परिचय:
भारत और जापान आज एशिया की दो अग्रणी लोकतांत्रिक व्यवस्थाएँ और प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्थाएँ हैं, जो शांति, स्थिरता और विकास के साझा मूल्यों से जुड़े हुए हैं। पिछले दो दशकों में उनकी साझेदारी निरंतर मज़बूत हुई है जो प्रारंभ में मुख्यतः आर्थिक और विकासात्मक थी, अब रणनीतिक, प्रौद्योगिकी और सुरक्षा आयामों तक विस्तृत हो गई है। जापान, भारत का सबसे बड़ा विकास सहयोगी बनकर उभरा है, जबकि भारत, जापान को विशाल बाज़ार, कुशल श्रमशक्ति और क्षेत्रीय स्थिरता के निर्माण में एक विश्वसनीय साझेदार प्रदान करता है।
-
-
- 29- 30 अगस्त 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जापान यात्रा और 15वें वार्षिक शिखर सम्मेलन का आयोजन एक महत्वपूर्ण समय पर हुआ। वैश्विक व्यवस्था संक्रमण के दौर से गुज़र रही है, जिसमें आर्थिक अनिश्चितताएँ, व्यापार तनाव और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ती सुरक्षा चुनौतियाँ शामिल हैं। ऐसे में यह यात्रा केवल एक औपचारिक कूटनीतिक कार्यक्रम नहीं थी, बल्कि उस साझेदारी को गहराने का संकेत थी, जो अब अवसंरचना, डिजिटल प्रौद्योगिकी, स्वच्छ ऊर्जा, सेमीकंडक्टर, रक्षा और यहाँ तक कि अंतरिक्ष तक फैली हुई है। मूलतः इस यात्रा ने यह मज़बूत किया कि भारत और जापान केवल आर्थिक साझेदार नहीं बल्कि साझा भविष्य दृष्टिकोण वाले रणनीतिक सहयोगी भी हैं।
- 29- 30 अगस्त 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जापान यात्रा और 15वें वार्षिक शिखर सम्मेलन का आयोजन एक महत्वपूर्ण समय पर हुआ। वैश्विक व्यवस्था संक्रमण के दौर से गुज़र रही है, जिसमें आर्थिक अनिश्चितताएँ, व्यापार तनाव और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ती सुरक्षा चुनौतियाँ शामिल हैं। ऐसे में यह यात्रा केवल एक औपचारिक कूटनीतिक कार्यक्रम नहीं थी, बल्कि उस साझेदारी को गहराने का संकेत थी, जो अब अवसंरचना, डिजिटल प्रौद्योगिकी, स्वच्छ ऊर्जा, सेमीकंडक्टर, रक्षा और यहाँ तक कि अंतरिक्ष तक फैली हुई है। मूलतः इस यात्रा ने यह मज़बूत किया कि भारत और जापान केवल आर्थिक साझेदार नहीं बल्कि साझा भविष्य दृष्टिकोण वाले रणनीतिक सहयोगी भी हैं।
-
भारत-जापान संबंध:
भारत और जापान की मित्रता का एक लंबा इतिहास है, लेकिन पिछले दो दशकों में इस रिश्ते को अभूतपूर्व गहराई और रणनीतिक महत्व मिला है। यह प्रगति विभिन्न चरणों में साझेदारी के उन्नयन से स्पष्ट है:
• 2000 – वैश्विक साझेदारी
• 2006 – रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी
• 2014 – विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी
आज दोनों राष्ट्र प्रमुख एशियाई लोकतंत्र हैं और शीर्ष पाँच वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हैं। उनका सहयोग द्विपक्षीय संबंधों से परे है और क्षेत्रीय व वैश्विक मंचों पर फैला हुआ है, जैसे कि क्वाड, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA), आपदा प्रतिरोधी अवसंरचना गठबंधन (CDRI) और आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन पहल (SCRI)।
जापान भारत का सबसे बड़ा विदेशी विकास सहयोगी भी है, जिसकी आधिकारिक विकास सहायता (ODA) ने भारत की सबसे महत्वाकांक्षी अवसंरचना परियोजनाओं को आकार दिया है, जैसे मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन।
शिखर सम्मेलन के दौरान प्रमुख समझौते:
शिखर सम्मेलन ने कई ऐतिहासिक समझौतों हुए, जो विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को गहराते हैं:
-
-
-
-
कार्बन-मुक्त प्रौद्योगिकी – ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने हेतु संयुक्त क्रेडिटिंग तंत्र की स्थापना।
-
डिजिटल साझेदारी 2.0 – कृत्रिम बुद्धिमत्ता, सेमीकंडक्टर और डिजिटल अवसंरचना में सहयोग, ताकि तकनीकी परिवर्तन की अगली लहर के लिए तैयारी हो सके।
-
अपशिष्ट जल प्रबंधन – भारतीय शहरों के लिए विकेन्द्रीकृत और टिकाऊ समाधान अपनाना।
-
कुशल श्रमिक समझौता – जापान अगले पाँच वर्षों में 5 लाख भारतीय श्रमिकों को अवसर देगा, जिनमें 50,000 कुशल पेशेवर शामिल होंगे।
-
खनिज संसाधन सहयोग – खनिज सुरक्षा साझेदारी (MSP) और क्वाड जैसी पहलों के तहत महत्वपूर्ण खनिजों की आपूर्ति श्रृंखला को मज़बूत करना।
- सांस्कृतिक आदान-प्रदान – दोनों देशों के विदेश सेवा संस्थानों के बीच नई पहलें, ताकि सांस्कृतिक समझ और जन-जन के रिश्ते मज़बूत हों।
-
-
-
इसके अतिरिक्त, दोनों नेताओं ने संयुक्त दृष्टि वक्तव्य (Joint Vision Statement) अपनाया, जो अगले दशक में आठ प्रमुख क्षेत्रों अर्थव्यवस्था, सुरक्षा, स्थिरता, नवाचार, प्रौद्योगिकी, क्षेत्रीय स्थिरता, संपर्क और जन-जन संबंधों, में सहयोग का खाका प्रस्तुत करता है।
अंतरिक्ष सहयोग: चंद्रयान-5 मिशन
शिखर सम्मेलन में अंतरिक्ष सहयोग प्रमुख रहा। इसरो और जाक्सा (जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी) ने चंद्रयान-5 लूनर पोलर एक्सप्लोरेशन (LUPEX) मिशन के लिए समझौता किया।
-
-
-
-
उद्देश्य: चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव का अन्वेषण करना, विशेषकर पानी और अन्य महत्वपूर्ण संसाधनों का अध्ययन।
-
प्रक्षेपण: जापान का H3-24L रॉकेट इसरो का लैंडर लेकर जाएगा, जो एक जापानी रोवर तैनात करेगा।
- महत्व: यह मिशन न केवल भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं को आगे बढ़ाता है, बल्कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के अग्रणी क्षेत्र में भारत-जापान सहयोग को और गहराता है।
-
-
-
भारत में जापान की बड़ी निवेश योजना:
इस यात्रा की एक प्रमुख घोषणा थी कि जापान अगले दशक में भारत में ¥10 ट्रिलियन (लगभग ₹6 लाख करोड़) का निवेश करेगा।
• केंद्रित क्षेत्र: कृत्रिम बुद्धिमत्ता, सेमीकंडक्टर, स्वच्छ ऊर्जा, स्टार्टअप और चिकित्सा नवाचार।
• सर्वेक्षण बताते हैं कि भारत में 80% जापानी कंपनियाँ अपने परिचालन का विस्तार करने की योजना बना रही हैं, जबकि 75% पहले से ही लाभ में हैं।
• भारत की सकारात्मकता—राजनीतिक स्थिरता, सतत आर्थिक वृद्धि और बड़ी कुशल कार्यबल—उसे एक आकर्षक निवेश केंद्र बनाती हैं।
यह निवेश प्रतिबद्धता भारत के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि वह अमेरिकी निर्यात शुल्कों का सामना कर रहा है और इस परिस्थिति में जापानी सहयोग उसकी आर्थिक लचीलापन को मज़बूती देगा।
सेमीकंडक्टर और कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर ध्यान केंद्रित: दोनों देशों ने आर्थिक सुरक्षा सहयोग पहल शुरू की, जिसका उद्देश्य भविष्य के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों को सुरक्षित करना है:
• एआई विकास और अनुप्रयोग
• सेमीकंडक्टर निर्माण
• दुर्लभ पृथ्वी खनिजों की आपूर्ति श्रृंखला
• डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना
प्रधानमंत्री मोदी ने सेंडाई सेमीकंडक्टर संयंत्र का दौरा किया, जो 12-इंच वेफ़र का उत्पादन करने और उन्नत 28 nm और 55 nm नोड तकनीकों तक विस्तार करने जा रहा है।
रक्षा और सुरक्षा समझौते:
सुरक्षा सहयोग शिखर सम्मेलन का एक और प्रमुख स्तंभ था। भारत और जापान ने सुरक्षा सहयोग पर एक संयुक्त घोषणा पर हस्ताक्षर किए, जिसमें शामिल है:
• दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (NSA) के बीच नियमित संस्थागत संवाद।
• थल, जल और वायु सेनाओं के बीच अधिक बार संयुक्त सैन्य अभ्यास।
• हिंद-प्रशांत में सुरक्षित समुद्री मार्गों, समुद्री डकैती-रोधी उपायों और नौवहन की स्वतंत्रता हेतु मज़बूत नौसैनिक सहयोग।
• आतंकवाद-रोधी, साइबर सुरक्षा, आपदा राहत और रक्षा अनुसंधान एवं विकास में संयुक्त कार्य।
अवसंरचना और विकास परियोजनाएँ:
जापान भारत का सबसे बड़ा सहयोगी है, जिसने 2023–24 में ही लगभग $4.5 बिलियन की मदद दी।
• मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना भारत-जापान सहयोग का प्रतीक बनी हुई है।
• नई प्रतिबद्धताओं में व्यापक गतिशीलता साझेदारी (रेल, सड़क और पुल), नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाएँ और हाइड्रोजन-आधारित ऊर्जा समाधान शामिल हैं।
• भारतीय अवसंरचना में जापानी निजी और सार्वजनिक निवेश के और अवसर।
जन-जन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान: सांस्कृतिक और मानवीय संबंध इस साझेदारी का केंद्रीय तत्व बने हुए हैं।
• शिक्षा: भारतीय और जापानी विश्वविद्यालयों के बीच अब 665 से अधिक शैक्षणिक साझेदारियाँ हैं।
• स्किल कनेक्ट: 2023 में शुरू हुआ एक मंच, जो भारतीय युवाओं को जापानी नियोक्ताओं से जोड़ता है।
• पर्यटन: वर्ष 2023–24 को “पर्यटन आदान-प्रदान वर्ष – हिमालय से फूजी पर्वत तक” के रूप में मनाया गया।
• प्रवासी भारतीय: जापान में लगभग 54,000 भारतीय रहते हैं, जो मुख्यतः आईटी, इंजीनियरिंग और कुशल क्षेत्रों में कार्यरत हैं।
दारुमा डॉल के बारे में:
|
यात्रा का महत्व:
-
-
-
ऐसे समय में जब भारत के अमेरिका से संबंध नए शुल्कों के कारण तनावपूर्ण हैं, जापान का आर्थिक और कूटनीतिक सहयोग संतुलन प्रदान करता है।
-
भारत की ‘एक्ट ईस्ट नीति’ और ‘हिंद-प्रशांत महासागर पहल’ जापान के ‘मुक्त और खुले हिंद-प्रशांत (FOIP)’ दृष्टिकोण के अनुरूप हैं।
-
सेमीकंडक्टर और महत्वपूर्ण खनिजों में सहयोग आपूर्ति श्रृंखला की लचीलापन को मज़बूत करता है, जो आज की वैश्विक चिंता है।
- विस्तारित रक्षा और अंतरिक्ष सहयोग यह दर्शाते हैं कि भारत-जापान संबंध अब केवल आर्थिक दायरे से आगे बढ़कर रणनीतिक, प्रौद्योगिकी और सुरक्षा क्षेत्रों तक पहुँच चुके हैं।
-
-
निष्कर्ष:
प्रधानमंत्री मोदी की दो दिवसीय जापान यात्रा ठोस और प्रतीकात्मक दोनों थी। इसने प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, रक्षा और अवसंरचना जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में प्रगति दिलाई, साथ ही सांस्कृतिक और जन-जन संबंधों की केंद्रीय भूमिका को भी मज़बूत किया। इस यात्रा ने यह पुनः पुष्टि की है कि जापान केवल एक विश्वसनीय आर्थिक सहयोगी नहीं, बल्कि उसके हिंद-प्रशांत रणनीतिक दृष्टिकोण का एक प्रमुख स्तंभ है। नए निवेशों, उन्नत रक्षा संबंधों और आने वाले दशक के लिए स्पष्ट रोडमैप के साथ, इस यात्रा ने भारत-जापान साझेदारी को एक नए, भविष्य-उन्मुख चरण में पहुँचा दिया है।
मुख्य प्रश्न: |