संदर्भ:
हाल ही में प्रकाशित संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) की मानव विकास रिपोर्ट 2025 में स्पष्ट रूप से दर्शाया गया है कि भारत ने मानव विकास के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। वर्ष 2023 में भारत 193 देशों में से 130वें स्थान पर रहा, जो 2022 की तुलना में तीन स्थानों की सुधार (133वें से 130वें) को दर्शाता है। मानव विकास सूचकांक (HDI) में यह प्रगति जीवन प्रत्याशा, राष्ट्रीय आय और लैंगिक असमानता जैसे प्रमुख क्षेत्रों में सकारात्मक प्रवृत्तियों को दर्शाती है। हालांकि, असमानता और लैंगिक विकास जैसे क्षेत्रों में चुनौतियाँ अब भी बनी हुई हैं।
भारत में मानव विकास के प्रमुख मापदंड
1. मानव विकास सूचकांक (HDI)
वर्ष 2023 में भारत का HDI स्कोर 0.685 रहा, जो देश को "मध्यम मानव विकास" श्रेणी में रखता है। यद्यपि यह स्कोर अब भी उच्च मानव विकास की श्रेणी (0.700) से नीचे है, लेकिन 1990 के बाद से भारत के HDI में 53% से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है। यह उल्लेखनीय सुधार वैश्विक और दक्षिण एशियाई औसत से अधिक है, जिसका मुख्य कारण आर्थिक विकास और लक्षित सामाजिक सुरक्षा पहलों की सफलता है।
मानव विकास सूचकांक (HDI) तीन प्रमुख आयामों, स्वास्थ्य, शिक्षा और आय से मिलकर बना है। इन क्षेत्रों में भारत की प्रगति उल्लेखनीय रही है:
- जीवन प्रत्याशा: जन्म के समय जीवन प्रत्याशा 1990 में 58.6 वर्ष थी, जो 2023 में बढ़कर 72 वर्ष हो गई, जो कि सूचकांक के प्रारंभ से अब तक का उच्चतम स्तर है। यह वृद्धि राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों जैसे राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन, आयुष्मान भारत, और जननी सुरक्षा योजना की प्रभावशीलता का परिणाम है, जिन्होंने देशभर में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच में सुधार किया है।
- शिक्षा: भारत में अपेक्षित स्कूली शिक्षा वर्ष 2022 और 2023 दोनों में 13 वर्ष बनी रही। औसत स्कूली शिक्षा वर्ष 2022 में 6.6 वर्ष से बढ़कर 2023 में 6.9 वर्ष हो गया। ये आँकड़े शिक्षा अधिकार अधिनियम और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 जैसे शैक्षिक सुधारों के प्रभाव को दर्शाते हैं, हालांकि शिक्षा की गुणवत्ता अब भी एक चिंता का विषय है।
- आय: भारत की सकल राष्ट्रीय आय (GNI) प्रति व्यक्ति 2022 में $8,475 से बढ़कर 2023 में $9,047 हो गई, जो दीर्घकालिक वृद्धि की दिशा में संकेत करती है। यह वृद्धि मजबूत आर्थिक विकास, निवेशों में वृद्धि और मनरेगा तथा जनधन योजना जैसे समावेशी कार्यक्रमों के योगदान से संभव हुई है, जिन्होंने गरीबी में कमी में सहायता की है।
2. लैंगिक असमानता सूचकांक (GII)
भारत ने लैंगिक असमानता को कम करने में भी उल्लेखनीय प्रगति की है। वर्ष 2023 में भारत लैंगिक असमानता सूचकांक (GII) में 193 देशों में से 102वें स्थान पर रहा, जो 2022 में 108वें स्थान से एक महत्वपूर्ण सुधार है। हालांकि यह प्रगति को दर्शाता है, भारत का लैंगिक विकास सूचकांक (GDI) 2023 में 0.874 रहा, जो दर्शाता है कि भारत अब भी उन देशों के समूह (Group 5) में शामिल है, जहाँ लैंगिक अंतर अपेक्षाकृत अधिक है। महिलाओं के सशक्तिकरण पर सरकार का ध्यान, जैसे कि विधान मंडलों में महिलाओं के लिए एक-तिहाई आरक्षण का संवैधानिक संशोधन, भविष्य में और प्रगति की संभावनाएं दर्शाता है।
3. बहुआयामी गरीबी में कमी
2015-16 से 2019-21 के बीच लगभग 13.5 करोड़ भारतीय बहुआयामी गरीबी से बाहर निकले। यह उपलब्धि विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं और आर्थिक वृद्धि के कारण संभव हुई है, जो इंगित करता है कि भारत की सामाजिक सुरक्षा प्रणाली गरीबी से निपटने में प्रभावी रही है।
भारत द्वारा की गई प्रगति के बावजूद, UNDP रिपोर्ट कुछ चिंताजनक क्षेत्रों की ओर संकेत करती है:
