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Daily-current-affairs / 06 Dec 2023

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भू-राजनीतिः भारत के परमाणु इतिहास से सबक - डेली न्यूज़ एनालिसिस

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तारीख Date : 7/12/2023

प्रासंगिकता : जीएस पेपर 3-विज्ञान और प्रौद्योगिकी

कीवर्ड: जीपीएआई शिखर सम्मेलन, परमाणु युग, नैतिक विचार, आईएएआई

संदर्भ-

  • भारत 12 से 14 दिसंबर, 2023 के बीच नई दिल्ली में जीपीएआई शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने जा रहा है। एआई को समझने और विनियमित करने के वैश्विक प्रयासों के बीच, भारत अपने परमाणु इतिहास से सीख ले सकता है।
  • यद्यपि परमाणु और कृत्रिम बुद्धिमत्ता अलग-अलग प्रौद्योगिकियां हैं, लेकिन शासन, भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता और नैतिक विचारों से संबंधित इनकी चुनौतियां समान हैं। जहां एक तरफ संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन जैसी प्रमुख शक्तियां एआई प्रतिस्पर्धा में संलग्न हैं, वहीं भारत पिछली गलतियों से सबक लेने और एआई प्रौद्योगिकियों के विकसित परिदृश्य में रणनीतिक रूप से खुद को स्थापित करने की कोशिश मे लगा हुआ है।


जीपीएआई शिखर सम्मेलन 2023 के बारे में -

  • जीपीएआई शिखर सम्मेलन; कृत्रिम बुद्धिमत्ता के भविष्य और समाज पर इसके क्या प्रभाव होंगे? इस विषय पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए विज्ञान, उद्योग, नागरिक समाज, सरकारों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और शिक्षाविदों को एक साथ ला रहा है।
  • यह शिखर सम्मेलन एआई के विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करेगा, जिसमें जिम्मेदार एआई, डेटा गवर्नेंस, रोजगार पर इसके प्रभाव नवाचार और व्यावसायीकरण शामिल हैं।
  • सम्मेलन मे एआई से संबंधित प्राथमिकताओं पर अत्याधुनिक अनुसंधान और अनुप्रयोगों का समर्थन किया जाएगा । साथ ही एआई पर सिद्धांत और वास्तविकता के बीच की खाई को पाटने की कोशिश की जाएगी । सम्मेलन मे शामिल देश इससे संबंधित नवीन मूल्यों को विकसित करेने की कोशिश करेंगे ।
  • जीपीएआई 28 सदस्य देशों और यूरोपीय संघ का एक समूह है। भारत 2020 में एक संस्थापक सदस्य के रूप में समूह में शामिल हुआ था।

परमाणु युग से सबक

  • यद्यपि परमाणु प्रौद्योगिकी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (ए. आई.) में काफी अंतर है, लेकिन इनमे कुछ समानताएं भी हैं।
  • परमाणु क्रांति की शुरुआत अगस्त 1945 में हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बमों के हमले के साथ हुई थी। इससे परमाणु तकनीक की अपार विनाशकारी शक्ति का पता चला । इस हमले ने वैश्विक नेताओं और वैज्ञानिकों को परमाणु हथियारों से मानवता के अस्तित्व के लिए खतरों को कम करने हेतु रणनीतियों पर विचार करने के लिए प्रेरित किया।
  • परमाणु प्रौद्योगिकी की तरह , एआई तकनीक भी संभावित रूप से बडे स्तर पर तबाही कर सकती है। यह आशंका व्यक्त की जा रही है कि भविष्य मे AI मशीने, मानव नियंत्रण को खत्म कर उन्हें वश में कर लेगी।
  • परमाणु प्रौद्योगिकी वर्तमान मे बहुत सस्ती ऊर्जा प्रदान कर रही है, इसके विपरीत एआई व्यापक स्तर पर अर्थव्यवस्था, समाज और शासन को मौलिक रूप से बदल सकती है।

एआई की भू-राजनीतिक गतिशीलता

  • परमाणु युग की तरह, एआई की तेजी से प्रगति ने हथियार नियंत्रण समझौतों और अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों पर पुनः चर्चा शुरू कर दी है। संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन, शीत युद्ध के समान, एआई तकनीक की दौड़ मे लगी हुई हैं।
  • राष्ट्रपति जो बिडेन और चीनी नेता शी जिनपिंग के बीच हाल के समझौते सैन्य एआई को विनियमित करने की तात्कालिकता को उजागर करते हैं। हालाँकि, प्रतिस्पर्धा को सीमित करने के प्रयासों के बावजूद, दोनों देश सक्रिय रूप से एआई विकास को आगे बढ़ा रहे हैं।
  • परमाणु प्रौद्योगिकी के समान एआई को विनियमित करने के वैश्विक स्तर पर प्रयास किये जा रहे हैं। इसी क्रम मे परमाणु ऊर्जा विनियमन के लिए 1957 में स्थापित अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के समान "आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए अंतर्राष्ट्रीय एजेंसी" (आईएएआई) को स्थापित करने का प्रस्ताव विचाराधीन हैं।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका, सहयोग और सैन्य प्रतिरोध पर जोर देते हुए ग्लोबल पार्टनरशिप फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (जीपीएआई) जैसी पहलों के माध्यम से गठबंधन बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

