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Daily-current-affairs / 25 Apr 2024

भारत की इलेक्ट्रिक वाहन उत्पादन को बढ़ावा देने की रणनीति- डेली न्यूज़ एनालिसिस

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संदर्भ

मार्च 2024 में, भारत सरकार ने एक व्यापक नीति को मंजूरी दी है जिसका उद्देश्य देश को इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के लिए एक प्रमुख विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करना है। इस नीतिगत पहल का उद्देश्य ₹4,150 करोड़ के न्यूनतम निवेश के लक्ष्य के साथ टेस्ला और BYD जैसी वैश्विक ईवी निर्माता कंपनिओं को भारतीय बाजार में आकर्षित करना है। इस नीति का मुख्य उद्देश्य घरेलू बाजार की मांगों और स्थितियों के अनुरूप आर्थिक रूप से टिकाऊ तरीके से स्थानीयकृत ईवी उत्पादन की ओर बदलाव को सुविधाजनक बनाना है।

नीति के मुख्य प्रावधान

  • नीति के महत्वपूर्ण प्रावधानों में से एक  पूरी तरह से निर्मित इकाइयों (सीबीयू) के रूप में भारत में लाए गए इलेक्ट्रिक वाहनों पर आयात शुल्क में उल्लेखनीय कमी करना है, जिसका न्यूनतम सीआईएफ (मूल्य, बीमा और भाड़ा) मूल्य $35,000 है।
  • ये शुल्क मौजूदा 70% से 100% तक की ऊंची दरों से घटकर अगले पांच वर्षों में 15% तक कम हो जाएगा।
  • हालांकि, इसका लाभ उठाने के लिए, निर्माताओं को भारतीय बाजार में प्रवेश करने के तीन वर्षों के भीतर स्थानीय विनिर्माण सुविधाओं की स्थापना करना आवश्यक है।
  • नीति कुछ शर्तों के अधीन, निर्माताओं द्वारा किए गए निवेश से जुड़ी ₹6,484 करोड़ या आनुपातिक राशि के बराबर शुल्क छूट का प्रस्ताव पेश करती है।
  • गौरतलतलब है कि इस योजना के तहत आयात किए जा सकने वाले ईवी की संख्या पर एक सीमा निर्धारित की गई है, जो $800 मिलियन के न्यूनतम निवेश के साथ 40,000 इकाइयों और 8,000 इकाइयों की वार्षिक सीमा तक सीमित है।
  • यह टेस्ला और BYD जैसी वैश्विक ईवी निर्माताओं को भारतीय बाजार में आकर्षित करने के लिए एक रणनीतिक कदम है।

घरेलू कंपनियों की प्रतिक्रियाएँ

इस नीति के प्रति घरेलू कंपनियों की प्रतिक्रिया मिलीजुली रही है। उदाहरण के लिए, टाटा मोटर्स ने आयात शुल्क कम करने के प्रस्ताव पर चिंता व्यक्त की, खासकर घरेलू उद्योग पर इसके पड़ने वाले संभावित प्रतिकूल प्रभाव के संबंध में स्पष्ट चिंता व्यक्त किइ है। उन्होंने तर्क दिया, कि इस तरह के उपाय स्थानीय निर्माताओं के लिए निवेश के माहौल को कमजोर कर सकते हैं।

रिपोर्टों में बताया गया है कि अधिकांश भारतीय कंपनियां वर्तमान में ₹29 लाख से कम कीमत वाले सेगमेंट में कार्यरत हैं। इसलिए, आयात शुल्क में कमी, जो मुख्य रूप से उच्च-स्तरीय सेगमेंट को लाभान्वित करती है, वैश्विक ओईएम और भारतीय संयुक्त उद्यमों के लिए अधिक फायदेमंद प्रतीत होती है , यह धनी उपभोक्ताओं को अधिक लक्षित करता है।

इलेक्ट्रिक वाहन अपनाने के समक्ष चुनौतियाँ और अवसर

नीतिगत प्रोत्साहनों के बावजूद, भारत में इलेक्ट्रिक वाहन अपनाने को लेकर कई चुनौतियां बनी हुई हैं। चिंता का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र इलेक्ट्रिक यात्री वाहनों की सीमित उपलब्धता है, जो बाजार का केवल 2.2 हिस्सा है। हालांकि दोपहिया और तिपहिया वाहनों में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की संख्या अधिक है।

