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Daily-current-affairs / 26 Jan 2022

हाइपर-लूप प्रौद्योगिकी - समसामयिकी लेख

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महत्वपूर्ण बिंदु : हाइपरलूप, अल्ट्राहाई स्पीड, वैक्यूम टाइट ट्यूब, संपर्क रहित उत्तोलन, जलवायु-तटस्थ, वर्जिन हाइपरलूप।

चर्चा में क्यों?

रेलवे हाइपरलूप ट्रेनों, हाइड्रोजन फ्यूल-सेल ट्रेनों और लाइटर एल्युमीनियम डिब्बों की योजना को लेकर कार्य कर रहा है।

हाइपर-लूप तकनीक

  • हाइपर लूप यात्री और कार्गो के लिए अल्ट्रा-हाई-स्पीड जमीनी यातायात सिस्टम है,जिसकी अवधारणा सर्वप्रथम 2013 में एक श्वेत पत्र में टेस्ला और स्पेसएक्स के सीईओ एलोन मस्क द्वारा प्रस्तुत की गयी थी ।
  • सिस्टम में सीलबंद और आंशिक रूप से खाली ट्यूब होते हैं , जो बड़े महानगरीय क्षेत्रों में गतिशीलकेंद्रों (मोबिलिटी सेंटर ) को जोड़ते हैं, और दबाव वाले वाहन ( जिन्हें आमतौर पर पॉड कहा जाता है ) जो संपर्क रहित उत्तोलन और प्रणोदन प्रणाली के साथकम वायुगतिकीय ड्रैग के कारण बहुत तेज गति से आगे बढ़ सकते हैं।

हाइपर लूप तकनीक के लाभ

  • जलवायु-तटस्थ: पूर्णरूप से विद्युत आधारित और कुशल संचालन के साथ , सिस्टम का लक्ष्य जलवायु-तटस्थ रहना है अर्थात पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव को नगण्य रखना है।
  • सिटी सेंटर से सिटी सेंटर: बड़े महानगरीय क्षेत्रों में गतिशील केन्द्रों (मोबिलिटी हब) को जोड़ने से डोर-टू-डोर यात्रा का समय काफी कम हो जाता है।
  • अल्ट्रा-हाई स्पीड: संपर्क रहित उत्तोलन और प्रणोदन प्रणाली के साथ-साथ कम दबाव का वातावरण पॉड को अति-उच्च गति पर कुशलता से यात्रा करने की अनुमति देता है ।
  • हाइपरलूप की लागत का अनुमान लगभग $20-40 मिलियन प्रति किमी है ;जो हाई स्पीड रेल (एचएसआर) की तुलना में सस्ता है ।
  • कम ऊर्जा इनपुट के कारणइसकी क्रियात्मकलागत एचएसआर की तुलना में कम है ,I जबकिहाइपरलूपकेरखरखाव के खर्च केआकलन संबंधी कोई डेटा उपलब्धनहीं है।

हाइपरलूप कैसे काम करता है?

  • हाइपरलूप टेक्नोलॉजी में एक लंबा वैक्यूम ट्यूबहोता है, और इसमें कैप्सूल की तरह एक डिब्बा(कम्पार्टमेंट) होता है । उन डिब्बों को पॉड कहाजाता है । ये पॉड वैक्यूम ट्यूब के अंदर तेज गति से चलते हैं । इन ट्यूबों को लूप कहा जाता है ।
  • यह मुख्य रूप से दो प्रकार की तकनीक का उपयोग करता हैं- चुंबकीय उत्तोलन और वायु दाब । पॉड्स और ट्यूब के बीच बहुत कम घर्षण होता है। जिसकेकारण इसकी गति इतनी तेज होती है कि यह मैग्लेव ट्रेन को बहुत पीछे छोड़ देती है।
  • इस तकनीक में परिवहन लूप में ही होता है, जिसका अर्थ है कि जब यात्री यात्रा करना चाहते हैं,तो वे इस लूप से यात्रा करेंगे इसलिए इसे हाइपरलूप तकनीक का नाम दिया गया है ।

हाइपर-लूप तकनीकसे संबंधित चिंताएं

महत्वाकांक्षी तकनीक के बावजूद हम अभी भी हाइपरलूप विकास के प्रारंभिक चरण में हैंI ऐसे में कुछ विषयोंपर ध्यान देने की आवश्यकता है, जैसे-

