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Daily-current-affairs / 29 Sep 2025

भारत–EU रणनीतिक साझेदारी: इंडो-पैसिफिक विविधीकरण | Dhyeya IAS

भारत–EU रणनीतिक साझेदारी: इंडो-पैसिफिक विविधीकरण | Dhyeya IAS

परिचय:

वैश्विक समीकरणों के बदलते दौर में भारत और यूरोपीय संघ (EU) के संबंधों ने नई प्रासंगिकता प्राप्त की है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में अमेरिकी विदेश नीति की अनिश्चितताओं ने स्थायी साझेदारी की आवश्यकता को रेखांकित किया और यूरोप स्वयं को भारत का विश्वसनीय, सर्वकालिक साझेदार के रूप में स्थापित कर रहा है।

    • आगामी भारत यूरोपीय संघ नेताओं का शिखर सम्मेलन, जो फरवरी 2026 में आयोजित होने वाला है, इस बढ़ते जुड़ाव को और सुदृढ़ करने की अपेक्षा है। तैयारी के अंतर्गत, दोनों पक्ष विभिन्न क्षेत्रों में साप्ताहिक चर्चाएँ कर रहे हैं। शिखर सम्मेलन से पूर्व यूरोपीय संघ ने भारत यूरोपीय संघ संबंधों के लिए एक नया रणनीतिक एजेंडा प्रस्तुत किया है, जो पाँच स्तंभों पर आधारित है: अर्थव्यवस्था और व्यापार, संपर्क, उभरती प्रौद्योगिकियाँ, सुरक्षा एवं रक्षा, तथा जन-से-जन संबंध। 

स्तंभ 1: अर्थव्यवस्था और व्यापार

      • यूरोपीय संघ, भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और भारत, यूरोपीय संघ का वैश्विक दक्षिण में सबसे बड़ा साझेदार है।
      • वस्तुओं का द्विपक्षीय व्यापार 2024 में €120 अरब तक पहुँचा, जो एक दशक पूर्व की तुलना में लगभग 90% अधिक है।
      • सेवाओं का व्यापार €60 अरब अतिरिक्त जोड़ता है।
      • लगभग 6,000 यूरोपीय कंपनियाँ भारत में संचालित हैं, जो सीधे 30 लाख लोगों को रोजगार देती हैं और अप्रत्यक्ष रूप से करोड़ों को समर्थन करती हैं।
      • भारत में EU का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) 2023 में €140 अरब तक पहुँचा, जो पाँच वर्ष पूर्व की तुलना में लगभग दोगुना है।

हालाँकि, भारत EU के कुल व्यापार में अब भी 2.5% से कम का योगदान देता है, और EU में भारतीय निवेश €10 अरब तक सीमित है।

भविष्य की योजनाएँ

      • 2025 के अंत तक एक मुक्त व्यापार समझौता (FTA) संपन्न करना, जो वैश्विक स्तर पर सबसे बड़े व्यापार समझौतों में से एक होगा।
      • निवेश संरक्षण समझौता (IPA), भौगोलिक संकेतक (GI) समझौता, द्विपक्षीय व्यापक आर्थिक संवाद, और व्यापक वायु परिवहन समझौता अंतिम रूप देना।
      • शुल्क और गैर-शुल्क अवरोधों को घटाकर आपूर्ति श्रृंखलाओं और निवेश प्रवाह का विस्तार करना।

स्तंभ 2: संपर्क और वैश्विक मुद्दे

यूरोपीय संघ की ग्लोबल गेटवे पहल ऊर्जा, डिजिटल और परिवहन परियोजनाओं के लिए €300 अरब की प्रतिबद्धता रखती है। भारत ने महासागर (Mutual and Holistic Advancement for Security and Growth) को आगे बढ़ाया है।