सरकारी नीति द्वारा बढ़ावा देने के बावजूद ये गाड़ियाँ उतनी तेजी से लोकप्रिय नहीं हो पा रहीं।  इसके कई कारण है जैसे चार्जिंग स्टेशन की कमी, गाड़ी कितनी दूर तक चलेगी ये चिंता (रेंज एंग्जाइटी), और सस्ती इलेक्ट्रिक गाड़ियों की कमी।  उपर्युक्त कमी का कारण यह है कि भारत में अभी तक इलेक्ट्रिक गाड़ियों के पुर्जों को बनाने पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया है।

भारत में इलेक्ट्रिक वाहन को बढ़ावा देने की चुनौतियाँ और समाधान

विद्युत वाहनों की गतिशीलता को बढ़ावा देने के लिए बहुआयामी रणनीति अपनाना आवश्यक है। भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) ने व्यापक चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर नेटवर्क की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित किया है। CII ने 2030 तक कम से कम 13 लाख चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने का लक्ष्य रखा है ताकि इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाया जा सके।

स्थानीय परिस्थितियाँ और बाज़ार की वास्तविकता

टेरी (TERI) के अनुसार वैश्विक कंपनियों को भारत में आने पर स्थानीय परिस्थितियों और बाजार को ध्यान में रखना चाहिए। पर्यावरण की स्थिति, सड़कें, वाहन चलाने के तरीके और वाहन उपयोग जैसे कारक इलेक्ट्रिक वाहनों की सफलता में अहम भूमिका निभाते हैं।

इंस्टीट्यूट फॉर स्टडीज इन इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट (ISID) का कहना है कि एक मजबूत इलेक्ट्रिक वाहन पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करना महत्वपूर्ण है। इससे पुर्जों की विश्वसनीयता, टिकाऊपन और बेहतर सर्विस सपोर्ट मिलेगा। साथ ही, घरेलू मांग के आधार पर उत्पाद और प्रणाली को टिकाऊ बनाने की जरूरत है। इससे भविष्य में निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।

निष्कर्ष

भारत इलेक्ट्रिक वाहन उत्पादन बढ़ाने के लिए नीतिगत बदलाव कर रहा है। यह टिकाऊ परिवहन को अपनाने की दिशा में एक रणनीतिक कदम है। लेकिन बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने के लिए कई चुनौतियों से पार पाना होगा, जिसमें इंफ्रास्क्ट्रक्चर की कमी और स्थानीयकरण शामिल है। वैश्विक विशेषज्ञता और स्थानीय परिस्थितियों के अनुकूलन के माध्यम से भारत एक मजबूत और टिकाऊ इलेक्ट्रिक वाहन पारिस्थितिकी तंत्र बना सकता है जो उसके विकास के लक्ष्यों और सामाजिक जरूरतों के अनुकूल हो।

यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न

1.    किस प्रकार हाल की भारतीय नीतिगत पहलों का उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) उत्पादन को बढ़ावा देना है जो टेस्ला और बीवाईडी जैसे वैश्विक निर्माताओं को आकर्षित कर रहे हैं? भारतीय ईवी उद्योग पर स्थानीय विनिर्माण के लिए कम आयात शुल्क और आवश्यकताओं के प्रभाव का विश्लेषण करें। भारत में ईवी अपनाने को बढ़ाने में चुनौतियों और अवसरों पर चर्चा करें। (10 Marks, 150 Words)

2.    में टिकाऊ गतिशीलता को व्यापक रूप से अपनाने के लिए एक मजबूत इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करना क्यों महत्वपूर्ण है? यात्री वाहन बाजार में ईवी की पैठ में बाधा डालने वाली प्रमुख चुनौतियों पर प्रकाश डालें और चार्जिंग बुनियादी ढांचे और स्थानीयकरण की जरूरतों जैसे कारकों पर विचार करते हुए समाधान का सुझाव दें। (15 Marks, 250 Words)

Source- The Hindu

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