भारत की रणनीतिक स्थिति

  • चूंकि भारत जीपीएआई शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है, इसे एआई की जटिलताओं को समझने के लिए अपने परमाणु इतिहास से सबक लेना चाहिए।
  • परमाणु हथियारों पर स्पष्ट सोच विकसित करने मे निरस्त्रीकरण के आदर्शवाद ने बाधा पैदा की थी। एआई के संदर्भ मे भारत को रणनीतिक स्पष्टता रखनी चाहिए।
  • दूसरा, संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों के साथ वैश्विक साझेदारी का निर्माण, भारत की एआई आकांक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी का परमाणु हथियार बनाने में भारत की सहायता करने का प्रस्ताव, भारत द्वारा तकनीकी प्रगति के लिए इस तरह के गठबंधनों का लाभ उठाने के महत्व को रेखांकित करता है। ध्यान देने वाली बात है कि अतीत मे झिझक ने प्रगति में बाधा डाली है, लेकिन वर्तमान सरकार का सहयोग पर जोर एक सकारात्मक बदलाव का संकेत देता है जिसके लिए नीति के तेजी से कार्यान्वयन की आवश्यकता है।
  • तीसरा, भारत को असाधारणता की घोषणा करने और तकनीकी विकास में "तीसरा रास्ता" अपनाने के प्रलोभन से बचना चाहिए। 1970 के दशक मे जहां राजनीतिक रुख ने भारत को महत्वपूर्ण रूप से पीछे कर दिया, इस उदाहरण से भारत को सबक लेना चाहिए और एक व्यावहारिक दृष्टिकोण को अपनाना चाहिए हैं। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के महत्व को स्वीकार करते हुए, भारत को निजी क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका के साथ एआई में मजबूत घरेलू क्षमताओं के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

घरेलू अनिवार्यताएँ और वैश्विक सहयोग

  • वैश्विक एआई पदानुक्रम में अपनी स्थिति बढ़ाने के लिए, भारत को एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है। इस दिशा मे घरेलू क्षमताओं को मजबूत करना सर्वोपरि है, जिसमें निजी क्षेत्र की सक्रिय भागीदारी आवश्यक है।
  • अतीत मे सरकार के नेतृत्व वाली तकनीकी प्रगति के विपरीत, समकालीन एआई मे निजी क्षेत्र नेतृत्व कर रहा है। पश्चिमी देशों में अनुसंधान, विकास और नवाचार मे निजी क्षेत्र काफी आगे है।
  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी (एस एंड टी) क्षेत्र मे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) द्वारा हाल ही में की गई पहल सराहनीय है, लेकिन यह कदम केवल एक प्रारंभिक कदम का प्रतिनिधित्व करता है।
  • भारत के प्रौद्योगिकी क्षेत्र में सुधार की तात्कालिकता स्पष्ट है, जिसके लिए तेजी से विकसित हो रहे एआई परिदृश्य के अनुरूप व्यापक नीतियों की आवश्यकता है। अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका और समान विचारधारा वाले देशों के साथ, सामूहिक विशेषज्ञता और संसाधनों का लाभ उठाने के लिए जोरदार तरीके से आगे बढ़ाया जाना चाहिए।

निष्कर्ष

जैसा कि भारत एआई विकास की प्रारम्भिक अवस्था मे है, इसके परमाणु इतिहास से सबक एक मूल्यवान मार्गदर्शन प्रदान कर सकता हैं। एआई की भू-राजनीतिक जटिलताओं को दूर करने के लिए रणनीतिक स्पष्टता, सहयोगात्मक साझेदारी और एक व्यावहारिक दृष्टिकोण अनिवार्य है।इस दिशा मे निजी क्षेत्र को शामिल करते हुए मजबूत घरेलू क्षमताओं के निर्माण की तात्कालिकता को कम नहीं किया जा सकता है। पिछली गलतियों से सीखकर और एक प्रगतिशील रणनीति को अपनाकर, भारत के पास कृत्रिम बुद्धिमत्ता के जिम्मेदार और नैतिक विकास में योगदान देते हुए वैश्विक एआई परिदृश्य में खुद को एक प्रमुख देश के रूप में स्थापित करने का अवसर है।

यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न

  1. भारत के परमाणु इतिहास और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) शासन में चुनौतियों के बीच भू-राजनीतिक समानताओं की जांच करें। चर्चा करें कि कैसे परमाणु युग से सबक भारत को विकसित एआई परिदृश्य में रणनीतिक रूप से खुद को स्थापित करने में मार्गदर्शन कर सकते हैं। (10 marks, 150 words)
  2. वैश्विक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) विकास में अपनी स्थिति को मजबूत हेतु भारत के लिए अनुशंसित रणनीतियों का मूल्यांकन करें। भारत निजी क्षेत्र की भागीदारी और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के साथ घरेलू क्षमताओं को बढ़ावा देने को कैसे संतुलित कर सकता है ? (15 marks, 250 words)

Source- The Indian Express


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