मुख्य परियोजनाएँ

      • भारतमध्य पूर्वयूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC): ऐतिहासिक व्यापार मार्गों को पुनर्जीवित करता है, जिसमें समुद्री, रेल, ऊर्जा, डिजिटल और स्वच्छ हाइड्रोजन अवसंरचना का एकीकृत तंत्र शामिल है।
      • यूरोपीय संघ अफ्रीकाभारत डिजिटल गलियारा: 11,700 किमी लंबी ब्लू रमन सबमरीन केबल प्रणाली को सम्मिलित करता है, जो यूरोप और भारत को भूमध्यसागर, मध्य पूर्व और पूर्वी अफ्रीका से जोड़ती है। यह अल्ट्रा-हाई-स्पीड, सुरक्षित एवं आपदा-प्रतिरोधी डेटा कनेक्टिविटी प्रदान करती है।
      • ग्रीन शिपिंग कॉरिडोर: सतत समुद्री संपर्क को बढ़ावा देते हैं और कार्बन-गहन व्यापार मार्गों को कम करते हैं।

बहुपक्षीय भूमिका
दोनों पक्ष तीसरे देशों के साथ त्रिपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देना चाहते हैं और अंतरराष्ट्रीय कानून एवं नियम-आधारित व्यवस्था को बनाए रखने हेतु वैश्विक शासन मंचों में मजबूत भागीदारी सुनिश्चित करना चाहते हैं।

स्तंभ 3: उभरती प्रौद्योगिकियाँ और नवाचार

यूरोपीय संघ, उन्नत शोध सुविधाएँ, विनियमन तथा हरित/डिजिटल विशेषज्ञता प्रदान करता है, जबकि भारत कुशल कार्यबल, डेटासेट, डिजिटल अर्थव्यवस्था, स्टार्टअप्स और किफ़ायती नवाचार लाता है।

प्रस्ताव एवं पहलें

      • महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों पर यूरोपीय संघभारत नवाचार केंद्र स्थापित करना, जो नीति निर्माताओं, उद्योगों, स्टार्टअप्स और निवेशकों को जोड़ें।
      • यूरोपीय संघ भारत स्टार्टअप साझेदारी की शुरुआत, जिसमें स्टार्टअप इंडिया, यूरोपीय नवाचार परिषद और सदस्य देश सम्मिलित हों।
      • कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) पर ध्यान केंद्रित:
        • बड़े भाषा मॉडल
        • बहुभाषी प्राकृतिक भाषा डेटासेट
        • AI प्रशिक्षण डेटासेट
        • स्वास्थ्य, कृषि और जलवायु कार्रवाई हेतु AI का उपयोग
      • संवेदनशील प्रौद्योगिकियों के अनधिकृत हस्तांतरण या दुरुपयोग को रोकने हेतु उपाय विकसित करना, ताकि जिम्मेदार नवाचार सुनिश्चित हो।
      • युरेटॉमभारत समझौते के अंतर्गत परमाणु सहयोग का विस्तार, जिसमें परमाणु रिएक्टर सुरक्षा, अपशिष्ट प्रबंधन, परमाणु सुरक्षा और परमाणु संलयन सम्मिलित हैं।

India and the European Union

स्तंभ 4: सुरक्षा और रक्षा

जून 2025 में विदेश और सुरक्षा नीति पर रणनीतिक संवाद की शुरुआत के साथ सुरक्षा सहयोग ने गति पकड़ी है।

सहयोग के क्षेत्र

      • समुद्री सुरक्षा, साइबर सुरक्षा, आतंकवाद-रोधी प्रयास और अप्रसार।
      • गोपनीय जानकारी विनिमय सक्षम करने हेतु सुरक्षा सूचना समझौते पर वार्ता।
      • संभावित यूरोपीय संघभारत सुरक्षा और रक्षा साझेदारी।
      • पश्चिमी हिंद महासागर में यूरोपीय संघ नौसैनिक बल और भारतीय नौसेना के बीच समन्वय।
      • आतंकवाद, आतंक वित्तपोषण, ऑनलाइन प्रचार और मादक पदार्थों की तस्करी के विरुद्ध संयुक्त प्रयास।

