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Daily-current-affairs / 18 Sep 2025

“लॉजिस्टिक्स दक्षता से वैश्विक प्रतिस्पर्धा तक: राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति का विश्लेषण”

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परिचय:

लॉजिस्टिक्स क्षेत्र किसी भी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। यह सुनिश्चित करता है कि वस्तुएँ और सेवाएँ समय पर तथा उचित लागत पर अपने गंतव्य तक पहुँचें। भारत, जो एक तीव्र गति से उभरती हुई अर्थव्यवस्था है और जिसका लक्ष्य वैश्विक विनिर्माण एवं व्यापार केंद्र बनने का है, के लिए लॉजिस्टिक्स दक्षता केवल आर्थिक आवश्यकता नहीं बल्कि एक सामरिक अनिवार्यता भी है। इसको ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने 17 सितंबर 2022 को राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (NLP) प्रारंभ की। यह नीति एक गेम-चेंजर के रूप में परिकल्पित थी, जिसका उद्देश्य लॉजिस्टिक्स लागत को कम करना, अक्षमताओं को घटाना और एक वैश्विक प्रतिस्पर्धी लॉजिस्टिक्स तंत्र का निर्माण करना था।

  • इसके आरंभ के तीन वर्षों में, राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (NLP) ने कई क्षेत्रों में सुधारों को प्रेरित किया हैडिजिटलीकरण और अवसंरचना सृजन से लेकर नियामक सामंजस्य और कार्यबल विकास तक। ये प्रयास प्रधानमंत्री गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के अनुरूप हैं, जो परिवहन के विभिन्न साधनों में योजना और क्रियान्वयन का एकीकरण करता है। संयुक्त रूप से, ये पहल भारत के लॉजिस्टिक्स परिदृश्य को क्रमशः रूपांतरित कर रही हैं, जिससे घरेलू आपूर्ति श्रृंखलाएँ सुगम हो रही हैं और भारतीय निर्यात वैश्विक बाज़ारों में अधिक प्रतिस्पर्धी बन रहे हैं।

राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति के प्रमुख उद्देश्य

1.        लॉजिस्टिक्स लागत को कम करना: भारत का लॉजिस्टिक्स व्यय परंपरागत रूप से वैश्विक मानकों से कहीं अधिक रहा है, जिससे निर्यात कम प्रतिस्पर्धी हो जाते हैं। राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति का लक्ष्य इन लागतों को सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 8% के वैश्विक औसत के समीप लाना है।

2.      विश्व बैंक की लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस इंडेक्स (LPI) में भारत की रैंकिंग सुधारना:  लक्ष्य 2030 तक भारत को शीर्ष 25 देशों में शामिल करना है।

3.      डेटा-आधारित लॉजिस्टिक्स तंत्र का निर्माण: डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म और डेटा-साझाकरण तंत्रों के माध्यम से, NLP का उद्देश्य सरकार और निजी हितधारकों दोनों के लिए सूचित निर्णय सुनिश्चित करना है।

4.     सॉफ्ट इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना: ध्यान केवल भौतिक परियोजनाओं पर नहीं, बल्कि नियामक सुधारों, कौशल विकास और संस्थागत तंत्रों पर भी है ताकि विकास को बनाए रखा जा सके।

राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति की प्रमुख उपलब्धियाँ (2022–2025):

डिजिटल परिवर्तन और डेटा एकीकरण

    • यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफ़ॉर्म (ULIP): 30+ प्रणालियों का API एकीकरण; 160 करोड़+ लेनदेन ने पारदर्शिता और तेज कार्गो मूवमेंट को सक्षम किया।
    • लॉजिस्टिक्स डेटा बैंक (LDB): 101 ICDs में 7.5 करोड़+ EXIM कंटेनरों का ट्रैकिंग, जिससे वास्तविक समय की योजना बेहतर हुई और देरी कम हुई।
    • ई-लॉग्स पोर्टल: 35+ उद्योग संघ पंजीकृत; उठाए गए 140 मुद्दों में से 100 का समाधान किया गया।

राज्य-स्तरीय लॉजिस्टिक्स सुधार

    • LEADS इंडेक्स को 2024 में कॉरिडोर एक्सेस, टर्मिनल स्पीड और 2025 में डिजिटल अपनाने व स्थिरता सूचकांकों के साथ विकसित किया गया।
    • इन सुधारों ने भारत को विश्व बैंक के LPI (2023) में 38वीं रैंक पर पहुँचाने में योगदान दिया।

मान्यता और नवाचार

    • LEAPS पहल के तहत स्टार्टअप्स, MSMEs और अकादमिक संस्थानों को ग्रीन लॉजिस्टिक्स, स्वचालन और ESG में नवाचार हेतु पुरस्कृत किया गया, जिससे विकास वैश्विक लक्ष्यों से जुड़ा।

