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Daily-current-affairs / 27 Jun 2025

"भारत मौसम विज्ञान विभाग @150: सटीक पूर्वानुमान से आपदा प्रबंधन की ओर"

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सन्दर्भ:
मौसम मानव जीवन को हर प्रकार से प्रभावित करता है। किसान फसल बोने का समय तय करते हैं और शहरों में रहने वाले लोग बाढ़ या हीटवेव के लिए तैयार होते हैं ऐसे में सटीक मौसम जानकारी अत्यंत आवश्यक होती है। भारत में यह जिम्मेदारी भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) की है, जो 150 वर्षों से मौसम पूर्वानुमान को बेहतर बनाने और प्राकृतिक आपदाओं से लोगों की रक्षा करने का कार्य कर रहा है। समय के साथ, IMD एक आधुनिक वैज्ञानिक संस्था बन गई है, जो उन्नत तकनीक का उपयोग करके मौसम की भविष्यवाणी को और अधिक सटीक बनाती है तथा देश को जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में मदद करती है।

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) की भूमिका
IMD की स्थापना 1864 में कोलकाता में आए चक्रवात और 1866 1871 में पड़े अकालों जैसी गंभीर आपदाओं के बाद की गई थी, जिन्होंने बेहतर मौसम पूर्वानुमान की आवश्यकता को उजागर किया। इसने कोलकाता, मद्रास (चेन्नई) और कोलाबा वेधशालाओं के बिखरे हुए कार्य को एकीकृत किया। आरंभ में IMD का मुख्य ध्यान मानसून की भविष्यवाणी और नौवहन व उपनिवेशीय व्यापार की रक्षा के लिए चक्रवात चेतावनियों पर था।
स्वतंत्रता के बाद, IMD की भूमिका का विस्तार हुआ और यह अब सार्वजनिक सुरक्षा, कृषि और आपदा जोखिम न्यूनीकरण से जुड़े सभी क्षेत्रों को कवर करता है।

मुख्य कार्य:
वर्तमान में भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) के अंतर्गत कार्य करता है और इसके कई महत्वपूर्ण दायित्व हैं:
मौसम पूर्वानुमान: जनता के लिए दैनिक अपडेट, साथ ही विमानन, नौवहन और कृषि के लिए विशेष पूर्वानुमान।
चरम मौसम चेतावनियाँ: चक्रवात, हीटवेव, क्लाउडबर्स्ट और भारी वर्षा के लिए अलर्ट। IMD विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) के लिए भारतीय महासागर क्षेत्र में चक्रवात चेतावनी के लिए क्षेत्रीय नोडल एजेंसी है।
जलवायु सेवाएं: जलवायु प्रवृत्तियों की निगरानी और दीर्घकालिक डेटा संग्रह।
भूकंपविज्ञान: भूकंपों का पता लगाना और भारतीय सूनामी प्रारंभिक चेतावनी केंद्र (ITEWC) का संचालन।
मौसमीय सांख्यिकी: कृषि, जल प्रबंधन और अवसंरचना के लिए डेटा प्रदान करना।
अनुसंधान: मौसम विज्ञान में अध्ययन को बढ़ावा देना और पूर्वानुमान मॉडलों में सुधार करना।

सटीक मौसम पूर्वानुमान का महत्व
भारत जैसे बड़े और विविध देश के लिए सटीक पूर्वानुमान अत्यंत महत्वपूर्ण हैं:
तैयारी: उच्च गुणवत्ता वाले पूर्वानुमान लोगों को चरम मौसम के लिए तैयार होने, विद्युत आपूर्ति प्रबंधन और कृषि योजना में मदद करते हैं।
सार्वजनिक सुरक्षा: स्पष्ट चेतावनियाँ जीवन की रक्षा करती हैं। उदाहरणस्वरूप, 2022 में बिजली गिरने से 2,821 लोगों की मृत्यु हुई, जो मौसम से संबंधित मौतों का प्रमुख कारण था (NCRB)
संसाधन प्रबंधन: अच्छे पूर्वानुमान निकासी और राहत योजनाओं को बेहतर बनाते हैं। उदाहरण के लिए, 2020 के चक्रवात अम्फान के दौरान, सटीक पूर्वानुमान के चलते पश्चिम बंगाल और ओडिशा में 10 लाख से अधिक लोगों को समय पर निकाला गया।

