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Daily-current-affairs / 21 Jun 2025

हरित भारत मिशन: वन पुनर्स्थापन और जलवायु कार्रवाई के लिए एक समग्र रणनीति

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सन्दर्भ:

हाल ही में भारत सरकार ने हरित भारत मिशन (Green India Mission - GIM) के लिए एक संशोधित रोडमैप जारी किया है, जो देश के जलवायु परिवर्तन और भूमि क्षरण से निपटने के प्रयासों का एक प्रमुख घटक है। 2014 में शुरू किया गया, हरित भारत मिशन राष्ट्रीय कार्य योजना जलवायु परिवर्तन (NAPCC) के तहत आठ मिशनों में से एक है। इसका मुख्य उद्देश्य वन और वृक्ष आच्छादन को बढ़ाना, पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को बेहतर बनाना और वनों पर निर्भर समुदायों की आजीविका का समर्थन करना है।

  • जून 2025 में जारी संशोधित रोडमैप, अरावली श्रृंखला, पश्चिमी घाट, भारतीय हिमालय और मैंग्रोव पारिस्थितिक तंत्र जैसे पारिस्थितिक रूप से नाजुक क्षेत्रों पर मिशन के फोकस का विस्तार करता है। यह भारत की जलवायु प्रतिबद्धताओं के साथ संरेखित है ताकि एक बड़ा कार्बन सिंक बनाया जा सके और क्षतिग्रस्त भूमि को पुनर्स्थापित किया जा सके।

हरित भारत मिशन की उत्पत्ति और उद्देश्य
हरित भारत मिशन को 2014 में एक स्पष्ट जलवायु-केंद्रित दृष्टिकोण के साथ शुरू किया गया था। यह वन आधारित हस्तक्षेपों के माध्यम से जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
प्रमुख उद्देश्य हैं:
वन और वृक्ष आच्छादन को वन तथा गैर-वन भूमि पर बढ़ाना।
क्षतिग्रस्त वन क्षेत्रों की गुणवत्ता को बेहतर बनाना।
कार्बन अवशोषण, जल नियमन और जैव विविधता संरक्षण जैसी पारिस्थितिकी सेवाओं को बढ़ाना।
वन-निर्भर समुदायों की आय के अवसरों को बढ़ाकर उनका समर्थन करना।
• 2030 तक 2.5 से 3 बिलियन टन CO
समतुल्य अतिरिक्त कार्बन सिंक बनाना।
मिशन अब 2030 तक 24 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर वनीकरण का लक्ष्य रखता है।

हरित भारत मिशन के तीन उप-मिशन

1.        वन गुणवत्ता और पारिस्थितिकी सेवाओं में सुधार
यह उप-मिशन क्षतिग्रस्त वनों की बहाली, जैव विविधता सुधार और जल एवं मृदा संसाधनों को सुदृढ़ करने पर केंद्रित है।

2.      वन और वृक्ष आच्छादन बढ़ाना तथा पारिस्थितिक तंत्र की पुनर्स्थापना
क्षतिग्रस्त वन भूमि, परती भूमि और सामुदायिक भूमि पर वृक्षारोपण के माध्यम से वन क्षेत्र बढ़ाने पर ध्यान।

3.      वन-निर्भर समुदायों की आजीविका को बढ़ाना और विविधता लाना
वन उत्पादों और ईको-पर्यटन के सतत उपयोग के माध्यम से स्थानीय समुदायों की आय को बढ़ावा देना।

कार्यान्वयन रणनीति और वित्त पोषण
यह मिशन निचले स्तर से ऊपर की ओर (bottom-up) दृष्टिकोण को अपनाता है, अर्थात् यह जमीनी स्तर पर समुदायों की भागीदारी पर निर्भर करता है।
संयुक्त वन प्रबंधन समितियां (JFMCs) मुख्य कार्यान्वयन निकाय हैं, जो स्थानीय ग्रामीणों और वन उपयोगकर्ताओं की भागीदारी सुनिश्चित करती हैं।
वित्त पोषण स्रोत:
कुछ धनराशि केंद्रीय मिशन बजट से आती है।
अतिरिक्त धन राष्ट्रीय CAMPA फंड (प्रतिपूरक वनीकरण निधि प्रबंधन और योजना प्राधिकरण) से आता है, जिसका उपयोग वनीकरण और पर्यावरण संरक्षण के लिए किया जाता है।
समयसीमा: संशोधित रोडमैप 2021 से 2030 की 10-वर्षीय अवधि में लागू किया जाएगा।

