संदर्भ:
भारत ने ब्रुसेल्स स्थित अंतर्राष्ट्रीय प्रशासनिक विज्ञान संस्थान (IIAS) की अध्यक्षता में एक नए अंतर्राष्ट्रीय शासन सूचकांक के निर्माण का प्रस्ताव रखा है। यह प्रस्ताव विभिन्न वैश्विक शासन और लोकतंत्र सूचकांकों में भारत के गिरते प्रदर्शन और उनकी कार्यप्रणाली, आँकड़ों के स्रोतों और पारदर्शिता को लेकर उसकी दीर्घकालिक चिंताओं की पृष्ठभूमि में आया है।
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- भारत ने ऑस्ट्रिया के खिलाफ चुनाव जीतने के बाद जून 2025 में पहली बार आईआईएएस की अध्यक्षता ग्रहण की। अपने तीन वर्ष के कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने पर, आईआईएएस ने भारत के नेतृत्व में हुई प्रगति पर प्रकाश डाला, जिसमें विश्व भर में शासन प्रणालियों का अधिक निष्पक्ष और अधिक प्रतिनिधि मूल्यांकन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एक अंतर्राष्ट्रीय शासन सूचकांक विकसित करने की दिशा में उठाए गए कदम भी शामिल हैं।
- भारत ने ऑस्ट्रिया के खिलाफ चुनाव जीतने के बाद जून 2025 में पहली बार आईआईएएस की अध्यक्षता ग्रहण की। अपने तीन वर्ष के कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने पर, आईआईएएस ने भारत के नेतृत्व में हुई प्रगति पर प्रकाश डाला, जिसमें विश्व भर में शासन प्रणालियों का अधिक निष्पक्ष और अधिक प्रतिनिधि मूल्यांकन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एक अंतर्राष्ट्रीय शासन सूचकांक विकसित करने की दिशा में उठाए गए कदम भी शामिल हैं।
इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ एडमिनिस्ट्रेटिव साइंसेज़ (IIAS) के बारे में:
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- इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ एडमिनिस्ट्रेटिव साइंसेज़ (IIAS) की स्थापना 1930 में हुई थी और इसका मुख्यालय ब्रुसेल्स, बेल्जियम में स्थित है। यह एक अंतर्राष्ट्रीय गैर-लाभकारी संगठन है, जो सार्वजनिक प्रशासन और शासन के क्षेत्र में अनुसंधान, संवाद और प्रशिक्षण को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है।
- वर्तमान में IIAS के 31 सदस्य देश हैं, जिनमें भारत, जापान, चीन, जर्मनी और सऊदी अरब शामिल हैं।
- यद्यपि यह संयुक्त राष्ट्र की कोई एजेंसी नहीं है, यह संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक मामलों के विभाग (UN DESA) तथा आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (OECD) जैसी संस्थाओं के साथ घनिष्ठ सहयोग करता है।
- यह विद्वानों, प्रशासकों और नीति-निर्माताओं के लिए शासन, नैतिकता और प्रशासनिक सुधारों पर विचार-विमर्श का एक वैश्विक मंच प्रदान करता है।
- भारत 1998 से प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (DARPG) के माध्यम से IIAS से जुड़ा हुआ है। 2025–2028 के कार्यकाल की अध्यक्षता भारत का इस संस्था में पहला नेतृत्वकारी अवसर है। अपनी अध्यक्षता के दौरान भारत का उद्देश्य “अधिकतम शासन, न्यूनतम सरकार” के सिद्धांत को बढ़ावा देना और विकसित तथा विकासशील देशों के बीच शासन सुधारों पर सहयोग को प्रोत्साहित करना है।
- इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ एडमिनिस्ट्रेटिव साइंसेज़ (IIAS) की स्थापना 1930 में हुई थी और इसका मुख्यालय ब्रुसेल्स, बेल्जियम में स्थित है। यह एक अंतर्राष्ट्रीय गैर-लाभकारी संगठन है, जो सार्वजनिक प्रशासन और शासन के क्षेत्र में अनुसंधान, संवाद और प्रशिक्षण को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है।
अंतर्राष्ट्रीय शासन सूचकांक (International Governance Index) के लिए भारत का प्रस्ताव:
