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Daily-current-affairs / 03 Nov 2025

भारत‑आसियान सम्मेलन 2025: डिजिटल, समुद्री और रणनीतिक एकीकरण | Dhyeya IAS

भारत‑आसियान सम्मेलन 2025: डिजिटल, समुद्री और रणनीतिक एकीकरण | Dhyeya IAS

संदर्भ:

अक्टूबर 2025 में कुआलालंपुर में 47वां आसियान शिखर सम्मेलन और 22वां आसियानभारत शिखर सम्मेलन का आयोजन हुआ, जो दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ भारत की सहभागिता का एक महत्वपूर्ण चरण था। दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्रों का संगठन (आसियान), जिसमें अब तिमोर-लेस्ते के शामिल होने से सदस्य देशों की संख्या 11 हो गई है, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की आर्थिक और सुरक्षा संरचना को आकार देने में केंद्रीय भूमिका निभा रहा है।

    • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सम्मेलन को वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया, जबकि विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत का प्रतिनिधित्व व्यक्तिगत रूप से किया। ये बैठकें वैश्विक व्यापारिक अनिश्चितताओं, अमेरिकाचीन तनावों, और क्षेत्र में आर्थिक लचीलापन तथा कनेक्टिविटी पर नए सिरे से ध्यान के बीच हुईं।

आसियान क्या है?

आसियान की स्थापना 1967 में पांच देशों, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर और थाईलैंड ने दक्षिण-पूर्व एशिया में साम्यवाद के प्रसार का मुकाबला करने के लिए एक राजनीतिक गठबंधन के रूप में की थी। समय के साथ यह संगठन आर्थिक वृद्धि, स्थिरता और सहयोग को बढ़ावा देने वाले एक प्रभावशाली क्षेत्रीय मंच के रूप में विकसित हुआ।
आज आसियान में ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, वियतनाम और तिमोर-लेस्ते शामिल हैं, जो 65 करोड़ से अधिक की जनसंख्या और 3 ट्रिलियन डॉलर से अधिक की जीडीपी का प्रतिनिधित्व करते हैं।

भारत के लिए आसियान का महत्व:

1.        भूराजनीतिक प्रासंगिकता
आसियान क्षेत्र इंडो-पैसिफिक के केंद्र में स्थित है, जो दक्षिण चीन सागर में चीन की आक्रामकता के कारण बढ़ते भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा का क्षेत्र बन चुका है। भारत के लिए आसियान के साथ घनिष्ठ संबंध क्षेत्रीय शक्ति संतुलन बनाए रखने और महत्वपूर्ण व्यापारिक मार्गों की सुरक्षा के लिए आवश्यक हैं।

2.      आर्थिक महत्व
भारत के लगभग 40–50% व्यापार का मार्ग आसियान क्षेत्र से होकर गुजरता है, जिससे यह एक अहम व्यापारिक साझेदार बनता है। आसियान, भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, जो भारत के कुल वैश्विक व्यापार का लगभग 11% है। हालांकि, भारत का आसियान के साथ व्यापार घाटा तेजी से बढ़ा है जो  2016–17 में लगभग 9.6 अरब डॉलर से बढ़कर 2022–23 में 43 अरब डॉलर से अधिक हो गया है जिससे व्यापारिक शर्तों की समीक्षा की मांग उठी है।

3.      संपर्क और एकीकरण
भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य म्यांमार के साथ स्थलीय सीमा साझा करते हैं, जो आसियान तक प्राकृतिक संपर्क प्रदान करती है। भारतम्यांमारथाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग और कालादान मल्टी-मोडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट (KMTTP) जैसी परियोजनाएं क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को बढ़ाने और भारत के उत्तर-पूर्व को दक्षिण-पूर्व एशिया के बाजारों से जोड़ने का प्रयास हैं।

4.     सांस्कृतिक संबंध
भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच ऐतिहासिक संबंध दो हजार वर्ष से अधिक पुराने हैं, जिनमें व्यापार, धर्म और संस्कृति की साझा परंपराएं शामिल हैं। 2014 में शुरू की गई एक्ट ईस्ट नीति’ (1992 की लुक ईस्ट नीति पर आधारित) का उद्देश्य इन सभ्यतागत संबंधों को आधुनिक आर्थिक और रणनीतिक सहयोग के परिप्रेक्ष्य में पुनर्जीवित करना है।

India-ASEAN Summit 2025

आसियानभारत शिखर सम्मेलन 2025 के मुख्य बिंदु:

