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Daily-current-affairs / 22 Jul 2025

भारत का पर्यटन क्षेत्र 2025 : अवसर, चुनौतियाँ और सरकारी पहलें

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संदर्भ:

भारत का पर्यटन क्षेत्र इसकी सांस्कृतिक विरासत, जैव विविधता और सेवा आधारित अर्थव्यवस्था से गहराई से जुड़ा हुआ है। यह केवल एक मनोरंजन उद्योग नहीं है, बल्कि रोजगार सृजन, विदेशी मुद्रा आय, ग्रामीण विकास और वैश्विक सॉफ्ट पावर के प्रसार का एक शक्तिशाली माध्यम है। नीति आयोग ने अपनी हाल ही में जारी इंडिया टूरिज्म विज़न 2047” में पर्यटन क्षेत्र के जीडीपी में योगदान को वर्तमान 5% से बढ़ाकर 10% करने का रोडमैप प्रस्तुत किया है। यह रोडमैप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस दृष्टि को पुष्ट करता है, जिसमें उन्होंने 2047 तक भारतीय पर्यटन को एक ट्रिलियन डॉलर के क्षेत्र में बदलने का लक्ष्य रखा है।

  • यह नया फोकस अमृत काल’—यानी स्वतंत्रता की शताब्दी तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने की यात्राके लिए तैयार की गई भारत की आर्थिक रणनीति के केंद्र में पर्यटन को स्थापित करता है। जब भारत 2047 तक 32 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है, तो पर्यटन उद्योग को बढ़ाना कोई गौण उद्देश्य नहीं, बल्कि इस दृष्टि का एक केंद्रीय स्तंभ है।

भारत में पर्यटन: वर्तमान स्थिति और विकास की दिशा:

  • वित्त वर्ष 2022-23 में पर्यटन ने भारत की जीडीपी में 5% योगदान दिया और प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष चैनलों के माध्यम से 7.6 करोड़ नौकरियों का समर्थन किया। पर्यटन मंत्रालय के अनुसार, 2024 में विदेशी पर्यटक आगमन (FTA) लगभग 1 करोड़ तक पहुंच गया, जो महामारी के बाद की गिरावट से उभरने का संकेत है। 2023 में पर्यटन से विदेशी मुद्रा आय $28 बिलियन से अधिक रही, जो इसकी आर्थिक महत्ता को दर्शाता है।
  • भारत इस समय पर्यटन प्राप्तियों में वैश्विक स्तर पर 14वें स्थान पर है और विश्व के केवल 1.45% अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों को आकर्षित करता है। इसके विपरीत, फ्रांस, स्पेन और थाईलैंड जैसे देश इससे कई गुना अधिक पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
    हालाँकि, भारत की मजबूत घरेलू पर्यटन बाजार इसकी एक अनोखी ताकत है। 2023 में भारतीयों ने 2 अरब से अधिक घरेलू यात्राएँ कीं, जिससे आंतरिक पर्यटन मांग, बुनियादी ढांचे के विकास और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का एक शक्तिशाली स्रोत बन गया।

भारत को एक अनोखा पर्यटन स्थल बनाने वाले कारक:

भारत की पर्यटन प्रतिस्पर्धा की ताकत इसकी विविधता में निहित हैभौगोलिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और चिकित्सकीय। यह देश को एक साथ कई बाजार क्षेत्रों की सेवा करने की क्षमता देता है।
भारत की प्रमुख पर्यटन पेशकशों के स्तंभ हैं:

  • आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत: वाराणसी, अमृतसर, हम्पी, अजंता-एलोरा और चारधाम जैसे स्थलों के माध्यम से भारत आध्यात्मिक पर्यटन के लिए वैश्विक आकर्षण है। रामायण सर्किट और बौद्ध सर्किट को अब देखो अपना देशअभियान के तहत सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया जा रहा है।
  • चिकित्सा और वेलनेस पर्यटन: चेन्नई, दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में उच्च गुणवत्ता वाली, कम लागत वाली चिकित्सा सेवाएँ उपलब्ध हैं, जो पश्चिम एशिया, अफ्रीका और दक्षिण-पूर्व एशिया के रोगियों को आकर्षित करती हैं। केरल और उत्तराखंड के वेलनेस रिसॉर्ट आयुर्वेद और योग के पारंपरिक रूपों को आधुनिक देखभाल के साथ जोड़ते हैं।
  • प्राकृतिक और साहसिक पर्यटन: हिमालय से लेकर वेस्टर्न घाट, कच्छ के रण से लेकर सुंदरबन तक, भारत के जैव विविधता हॉटस्पॉट ट्रेकिंग, वाइल्डलाइफ सफारी, रिवर राफ्टिंग और इकोटूरिज्म की पेशकश करते हैं।
  • इवेंट्स और MICE पर्यटन: बेहतर कन्वेंशन सेंटर और उन्नत एयरपोर्ट्स के साथ, भारत अब मीटिंग्स, इंसेंटिव्स, कॉन्फ्रेंस और एग्ज़िबिशन (MICE) का केंद्र बनने की दिशा में अग्रसर है। 2023–24 के G20 से जुड़े पर्यटन आयोजनों ने भारत की वैश्विक आयोजन क्षमता को प्रदर्शित किया।

चुनौतियाँ:
अपार संभावनाओं के बावजूद, भारत का वैश्विक पर्यटन में हिस्सा कम है। कई संरचनात्मक चुनौतियाँ विकास को बाधित कर रही हैं:

  • अपर्याप्त अंतिम-मील कनेक्टिविटी: कई पर्यटन स्थलों तक उचित सड़क, रेलवे या सीधी हवाई पहुँच नहीं है, जिससे दूरदराज़ और उभरते स्थलों तक पहुँचना कठिन होता है।
  • सुरक्षा और स्वच्छता की चिंताएँ: स्वच्छता, सार्वजनिक शौचालयों की कमी और महिलाओं की सुरक्षा अब भी ग्रामीण और अर्ध-शहरी पर्यटन स्थलों पर प्रमुख समस्याएँ हैं।
  • वीज़ा और प्रवेश की बाधाएँ: उच्च वीज़ा शुल्क, समूह पर्यटन की सुविधा की कमी और जटिल ई-वीज़ा प्रक्रियाएँ विदेशी यात्रियों के लिए प्रमुख बाधाएँ हैं।
  • हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में कौशल की कमी: पर्यटन-सामना करने वाली भूमिकाओं में प्रशिक्षित कर्मियों की कमीजैसे गाइड, होटल कर्मचारी और अनुवादकअतिथियों के अनुभव को प्रभावित करती है।
  • डिजिटल अवसंरचना का अभाव: पर्यटक अब निर्बाध डिजिटल अनुभव की अपेक्षा करते हैंबुकिंग, नेविगेशन, भुगतान और समीक्षा तक। भारत के कई पर्यटन स्थलों में अब भी मजबूत डिजिटल एकीकरण की कमी है।
    ये समस्याएँ न केवल पर्यटकों की संतुष्टि को प्रभावित करती हैं, बल्कि भारत की वैश्विक रैंकिंग को भीजैसे कि 2021 में भारत का TTDI (ट्रैवल एंड टूरिज्म डेवलपमेंट इंडेक्स) में 54वाँ स्थान।

India’s Tourism Sector in 2025

सरकारी प्रयास और नीतिगत प्रोत्साहन
पर्यटन की परिवर्तनकारी शक्ति को पहचानते हुए, सरकार ने इस क्षेत्र को बढ़ाने के लिए कई योजनाएँ और पहल शुरू की हैं।

  • स्वदेश दर्शन 2.0: 50 स्थलों में स्थायी और थीम-आधारित पर्यटन अवसंरचना विकास पर केंद्रित।
  • प्रसाद योजना: धार्मिक विरासत स्थलों पर बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने का उद्देश्य, विशेष रूप से आध्यात्मिक पर्यटन पर फोकस।
  • उड़ान योजना: क्षेत्रीय हवाई कनेक्टिविटी को बेहतर बनाकर टियर-2 और टियर-3 शहरों को पर्यटन सर्किट से जोड़ना।
  • देखो अपना देश: घरेलू यात्रा और जागरूकता को बढ़ावा देने का अभियान, जिसमें समूह यात्रा के लिए वित्तीय प्रोत्साहन और राज्य स्तरीय प्रतिस्पर्धाएँ शामिल हैं।
    इसके अतिरिक्त, गुजरात, केरल और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों ने अपने-अपने पर्यटन नीति बनाए हैं, जिनमें ईको-टूरिज्म, हेरिटेज हॉस्पिटैलिटी और सिनेमाई पर्यटन पर विशेष ध्यान है।

2047 की दृष्टि: भारत को वैश्विक पर्यटन शक्ति बनाना
सरकार की 2047 की दृष्टि में पर्यटन क्षेत्र के जीडीपी में योगदान को दोगुना करना और 15 करोड़ पर्यटन-संबंधित नौकरियाँ सृजित करना शामिल है। इसे साकार करने की प्रमुख प्राथमिकताएँ हैं:

  • डिजिटल-फर्स्ट पर्यटन सेवाएँ: डिजिटल बुकिंग, बहुभाषी वर्चुअल गाइड्स और एआई-आधारित पर्यटक सहायता का सार्वभौमिक उपयोग।
  • अवसंरचना का ओवरहॉल: बेहतर सड़कें, रेल और हवाई कनेक्टिविटी; स्वच्छ शौचालय और स्मार्ट साइनेज पर्यटक सर्किट में।
  • वीज़ा उदारीकरण: वीज़ा-ऑन-अराइवल और मल्टी-एंट्री ग्रुप वीज़ा का विस्तार, जिससे भारत को पर्यटकों के लिए अधिक अनुकूल बनाना।
  • रणनीतिक ब्रांडिंग:इनक्रेडिबल इंडियाअभियान का एकीकृत और सुसंगत रूप, जो दूतावासों, अंतरराष्ट्रीय उत्सवों और सोशल मीडिया के माध्यम से वैश्विक पहुँच बनाए।
  • समुदाय-आधारित पर्यटन: स्थानीय समुदायों और स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को होमस्टे, ईको-गाइड और सांस्कृतिक आयोजनों का प्रबंधन सौंपकर समावेशी विकास को बढ़ावा देना।

निष्कर्ष:
भारत में पर्यटन अब केवल स्थलों को देखने तक सीमित नहीं हैयह एक बहुआयामी क्षेत्र है जो ग्रामीण आजीविका, पर्यावरणीय जागरूकता, लैंगिक समानता और सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा दे सकता है।
जब भारत 2047 तक एक विकसित अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है, तब पर्यटन को एक सहायक सेवा क्षेत्र नहीं, बल्कि एक मुख्य विकास चालक के रूप में देखना होगा।
अवसंरचना, कौशल और नीति सुधार में निवेश के माध्यम से, भारत अपने पर्यटन क्षमता को एक आर्थिक शक्ति में बदल सकता हैजिससे केवल शहरों और स्मारकों को नहीं, बल्कि गांवों, कारीगरों और पूरे समाज को समृद्धि मिल सकती है।

मुख्य प्रश्न: "भारतीय पर्यटन क्षेत्र में 'सतत विकास' को सुनिश्चित करने के लिए विरासत संरक्षण और सामुदायिक भागीदारी कितनी आवश्यक है?" चर्चा कीजिए।