948 में राजनयिक संबंध स्थापित किए, जो मॉरीशस की स्वतंत्रता (1968) से दो दशक पहले का है।

रणनीतिक और भू-राजनीतिक महत्व

मॉरीशस को हिंद महासागर का तारा और कुंजीकहा जाता है, जो पश्चिमी हिंद महासागर में उसकी अहम स्थिति को दर्शाता है। भारत के लिए इसका महत्व कई आयामों में समझा जा सकता है:

      1. भू-राजनीतिक प्रासंगिकता: चीन ने जिबूती में नौसैनिक अड्डा स्थापित किया है और पूर्वी अफ्रीका व द्वीपीय देशों में अपना प्रभाव बढ़ा रहा है। ऐसे में मॉरीशस भारत की इंडो-पैसिफिक रणनीति का केंद्रीय हिस्सा बन गया है।

      2. समुद्री सुरक्षा: मॉरीशस कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन (CSC) का हिस्सा है, जिसमें भारत, श्रीलंका, मालदीव और बांग्लादेश शामिल हैं। इसका उद्देश्य समुद्री डकैती, नशीले पदार्थों की तस्करी और आतंकवाद जैसे गैर-पारंपरिक खतरों से निपटना है। भारत ने मॉरीशस में तटीय रडार स्टेशन भी बनाए हैं और उन्हें गुरुग्राम स्थित इन्फॉर्मेशन फ्यूज़न सेंटर इंडियन ओशन रीजन (IFC-IOR) से जोड़ा है।

      3. अगालेगा द्वीप परियोजना: भारत ने अगालेगा द्वीप पर नया हवाई पट्टी और जेट्टी जैसे बुनियादी ढाँचे विकसित किए हैं, जिससे मॉरीशस बड़े विमानों की मेजबानी कर सके और व्यापक महासागरीय क्षेत्रों पर निगरानी क्षमता बढ़ा सके।

      4. अफ्रीका का प्रवेशद्वार: अफ्रीकी महाद्वीपीय मुक्त व्यापार क्षेत्र (AfCFTA) का सदस्य होने के नाते, मॉरीशस भारत के लिए अफ्रीकी बाज़ारों में प्रवेश का माध्यम है। ऐतिहासिक रूप से, भारतमॉरीशस दोहरा कराधान परिहार समझौता (DTAA) ने इसे भारत में निवेश लाने का पसंदीदा केंद्र बनाया।

      5. सांस्कृतिक आधार: लगभग 70% जनसंख्या भारतीय मूल की होने के कारण सांस्कृतिक कूटनीति इस रिश्ते का मज़बूत स्तंभ है। दीपावली जैसे साझा त्योहार, सामान्य भाषाएँ और समान रीति-रिवाज दोनों देशों के बीच सभ्यतागत निरंतरता बनाए रखते हैं।

आर्थिक और निवेश संबंध

व्यापार संबंध

भारत मॉरीशस के शीर्ष तीन व्यापारिक साझेदारों में से एक है। 2024 में, मॉरीशस के कुल आयात का 11% भारत से आया।

      • भारत का मॉरीशस को निर्यात: प्रमुख वस्तुएँदवाएँ, अनाज, कपास का धागा, मोटर वाहन और खनिज ईंधन। ये न केवल घरेलू जरूरतों को पूरा करते हैं बल्कि मॉरीशस के वस्त्र और परिधान उद्योग (उसकी अर्थव्यवस्था की रीढ़) को भी सहारा देते हैं।

        • निर्यात रुझान (मिलियन अमेरिकी डॉलर में): 2019 – 776; 2020 – 405; 2021 – 808; 2022 – 632; 2023 – 646; 2024 – 766

      • मॉरीशस का भारत को निर्यात: यद्यपि आकार में छोटा है, लेकिन इसमें लगातार वृद्धि हुई है। इनमें चिकित्सा उपकरण, अपशिष्ट और कबाड़ धातु, तथा लेड-एसिड बैटरी शामिल हैं।

        • निर्यात रुझान (मिलियन अमेरिकी डॉलर में): 2019 – 24; 2020 – 32; 2021 – 45; 2022 – 57; 2023 – 55; 2024 – 46

निवेश प्रवाह

      • ऐतिहासिक रूप से मॉरीशस भारत का सबसे बड़ा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) स्रोत रहा है, जिसने 2000 से अब तक लगभग 177 बिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान दिया है (कुल प्रवाह का लगभग एक-चौथाई)।

      • वित्तीय वर्ष 2023–24 में, मॉरीशस 7.97 बिलियन अमेरिकी डॉलर के साथ सिंगापुर के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा FDI स्रोत रहा।

      • भारतीय कंपनियों ने पिछले पाँच वर्षों में मॉरीशस में 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का निवेश किया है, विशेषकर वित्तीय सेवाओं, स्वास्थ्य सेवा और विनिर्माण में।

विकासात्मक और सांस्कृतिक सहयोग

      • महात्मा गांधी संस्थान (MGI): 1976 में स्थापित, यह भारतीय संस्कृति, इतिहास और भाषाओं के अध्ययन का प्रमुख केंद्र है।

      • विश्व हिंदी सचिवालय: भारत द्वारा समर्थित यह संस्थान मॉरीशस से वैश्विक स्तर पर हिंदी को बढ़ावा देता है।

      • इंदिरा गांधी भारतीय संस्कृति केंद्र (IGCIC): 1987 में स्थापित, यह भारत का सबसे बड़ा विदेश स्थित सांस्कृतिक केंद्र है, जहाँ हज़ारों मॉरीशस छात्र संगीत, नृत्य, योग और कला की शिक्षा लेते हैं।

      • आईटेक कार्यक्रम: क्षमता-निर्माण और प्रशिक्षण कार्यक्रम में मॉरीशस सबसे बड़े लाभार्थियों में से है।

      • नो इंडिया प्रोग्राम (KIP): 2004 से, मॉरीशस के युवाओं ने भारत में अध्ययन यात्राओं में भाग लिया है।

      • ई-विद्या भारती आरोग्य भारती (e-VBAB): 2020 से, मॉरीशस के छात्र भारत की ऑनलाइन शिक्षा और टेलीमेडिसिन पहल के अंतर्गत छात्रवृत्तियाँ प्राप्त कर रहे हैं।

भारतीय प्रवासी

भारतीय प्रवासी भारतमॉरीशस संबंधों की रीढ़ है। मॉरीशस की 1.3 मिलियन आबादी में लगभग 70% लोग भारतीय मूल के हैं, जो गिरमिटिया मज़दूरों के वंशज हैं।

      • आज, मॉरीशस में 26,357 भारतीय नागरिक और 13,198 OCI कार्डधारक रहते हैं।

      • मार्च 2024 में, भारत ने OCI पात्रता को भारतीय मूल के मॉरीशस निवासियों की सातवीं पीढ़ी तक बढ़ाया, जिससे ऐतिहासिक संबंधों और गिरमिटिया मज़दूरों के बलिदानों को मान्यता मिली।

पर्यटन और शिक्षा

      • वीज़ा सहयोग: 2004 से, भारतीयों को मॉरीशस में वीज़ा-रहित प्रवेश की सुविधा है, जबकि मॉरीशस नागरिकों को भारत आने के लिए निःशुल्क वीज़ा मिलता है।

      • पर्यटन प्रवाह: कोविड-19 से पहले, लगभग 80,000 भारतीय हर साल मॉरीशस जाते थे। लगभग 30,000 मॉरीशस निवासी पर्यटन, चिकित्सा और शिक्षा के लिए भारत आते थे। अब ये आँकड़े फिर से बढ़ रहे हैं।

      • शिक्षा: 2,300 से अधिक भारतीय छात्र मॉरीशस में पढ़ते हैं, वहीं मॉरीशस के छात्र कम लागत और सांस्कृतिक समानता के कारण भारतीय विश्वविद्यालयों को प्राथमिकता दे रहे हैं।

संबंधों में चुनौतियाँ

      1. कर विवाद: 2016 में DTAA संशोधन के बाद मॉरीशस की कर-अनुकूल निवेश केंद्र की भूमिका कम हो गई, जिससे FDI प्रवाह में गिरावट आई।

      2. चीन की बढ़ती भूमिका: बीजिंग ने मॉरीशस में नए हवाई अड्डे के टर्मिनल, बगाटेल बाँध, खेल परिसर और क्रूज़ टर्मिनल जैसी बड़ी परियोजनाओं को वित्त पोषित किया हैजो सीधे भारत के प्रभाव को चुनौती देता है।

      3. जातीय संतुलन: यद्यपि बहुसंख्यक भारतीय मूल के हैं, लेकिन मॉरीशस में अफ्रीकी और यूरोपीय मूल के समुदाय भी हैं। भारत को अपने संपर्क में संतुलन रखना होगा ताकि पक्षपात की धारणा न बने।

      4. नशीले पदार्थों की तस्करी: हिंद महासागर में मॉरीशस नशीले पदार्थों का एक पारगमन केंद्र बन गया है, जिससे भारत के लिए सुरक्षा चिंताएँ उत्पन्न होती हैं।

      5. जलवायु परिवर्तन जोखिम: समुद्र-स्तर में वृद्धि, चक्रवात और तटीय कटाव मॉरीशस के लिए अस्तित्वगत खतरे हैं, जिनसे निपटने के लिए भारत के सतत सहयोग की आवश्यकता होगी।


निष्कर्ष
भारतमॉरीशस संबंध दक्षिणदक्षिण सहयोग का आदर्श उदाहरण हैं, जिनमें ऐतिहासिक एकजुटता, सांस्कृतिक आत्मीयता, आर्थिक साझेदारी और रणनीतिक सहयोग शामिल है। मॉरीशस की रणनीतिक स्थिति उसे भारत की इंडो-पैसिफिक दृष्टि के केंद्र में रखती है, जबकि गहरी प्रवासी जड़ें इस रिश्ते को अनूठा बनाती हैं।

साथ ही, कराधान से जुड़ी चुनौतियाँ, चीन की बढ़ती उपस्थिति, जातीय संवेदनशीलताएँ और जलवायु संबंधी कमजोरियाँ इस रिश्ते में सूक्ष्म कूटनीति की आवश्यकता को रेखांकित करती हैं। भारत के लिए आर्थिक, सांस्कृतिक और सुरक्षा संबंधी संलग्नताओं में सामंजस्य स्थापित करना सुनिश्चित करेगा कि मॉरीशस न केवल द्विपक्षीय लाभों बल्कि हिंद महासागर में क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भी एक विश्वसनीय साझेदार बना रहे।

यूपीएससी/पीएससी मुख्य प्रश्न:

मॉरीशस को अक्सर "हिंद महासागर का सितारा और कुंजी" कहा जाता है। क्षेत्र में चीन की बढ़ती उपस्थिति के मद्देनजर, कि भारत अपनी प्रधानता बनाए रखने के लिए सुरक्षा, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों में किस प्रकार संतुलन बना सकता है। विश्लेषण कीजिए।