1.        आसियानभारत कार्ययोजना (2026–2030) को अपनाना
सम्मेलन ने आगामी पांच वर्षों के लिए सहयोग को निर्देशित करने हेतु नई कार्ययोजना को मंजूरी दी। यह 2024 के वियनतियाने सम्मेलन में घोषित 10-बिंदु एजेंडा पर आधारित है, जिसमें पर्यटन, डिजिटल परिवर्तन, स्वास्थ्य, जलवायु कार्रवाई और शिक्षा जैसे क्षेत्र शामिल थे।
2026–2030 की कार्ययोजना इन व्यापक प्राथमिकताओं को विशिष्ट, समयबद्ध पहलों में परिवर्तित करती है और दोनों पक्षों के लिए मापनीय लक्ष्यों को निर्धारित करती है।

2.      आसियानभारत वस्तु व्यापार समझौता (AITIGA) की समीक्षा
भारत और आसियान नेताओं ने 2009 के व्यापार समझौते की लंबित समीक्षा को पूरा करने पर जोर दिया। यह समझौता, जो शुरू में एक बड़ी उपलब्धि माना गया था, अब भारत में इस आधार पर आलोचना का विषय बन गया है कि इससे व्यापार असंतुलन बढ़ा और आसियान देशों के माध्यम से चीनी वस्तुओं का अप्रत्यक्ष प्रवेश हुआ।
समीक्षा का उद्देश्य है:
कस्टम और व्यापार सुविधा उपायों को सरल बनाना,
गैर-शुल्क बाधाओं को दूर करना,
बाजारों तक समान पहुंच सुनिश्चित करना, और
सेवाओं तथा निवेश में सहयोग को मजबूत करना।

3.      डिजिटल सहयोग और फिनटेक एकीकरण
2024 की डिजिटल परिवर्तन पर संयुक्त घोषणा के आधार पर, सम्मेलन ने डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI)  जिसमें डिजिटल भुगतान, फिनटेक नवाचार और साइबर सुरक्षा शामिल हैं, पर सहयोग को प्राथमिकता दी। भारत का यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) मॉडल क्षेत्र में व्यापक रुचि आकर्षित कर रहा है और कई आसियान देश इसके समान ढांचे पर विचार कर रहे हैं।
2024 में शुरू किया गया आसियानभारत डिजिटल फ्यूचर फंड कृत्रिम बुद्धिमत्ता, आपूर्ति श्रृंखला के लिए ब्लॉकचेन, और डिजिटल स्वास्थ्य प्रणालियों में नई पहलों का समर्थन कर रहा है।

4.     कनेक्टिविटी: भौतिक और डिजिटल
कनेक्टिविटी भारत-आसियान जुड़ाव की आधारशिला बनी हुई है। सम्मेलन ने दो महत्वपूर्ण अवसंरचना परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा की:
भारतम्यांमारथाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्गमणिपुर के मोरेह को थाईलैंड के माए सॉट से म्यांमार के माध्यम से जोड़ने वाली सड़क, जो व्यापार और लोगों के बीच संपर्क को बढ़ाने के लिए बनाई जा रही है।
कालादान मल्टी-मोडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट (KMTTP)कोलकाता को मिज़ोरम से म्यांमार के सित्तवे बंदरगाह के माध्यम से जोड़ता है। इसके पूरा होने पर यह कोलकाता और मिज़ोरम के बीच की दूरी लगभग 1,000 किमी कम करेगा और यात्रा समय को तीन से चार दिन घटाएगा।
भौतिक संपर्क से आगे, नेताओं ने कनेक्टिंग द कनेक्टिविटीज़पर चर्चा की,  भारत की पहलों को आसियान की मास्टर प्लान ऑन आसियान कनेक्टिविटी (MPAC) 2025 के साथ जोड़ने पर, जिसमें ब्रॉडबैंड, सबमरीन केबल सिस्टम और सैटेलाइट संचार शामिल हैं।
साइबर खतरों से निपटने और डेटा संरक्षण ढांचे को मजबूत करने के लिए एक नया ट्रैक 1 आसियानभारत साइबर नीति संवाद भी शुरू किया गया।

5.      समुद्री सहयोग और सुरक्षा
समुद्री सुरक्षा पर चर्चा प्रमुख रही, जो नौवहन की स्वतंत्रता और दक्षिण चीन सागर में चीन के व्यापक दावों पर साझा चिंता को दर्शाती है।
2026 को आसियानभारत समुद्री सहयोग वर्ष घोषित किया गया, जिससे निम्नलिखित क्षेत्रों पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित किया गया:
समुद्री डकैती-रोधी अभियान,
समुद्री क्षेत्रीय जागरूकता,
मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR), और
अवैध, अप्रतिबंधित एवं अविवादित (IUU) मछली पकड़ने का मुकाबला।
भारत ने दूसरा आसियानभारत रक्षा मंत्रियों का सम्मेलन और दूसरा आसियानभारत समुद्री अभ्यास आयोजित करने का प्रस्ताव रखा ताकि इंडो-पैसिफिक में परिचालन सहयोग को गहराया जा सके।

आसियान की आंतरिक चुनौतियाँ:

    • लोकतांत्रिक गिरावट: म्यांमार में राजनीतिक संकट पर निर्णायक प्रतिक्रिया देने में असमर्थता ने आसियान की सामूहिक मानदंड लागू करने की संरचनात्मक कमजोरी को उजागर किया है।
    • चीन का दबाव: आसियान दक्षिण चीन सागर मुद्दे पर एकीकृत रुख अपनाने में संघर्ष कर रहा है, क्योंकि कुछ सदस्य देश चीन पर आर्थिक रूप से निर्भर हैं और उसका विरोध करने से हिचकते हैं।
    • आर्थिक असमानता: सदस्य देशों में विकास और शासन क्षमता में व्यापक असमानताएँ हैं, जो एकीकरण के प्रयासों को जटिल बनाती हैं।

तुलनात्मक क्षेत्रीय संगठन:

    • सार्क (दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन): 1985 में स्थापित, भारतपाकिस्तान तनावों के कारण सार्क काफी हद तक ठहराव में है। भारत का मानना है कि आतंकवाद और वार्ता एक साथ नहीं चल सकते,” जिससे इस मंच की प्रभावशीलता सीमित हो गई है।
    • बिम्सटेक (बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल): इसमें बांग्लादेश, भूटान, भारत, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका और थाईलैंड शामिल हैं जो दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया को जोड़ता है। बिम्सटेक की सफलता, आसियान के निरंतर संवाद और व्यावहारिक सहयोग के मॉडल से सीखने पर निर्भर करती है।
    • बीबीआईएन (बांग्लादेशभूटानभारतनेपाल पहल): उप-क्षेत्रीय कनेक्टिविटी और परिवहन पर केंद्रित।
    • सीपीटीपीपी (व्यापक और प्रगतिशील ट्रांस-पैसिफिक साझेदारी समझौता): यह 12 देशों (जापान, ऑस्ट्रेलिया और वियतनाम सहित, लेकिन चीन को छोड़कर) के बीच एक उच्च-स्तरीय मुक्त व्यापार समझौता है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की ऐसी संरचनाओं में संभावित भागीदारी आरसीईपी (जिससे भारत ने सस्ते आयात और बाजार में बाढ़ की आशंका के कारण अलग रहने का निर्णय लिया) की तुलना में अधिक लाभदायक हो सकती है। 

रणनीतिक और आर्थिक निष्कर्ष:

1.        आसियान की आर्थिक शक्ति: अंतर-आसियान व्यापार कुल व्यापार का लगभग 25–30% है, जो केवल यूरोपीय संघ के बाद दूसरे स्थान पर है जो इसके क्षेत्रीय आर्थिक संगठन के रूप में सफलता को दर्शाता है।

2.      भारत का रणनीतिक लाभ: भारतीय और प्रशांत महासागरों के संगम पर स्थित आसियान, भारत की इंडो-पैसिफिक रणनीति और समुद्री सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

3.      कनेक्टिविटी एक रणनीति के रूप में: त्रिपक्षीय राजमार्ग और कलादान जैसी परियोजनाएं केवल अवसंरचनात्मक उपक्रम नहीं हैं, बल्कि रणनीतिक प्रभाव और आर्थिक एकीकरण के उपकरण भी हैं।

4.     डिजिटल और समुद्री भविष्य: भारत की तकनीकी क्षमताएँ और नौसैनिक पहुँच, आसियान की विकासात्मक और सुरक्षा प्राथमिकताओं के साथ अच्छी तरह मेल खाती हैं।

निष्कर्ष:

भारत के लिए, आसियान के साथ सतत जुड़ाव और बिम्सटेक तथा सीपीटीपीपी जैसे मंचों में सक्रिय भागीदारी इसे एक जिम्मेदार इंडो-पैसिफिक शक्ति के रूप में सुदृढ़ कर सकता है। ध्यान व्यापार, प्रौद्योगिकी, विनिर्माण और कनेक्टिविटी में रचनात्मक साझेदारी पर रहना चाहिए, विशेष रूप से उन देशों के साथ जो लोकतांत्रिक मूल्यों को साझा करते हैं और जिनके बीच कोई अनसुलझा विवाद नहीं है। जैसे-जैसे वैश्विक आर्थिक और रणनीतिक केंद्र इंडो-पैसिफिक की ओर स्थानांतरित हो रहा है, आसियान के साथ भारत की साझेदारी 21वीं सदी के सबसे गतिशील क्षेत्र में स्थिरता, कनेक्टिविटी और समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होगी।

UPSC/PSC मुख्य प्रश्न: भारत की एक्ट ईस्ट नीतिएक कूटनीतिक पहल से विकसित होकर एक व्यापक रणनीतिक और आर्थिक सहयोग ढाँचे के रूप में उभरी है। आसियान साझेदारी इस परिवर्तन को किस प्रकार मूर्त रूप देती है। चर्चा कीजिए।