- असमानता: भारत का HDI असमानता के कारण काफी हद तक प्रभावित होता है, रिपोर्ट के अनुसार असमानता के कारण HDI में 30.7% की हानि होती है, जो क्षेत्र में सबसे अधिक में से एक है। यद्यपि स्वास्थ्य और शिक्षा में सुधार हुआ है, लेकिन आय और लिंग के स्तर पर असमानताएँ अब भी महत्वपूर्ण हैं। महिलाओं की श्रम शक्ति में भागीदारी, राजनीतिक प्रतिनिधित्व और संसाधनों की पहुँच पुरुषों की तुलना में काफी पीछे है।
- लैंगिक विषमताएँ: यद्यपि भारत की GII रैंकिंग में सुधार हुआ है, समाज के कई पहलुओं में लैंगिक विषमताएँ अब भी बनी हुई हैं। महिलाओं की श्रम शक्ति भागीदारी की कम दर और सीमित राजनीतिक प्रतिनिधित्व यह स्पष्ट करते हैं कि इन असमानताओं से निपटने के लिए लक्षित नीतियों की आवश्यकता है।
अन्य देशों के साथ तुलना:
- भारत 130वें स्थान पर बांग्लादेश के साथ साझा करता है और दोनों देश "मध्यम मानव विकास" श्रेणी में आते हैं। अन्य पड़ोसी देशों जैसे नेपाल (145वां) और भूटान (125वां) भी इसी श्रेणी में आते हैं, जबकि पाकिस्तान (168वां) और अफगानिस्तान (181वां) को "निम्न मानव विकास" श्रेणी में रखा गया है। इसके विपरीत, चीन (78वां) और श्रीलंका (89वां) "उच्च मानव विकास" श्रेणी में बने हुए हैं, जो क्षेत्रीय विकास में व्यापक असमानता को दर्शाता है।
- वैश्विक स्तर पर, आइसलैंड 0.972 के HDI मान के साथ शीर्ष पर रहा, इसके बाद नॉर्वे और स्विट्जरलैंड का स्थान रहा। दक्षिण सूडान 0.388 के HDI मान के साथ सबसे नीचे रहा, जो दुनिया भर में विकास स्तरों में भारी अंतर को उजागर करता है।
वैश्विक संदर्भ: कृत्रिम बुद्धिमत्ता की भूमिका:
- मानव विकास रिपोर्ट 2025 में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के वैश्विक विकास पर प्रभाव की भी चर्चा की गई है। जबकि वैश्विक मानव विकास की प्रगति ठहरी हुई है, AI को प्रगति के लिए एक संभावित उत्प्रेरक के रूप में देखा जा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, 60% लोग AI के माध्यम से नई नौकरियों के अवसर उत्पन्न होने को लेकर आशावादी हैं। हालांकि, रिपोर्ट यह भी चेतावनी देती है कि यदि विकास के नए तरीकों को नहीं अपनाया गया, तो 2030 तक उच्च मानव विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने में गंभीर देरी हो सकती है।
- निम्न HDI वाले देशों और बहुत उच्च HDI वाले देशों के बीच असमानता बढ़ रही है, जिससे दीर्घकालिक समरूपता (convergence) की प्रवृत्ति पलट रही है।
- UNDP के प्रशासक अचिम स्टेनर ने चेतावनी दी कि वर्तमान प्रगति की धीमी गति वैश्विक विकास के लिए खतरा है, जिससे दुनिया आर्थिक और पारिस्थितिकीय झटकों के प्रति अधिक संवेदनशील हो रही है। उन्होंने आगे की हानियों को रोकने के लिए विकास पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
निष्कर्ष:
भारत की मानव विकास सूचकांक में प्रगति जीवन प्रत्याशा, शिक्षा और राष्ट्रीय आय में सुधार को दर्शाती है। हालांकि, लैंगिक असमानता, आय असमानता, और बहुआयामी गरीबी से संबंधित चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं। जैसे-जैसे देश उच्च मानव विकास के करीब पहुंच रहा है, सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों में निरंतर निवेश और विशेष रूप से वंचित समूहों के लिए लक्षित हस्तक्षेप आवश्यक होंगे।
वैश्विक स्तर पर ठहरी हुई मानव विकास की स्थिति इस तथ्य को रेखांकित करती है कि नवोन्मेषी समाधानों की तत्काल आवश्यकता है जिसमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों का उपयोग शामिल है ताकि वैश्विक मानव विकास की प्रगति को फिर से गति दी जा सके। भारत का अनुभव यह दर्शाता है कि यद्यपि महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल हुई हैं, लेकिन विकास को सभी वर्गों के लिए समावेशी और न्यायसंगत बनाना अब भी एक लंबी प्रक्रिया है।
मुख्य प्रश्न: UNDP की मानव विकास रिपोर्ट 2025 के अनुसार, भारत द्वारा मानव विकास सूचकांक (HDI) के संदर्भ में की गई प्रगति की समालोचनात्मक समीक्षा कीजिए। मानव विकास सूचकांक (HDI) में सुधार में योगदान देने वाले प्रमुख कारकों की चर्चा कीजिए तथा उच्च मानव विकास प्राप्त करने में अभी भी बनी हुई चुनौतियों को रेखांकित कीजिए। |