परिचय:
जलवायु परिवर्तन आज वैश्विक स्तर पर एक गंभीर चुनौती बनकर उभरा है, जिसका सबसे अधिक प्रभाव गरीब और ग्रामीण समुदायों पर पड़ता है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) की एक ताजा रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि किस तरह जलवायु संकट के कारण गरीब परिवारों की आजीविका प्रभावित हो रही है। यह रिपोर्ट न केवल जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को उजागर करती है, बल्कि यह भी बताती है कि कैसे सामाजिक असमानताएं इस संकट को और गहरा कर रही हैं। भारत में कृषि और ग्रामीण गरीबों पर इसके प्रभाव को समझने के लिए यह रिपोर्ट बेहद महत्वपूर्ण है।
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संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO)- खाद्य और कृषि संगठन (FAO) संयुक्त राष्ट्र की एक विशेषीकृत एजेंसी है, जिसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर भूख से लड़ना और खाद्य सुरक्षा तथा पोषण में सुधार करना है। इसकी स्थापना 16 अक्टूबर, 1945 को हुई थी, और इसका मुख्यालय रोम, इटली में स्थित है। FAO के 195 सदस्य हैं, जिनमें 194 देश और यूरोपीय संघ शामिल हैं। FAO के प्रमुख उद्देश्य FAO (खाद्य और कृषि संगठन) के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
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FAO की वर्तमान रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु:
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) की इस ताजा रिपोर्ट का शीर्षक है - "अन्यायपूर्ण जलवायु: ग्रामीण गरीब, महिलाएं और युवाओं पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव"। इसमें बताया गया है कि जलवायु परिवर्तन के विभिन्न प्रभावों का सीधा असर भारत के ग्रामीण गरीबों पर पड़ता है। विशेष रूप से, सूखा या अन्य ऐसे संकट के समय में गरीब परिवार अपनी कृषि उत्पादकता को बनाए रखने के लिए अधिक समय और संसाधन लगाने पर मजबूर हो जाते हैं, क्योंकि उस समय गैर-कृषि रोजगार के अवसर सीमित हो जाते हैं। इस रिपोर्ट को FAO के वरिष्ठ अर्थशास्त्री निकोलस सिटको ने 16 अक्टूबर, 2024 को नई दिल्ली में प्रस्तुत किया। इसके प्रमुख बिंदु इस तरह हैं -
· जलवायु संकट से आर्थिक नुकसान: रिपोर्ट में बताया गया है कि वैश्विक स्तर पर गरीब परिवारों को हर साल गर्मी के तनाव के कारण 5% और बाढ़ के कारण 4.4% आय का नुकसान होता है।
· भारत में ग्रामीण गरीबों पर प्रभाव: रिपोर्ट के अनुसार, भारत के ग्रामीण गरीब परिवारों पर जलवायु संकट का अलग-अलग प्रभाव पड़ता है। सूखे के समय गैर-कृषि रोजगार के अवसरों की कमी के कारण ये परिवार अपनी आजीविका बनाए रखने के लिए कृषि में अधिक संसाधन लगाते हैं।
· संरचनात्मक असमानताएं: रिपोर्ट में कहा गया है कि गरीब परिवारों की जलवायु संकट के प्रति संवेदनशीलता संरचनात्मक असमानताओं में निहित है। इसमें सामाजिक सुरक्षा के विस्तार जैसी नीति उपायों की सिफारिश की गई है।
· आजीविका समर्थन के लिए सुझाव: रिपोर्ट ने सुझाव दिया कि सरकार को समयपूर्व सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों का विस्तार करना चाहिए और गैर-कृषि रोजगार के अवसरों को बढ़ाना चाहिए।
· लैंगिक असमानता और रोजगार में बाधाएं: रिपोर्ट में गैर-कृषि रोजगार में लैंगिक असमानताओं को दूर करने के लिए 'जेंडर-ट्रांसफॉर्मेटिव' दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया गया है।
नीति आयोग की प्रतिक्रिया:
रिपोर्ट के निष्कर्षों पर प्रतिक्रिया देते हुए नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने कहा कि भारत जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ कर रहा है। उन्होंने निम्न पहलों का ज़िक्र किया -
· जलवायु परिवर्तन से निपटने के प्रयास: नीति आयोग ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए भारत की सक्रिय पहल, जैसे कि राष्ट्रीय नवाचारों पर आधारित 'क्लाइमेट रेसिलिएंट एग्रीकल्चर (NICRA)' परियोजना का उल्लेख किया, जो किसानों को गंभीर जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल बनने में मदद करती है।
· सामाजिक सुरक्षा योजनाएं: नीति आयोग ने भारत की रोजगार गारंटी योजना और महामारी के दौरान खाद्यान्न वितरण जैसी सामाजिक सुरक्षा पहलों का उदाहरण दिया।
· महिलाओं की कार्यबल में भागीदारी: हालिया श्रम बल सर्वेक्षणों के आंकड़ों का हवाला देते हुए नीति आयोग ने कहा कि कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो कि लिंग संबंधी मुद्दों के समाधान में प्रगति का संकेत है।
· FAO के सुझावों को अपनाने की इच्छा: नीति आयोग ने FAO की सिफारिशों को स्वीकार करते हुए कहा कि भारत उनकी नीतियों पर विचार कर सकता है, साथ ही मौजूदा पहलों पर जोर दिया।
आगे का राह:
सरकार द्वारा उठाये गये विभिन्न कदम ग्रामीण गरीब, महिलाएं और युवाओं पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने की दिशा में काम कर रहे हैं, हालाँकि इसके बावजूद निम्न दिशाओं में काम किये जा सकते हैं -
· सामाजिक सुरक्षा को मजबूत करना: गरीब परिवारों की आय को जलवायु संकट से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों और जलवायु-लचीली कृषि पद्धतियों का विस्तार किया जाना चाहिए।
· संरचनात्मक असमानताओं को दूर करना: गैर-कृषि रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देना, लैंगिक असमानताओं को खत्म करना, और जलवायु संकट से निपटने के लिए नीति आधारित कदम उठाने की जरूरत है।
निष्कर्ष :
FAO की इस रिपोर्ट ने भारत जैसे देशों के ग्रामीण गरीबों के लिए जलवायु परिवर्तन के गंभीर परिणामों को उजागर किया है। इसमें यह भी दिखाया गया है कि सामाजिक सुरक्षा और रोजगार के अवसरों में सुधार से इस संकट का सामना बेहतर तरीके से किया जा सकता है। नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने सुझाव दिया कि FAO की रिपोर्ट में भारत द्वारा लागू किये गए विभिन्न पहलों को भी शामिल किया जाना चाहिए था, लेकिन साथ ही यदि कोई अच्छी नीति सलाह दी गई है, तो सरकार उसे भी गंभीरता से लेगी।
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UPSC नोट्स:
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यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न:
जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का महत्व क्या है? इन्हें कैसे और प्रभावी बनाया जा सकता है?