बेहतर पूर्वानुमान के लिए प्रमुख पहलें-
IMD ने सटीकता और पहुँच में सुधार के लिए कई परियोजनाएं शुरू की हैं:

मानसून मिशन
यह मिशन संख्यात्मक मौसम पूर्वानुमान (NWP) मॉडल और उच्च-प्रदर्शन संगणना (HPC) का उपयोग करता है ताकि मानसून वर्षा की बेहतर भविष्यवाणी की जा सके। इसकी सफलता तब दिखी जब IMD ने केरल में मानसून के शीघ्र आगमन की सटीक भविष्यवाणी की।

भारत पूर्वानुमान प्रणाली
हाल ही में IMD ने भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM) द्वारा विकसित भारत पूर्वानुमान प्रणाली (BFS) को अपनाया है।
यह 6 किमी × 6 किमी ग्रिड का उपयोग करता है (पहले 12 किमी थे), जिससे पंचायत स्तर तक अधिक विस्तृत पूर्वानुमान संभव हो सका।
पूर्वानुमान सटीकता में 64% सुधार की संभावना है, और चरम घटनाओं की भविष्यवाणी में 30% सुधार होगा।
यह मॉडल अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ की प्रणालियों (9–14 किमी) से बेहतर प्रदर्शन करता है।

IMD makes leap with Made-in-India Bharat Forecast System, promises more  accurate predictions

मल्टी-हैज़र्ड प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली
यह प्रणाली डॉपलर राडार और उन्नत मॉडलों को जोड़ती है ताकि चक्रवात, बाढ़ और हीटवेव के लिए चेतावनियाँ जारी की जा सकें। इसने हाल ही में पूर्वोत्तर भारत में आई बाढ़ के दौरान मदद की, हालांकि 50 से अधिक लोगों की जान गई।

मिशन मौसम
2024 में प्रारंभ हुआ यह मिशन भारत को मौसम के लिए तैयार और जलवायु-स्मार्ट राष्ट्र बनाने का उद्देश्य रखता है, जिसमें अधिक सटीक पूर्वानुमानों के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का उपयोग किया जा रहा है।

कृषि और वायु गुणवत्ता सेवाएं
IMD कृषि और प्रदूषण नियंत्रण का भी समर्थन करता है:
कृषि-मौसम परामर्श सेवाएं (AAS): किसानों को बोवाई, सिंचाई और कटाई पर मार्गदर्शन।
ग्रामीण कृषि मौसम सेवा (GKMS): लाखों किसानों को ब्लॉक स्तर पर पूर्वानुमान प्रदान करती है।
वायु गुणवत्ता प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली (AQEWS): शहरों में प्रदूषण के अद्यतन प्रदान करती है, जिससे सरकारें स्वच्छ वायु कार्य योजना बना सकें।

डिजिटल जन संपर्क
IMD ने मौसम की जानकारी को लोगों तक पहुँचाने के लिए ऐप्स और प्लेटफार्म लॉन्च किए हैं:
मौसम ऐप: सभी के लिए रीयल-टाइम मौसम अपडेट।
मौसमग्राम: 2.6 लाख ग्राम पंचायतों के लिए हाइपर-लोकल पूर्वानुमान।
ये उपकरण ग्रामीण भारत में चेतावनियों की अंतिम मील तक पहुँच को बेहतर बनाते हैं।

