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Daily-current-affairs / 26 Sep 2025

जीएसटी 2.0: भारत के परोक्ष कर सुधारों के निहितार्थ

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परिचय:

भारत ने 2017 में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की शुरुआत के बाद से अपने परोक्ष कर प्रणाली में सबसे बड़े सुधारों में से एक को लागू कर दिया। 22 सितंबर 2025 से प्रभावी हुए इस सुधार पैकेज को लोकप्रिय रूप से जीएसटी 2.0 कहा जा रहा है, जिसमें जीएसटी स्लैब का व्यापक पुनर्गठन, दरों का तार्किकीकरण और अनुपालन प्रक्रियाओं का सरलीकरण शामिल है।

    • सरकार ने इस कदम को जीएसटी बचत उत्सवनाम दिया है। इसका उद्देश्य कर संरचना को सरल बनाना, खपत को बढ़ावा देना, उल्टे शुल्क संरचना (इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर) की समस्या को कम करना और नागरिकों के हाथों में अधिक व्यय योग्य आय देना है। 375 से अधिक वस्तुओं पर दरें घटाकर सरकार को उम्मीद है कि घरेलू खपत बढ़ेगी, जिससे निजी निवेश आकर्षित होगा और कर कटौती से हुए राजस्व घाटे की भरपाई हो सकेगी।

जीएसटी की शुरुआत:

    • जीएसटी जुलाई 2017 में लागू किया गया था, जिसने 17 अलग-अलग परोक्ष करों और 13 उपकरों को एकीकृत उपभोग-आधारित कर में समाहित कर दिया। इसे एक राष्ट्र, एक कर, एक बाजारकी दिशा में बड़ा कदम बताया गया, लेकिन व्यवहार में यह कई दरों, बार-बार छूटों और वस्तुओं व सेवाओं के वर्गीकरण पर विवादों के कारण जटिल हो गया।
    • पिछले आठ वर्षों में दर संशोधनों के एक दर्जन से अधिक दौर हो चुके हैं। हालांकि, जीएसटी 2.0 सबसे महत्वाकांक्षी पुनर्गठन है, क्योंकि यह जटिल चार-स्तरीय प्रणाली से हटकर एक सरल दो-स्तरीय डिजाइन की ओर बढ़ता है, जिसमें कीमती पत्थरों और अपवर्जित वस्तुओं (demerit goods) के लिए विशेष दरें रखी गई हैं।

जीएसटी 2.0 की मुख्य विशेषताएं:

1.        सरलीकृत दर संरचना
पहले जीएसटी चार प्रमुख स्लैब पर काम करता था: 5%, 12%, 18% और 28%, साथ ही कई विशेष दरें भी थीं। जीएसटी 2.0 इसे दो-स्तरीय संरचना में बदल देता है:

·         5% (मेरिट दर) – 516 वस्तुएं और सेवाएं, मुख्य रूप से खाद्य पदार्थ, कृषि मशीनरी और कुछ चिकित्सीय उपकरण।

·         18% (मानक दर) – 640 श्रेणियां, मुख्य रूप से औद्योगिक उत्पाद जैसे रसायन, पेंट, ऑटोमोबाइल पार्ट्स, बॉयलर, छोटी कारें और दोपहिया वाहन।

2.      विशेष दरें

·         0.25% – अपरिष्कृत हीरे, अर्ध-कीमती पत्थर।

·         1.5% – कटे और पॉलिश किए गए हीरे।

·         3% – कीमती धातुएं जैसे सोना, चांदी और मोती।

·         40% (अपवर्जित दर) विलासिता और पापकर (Sin-tax) वस्तुएं जैसे पान मसाला, शीतल पेय, बड़ी कारें, नौकाएं और निजी विमान।

·         तंबाकू उत्पाद पूर्व प्रणाली (28% जीएसटी + क्षतिपूर्ति उपकर) के अंतर्गत रहेंगे, साथ ही एक अतिरिक्त अधिभार भी लगाया जाएगा।

3.      12% स्लैब का हटाया जाना
12% स्लैब को अधिकांश वस्तुओं से हटा दिया गया है। केवल ईंटें इस श्रेणी में बनी रहेंगी, जिन्हें विशेष कंपोज़िशन योजना (6% बिना इनपुट टैक्स क्रेडिट और 12% इनपुट टैक्स क्रेडिट के साथ) के अंतर्गत रखा गया है।

4.     सेवा क्षेत्र सुधार

·         व्यक्तिगत स्वास्थ्य और जीवन बीमा जीएसटी से मुक्त (पहले 18% कर)।

·         ₹7,500/दिन तक के होटल – 5% कर (बिना आईटीसी), पहले 12% (आईटीसी सहित)।

·         सैलून, स्पा और वेलनेस सेवाएं जीएसटी 18% से घटाकर 5%

जीएसटी 2.0 के पीछे आर्थिक तर्क:

1.        घरेलू खपत को बढ़ावा देना
सरकार को उम्मीद है कि कम जीएसटी दरों से व्यय योग्य आय बढ़ेगी, जिससे वस्तुओं और सेवाओं की मांग में वृद्धि होगी। यह खपत निवेश, रोजगार सृजन और अंततः अधिक कर राजस्व उत्पन्न करेगी, जिससे 375 से अधिक वस्तुओं पर दर कटौती से हुए तत्काल राजस्व घाटे की भरपाई हो सकेगी।

2.      इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर  (IDS) को ठीक करना
पहले की जीएसटी प्रणाली में एक बड़ी समस्या IDS थी, जिसमें इनपुट पर अंतिम उत्पाद की तुलना में अधिक कर लगता था। इससे कार्यशील पूंजी फंस जाती थी क्योंकि व्यवसायों को रिफंड पाने में कठिनाई होती थी।

·         उदाहरण: स्टील पर 18% जीएसटी लगता है जबकि साइकिल पर केवल 5%

·         जीएसटी 2.0 ने इनपुट और आउटपुट को एक ही स्लैब में लाकर ऐसे असंतुलनों को कम करने की कोशिश की है।

3.      सरलीकरण और पारदर्शिता
चार प्रमुख स्लैब को दो में मिलाकर, जीएसटी 2.0 वर्गीकरण विवादों की संभावना को कम करता है। पहले जैसे विवाद रोटी और ब्रेड पर अलग-अलग कर लगे जो  अब कम होंगे, क्योंकि समान वस्तुओं को एक समान श्रेणियों में रखा गया है।

उपभोक्ताओं तक लाभ पहुँचाना

    • यह सुनिश्चित करने के लिए कि कंपनियां कर बचत का लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचाएं, वित्त मंत्रालय ने फील्ड अधिकारियों को छह महीने तक 54 सामान्य वस्तुओं की प्री- और पोस्ट-जीएसटी कीमतों की मासिक रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया है। इनमें खाद्य उत्पाद (दूध, मक्खन, सूखे मेवे, बिस्किट, चॉकलेट), व्यक्तिगत देखभाल वस्तुएं (टूथपेस्ट, शैम्पू, शेविंग क्रीम) और शैक्षिक सामग्री (कॉपियां, पेंसिल, क्रेयॉन) शामिल हैं।
    • हालांकि सख्त एंटी-प्रॉफिटियरिंग कानून फिलहाल मौजूद नहीं है, सरकार को उम्मीद है कि नियमित निगरानी से कीमतें नियंत्रण में रहेंगी और घरेलू बजट सीधे लाभान्वित होगा।

कार्यान्वयन और अनुपालन सुधार:

1.        पंजीकरणपंजीकरण प्रक्रिया को अधिक तकनीक-आधारित और समयबद्ध बनाया जा रहा है, ताकि छोटे व्यवसायों और स्टार्ट-अप्स के लिए देरी और कागजी कार्रवाई कम हो।

2.      रिटर्न फाइलिंगजीएसटी 2.0 में प्री-फिल्ड रिटर्न की व्यवस्था होगी, जिससे मानवीय त्रुटियां, असंगतियां और अनुपालन बोझ कम होगा।

3.      रिफंड तंत्रनिर्यातकों और आईडीएस झेल रहे व्यवसायों के लिए रिफंड स्वचालित और तेज़ होंगे। सीजीएसटी अधिनियम 2017 की धारा 54(6) में संशोधन को मंजूरी दी गई है, जिसके तहत आईडीएस मामलों में 90% अंतरिम रिफंड मिल सकेगा, जैसा कि शून्य-रेटेड निर्यातों के लिए पहले से उपलब्ध है।
औपचारिक संशोधनों से पहले, सीबीआईसी को निर्देश दिया गया है कि 1 नवंबर 2025 (संभवतः अक्टूबर से ही) से अंतरिम रिफंड की अनुमति दी जाए।

आगे की चुनौतियां:

1.        राजस्व संबंधी चिंताएं: 375 से अधिक वस्तुओं पर दर कटौती से केंद्र और राज्यों दोनों के लिए अल्पकालिक राजस्व हानि होगी। सरकार इस अंतर को खपत-आधारित सुधार से पूरा करने पर निर्भर है।

2.      स्थायी IDS समस्याएं: प्रयासों के बावजूद, आईडीएस पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है। साइकिल, ट्रैक्टर, उर्वरक, वस्त्र और गत्ता डिब्बे जैसे क्षेत्रों में अभी भी इनपुट-आउटपुट दर असमानता बनी हुई है।

3.      प्रवर्तन की कमी: भारत में कंपनियों को कर लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचाने के लिए मजबूत कानूनी तंत्र नहीं है। केवल निगरानी पर निर्भरता पर्याप्त नहीं हो सकती।

4.     राज्य वित्त: जीएसटी क्षतिपूर्ति पर निर्भर राज्यों को अगर राजस्व और घटता है, तो दबाव झेलना पड़ सकता है। जीएसटी क्रियान्वयन में सहकारी संघवाद सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती रहेगा।

आगे की राह:

1.        एंटी-प्रॉफिटियरिंग उपाय मजबूत करनाऐसा कानूनी ढांचा बनाएं जिससे कर कटौती पूरी तरह खुदरा कीमतों में परिलक्षित हो।

2.      शेष IDS समस्याओं का समाधान करनाउन क्षेत्रों पर ध्यान दें जहां अभी भी इनपुट-आउटपुट असमानताएं हैं।

3.      अनुपालन की डिजिटल निगरानीपंजीकरण, रिटर्न और रिफंड को ट्रैक करने के लिए वास्तविक समय डेटा एनालिटिक्स का उपयोग करें।

4.     स्लैब की समय-समय पर समीक्षाकारोबारी सुगमता और राजस्व आवश्यकताओं के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए संरचना का निरंतर मूल्यांकन करें।

5.      राज्य वित्त को मजबूत करनाराज्य राजस्व को स्थिर करने के लिए तंत्र बनाएं, ताकि जीएसटी व्यवसायों के लिए आकर्षक बना रहे।

6.     विश्वास-आधारित अनुपालन बनानासरल प्रक्रियाओं, कम कागजी काम और पूर्वानुमेय नीतियों के जरिए स्वैच्छिक अनुपालन को बढ़ावा दें।

निष्कर्ष:

जीएसटी 2.0 भारत की कर यात्रा में एक ऐतिहासिक सुधार है। स्लैबों को सरल बनाकर, दरों का तार्किकीकरण कर और अनुपालन प्रक्रियाओं को बेहतर बनाकर यह उन कई समस्याओं को संबोधित करता है जो जीएसटी के पहले चरण में सामने आई थीं। हालांकि, राजस्व घाटे, शेष उल्टे शुल्क संरचनाओं और कमजोर प्रवर्तन तंत्र जैसी चुनौतियों से सक्रिय रूप से निपटना होगा। जीएसटी 2.0 की दीर्घकालिक सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि इन मुद्दों को कितनी प्रभावी ढंग से संबोधित किया जाता है और यह सुधार वास्तविक आर्थिक वृद्धि और नागरिकों के लिए समावेशी लाभों में कितना परिवर्तित होता है।

UPSC/PSC Main Question: जीएसटी 2.0 भारत की पूर्ववर्ती बहु-स्लैब प्रणाली से सरलीकरण और तार्किकीकरण की दिशा में एक बड़ा बदलाव है।इस सुधार के पीछे की आर्थिक तर्कसंगतता का समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिए और इसके संभावित निहितार्थों पर चर्चा कीजिए।