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Daily-current-affairs / 12 May 2025

पाकिस्तान-तुर्की गठबंधन और भारत पर इसके प्रभाव

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संदर्भ:

हाल ही में पाकिस्तान द्वारा भारत के पश्चिमी सीमा पर किए गए कथित ड्रोन हमले, जिसमें तुर्की निर्मित ड्रोन का उपयोग किया गया, ने इस्लामाबाद और अंकारा के बीच बढ़ते सैन्य और भू-राजनीतिक संबंधों को लेकर चिंता बढ़ा दी है। यह घटना दोनों देशों के बहुआयामी रिश्तों को उजागर करती है, जो साझा विचारधारा, ऐतिहासिक सहयोग और रणनीतिक हितों पर आधारित हैं और भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिति पर इसके प्रभाव को दर्शाती है।

तुर्की-पाकिस्तान सैन्य गठजोड़:

पाकिस्तान और तुर्की के रिश्ते साझा इस्लामी पहचान और सैन्य व कूटनीतिक सहयोग के इतिहास पर आधारित हैं। शीत युद्ध के समय दोनों देश सेंटो (CENTO) और क्षेत्रीय विकास सहयोग संगठन (RCD) जैसे समूहों का हिस्सा थे, जिससे सुरक्षा और आर्थिक क्षेत्रों में द्विपक्षीय व त्रिपक्षीय संबंधों को बल मिला।
यह संबंध रजब तैयब एर्दोआन के नेतृत्व में और अधिक मजबूत हुआ, जिनकी राजनीतिक इस्लामी विचारधारा पाकिस्तान की रणनीतिक सोच से मेल खाती है। एर्दोआन ने 2003 के बाद से पाकिस्तान की कम से कम 10 बार यात्रा की है और पाकिस्तान-तुर्की उच्च स्तरीय रणनीतिक सहयोग परिषद जैसी बैठकों की सह-अध्यक्षता की है, जो इन संबंधों की संस्थागत गहराई को दर्शाती है।

बढ़ता रक्षा सहयोग और हथियार व्यापार:

हाल के वर्षों में तुर्की और पाकिस्तान के बीच रक्षा संबंध इस साझेदारी का मुख्य आधार बन गए हैं। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के अनुसार, 2015–2019 और 2020–2024 के बीच तुर्की के हथियार निर्यात में 103% की वृद्धि हुई। 2020 तक तुर्की, चीन के बाद पाकिस्तान का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता बन गया।

तुर्की-पाकिस्तान रक्षा सहयोग की प्रमुख पहलें:

  • संयुक्त अभ्यास और तकनीकी स्थानांतरण: दोनों देशों ने रक्षा सहयोग को संस्थागत तंत्र, संयुक्त सैन्य अभ्यासों और प्रमुख रक्षा सौदों के माध्यम से व्यापक बनाया है।
    • पाकिस्तान ने तुर्की से Bayraktar TB-2 ड्रोन, Kemankes क्रूज़ मिसाइलें और Asisguard Songar सशस्त्र ड्रोन प्राप्त किए हैं।
    • 2018 में $1 बिलियन के सौदे के तहत तुर्की की STM रक्षा कंपनी से चार नए श्रेणी के कॉर्वेट खरीदे गए, जबकि तुर्की की कंपनियाँ पाकिस्तान की Agosta 90B पनडुब्बियों को अपग्रेड कर रही हैं, जो पहले फ्रांस से प्राप्त हुई थीं।
  • सहयोगी प्लेटफ़ॉर्म: अगस्त 2023 में शुरू किए गए पाकिस्तान के राष्ट्रीय एयरोस्पेस विज्ञान और प्रौद्योगिकी पार्क (NASTP) ने तुर्की की ड्रोन निर्माता कंपनी Baykar के साथ अनुसंधान और विकास सहयोग शुरू किया है।
  • खरीद रिकॉर्ड: सिपरी (SIPRI) के अनुसार, पाकिस्तान ने 2022 में तुर्की से तीन Bayraktar TB-2 सशस्त्र ड्रोन प्राप्त किए।
  • फाइटर जेट सहयोग: पाकिस्तानी वायु सेना को तुर्की एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज़ से F-16 विमानों की मरम्मत और उन्नयन सेवाएं मिल रही हैं।

