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Daily-current-affairs / 06 Nov 2025

खाद्य सुरक्षा से पोषण सुरक्षा तक: भारत की विज्ञान‑नीति पहल | Dhyeya IAS

खाद्य सुरक्षा से पोषण सुरक्षा तक: भारत की विज्ञान‑नीति पहल | Dhyeya IAS

सन्दर्भ:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 3 नवंबर 2025 को नई दिल्ली में पहले इमर्जिंग साइंस, टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन कॉन्क्लेव (ESTIC) का उद्घाटन किया, जिसमें उन्होंने भारत के वैज्ञानिकों से राष्ट्र को पोषण सुरक्षा की दिशा में अग्रसर करने का आह्वान किया। प्रधानमंत्री ने खाद्य उपलब्धता सुनिश्चित करने के साथ-साथ प्रत्येक नागरिक को पोषक तत्वों से भरपूर, सुरक्षित और सस्ती खाद्य सामग्री तक पहुँच सुनिश्चित करने की आवश्यक पर भी बल दिया। प्रधानमंत्री ने वैज्ञानिकों से जैव-संवर्धित फसलों के विकास, स्वच्छ ऊर्जा भंडारण में नवाचार तथा व्यक्तिगत चिकित्सा को बढ़ावा देने के लिए भारत की जीनोमिक जैव विविधता के मानचित्रण की दिशा में काम करने का आग्रह किया।

    • ESTIC भारत की वैज्ञानिक प्रणाली में एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक है, जिसने एक सदी पुराने इंडियन साइंस कांग्रेस का स्थान लिया है। इसका उद्देश्य विज्ञान, कृषि, पोषण और प्रौद्योगिकी को जोड़ते हुए खाद्य और स्वास्थ्य से संबंधित राष्ट्रीय चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक सहयोगी रोडमैप तैयार करना है।

भारत की खाद्य और कृषि क्षेत्र में प्रगति:

    • पिछले एक दशक में भारत ने खाद्य उत्पादन और कृषि विविधीकरण में उल्लेखनीय प्रगति की है। खाद्यान्न उत्पादन में लगभग 90 मिलियन मीट्रिक टन की वृद्धि हुई है, जबकि फलों और सब्जियों के उत्पादन में लगभग 64 मिलियन मीट्रिक टन की वृद्धि दर्ज की गई है। भारत अब दूध और मोटे अनाज (मिलेट्स) के उत्पादन में विश्व में प्रथम तथा फल, सब्जियों और मत्स्य उत्पादन में द्वितीय स्थान पर है। 2014 के बाद से शहद और अंडा उत्पादन भी दोगुना हो गया है, जो व्यापक कृषि विकास का संकेत है।
    • पिछले 11 वर्षों में भारत के कृषि निर्यात लगभग दोगुने हो गए हैं, जिससे वह वैश्विक खाद्य आपूर्तिकर्ता के रूप में एक प्रमुख स्थान पर पहुंच गया है। ये उपलब्धियाँ देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में सफलता को दर्शाती हैं अर्थात, विशाल जनसंख्या के लिए पर्याप्त भोजन की उपलब्धता। किंतु अब चुनौती पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की है, जिसके लिए आहार की गुणवत्ता में सुधार और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को दूर करना आवश्यक है।

पोषण सुरक्षा क्यों महत्वपूर्ण है?

पोषण सुरक्षा केवल पेट भरने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करती है कि लोगों को आवश्यक विटामिन और खनिजों से भरपूर संतुलित आहार मिले ताकि उनका स्वास्थ्य अच्छा बना रहे। खाद्य प्रचुरता के बावजूद भारत अब भी गंभीर पोषण चुनौतियों का सामना कर रहा है।

• ICMR ने 1990 से 2016 के बीच गैर-संचारी रोगों (NCDs) में 25% की वृद्धि दर्ज की है, जिनमें से कई का संबंध खराब खानपान से है।
विश्व की सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से पीड़ित आबादी का लगभग एक-तिहाई हिस्सा भारत में रहता है।
हालांकि 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में ठिगनापन (stunting) 38% (2015–16) से घटकर 35% (2019–21) हो गया है, परंतु यह अब भी चिंताजनक स्तर पर है।

स्थिति को और गंभीर बनाते हुए, मिट्टी और फसलों में पोषक तत्वों की कमी तथा आर्सेनिक और क्रोमियम जैसे विषैले धातुओं की उपस्थिति ने प्रमुख अनाजों को कम पौष्टिक बना दिया है। इससे तंत्रिका, हृदय और अस्थि-मांसपेशी तंत्र से संबंधित रोगों का खतरा बढ़ा है।