मौसम पूर्वानुमान में चुनौतियाँ
प्रगति के बावजूद, IMD कई बाधाओं का सामना कर रहा है:
अपर्याप्त ग्राउंड स्टेशन: भारत को 3,00,000 से अधिक ग्राउंड स्टेशन और लगभग 70 डॉपलर राडार की आवश्यकता है, जबकि वर्तमान में लगभग 800 AWS, 1,500 वर्षा मापी और केवल 37 राडार हैं।
o यह अंतर डेटा संग्रह को प्रभावित करता है, विशेषकर ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में, जिससे पुराने वर्षा रिकॉर्ड पर निर्भर रहना पड़ता है।
प्रौद्योगिकीय सीमाएँ: सीमित बजट उन्नत प्रणालियों की स्थापना को धीमा करता है।
o उदाहरणस्वरूप, पूरे पश्चिमी तट को केवल पांच राडार कवर करते हैं। अहमदाबाद, बेंगलुरु और जोधपुर जैसे शहरों में अब भी राडार नहीं हैं।
जलवायु परिवर्तन: केरल की भूस्खलन या सिक्किम की झील फटने जैसी घटनाएँ अधिक बार और अप्रत्याशित हो रही हैं, जिससे पूर्वानुमान और कठिन हो जाते हैं।
सटीकता संबंधी समस्याएँ: पूर्वानुमान बेहतर हुए हैं, लेकिन स्थानीय स्तर पर सटीकता अभी भी एक समस्या बनी हुई है।
 उदाहरण: जुलाई 2024 में मुंबई में IMD की वर्षा भविष्यवाणी लगभग 40% मामलों में गलत रही।
स्थानीय प्राधिकरणों से समन्वय की कमी: कई बार कमजोर सहयोग के कारण कार्रवाई में देरी होती है।
o अक्टूबर 2023 में उत्तराखंड में भारी वर्षा के दौरान स्थानीय एजेंसियाँ, IMD की चेतावनी के बावजूद, धीमी रहीं।
विविध जलवायु क्षेत्र: भारत का भूगोल, पर्वत, मैदान, समुद्रतट, स्थानीयकृत मौसम बनाता है, जिसकी भविष्यवाणी करना कठिन होता है।

आगे की राह-
भारत की जलवायु लचीलापन को सशक्त करने के लिए IMD को निम्नलिखित उपाय अपनाने होंगे:
अवलोकन अवसंरचना को उन्नत करना: अधिक डॉपलर राडार, AWS और उपग्रह प्रणालियाँ जोड़कर ।
AI और मशीन लर्निंग मॉडल का विस्तार करना: बेहतर हाइपर-लोकल पूर्वानुमान के लिए।
अंतिम मील तक संप्रेषण को बेहतर बनाना: समुदाय-आधारित प्रणालियों और बहुभाषी प्लेटफार्म का उपयोग करना।
अधिक विशेषज्ञों को प्रशिक्षित और अनुसंधान को वित्त की सुविधा देना: भारत की आवश्यकताओं के अनुरूप स्वदेशी समाधान विकसित करने के लिए।
अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के साथ मिलकर कार्य करना : डेटा साझा करने और आपदा योजना के लिए।

निष्कर्ष
150 वर्षों में, IMD उपनिवेशकालीन चक्रवात चेतावनियों से एक आधुनिक एजेंसी में बदल गया है जो लोगों की रक्षा करता है और भारत की आर्थिक वृद्धि का समर्थन करता है। इसके सटीक पूर्वानुमान आपदा तैयारी, कृषि और जन स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं। बेहतर वित्तपोषण, तकनीक और समन्वय के साथ, IMD जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध भारत की लड़ाई की रीढ़ बन सकता है और करोड़ों लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकता है।

 

मुख्य प्रश्न: भारत जैसे विविध जलवायु क्षेत्रों वाले देश में सटीक और समयबद्ध मौसम पूर्वानुमान प्रदान करने में भारत मौसम विज्ञान विभाग द्वारा सामना की जा रही चुनौतियों की समालोचनात्मक समीक्षा कीजिए। पूर्वानुमान अवसंरचना और प्रसारण प्रणाली को सशक्त बनाने के लिए क्या उपाय अपनाए जा सकते हैं?