अब तक की उपलब्धियाँ
2015-16 से 2020-21 के बीच, विभिन्न राज्य और केंद्रीय योजनाओं के तहत 11.22 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर वनीकरण और वृक्षारोपण गतिविधियाँ की गईं।
2019-20 से 2023-24 तक केंद्र सरकार ने 18 राज्यों को GIM से संबंधित गतिविधियों के लिए ₹624.71 करोड़ जारी किए, जिसमें से ₹575.55 करोड़ का उपयोग हुआ।
ये गतिविधियाँ उन राज्यों में केंद्रित रहीं जिन्हें पारिस्थितिकीय रूप से संवेदनशीलता, कार्बन अवशोषण क्षमता, वन क्षरण स्तर और बहाली व्यवहार्यता के आधार पर पहचाना गया।

संशोधित रोडमैप (2025) में नया फोकस
नया मिशन वैज्ञानिक रूप से निर्देशित, स्थान-विशिष्ट हस्तक्षेपों के माध्यम से संवेदनशील भूदृश्यों को पुनर्स्थापित और संरक्षित करने का लक्ष्य रखता है।

1.        अरावली श्रृंखला
अरावली ग्रीन वॉल परियोजना के साथ साझेदारी में विकास किया जाएगा।
• 4 राज्यों के 29 जिलों में 8 लाख हेक्टेयर भूमि पर पुनर्स्थापन गतिविधियाँ।
अरावली श्रृंखला के चारों ओर 6.45 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में 5 किलोमीटर चौड़ा बफर ज़ोन।
स्थानीय प्रजातियों का वृक्षारोपण, घासभूमि पुनर्स्थापन, और जलग्रहण क्षेत्रों का पुनरुद्धार।
अनुमानित परियोजना लागत: ₹16,053 करोड़।
यह पहल धूल प्रदूषण और रेत-आंधियों को कम करने में मदद करेगी।

2.      पश्चिमी घाट
वनीकरण, भूजल पुनर्भरण, और परित्यक्त खनन क्षेत्रों की बहाली पर ध्यान।
वनों की कटाई और अवैध खनन के प्रभावों से निपटना।

3.      भारतीय हिमालय
क्षेत्रीय उपयुक्तता के अनुसार पारिस्थितिक पुनर्स्थापन तकनीकों का उपयोग किया जाएगा ताकि मृदा अपरदन को रोका जा सके और प्राकृतिक जल स्रोतों व नदियों की रक्षा हो सके।

4.     मैंग्रोव पारिस्थितिक तंत्र
तटीय सुरक्षा और कार्बन संग्रहण में मैंग्रोव की भूमिका को देखते हुए, मैंग्रोव पुनर्स्थापन मिशन का प्रमुख भाग होगा।

भूमि क्षरण और मरुस्थलीकरण से मुकाबला
इसरो द्वारा प्रकाशित रेगिस्तान और भूमि क्षरण एटलस (2018-19) के अनुसार:
लगभग 97.85 मिलियन हेक्टेयर (भारत की भूमि का लगभग 30%) क्षरण का शिकार है।
भारत की राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबद्धता:
• 2030 तक 26 मिलियन हेक्टेयर क्षतिग्रस्त भूमि की पुनर्स्थापना।
संशोधित हरित भारत मिशन इस लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रमुख साधन है, विशेषकर खुले वनों और क्षतिग्रस्त पारिस्थितिक तंत्रों के पुनर्स्थापन के माध्यम से।

कार्बन सिंक निर्माण और जलवायु प्रतिबद्धताएँ
संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) के तहत भारत की प्रतिबद्धताएँ:
• 2030 तक 2.5–3.0 बिलियन टन CO
समतुल्य का कार्बन सिंक बनाना।

अब तक की प्रगति:
• 2005 से 2021 के बीच, भारत पहले ही 2.29 बिलियन टन CO
समतुल्य का कार्बन सिंक बना चुका है।
वन सर्वेक्षण ऑफ इंडिया (FSI) के अनुसार:
• 15 मिलियन हेक्टेयर खुले वनों की बहाली से 1.89 बिलियन टन CO
अवशोषण संभव।
यदि सभी योजनाएँ और बहाली प्रयास GIM के अंतर्गत लाए जाएँ, तो भारत वन और वृक्ष आच्छादन को 24.7 मिलियन हेक्टेयर तक बढ़ा सकता है।
इससे 2030 तक कुल 3.39 बिलियन टन CO
समतुल्य का कार्बन सिंक उत्पन्न हो सकता है, जो वर्तमान लक्ष्य से अधिक होगा।

हरित भारत मिशन की प्रमुख रणनीतियाँ
संशोधित मिशन में कई नवोन्मेषी रणनीतियाँ शामिल हैं, जो भारत के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदानों (NDCs) के अनुरूप हैं:

1.        सूक्ष्म-पारिस्थितिक तंत्र दृष्टिकोण
अत्यधिक संवेदनशील पारिस्थितिक क्षेत्रों की बहाली पर ध्यान केंद्रित करता है, जैसे:
अरावली
पश्चिमी घाट
मैंग्रोव
भारतीय हिमालय क्षेत्र (IHR)
उत्तर-पश्चिम भारत के शुष्क क्षेत्र

2.      निजी क्षेत्र की भागीदारी
वन पुनर्स्थापन के लिए कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) फंड के उपयोग को प्रोत्साहित करता है।
निजी संगठन और व्यक्ति भी स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर पारिस्थितिक बहाली में योगदान दे सकते हैं।

3.      स्वैच्छिक कार्बन बाजारों का उपयोग
• GIM के तहत वानिकी और कृषि-वानिकी परियोजनाएँ कार्बन क्रेडिट उत्पन्न कर सकती हैं।
इन क्रेडिट्स को स्वैच्छिक कार्बन बाजारों में बेचा जा सकता है, जिससे वनीकरण प्रयासों के लिए वित्तीय प्रोत्साहन मिलेंगे।

4.     हरित भारत सेना (Green India Force)
प्रशिक्षित और प्रेरित युवाओं की एक समर्पित टीम बनाई जाएगी।
यह समूह मिशन को लागू करने, वन संपत्तियों के संरक्षण, और दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करने में मदद करेगा।

निष्कर्ष
संशोधित हरित भारत मिशन एक महत्वाकांक्षी और दूरदर्शी कार्यक्रम है, जो जलवायु परिवर्तन, भूमि क्षरण, और जैव विविधता ह्रास से निपटने में भारत की प्रतिक्रिया को सशक्त बनाता है।
पारिस्थितिक बहाली, सामुदायिक भागीदारी, और जलवायु शमन पर फोकस करके, यह मिशन स्वस्थ वनों का निर्माण, नाजुक पारिस्थितिक तंत्रों की सुरक्षा, और भारत के राष्ट्रीय एवं वैश्विक पर्यावरणीय लक्ष्यों में सार्थक योगदान का लक्ष्य रखता है।
एक ठोस कार्यान्वयन योजना, विभिन्न हितधारकों की भागीदारी, और मापने योग्य लक्ष्यों के साथ, हरित भारत मिशन केवल वृक्षारोपण नहीं है, यह भूदृश्यों के रूपांतरण, लोगों को सशक्त बनाने, और देश के लिए एक सतत भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में एक रणनीतिक जलवायु कार्रवाई योजना है।

मुख्य परीक्षा प्रश्न: हरित भारत मिशन केवल एक वृक्षारोपण कार्यक्रम नहीं बल्कि एक रणनीतिक जलवायु कार्रवाई योजना है।चर्चा कीजिए।