हरित और सतत लॉजिस्टिक्स

    • परिवहन उत्सर्जन मापन उपकरण (TEMT) – IIM बैंगलोर द्वारा विकसित; ISO 14083-अनुपालन, क्लाउड-आधारित उत्सर्जन ट्रैकिंग।
    • नवीकरणीय ऊर्जा, इलेक्ट्रिक फ्लीट और ऊर्जा-दक्ष अवसंरचना की दिशा में प्रोत्साहन।

अवसंरचना विकास

    • मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क (MMLPs): एकीकृत हब जिनमें वेयरहाउसिंग, कस्टम क्लियरेंस, कोल्ड स्टोरेज, पैकेजिंग शामिल।
    • सर्विस इम्प्रूवमेंट ग्रुप (SIG): नियामक और नीतिगत मुद्दों का त्वरित समाधान हेतु संस्थागत तंत्र।

कौशल और क्षमता निर्माण

    • 100+ विश्वविद्यालयों ने लॉजिस्टिक्स पाठ्यक्रम प्रारंभ किए; स्पा भोपाल में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस द्वारा 100+ अधिकारियों का प्रशिक्षण।
    • 2023–25 के बीच 65,000+ पेशेवरों को प्रशिक्षित किया गया; गतिशक्ति विश्वविद्यालय के साथ UG/PG कार्यक्रम हेतु MoU
    • अधिकारियों के लिए 250+ कार्यशालाएँ; iGoT प्लेटफ़ॉर्म पर डिजिटल कोर्स।

क्षेत्र-विशिष्ट लॉजिस्टिक्स नीतियाँ

    • सक्षम लॉजिस्टिक्स हेतु क्षेत्रीय नीति (SPEL): कोयला, सीमेंट, इस्पात, खाद्य प्रसंस्करण, फार्मा हेतु रूपरेखाएँ।
    • कोयला लॉजिस्टिक्स नीति और एकीकृत कोयला लॉजिस्टिक्स योजना लागू; सीमेंट SPEL अंतिम रूप में; इस्पात, उर्वरक, खाद्य प्रसंस्करण हेतु मसौदा नीतियाँ प्रगति पर।

समावेशन और लैंगिक सहभागिता

    • DPIIT–GIZ अध्ययन में लॉजिस्टिक्स में महिलाओं की भागीदारी की समीक्षाकार्यस्थल समावेशिता सुधार हेतु मार्गदर्शन।

राज्य और नगर-स्तरीय कार्य योजनाएँ

    • DPIIT दिशानिर्देश के अंतर्गत सिटी लॉजिस्टिक्स प्लान (CLPs), जिससे भीड़भाड़ और प्रदूषण कम हो।
    • 27 राज्य/केंद्रशासित प्रदेशों के पास लॉजिस्टिक्स नीतियाँ; 14 कार्य योजनाएँ बना रहे; 19 ने लॉजिस्टिक्स को उद्योग का दर्जा देकर कर प्रोत्साहन प्रदान किए।

Explainer / National Logistics Policy | commerce | gati shakti | logistics

भारत के लॉजिस्टिक्स क्षेत्र के विकास प्रेरक:

1.        नीति और नियामक सुधार: NLP, PM गतिशक्ति और GST के सम्मिलित प्रभाव से विखंडन कम हुआ और दक्षता बढ़ी। FY14 से FY22 के बीच लॉजिस्टिक्स लागत GDP के 0.8–0.9% तक घट चुकी है।

2.      अवसंरचना विस्तार: सागरमाला, भारतमाला और राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (NIP) के अंतर्गत बड़े प्रोजेक्ट्स मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी बना रहे हैं। 35 MMLPs ₹50,000 करोड़ के नियोजित निवेश के साथ निर्माणाधीन हैं।

3.      डिजिटल परिवर्तन: RFID, GPS ट्रैकिंग, ब्लॉकचेन, डिजिटल ट्विन जैसी तकनीकों से पारदर्शिता बढ़ रही है। भारत का LPI में 38वें स्थान तक पहुँचना इसका प्रमाण है।

4.     विनिर्माण वृद्धि: मेक इन इंडिया और PLI योजनाओं से विनिर्माण में तीव्र वृद्धि हुई है, जिससे चपल लॉजिस्टिक्स की माँग बढ़ी। FY22 में विनिर्माण GDP का 15.3% रहा और चाइना+1 रणनीति जैसी वैश्विक आपूर्ति शृंखला बदलावों से यह और बढ़ेगा।

5.      ई-कॉमर्स उछाल: 2026 तक भारत का ई-कॉमर्स बाजार $200 अरब तक पहुँचने की संभावना। EY के अनुसार, लॉजिस्टिक्स सेवाएँ FY22 के $435 अरब से FY27 तक $591 अरब तक पहुँचेंगी, विशेषकर लास्ट-माइल डिलीवरी और रिवर्स लॉजिस्टिक्स से।

6.     रोज़गार और कौशल: यह क्षेत्र वर्तमान में 2.2 करोड़ लोगों को रोज़गार देता है; 2027 तक 1 करोड़ नए रोज़गार जुड़ने की संभावना। संगठित लॉजिस्टिक्स क्षेत्र 32% CAGR से बढ़ने का अनुमान।

7.      सततता का प्रोत्साहन: फ्रेट विलेजेस, तटीय शिपिंग कॉरिडोर (उदा. सागर सेतु पोर्टल) और ESG-अनुपालक आपूर्ति शृंखलाएँ सतत विकास को प्रोत्साहित कर रही हैं।

भारत के लॉजिस्टिक्स क्षेत्र की प्रमुख चुनौतियाँ:

  • उच्च लागत: लॉजिस्टिक्स का जीडीपी में हिस्सा 14–18% है, जबकि वैश्विक स्तर पर यह 8% है।
  • साधन असंतुलन: सड़कों से 66% माल ढुलाई, रेल से 31%, जबकि जलमार्ग से केवल 3%
  • अवसंरचना घाटा: भूमि अधिग्रहण में देरी और स्वीकृति अवरोध—DFC और MMLPs जैसे प्रोजेक्ट्स में बाधा।
  • नियामक जटिलता: कई मंत्रालय और राज्य नियमों के कारण दोहराव और देरी; अनुपालन में 25% तक की देरी।
  • डिजिटल विभाजन: छोटे ऑपरेटर RFID, IoT और AI अपनाने में संघर्षरत।
  • कौशल अंतराल: कार्यबल का 90% असंगठित, जिससे उत्पादकता और सुरक्षा सीमित।
  • पर्यावरणीय चिंताएँ: लॉजिस्टिक्स भारत के CO उत्सर्जन का 14% योगदान; हरित परिवहन अभी कम उपयोग में।

आगे की राह:

1.        एकीकृत अवसंरचना को गति देना: PM गतिशक्ति और NLP का पूर्ण पैमाने पर कार्यान्वयनमल्टीमॉडल कनेक्टिविटी सुनिश्चित करना।

2.      क्लस्टर-आधारित लॉजिस्टिक्स हब: औद्योगिक कॉरिडोर के समीप MMLPs विकसित करना, जिनमें वेयरहाउसिंग, कोल्ड चेन और कस्टम क्लियरेंस शामिल हों।

3.      डिजिटल लॉजिस्टिक्स प्रोत्साहन: छोटे ऑपरेटरों में ULIP, ई-लॉग्स और ICEGATE अपनाने को प्रोत्साहन।

4.     माल ढुलाई को रेल और जलमार्ग की ओर स्थानांतरित करना: बल्क कार्गो को हरित साधनों से ढोने हेतु नीतिगत प्रोत्साहन।

5.      राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स कार्यबल मिशन: संरचित कौशल कार्यक्रम आरंभ करना, जिन्हें रोज़गार अवसरों से जोड़ा जाए।

6.     असंगठित क्षेत्र का औपचारिककरण: अनुपालन सरल करना और छोटे लॉजिस्टिक्स खिलाड़ियों को सस्ती वित्तीय सहायता देना।

7.      एआई और भू-स्थानिक खुफिया का उपयोग: भीड़भाड़, बाधाएँ और आपूर्ति शृंखला जोखिम की निगरानी हेतु प्रेडिक्टिव एनालिटिक्स।

निष्कर्ष:

राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति ने पहले ही सुधारों की एक श्रृंखला प्रारंभ कर दी है, जो भारत के लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को रूपांतरित कर रही है। अवसंरचना अंतराल को पाटकर, डिजिटलीकरण को सक्षम कर, सततता को प्रोत्साहित कर और कौशल पर ध्यान केंद्रित कर, भारत स्वयं को एक वैश्विक लॉजिस्टिक्स नेता के रूप में स्थापित कर रहा है। फिर भी, उच्च लागत, साधन असंतुलन और असमान तकनीकी जैसी चुनौतियाँ बनी हुई हैं। सम्पूर्ण सरकार दृष्टिकोण को गहराई से लागू करने, केंद्र-राज्य सहयोग सुनिश्चित करने और निजी क्षेत्र में नवाचार को प्रोत्साहित करके चुनौतियों से निपटा सा सकता है।

यूपीएससी/पीएससी मुख्य प्रश्न: नवीकरणीय ऊर्जा और इलेक्ट्रिक बेड़े की ओर भारत का लॉजिस्टिक्स परिवर्तन अभी भी प्रारंभिक अवस्था में है। इस बदलाव की व्यवहार्यता और आर्थिक निहितार्थों का आलोचनात्मक विश्लेषण करें।