भारत के लिए भू-राजनीतिक प्रभाव:

तुर्की का कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के लिए समर्थन लंबे समय से भारत को परेशान करता रहा है। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर तुर्की के रुख प्रायः पाकिस्तान की कथा के अनुरूप होते हैं। उदाहरण के लिए, फरवरी 2025 में एर्दोआन ने "कश्मीरी भाइयों" के साथ एकजुटता जताई, जिस पर नई दिल्ली ने कड़ा राजनयिक विरोध दर्ज किया।

भारत ने पाकिस्तान-तुर्की गठजोड़ के जवाब में कुछ रणनीतिक कदम उठाए हैं:

1.        साइप्रस और ग्रीस को समर्थन: भारत का ग्रीस समर्थित साइप्रस गणराज्य के साथ संबंध तुर्की के उत्तरी साइप्रस के समर्थन से विपरीत है। ग्रीस, बदले में, भारत के कश्मीर रुख का समर्थन करता है।

2.      अर्मेनिया के साथ रणनीतिक साझेदारी: भारत अब अर्मेनिया का सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता बन गया है, जिससे उसने रूस को पीछे छोड़ दिया। यह भारत की पाकिस्तान-तुर्की-अज़रबैजान धुरी के विरुद्ध रणनीति है, विशेष रूप से पाकिस्तान द्वारा बाकू को $1.6 बिलियन के फाइटर जेट सौदे के बाद।

3.      मध्य पूर्व में भागीदारी: भारत ने सऊदी अरब और यूएई जैसे पारंपरिक पाकिस्तानी सहयोगियों के साथ गहरे संबंध बनाए हैं। इन खाड़ी देशों ने कश्मीर पर पाकिस्तान के रुख से दूरी बना ली है, जबकि तुर्की अब भी इसका समर्थन करता है।

4.     IMEC में तुर्की को शामिल न करना: इंडिया-मिडल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर (IMEC) में तुर्की को शामिल न करके भारत ने उसकी पारंपरिक एशिया-यूरोप सेतु भूमिका को कमजोर किया है। इसके जवाब में अंकारा ने "इराक डेवलपमेंट रोड" परियोजना का प्रस्ताव दिया है।

 

हाल की घटना: ड्रोन युद्ध और रणनीतिक प्रभाव:

  • भारत ने हाल ही में पाकिस्तान द्वारा किए गए एक समन्वित ड्रोन हमले को विफल किया, जिसमें 36 स्थानों को निशाना बनाया गया था और 300 से अधिक तुर्की मूल के ड्रोन का उपयोग किया गया था। प्रारंभिक फोरेंसिक विश्लेषण में इन ड्रोन की पहचान असिसगार्ड सोंगर (Asisguard Songar) मॉडल के रूप में की गई है, जो गुप्त खरीद या ट्रांसफर की संभावनाओं की ओर इशारा करता है।
  • मई को कराची बंदरगाह के पास तुर्की के Ada-क्लास एंटी-सबमरीन कॉर्वेट की उपस्थिति और 27 अप्रैल को पाकिस्तान में C-130 हरक्यूलिस सैन्य परिवहन विमान की आमद ने तुर्की द्वारा पाकिस्तान की सैन्य क्षमताओं को समर्थन देने के संदेह को और बल दिया है।
  • हालांकि तुर्की ने इन घटनाओं को हथियार आपूर्ति मानने से इनकार किया है, परंतु यह घटनाक्रम पाकिस्तान को सैन्य सहायता देने की उसकी व्यापक नीति के अनुरूप प्रतीत होता है।

सोंगर (Songar) ड्रोन सिस्टम:

सोंगर (Songar) ड्रोन तुर्की का पहला घरेलू रूप से विकसित सशस्त्र ड्रोन है, जिसे कम तीव्रता वाले संघर्षों में सहायता के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह तुर्की सशस्त्र बलों (TAF) में कार्यरत है और अब पाकिस्तान के रक्षा उपकरणों का हिस्सा बन चुका है।

सोंगर (Songar) ड्रोन की मुख्य विशेषताएं:

  • आकार और पेलोड: रोटर की चौड़ाई 145 सेमी, ऊंचाई 70 सेमी, और अधिकतम टेक-ऑफ वज़न 45 किलोग्राम।
  • गोला-बारूद: NATO मानक की 5.56x45mm मशीन गन से लैस, जो 200 राउंड तक की क्षमता रखती है। यह एकल शॉट और 15 राउंड बर्स्ट मोड दोनों में फायर कर सकती है।
  • नेविगेशन और संचार: GPS और GLONASS नेविगेशन सिस्टम पर आधारित। इसमें रियल-टाइम वीडियो ट्रांसमिशन, वीडियो रिकॉर्डिंग और मिशन के बाद विश्लेषण की सुविधा है।
  • कैमरा और सेंसर: दो कैमरे लगे होते हैं, एक 10x ज़ूम वाला पायलट कैमरा और एक गन-माउंटेड कैमरा। इसके अलावा इसमें इन्फ्रारेड नाइट सेंसर भी हैं, जिससे 10 किमी की दूरी तक रात में भी संचालन संभव है।
  • ऑपरेशनल रेंज: अधिकतम संचार रेंज 3 किमी, अधिकतम ऊंचाई 2,800 मीटर और 200 मीटर की दूरी पर 15 सेमी की सटीकता के साथ हमला करने की क्षमता।

SONGAR Armed Drone System, Turkey

बड़े रणनीतिक बदलाव:

भारत और पाकिस्तान अब विभिन्न वैश्विक गुटों के साथ जुड़ते जा रहे हैं। अमेरिका, जो कभी पाकिस्तान का प्रमुख सहयोगी था, अब इंडो-पैसिफिक रणनीति के माध्यम से भारत की ओर स्पष्ट रूप से झुक गया है, जबकि पाकिस्तान का उसमें कोई उल्लेख नहीं है। इसके विपरीत, भारत को अमेरिका की रणनीतिक योजनाओं में एक प्रमुख क्षेत्रीय स्तंभ के रूप में देखा जा रहा है।
साथ ही, तुर्की का बढ़ता सैन्यवाद और भारत के प्रति शत्रुतापूर्ण रुख, यहां तक कि 2023 में तुर्की में आए भूकंप के दौरान भारत द्वारा की गई मानवीय सहायता के बावजूद इसकी पाकिस्तान के साथ गहरी साझेदारी को दर्शाता है।

निष्कर्ष:

तुर्की और पाकिस्तान की रणनीतिक साझेदारी, जो मजबूत सैन्य सहयोग, साझा विचारधारा और भू-राजनीतिक समन्वय पर आधारित है, भारत की क्षेत्रीय सुरक्षा और हितों के लिए दीर्घकालिक चुनौती बनती जा रही है। भारत की प्रतिक्रिया, जैसे पूर्वी भूमध्यसागर में साझेदारी, अर्मेनिया के साथ रक्षा कूटनीति, और रणनीतिक आर्थिक गलियारों का निर्माण, एक संतुलित प्रतिउत्तर की ओर इशारा करती है। आगे बढ़ते हुए, भारत की कूटनीति को लचीली, बहुआयामी और उन क्षेत्रीय व वैश्विक साझेदारों के साथ मजबूत करनी होगी जो एक स्थिर, नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के प्रति प्रतिबद्ध हैं।

मुख्य प्रश्न: किस प्रकार भारत की ग्रीस, अर्मेनिया और मध्य पूर्वी देशों के साथ साझेदारी तुर्की-पाकिस्तान धुरी के लिए एक रणनीतिक संतुलन का कार्य करती है। चर्चा करें।