भारत ने IIAS के अनुसंधान और विश्लेषणात्मक एजेंडे के हिस्से के रूप में एक नए अंतर्राष्ट्रीय शासन सूचकांक (IGI) के निर्माण का प्रस्ताव दिया है। इस प्रस्ताव का उद्देश्य पारदर्शी, साक्ष्य-आधारित और संदर्भ-संवेदनशील तरीकों का उपयोग करके शासन प्रदर्शन को मापने के लिए एक विश्व स्तर पर स्वीकृत ढाँचा विकसित करना है।
सितंबर 2025 में IIAS अनुसंधान सलाहकार समिति के साथ इस पहल को आगे बढ़ाने पर चर्चा की गई। विचार-विमर्श निम्नलिखित बिंदुओं पर केंद्रित रहे:
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- IIAS की वैज्ञानिक रणनीति को सशक्त बनाना, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय शासन सूचकांक और प्रवृत्ति विश्लेषण को एक मुख्य अनुसंधान गतिविधि के रूप में शामिल किया जाए।
- विश्व बैंक, OECD और UN DESA जैसी संस्थाओं के साथ सहयोग स्थापित करना, ताकि मौजूदा कार्यों का लाभ उठाया जा सके और पुनरावृत्ति से बचा जा सके।
- IIAS के भीतर एक समर्पित कार्य समूह का गठन करना, जो सूचकांक की कार्यप्रणाली को तैयार और परिष्कृत करेगा।
- 2026 में IIAS वार्षिक सम्मेलन में इस प्रस्ताव को चर्चा और अनुमोदन के लिए प्रस्तुत करना।
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यह अंतर्राष्ट्रीय शासन सूचकांक मात्रात्मक डेटा और गुणात्मक संस्थागत मूल्यांकन दोनों को संयोजित करेगा, जिससे शासन का एक समग्र और संतुलित मूल्यांकन उपकरण विकसित किया जा सकेगा।
भारत के लिए प्रस्ताव का महत्व:
भारत का यह प्रस्ताव असंतुलित वैश्विक शासन रैंकिंग्स का संतुलन स्थापित करने और अधिक वस्तुनिष्ठ, डेटा-आधारित मूल्यांकन प्रणालियों को बढ़ावा देने की दिशा में एक कदम है।
मौजूदा सूचकांकों को लेकर चिंताएँ:
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- वैरायटीज़ ऑफ डेमोक्रेसी (V-Dem) संस्थान ने 2017 से भारत को “चुनावी निरंकुशता” के रूप में वर्गीकृत किया है। 2025 की रिपोर्ट में, भारत 179 देशों में से 100वें स्थान पर रहा (डेनमार्क प्रथम रहा)।
- फ्रीडम इन द वर्ल्ड इंडेक्स और इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट (EIU) डेमोक्रेसी इंडेक्स ने भी अपनी नवीनतम रिपोर्टों में भारत की रैंकिंग घटाई है।
भारत की प्रतिक्रिया:
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- इन रैंकिंग्स की आलोचना इस आधार पर की गई है कि ये मुख्यतः विशेषज्ञों की धारणाओं पर आधारित हैं, न कि मापन योग्य आंकड़ों पर।
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC–PM) के 2022 के एक कार्य-पत्र ने V-Dem, Freedom in the World और EIU सूचकांकों की कार्यप्रणालियों का विश्लेषण किया और पाया कि:- भारत की रैंकिंग अक्सर 1970 के दशक के आपातकालीन काल जैसी दिखाई गई, जो भ्रामक थी।
- इन सूचकांकों में पारदर्शिता और जवाबदेही का अभाव था, बावजूद इसके कि ये वैश्विक जनमत और आर्थिक रेटिंग्स को प्रभावित करते हैं।
- परिषद ने सुझाव दिया कि भारतीय अनुसंधान संस्थान ऐसे तुलनात्मक सूचकांक विकसित करें जो शासन मानकों की पश्चिमी परिभाषा को चुनौती दें।
- इन रैंकिंग्स की आलोचना इस आधार पर की गई है कि ये मुख्यतः विशेषज्ञों की धारणाओं पर आधारित हैं, न कि मापन योग्य आंकड़ों पर।
विश्वव्यापी शासन सूचकांक (WGI) से संबंधित चिंताएँ:
भारत ने विश्व बैंक द्वारा प्रकाशित वर्ल्डवाइड गवर्नेंस इंडिकेटर्स (WGI) पर भी प्रश्न उठाए हैं, जो 200 से अधिक अर्थव्यवस्थाओं को कवर करते हैं। इन संकेतकों का व्यापक रूप से अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों द्वारा शासन की गुणवत्ता और आर्थिक जोखिम का आकलन करने में उपयोग किया जाता है।
शासन प्रदर्शन का मूल्यांकन छह मानकों पर करता है:
1. आवाज़ और जवाबदेही (Voice and Accountability)
2. राजनीतिक स्थिरता और हिंसा/आतंकवाद की अनुपस्थिति (Political Stability and Absence of Violence/Terrorism)
3. सरकारी प्रभावशीलता (Government Effectiveness)