  • उच्च गति: पहला हाइपरलूप यात्री परीक्षण 6.25 सेकंड में 107 मील प्रति घंटे की शीर्ष गति तक पहुंच जाता है। एक संलग्न कक्ष के भीतर अत्यधिक त्वरण का मानव शरीर पर क्या प्रभाव पड़ेगा, इसका आंकलन करने संबंधी कोई भी सटीक जानकारी/प्रक्रियाउपलब्ध नहीं हैIअंतरिक्ष यात्री अपने शरीर को अत्यधिक त्वरण को संभालने के लिए प्रशिक्षण प्राप्तकरते हैं , और पीबीएस ने सोचा कि क्या हाइपरलूप का अनुभव "दो मिनट का शहर" होगा।
  • वैक्यूम ट्यूबों के भीतर टकराव: हाइपरलूप सिस्टम डिज़ाइन में एक ही ट्यूब के भीतर बहुत तेज गति से यात्रा करने वाले कई पॉड होते हैं । चूंकि पॉड एक दूसरे की ब्रेकिंग दहलीज के भीतर हैं,ऐसे में हर समय खतरनाक टक्कर का खतरा विद्यमान रहता है ।
  • हाइपरलूप पॉड क्षति : मनुष्यों को जीने के लिए हवा की आवश्यकता होती है, और सुरंगों में सांस लेने योग्य हवा नहीं होती। इंजीनियरों से उस स्थिति में यात्रियों की सुरक्षा को संबोधित करने की अपेक्षा होगी जब पॉड में कोई खराबी/समस्या उत्पन्न हो जायेगीI
  • टनल असंपीड़न: सुरंग एक वैक्यूम जैसीसंरचनाहै, सुरक्षा की दृष्टि से इंजीनियरों को गर्मी के विस्तार, भूकंप, या मानवीय त्रुटि जैसी सभी प्रकार की आकस्मिकताओं के लिए योजना बनानी होगी ।
  • नियामक तंत्र की प्रकृति स्पष्ट नहीं है।
  • इसयोजना के लिएभूमि अधिग्रहण करने की चुनौती निर्माताओं के समक्ष उपस्थित होगी जो अतीत में भी लागू की गई किसी भी परियोजना के लिए एक बड़ी समस्या रही है।

कंपनियों का हाइपरलूप पर काम करना:

  • वर्जिन हाइपरलूप (पूर्व में हाइपरलूप वन) सबसे अच्छी तरह से वित्त पोषित हाइपरलूप परियोजनाओं में से एक है, जो इसे अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) के लिए सबसे अधिक संसाधन प्रदान करता है। यह पेटेंट में भी अग्रणी है , और 2020 में, इसने पहली बार हाइपरलूप यात्री परीक्षण पूरा किया है।
  • हाइपरलूप टीटी का फ्रांस में परीक्षण ट्रैक है। यह अबू धाबी और दुबई के बीच एक हाइपरलूप बनाने की योजना बना रहा है, जिसमें 2023 तक ट्रैक चालू हो जाएगा। अमेरिका में, कंपनी 2028 तक शिकागो, क्लीवलैंड और पिट्सबर्ग को जोड़ने के लिए एक ऑपरेशनल हाइपरलूप बनाने की योजना बना रही है। यह मार्ग संभावित रूप से माल के परिवहन की क्षमता के कारण क्षेत्रीय विनिर्माण को मजबूत करते हुए क्षेत्र के श्रम बाजार को एकीकृत कर सकता है।
  • 2020 में, यूरोपीय और कनाडाई हाइपरलूप कंपनियों का एक संघ उद्योग में एक और बड़ा खिलाड़ी बन गया। अंतरराष्ट्रीय मानकीकरण के मुद्दे पर सामूहिक रूप से काम करते हुए, यह संयुक्त तकनीकी समिति विनियमन, अंतःक्रियाशीलता और सुरक्षा को देखेगी। समूह में हार्ड्ट हाइपरलूप (नीदरलैंड), हाइपर पोलैंड, ट्रांसपॉड (कनाडा), और ज़ेलेरोस हाइपरलूप (स्पेन ) शामिल हैं।

आगे का रास्ता:

नीति आयोग विशेषज्ञ समिति के सदस्यों ने पाया है कि इस योजना को कार्यान्वित करने के दो तरीके हैं:

  • पहला विदेशी कंपनियों को अनुमति प्रदान करना और दूसरा विकल्प है समानांतर में, इस क्षेत्र विशेष में गंभीर अनुसंधान एवं विकास करना। नीति आयोग के अध्ययन से पता चलता है कि हमारे पास अनुसंधान एवं विकास करने और अपने स्वयं के डिजाइन तैयार करने की क्षमता है ।लेकिन चूंकि इसमें समय लगने वाला हैI ऐसे में अगर विदेशी कंपनियां आ रही हैं जो महाराष्ट्र या कर्नाटक में एक उपक्रम स्थापित करना चाहती हैं , तो हमें उन्हें अनुमति देनी चाहिए।
  • भारत को भी एक सुरक्षा और नियामक तंत्र का गठन करना चाहिए क्योंकि हाइपरलूप प्रौद्योगिकी में सुरक्षा एक प्रमुख मुद्दा है।

हाइपरलूप प्रौद्योगिकी पर नीति आयोग विशेषज्ञ समिति

  • 2020 में, सरकारी थिंक-टैंक ‘नीति आयोग’ ने भारत में अल्ट्राहाई स्पीड ट्रैवल के लिए वर्जिन हायपरलूपकी तकनीकी और व्यावसायिक व्यवहार्यता का पता लगाने के लिए एक उच्च-स्तरीय पैनल का गठन किया है ।
  • यह पैनल नई तकनीक की खरीद के लिए तकनीकी, वाणिज्यिक, वित्तीय व्यवहार्यता और सुरक्षा मानकों और विनियमों का मूल्यांकन करेगा।

सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 3
  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

मुख्य परीक्षा प्रश्न:

  • हाल ही में 13 जनवरी 2022 को बीकानेर-गुवाहाटी एक्सप्रेस की दुर्घटना ने सरकार को चिंता में डाल दिया। भारत में हाइपरलूप ट्रेन, हाइड्रोजन फ्यूल-सेल ट्रेन शुरू करने की योजना है। भारत में हाइपर-लूप प्रौद्योगिकी कीतकनीकी, वाणिज्यिक और वित्तीय व्यवहार्यता पर चर्चा करें। समालोचनात्मक विश्लेषण करें।

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