सन्दर्भ:
भारत और कनाडा ने हाल ही में कूटनीतिक तनाव की अवधि के बाद अपने द्विपक्षीय संबंधों के एक नए अध्याय की शुरुआत की है। हाल ही में भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर और कनाडा की विदेश मंत्री अनीता आनंद के मध्य नई दिल्ली में हुई उच्च-स्तरीय वार्ताओं ने दोनों देशों की इस प्रतिबद्धता को रेखांकित किया है कि वे आपसी विश्वास को पुनर्स्थापित करने और एक स्थिर, दूरदर्शी साझेदारी बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। नया रोडमैप व्यापार, स्वच्छ ऊर्जा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, कृषि, और शिक्षा के क्षेत्रों में सहयोग को सुदृढ़ करने पर केंद्रित है, जो साझा लोकतांत्रिक मूल्यों, आपसी सम्मान और सहयोग पर आधारित है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
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- भारत और कनाडा ने वर्ष 1947 में, भारत की स्वतंत्रता के तुरंत बाद, कूटनीतिक संबंध स्थापित किए। तब से अब तक उनके संबंधों ने सहयोग, चुनौतियों और पुनः-संलग्नता के विभिन्न चरण देखे हैं।
- दोनों देश लोकतंत्र, सांस्कृतिक विविधता और राष्ट्रमंडल की सदस्यता पर आधारित संबंध साझा करते हैं। सहयोग परंपरागत रूप से कृषि, शिक्षा, परमाणु ऊर्जा, और वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्रों में रहा है।
- दोनों देशों ने संयुक्त राष्ट्र, राष्ट्रमंडल, और जी20 जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी मिलकर कार्य किया है। हालांकि, प्रवासी समुदाय से संबंधित राजनीतिक संवेदनशीलताओं ने समय-समय पर तनाव उत्पन्न किया है।
- इन चुनौतियों के बावजूद, दोनों राष्ट्र एक-दूसरे को आपसी विकास और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में क्षेत्रीय स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण साझेदार मानते हैं।
- भारत और कनाडा ने वर्ष 1947 में, भारत की स्वतंत्रता के तुरंत बाद, कूटनीतिक संबंध स्थापित किए। तब से अब तक उनके संबंधों ने सहयोग, चुनौतियों और पुनः-संलग्नता के विभिन्न चरण देखे हैं।
व्यापार और आर्थिक सहभागिता:
आर्थिक और व्यापारिक संबंध भारत–कनाडा रिश्तों के सबसे मजबूत स्तंभों में से एक हैं। दोनों अर्थव्यवस्थाएँ एक-दूसरे की पूरक हैं, भारत बड़ा बाजार प्रदान करता है, जबकि कनाडा उन्नत प्रौद्योगिकी और प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है।
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- 2024 में, द्विपक्षीय व्यापार लगभग 34 अरब डॉलर तक पहुँच गया, जो स्थिर वृद्धि को दर्शाता है। कनाडा मुख्यतः उर्वरक, दालें और ऊर्जा उत्पाद भारत को निर्यात करता है, जबकि भारत कनाडा को दवाइयाँ, वस्त्र, इंजीनियरिंग उत्पाद और आईटी सेवाएँ निर्यात करता है।
- कनाडाई पेंशन फंड भारत में प्रमुख निवेशक हैं, विशेष रूप से नवीकरणीय ऊर्जा, लॉजिस्टिक्स और बुनियादी ढाँचे में। यह भारत की आर्थिक वृद्धि में उनके विश्वास को दर्शाता है।
- दोनों देशों ने व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (CEPA) पर वार्ताएँ पुनः शुरू करने का निर्णय लिया है, ताकि व्यापार ढाँचे का आधुनिकीकरण किया जा सके और निवेश बढ़ाया जा सके।
- कनाडा–भारत सीईओ फोरम 2026 की शुरुआत में फिर से बैठक करेगा, ताकि निजी क्षेत्र और व्यापारिक साझेदारियों को बढ़ावा दिया जा सके।
स्वच्छ ऊर्जा, जलवायु, और महत्वपूर्ण खनिज:
जलवायु कार्रवाई और ऊर्जा परिवर्तन नए रोडमैप के प्रमुख क्षेत्र हैं। दोनों देश कार्बन उत्सर्जन में कमी और स्वच्छ ऊर्जा प्रणालियों के विकास का लक्ष्य रखते हैं।
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- कनाडा–भारत मंत्रीस्तरीय ऊर्जा संवाद को पुनर्जीवित किया गया है ताकि ग्रीन हाइड्रोजन, कार्बन कैप्चर, जैव ईंधन, और विद्युत गतिशीलता के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा दिया जा सके। साथ ही, एलएनजी और एलपीजी व्यापार और स्वच्छ ईंधन आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुदृढ़ करने की भी योजना है।
- महत्वपूर्ण खनिजों में सहयोग के लिए एक नया ढाँचा तैयार किया गया है। कनाडा की खनन विशेषज्ञता और भारत की लिथियम, कोबाल्ट और निकेल जैसे खनिजों की मांग उन्हें स्वाभाविक साझेदार बनाती है। 2026 में टोरंटो में पहली “क्रिटिकल मिनरल्स डायलॉग” आयोजित की जाएगी ताकि आपूर्ति श्रृंखलाओं का विविधीकरण और ऊर्जा सुरक्षा को सुदृढ़ किया जा सके।
नागरिक परमाणु सहयोग:
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- नागरिक परमाणु सहयोग भारत–कनाडा संबंधों का एक दीर्घकालिक हिस्सा रहा है। 2010 में हस्ताक्षरित और 2013 में लागू हुए “न्यूक्लियर कोऑपरेशन एग्रीमेंट” (NCA) ने यूरेनियम व्यापार और शांतिपूर्ण परमाणु अनुसंधान को सक्षम बनाया।
- अब दोनों देश यूरेनियम आपूर्ति, परमाणु सुरक्षा, स्वच्छ ऊर्जा, और नई रिएक्टर तकनीकों में सहयोग का विस्तार करने पर चर्चा कर रहे हैं। यह भारत के कम-कार्बन लक्ष्यों का समर्थन करता है और कनाडा की भूमिका को एक विश्वसनीय ऊर्जा साझेदार के रूप में सुदृढ़ करता है।
विज्ञान, प्रौद्योगिकी और डिजिटल नवाचार:
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- विज्ञान और प्रौद्योगिकी दोनों राष्ट्रों के बीच एक मजबूत सेतु के रूप में कार्य करते हैं। संयुक्त विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सहयोग समिति को पुनः सक्रिय किया जा रहा है ताकि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), डिजिटल अवसंरचना, और साइबर सुरक्षा में सहयोग को प्रोत्साहन दिया जा सके।
- दोनों देश अनुसंधान साझेदारी और प्रौद्योगिकी आदान-प्रदान को बढ़ावा देंगे। अनुसंधान में कनाडा की क्षमता और डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना में भारत की सफलता सहयोग के लिए एक मजबूत क्षेत्र बनाती है। कनाडाई शोधकर्ता भारत के आगामी प्रौद्योगिकी और एआई सम्मेलनों में भाग लेंगे ताकि नैतिक और समावेशी नवाचार को बढ़ावा दिया जा सके।
कृषि और खाद्य सुरक्षा:
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- कृषि भारत–कनाडा सहयोग का सदैव केंद्रीय क्षेत्र रहा है। कनाडा भारत के सबसे बड़े दाल आपूर्तिकर्ताओं में से एक है, जबकि भारत के कृषि-तकनीकी और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र तेजी से बढ़ रहे हैं।
- नया रोडमैप जलवायु-सहनशील कृषि, मूल्य श्रृंखला विकास, और सतत प्रथाओं पर केंद्रित है। दोनों पक्ष अपशिष्ट-से-ऊर्जा, कृषि अवशेषों के पुनर्चक्रण, और संसाधनों के कुशल उपयोग जैसी नवाचारों को प्रोत्साहित करना चाहते हैं। ये पहल खाद्य सुरक्षा, उत्पादकता, और वैश्विक सतत कृषि लक्ष्यों में योगदान देंगी।
शिक्षा, गतिशीलता, और सांस्कृतिक आदान-प्रदान:
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- आपसी जन-संपर्क भारत–कनाडा संबंधों का मूल है। कनाडा में 16 लाख से अधिक भारतीय प्रवासी राजनीति, शिक्षा, व्यवसाय और संस्कृति के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाते हैं।
- शिक्षा सहभागिता का एक प्रमुख स्तंभ है। 3 लाख से अधिक भारतीय छात्र कनाडाई संस्थानों में अध्ययन कर रहे हैं, जिससे शिक्षा दोनों देशों के बीच एक मजबूत कड़ी बन गई है।
- उच्च शिक्षा पर संयुक्त कार्य समूह को पुनः सक्रिय किया जा रहा है ताकि शैक्षणिक साझेदारी का विस्तार हो, अनुसंधान को प्रोत्साहन मिले, और छात्र विनिमय बढ़ाया जा सके। दोनों देश वीज़ा प्रक्रियाओं को सरल बनाने और डिग्री की पारस्परिक मान्यता की दिशा में भी प्रयासरत हैं। पर्यटन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों को भी बढ़ावा दिया जाएगा ताकि विविधता और बहुलतावाद के साझा मूल्यों को उजागर किया जा सके।
कूटनीतिक विश्वास का पुनर्निर्माण:
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- 2023 के कूटनीतिक तनावों के बाद, दोनों देश विश्वास को पुनः स्थापित करने और संबंधों को सामान्य बनाने पर कार्य कर रहे हैं। उच्चायुक्तों की पुनर्नियुक्ति और सुरक्षा एवं व्यापार वार्ताओं की पुनः शुरुआत एक सतर्क पुनः आरंभ का संकेत है।
- दोनों पक्षों ने एक-दूसरे की चिंताओं के प्रति आपसी सम्मान और संवेदनशीलता पर बल दिया है। वरिष्ठ अधिकारियों और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच नियमित बैठकें इस साझा इच्छा को दर्शाती हैं कि संबंधों को “जोखिम-मुक्त” किया जाए और व्यावहारिक सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया जाए।
- यह इस समझ को प्रतिबिंबित करता है कि दीर्घकालिक संबंध अस्थायी राजनीतिक मुद्दों के बजाय संस्थागत स्थिरता पर निर्भर करते हैं।
विस्तृत इंडो-पैसिफिक और वैश्विक सहयोग:
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- भारत और कनाडा इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति, स्थिरता, और समृद्धि के समान लक्ष्यों को साझा करते हैं। वे संप्रभुता के सम्मान, नौवहन की स्वतंत्रता, और अंतरराष्ट्रीय कानून का समर्थन करते हैं। जी20, राष्ट्रमंडल, और संयुक्त राष्ट्र जैसे मंचों पर बहुपक्षीय सुधार, जलवायु कार्रवाई, और 2030 सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) पर भी सहयोग करते हैं।
- कनाडा की इंडो-पैसिफिक रणनीति भारत की प्रमुख भूमिका को मान्यता देती है, जो क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित करने और लचीली आपूर्ति श्रृंखलाओं के निर्माण में सहायक है। इससे समुद्री सुरक्षा, व्यापार संपर्कता, और सतत विकास में सहयोग के नए अवसर उत्पन्न होते हैं।
संस्थागत ढाँचा और समझौते:
भारत–कनाडा सहयोग की नींव कई समझौतों पर आधारित है:
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- परस्पर कानूनी सहायता संधि (1994) – आपराधिक और न्यायिक मामलों में सहयोग।
- प्रत्यर्पण संधि (1987) – कानून प्रवर्तन सहयोग को सुदृढ़ करती है।
- परमाणु सहयोग समझौता (2010) – शांतिपूर्ण परमाणु व्यापार और अनुसंधान को सक्षम बनाता है।
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी समझौते – आर्कटिक अध्ययन, नवीकरणीय ईंधन, और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में अनुसंधान का समर्थन करते हैं।
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वैज्ञानिक सहयोग का एक प्रमुख मील का पत्थर 2018 में इसरो द्वारा कनाडा के पहले लो-अर्थ ऑर्बिट (LEO) उपग्रह का प्रक्षेपण था, जिसने अंतरिक्ष में भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका को प्रदर्शित किया।
आगे की राह:
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- भारत–कनाडा संबंधों का पुनर्जीवन दोनों देशों और वैश्विक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है। जैसे-जैसे विश्व आर्थिक और भू-राजनीतिक चुनौतियों का सामना कर रहा है, एक मजबूत साझेदारी दोनों के लिए लाभदायक है।
- भविष्य का सहयोग स्वच्छ ऊर्जा, प्रौद्योगिकी, और शिक्षा पर केंद्रित रहेगा। समावेशिता, नवाचार, और स्थिरता पर बल साझा दृष्टिकोण को दर्शाता है, जो आधुनिक और पारस्परिक रूप से लाभकारी साझेदारी की ओर इंगित करता है।
- हालाँकि अतीत में चुनौतियाँ रही हैं, पुनः आरंभ हुए संवाद परिपक्वता और भविष्य की ओर देखने की तत्परता को दर्शाते हैं। साझा लोकतांत्रिक मूल्यों और रणनीतिक लक्ष्यों पर आधारित होकर, दोनों देश एक अधिक संतुलित और उत्पादक संबंध की दिशा में अग्रसर हैं।
UPSC/PSC मुख्य परीक्षा प्रश्न: “प्रवासी समुदाय और घरेलू राजनीतिक मुद्दे अक्सर भारत–कनाडा संबंधों में एक सेतु और एक बाधा दोनों के रूप में कार्य करते हैं।” हालिया कूटनीतिक तनावों और आपसी विश्वास को पुनर्निर्मित करने के प्रयासों के संदर्भ में इस कथन का समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिए। |