खाद्य एवं पोषण सुरक्षा हेतु प्रमुख सरकारी पहलें:

1.        राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एवं पोषण मिशन (NFSNM):
मूल रूप से 2007–08 में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM) के रूप में शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य उत्पादकता बढ़ाकर चावल, गेहूं और दलहनों का उत्पादन बढ़ाना, मिट्टी का पुनर्स्थापन और किसानों को सशक्त बनाना था।
2024–25 में इसे विस्तारित कर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एवं पोषण मिशन (NFSNM) नाम दिया गया, ताकि फसल उत्पादकता के साथ पोषण परिणामों को भी जोड़ा जा सके। यह सरकार के उद्देश्य को दर्शाता है कि वह खाद्य मात्रा के साथ-साथ पोषण गुणवत्ता को भी बढ़ाना चाहती है।

2.      राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013:
NFSA भारत की खाद्य वितरण प्रणाली का आधारस्तंभ है। यह ग्रामीण आबादी के 75% और शहरी आबादी के 50% (लगभग 81.35 करोड़ लोगों) को सस्ती दरों पर खाद्यान्न का कानूनी अधिकार प्रदान करता है।
अंत्योदय अन्न योजना (AAY) के परिवारों को प्रति माह 35 किलो अनाज मिलता है, जबकिप्राथमिकता वाले परिवारों को प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलो अनाज मिलता है।
वर्तमान में लगभग 79 करोड़ लाभार्थी इस योजना के अंतर्गत हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि सबसे गरीब परिवारों तक नियमित रूप से भोजन पहुंचे। NFSA और NFSNM मिलकर उत्पादन और वितरण दोनों को जोड़ते हुए कृषि को सामाजिक कल्याण से एकीकृत करते हैं।

3.      प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY):
COVID-19 महामारी के दौरान शुरू की गई यह योजना NFSA लाभार्थियों को मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराकर आर्थिक संकट से राहत देने हेतु प्रारंभ की गई थी। अब यह एक दीर्घकालिक सुरक्षा जाल के रूप में विकसित हो गई है।
जनवरी 2024 से सरकार ने इस मुफ्त खाद्यान्न योजना को पाँच वर्षों के लिए ₹11.8 लाख करोड़ की अनुमानित लागत पर (पूरी तरह केंद्र द्वारा वहन) बढ़ा दिया है। इस कदम से सुनिश्चित किया गया है कि महंगाई या आय में गिरावट के कारण कोई भी परिवार भूखा न बने।

4.     पीएम पोषण (पोषण शक्ति निर्माण) योजना:
पहले मिड-डे मील योजना के नाम से जानी जाने वाली यह योजना सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में 14 वर्ष तक के छात्रों को पका हुआ भोजन उपलब्ध कराकर बच्चों के पोषण और उपस्थिति में सुधार करती है।
यह सीखने के परिणामों को बेहतर बनाती है, ड्रॉपआउट दर को कम करती है और सामाजिक समानता को बढ़ावा देती है। FY 2024–25 में इस योजना के लिए 22.96 लाख मीट्रिक टन चावल और गेहूं आवंटित किए गए, जो राष्ट्रीय पोषण एजेंडा में इसकी प्राथमिकता को दर्शाता है।

5.      फोर्टिफाइड चावल योजना (Rice Fortification Initiative):
सूक्ष्म पोषक तत्वों की व्यापक कमी से निपटने के लिए भारत ने सभी प्रमुख कल्याणकारी योजनाओं में चावल सुदृढ़ीकरण लागू किया है। सुदृढ़ित चावल में आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन B12 होते हैं, जो एनीमिया और अन्य कमियों को दूर करते हैं।
यह कार्यक्रम 2019 में एक पायलट के रूप में शुरू हुआ और चरणबद्ध तरीके से पूरे देश में लागू किया गया। मार्च 2024 तक PMGKAY, NFSA, ICDS और PM POSHAN के तहत वितरित 100% चावल सुदृढ़ किए जा चुके थे।
मंत्रिमंडल ने हाल ही में दिसंबर 2028 तक सुदृढ़ चावल वितरण को जारी रखने को मंजूरी दी है, जिसके लिए ₹17,082 करोड़ की केंद्रीय सहायता प्रदान की जाएगी। यह विश्व की सबसे बड़ी खाद्य सुदृढ़ीकरण योजनाओं में से एक है।

सार्वजनिक वितरण में प्रौद्योगिकी आधारित सुधार:

सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) का आधुनिकीकरण कर रही है ताकि दक्षता, पारदर्शिता और पोर्टेबिलिटी बढ़ाई जा सके।