रक्षा औद्योगिक सहयोग

      • यूरोप की शोध एवं विनिर्माण विशेषज्ञता के माध्यम से भारत के रक्षा आधार को सुदृढ़ करना।
      • मेक इन इंडिया के अंतर्गत नवाचार और लचीली आपूर्ति श्रृंखलाओं को बढ़ावा देना।
      • व्यवसायों को जोड़ने, सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने और प्रौद्योगिकियों के सह-विकास हेतु यूरोपीय संघभारत रक्षा उद्योग मंच का प्रस्ताव।

स्तंभ 5: जन-से-जन संबंध

      • 2023 में लगभग 8.25 लाख भारतीय यूरोपीय संघ में निवासरत थे, जो ब्लू कार्ड और इंट्रा-कार्पोरेट ट्रांसफर परमिट प्राप्त करने वाला सबसे बड़ा समूह है।
      • 2024 में भारत में लगभग दस लाख शेंगेन वीज़ा जारी किए गए, जिनमें से अनेक बहु-प्रवेशीय थे।

प्राथमिकताएँ

      • अवैध प्रवाह को रोकते हुए संतुलित प्रतिभा गतिशीलता को बढ़ावा देकर प्रवास का प्रबंधन करना।
      • एरास्मस और यूनियन ऑफ स्किल्स के माध्यम से शैक्षणिक और शोध आदान-प्रदान का विस्तार।
      • योग्यता की पारस्परिक मान्यता और संयुक्त कार्यक्रमों की दिशा में कार्य करना, जिससे यूरोपीय विश्वविद्यालय भारतीय प्रतिभाओं को आकर्षित कर सकें।
      • संयुक्त व्यावसायिक शिक्षा पहल, उपग्रह परिसर और भारत में भाषा प्रशिक्षण की स्थापना।

भारत यूरोपीय संघ संबंधों का महत्व:

      • राजनयिक इतिहास: संबंध 1962 में यूरोपीय आर्थिक समुदाय से शुरू हुए; 2004 में रणनीतिक साझेदारी में परिवर्तित हुए।
      • व्यापारिक साझेदारी: यूरोपीय संघ भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, जो भारत के 11.5% व्यापार (€120 अरब) के लिए उत्तरदायी है।
      • रणनीतिक संरेखण: नवीकरणीय ऊर्जा, बहुपक्षवाद, समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद-रोधी उपाय और मानवाधिकारों में साझा हित।
      • प्रौद्योगिकी और आपूर्ति श्रृंखला: अर्धचालक, एआई, स्वच्छ ऊर्जा और डिजिटल वित्त में भारत–EU व्यापार एवं प्रौद्योगिकी परिषद (TTC) के माध्यम से सहयोग।
      • वैश्विक शासन: दोनों संयुक्त राष्ट्र, WTO और G20 में नियम-आधारित व्यवस्था का समर्थन करते हैं, और चीन पर निर्भरता से परे विविधीकरण का प्रयास करते हैं।

भारत के लिए महत्व

      • यूरोपीय संघ भारत का नौवाँ सबसे बड़ा साझेदार है (2024 में यूरोपीय संघ व्यापार का 2.4%)
      • अप्रैल 2000–दिसंबर 2023 के बीच भारत में यूरोपीय संघ से विदेशी निवेश (FDI) प्रवाह USD 107.27 अरब रहा।
      • यह भारत की औद्योगिक वृद्धि, रोजगार सृजन और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को बढ़ावा देता है।
      • आईटी, दवा, वस्त्र और कृषि में भारत के निर्यात अवसरों का विस्तार करता है।
      • यूरोपीय रक्षा कंपनियाँ भारतीय आधुनिकीकरण परियोजनाओं (जैसे एयरबस C-295 विमान उत्पादन) का समर्थन करती हैं।
      • ट्रेड एंड टेक्नोलॉजी काउंसिल (TTC) सहयोग अर्धचालक, AI, स्वच्छ ऊर्जा, फिनटेक और डिजिटल भुगतान में भारत की बढ़त को सुदृढ़ करता है।

यूरोपीय संघ के लिए महत्व

      • भारत के विशाल और बढ़ते बाजार तक पहुँच।
      • भारत के युवा और कुशल कार्यबल से लाभ, जो यूरोप की प्रतिभा-शक्ति को समृद्ध करता है।
      • वैश्विक दक्षिण में प्रभाव सुनिश्चित करने हेतु भारत की इंडो-पैसिफ़िक स्थिति से रणनीतिक लाभ।
      • भारतीय महासागर सुरक्षा महत्वपूर्ण है, क्योंकि यूरोपएशिया व्यापार का 35% इसी मार्ग से गुजरता है।

प्रमुख चुनौतियाँ

      • FTA वार्ता में ठहराव: यूरोपीय संघ ऑटोमोबाइल, स्पिरिट और डेयरी पर शुल्क कटौती चाहता है; भारत आईटी सेवाओं और दवाओं के लिए पहुँच चाहता है।
      • कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म (CBAM): भारतीय निर्यातकों के लिए लागत बढ़ाता है।
      • नियामक अवरोध: EU के तकनीकी मानक और SPS उपाय भारतीय निर्यातों को सीमित करते हैं।
      • निवेश संबंधी चिंताएँ: यूरोपीय निवेशक मजबूत बौद्धिक संपदा संरक्षण और पूर्वानुमेय नीतियाँ चाहते हैं। स्विट्ज़रलैंड ने तो भारत के साथ अपनी कर संधि में MFN प्रावधान तक निलंबित कर दिया।
      • डेटा गोपनीयता: भारत के पास यूरोपीय संघ डेटा पर्याप्तता दर्जा नहीं है, जिससे आईटी निर्यातकों की अनुपालन लागत बढ़ती है।
      • विदेश नीति विभाजन: रूस से भारत के तेल आयात और रूसी सैन्य अभ्यासों में भागीदारी यूरोपीय संघ की अपेक्षाओं को जटिल बनाती है।
      • आपूर्ति श्रृंखला जोखिम: चीन पर निर्भरता दोनों क्षेत्रों के लिए बनी हुई है, जिससे वे भू-राजनीतिक व्यवधानों के प्रति संवेदनशील हैं।

निष्कर्ष:

नया रणनीतिक एजेंडा भारत यूरोपीय संघ संबंधों की परिपक्वता को एक व्यापक, बहुआयामी साझेदारी में परिवर्तित करता है। व्यापार, संपर्क, प्रौद्योगिकी, रक्षा और जन-से-जन सहयोग को समाहित करने वाले पाँच स्तंभ आर्थिक वृद्धि, नवाचार और वैश्विक शासन में अप्रयुक्त संभावनाओं को खोलने का प्रयास करते हैं। भारत के लिए यूरोप महत्वपूर्ण निवेश, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और बाजार पहुँच प्रदान करता है। वहीं यूरोपीय संघ के लिए भारत इंडो-पैसिफ़िक में रणनीतिक लाभ, विशाल उपभोक्ता आधार और युवा कुशल कार्यबल उपलब्ध कराता है। स्थायी परिणाम देने और एक स्थिर, बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था के निर्माण में योगदान हेतु मुक्त व्यापार समझौता वार्ता के ठहराव से लेकर डेटा गोपनीयता और भू-राजनीतिक विभाजनों तक चुनौतियों का समाधान आवश्यक होगा।

UPSC/PSC मुख्य प्रश्न:
भारत की यूरोपीय संघ के साथ साझेदारी उसकी इंडो-पैसिफ़िक में स्थिति को सुदृढ़ कर सकती है तथा उसे अमेरिका और चीन से परे अपने वैश्विक जुड़ाव का विविधीकरण करने में सक्षम बना सकती है।विवेचना कीजिए।