4. विनियामक गुणवत्ता (Regulatory Quality)
5. कानून का शासन (Rule of Law)
6. भ्रष्टाचार पर नियंत्रण (Control of Corruption)
2023 की WGI रिपोर्ट में भारत की प्रतिशत रैंकिंग निम्नलिखित रही:
• आवाज़ और जवाबदेही – 51.47
• राजनीतिक स्थिरता और हिंसा की अनुपस्थिति – 21.33
• सरकारी प्रभावशीलता – 67.92
• विनियामक गुणवत्ता – 47.17
• कानून का शासन – 56.13
• भ्रष्टाचार पर नियंत्रण – 41.51
(नोट: शून्य न्यूनतम और 100 अधिकतम प्रतिशतक रैंक को दर्शाता है।)
भारतीय सरकार ने चिंता व्यक्त की है कि इन मानकों में से कई मुख्यतः विशेषज्ञों के व्यक्तिपरक आकलनों पर आधारित हैं, न कि जमीनी डेटा पर। भारत का तर्क है कि इन सूचकांकों को तैयार करने वाली संस्थाओं की स्थानीय उपस्थिति सीमित है और वे राष्ट्रीय संदर्भों को पूर्णतः नहीं समझ पातीं।
वैश्विक शासन सूचकांकों का उद्देश्य और प्रासंगिकता:
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- वैश्विक शासन सूचकांक शासन की गुणवत्ता, लोकतांत्रिक भागीदारी और संस्थागत प्रदर्शन को मापने का प्रयास करते हैं। इनके उद्देश्य हैं:
- नीति-निर्माताओं के लिए तुलनात्मक मानक प्रदान करना।
- सार्वजनिक संस्थानों में जवाबदेही और सुधार को प्रोत्साहित करना।
- निवेशकों और रेटिंग एजेंसियों को राजनीतिक और प्रशासनिक स्थिरता का मूल्यांकन करने में सहायता करना।
- वैश्विक शासन प्रवृत्तियों पर अकादमिक और नीति अनुसंधान के लिए आधार प्रदान करना।
- हालाँकि, इन सूचकांकों की आलोचना यह कहकर की जाती है कि इनकी कार्यप्रणाली अत्यधिक समान और पश्चिम-केंद्रित है। कई विकासशील देशों का तर्क है कि शासन को एक ही साँचे में नहीं आँका जा सकता, क्योंकि सामाजिक संरचनाएँ, विकास के चरण और प्रशासनिक परंपराएँ विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न होती हैं।
- वैश्विक शासन सूचकांक शासन की गुणवत्ता, लोकतांत्रिक भागीदारी और संस्थागत प्रदर्शन को मापने का प्रयास करते हैं। इनके उद्देश्य हैं:
भारत की पहल का महत्व:
1. वैश्विक विमर्श का संतुलन
भारत की यह पहल वैश्विक शासन मूल्यांकन की प्रक्रिया को लोकतांत्रिक बनाने और कुछ पश्चिमी संस्थानों पर निर्भरता को कम करने की दिशा में है।
2. संदर्भ-संवेदनशील मूल्यांकन का परिचय
प्रस्तावित सूचकांक शासन के विविध मॉडलों को मान्यता देगा, जिसमें क्षेत्रीय संदर्भों, नीतिगत प्राथमिकताओं और विकासात्मक चरणों को समायोजित किया जाएगा।
3. साक्ष्य-आधारित मूल्यांकन को बढ़ावा
यह सूचकांक मापनीय संकेतकों और सत्यापन योग्य आंकड़ों को प्राथमिकता देगा, जिससे शासन मूल्यांकन अधिक वस्तुनिष्ठ और पारदर्शी बनेगा।
4. दक्षिण-दक्षिण सहयोग को सुदृढ़ करना
IIAS में अपनी नेतृत्वकारी भूमिका के माध्यम से भारत विकासशील देशों के बीच साझेदारी को प्रोत्साहित कर एक अधिक समावेशी और प्रतिनिधिक वैश्विक मूल्यांकन प्रणाली स्थापित कर सकता है।
5. वैश्विक शासन विमर्श में भारत की भूमिका को सशक्त बनाना
ऐसी पहल का नेतृत्व भारत की अंतर्राष्ट्रीय नीति विश्वसनीयता को सुदृढ़ करेगा और इसे एक सुधारोन्मुख लोकतंत्र के रूप में स्थापित करेगा।
निष्कर्ष:
अंतर्राष्ट्रीय शासन सूचकांक को वैश्विक विश्वसनीयता प्राप्त करने के लिए, इसे पारदर्शी, अनुकरणीय और सहभागी पद्धति अपनाने की आवश्यकता होगी। विश्व बैंक, ओईसीडी और यूएन डीईएसए जैसे वैश्विक संगठनों के साथ सहयोग तुलनात्मकता सुनिश्चित करने में मदद कर सकता है, जबकि क्षेत्रीय और राष्ट्रीय संस्थानों के साथ व्यापक परामर्श वैधता को मजबूत कर सकता है।
UPSC/PSC मुख्य प्रश्न: "मौजूदा वैश्विक शासन सूचकांक अक्सर शासन की गुणवत्ता के वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन के बजाय पश्चिमी मानक पूर्वाग्रहों को दर्शाते हैं।" इस कथन का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए। |