    • SMART-PDS पहल: स्कीम फॉर मॉडर्नाइजेशन एंड रिफॉर्म्स थ्रू टेक्नोलॉजी (SMART-PDS) दिसंबर 2025 तक लागू की जा रही है। इसका उद्देश्य क्रय, आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन, राशन कार्ड प्रणाली और बायोमेट्रिक अनाज वितरण का डिजिटलीकरण करना है।
    • मेरा राशन 2.0: अगस्त 2024 में लॉन्च किया गया यह उन्नत मोबाइल ऐप राशन अधिकारों और नजदीकी उचित मूल्य की दुकानों की वास्तविक समय की जानकारी प्रदान करता है। 1 करोड़ से अधिक डाउनलोड से डिजिटल अपनाने में बढ़ोतरी दिखाई देती है।
      • अन्य सुधारों में शामिल हैं:
        राशन कार्डों और लाभार्थी डाटाबेस का 100% डिजिटलीकरण।
        प्रमाणीकरण हेतु 99.9% आधार सीडिंग।
        पारदर्शी लेनदेन के लिए बायोमेट्रिक-सक्षम उचित मूल्य की दुकानें।
        वन नेशन, वन राशन कार्ड (ONORC) पहल, जो राज्यों के बीच राशन पोर्टेबिलिटी सुनिश्चित करती है।

बाज़ार स्थिरता और आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करना:

    • ओपन मार्केट सेल स्कीम- घरेलू (OMSS-D):
      ओपन मार्केट सेल स्कीम अतिरिक्त गेहूं और चावल को खुले बाजार में बेचकर खाद्यान्न की कीमतों को नियंत्रित करती है। यह उपलब्धता सुनिश्चित करती है, मुद्रास्फीति को नियंत्रित करती है और खाद्य पदार्थों को सुलभ बनाए रखती है। इसके अंतर्गत सरकार ने भारत आटा और भारत चावल ब्रांड लॉन्च किए हैं ताकि उपभोक्ताओं को सब्सिडी वाले मूल्यों पर खाद्य सामग्री उपलब्ध हो सके।
    • दालों में आत्मनिर्भरता मिशन:
      अक्टूबर 2025 में ₹11,440 करोड़ के बजट के साथ शुरू किया गया यह मिशन 2031 तक दालों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने का लक्ष्य रखता है। इसका उद्देश्य 35 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में खेती का विस्तार करना और लगभग दो करोड़ किसानों को लाभ पहुंचाना है। यह मिशन पोषण और आर्थिक सुरक्षा दोनों लक्ष्यों को जोड़ता है।

वैश्विक नेतृत्व का प्रदर्शन:

    • सितंबर में आयोजित वर्ल्ड फूड इंडिया 2025 में भारत ने स्वयं को वैश्विक खाद्य केंद्रके रूप में प्रस्तुत किया, जिसमें 90 से अधिक देशों और 2,000 प्रदर्शकों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम में भारत की खाद्य प्रसंस्करण, स्थिरता और नवाचार आधारित कृषि में प्रगति को प्रदर्शित किया गया।
    • इसके अतिरिक्त, WWF लिविंग प्लेनेट रिपोर्ट ने भारतीय थाली को विश्व के सबसे स्थायी और पौष्टिक आहारों में से एक बताया। मुख्यतः पौध-आधारित भारतीय आहार संसाधनों के न्यूनतम उपयोग और कम उत्सर्जन के कारण यह दर्शाता है कि पारंपरिक खाद्य प्रणालियाँ स्वास्थ्य और पर्यावरणीय स्थिरता दोनों का समर्थन कर सकती हैं।

निष्कर्ष:

खाद्य सुरक्षा से पोषण सुरक्षा की दिशा में भारत की यात्रा एक व्यापक परिवर्तन को दर्शाती है जो विज्ञान, नवाचार और जनकल्याण को एकीकृत करती है। देश ने न केवल खाद्य उत्पादन बढ़ाया है, बल्कि अब यह सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है कि भोजन सुरक्षित, पौष्टिक और समान रूप से वितरित हो। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एवं पोषण मिशन, फोर्टिफाइड चावल योजना, पीएम पोषण और SMART-PDS जैसी पहलें भारत को एक मजबूत ढांचा प्रदान कर रही हैं, जो कृषि उत्पादकता, सार्वजनिक स्वास्थ्य और डिजिटल शासन को जोड़ती हैं।

UPSC/PCS मुख्य प्रश्न: भारत में पोषण सुरक्षाप्राप्त करने के लिए कृषि, सार्वजनिक स्वास्थ्य और डिजिटल शासन के बीच समन्वय क्यों आवश्यक है? समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए।