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Daily-current-affairs / 04 Jul 2025

"डिजिटल सशक्तिकरण से समावेशन तक: डिजिटल इंडिया की 10 वर्षों की यात्रा"

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संदर्भ-
1 जुलाई 2015 को शुरू किया गया डिजिटल इंडिया कार्यक्रम 2025 में अपने दस वर्ष पूरे कर चुका है। जो शुरुआत में एक सरकारी पहल थी, वह अब एक व्यापक परिवर्तन बन चुकी है, जो भारत के जीवन के लगभग हर क्षेत्र को छूती हैजनसेवा वितरण और वित्तीय समावेशन से लेकर शिक्षा, स्वास्थ्य, वाणिज्य और कृषि तक।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल इंडिया को जन आंदोलनबताया है, जिसने 140 करोड़ भारतीयों को सशक्त किया है और भारत को वैश्विक डिजिटल नेताओं की कतार में खड़ा किया है। 2014 में सीमित इंटरनेट पहुंच और कम डिजिटल साक्षरता की स्थिति से निकलकर भारत ने डिजिटल अवसंरचना, प्लेटफार्म और सेवाओं में जबरदस्त छलांग लगाई है। इस बदलाव ने शासन, सामाजिक समावेशन और आर्थिक विकास पर गहरा प्रभाव डाला है।

डिजिटल इंडिया की दृष्टि और संरचना
डिजिटल इंडिया मिशन को भारत को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था में बदलने की दृष्टि से शुरू किया गया था। यह नौ स्तंभों पर आधारित है, जो डिजिटल परिवर्तन के प्रमुख क्षेत्रों को संबोधित करते हैं:

1.        ब्रॉडबैंड हाईवे

2.      मोबाइल कनेक्टिविटी तक सार्वभौमिक पहुंच

3.      सार्वजनिक इंटरनेट एक्सेस कार्यक्रम

4.     ई-गवर्नेंस: प्रौद्योगिकी के माध्यम से शासन में सुधार

5.      ई-क्रांति: सेवाओं की इलेक्ट्रॉनिक डिलीवरी

6.     सभी के लिए सूचना

7.      इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण

8.     नौकरियों के लिए आईटी

9.      प्रारंभिक त्वरित कार्यक्रम
ये स्तंभ आपस में जुड़े हुए हैं और अवसंरचना, सेवाओं और नागरिक सशक्तिकरण के माध्यम से समावेशी विकास प्रदान करने का लक्ष्य रखते हैं।

दशक भर की प्रमुख उपलब्धियाँ

इंटरनेट कनेक्टिविटी
इंटरनेट कनेक्शन 2014 में 25 करोड़ से बढ़कर 2025 में 97 करोड़ से अधिक हो गए हैं।
भारतनेट परियोजना के तहत लगभग 6.92 लाख किमी ऑप्टिकल फाइबर बिछाई गई है, जिससे 2.18 लाख से अधिक ग्राम पंचायतें जुड़ चुकी हैं।
भारत का 5G रोलआउट दुनिया में सबसे तेज़ में से एक रहा है, जो गलवान और सियाचिन जैसे अग्रिम सैन्य क्षेत्रों तक पहुंच चुका है।

डिजिटल अवसंरचना और DPI (डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर)
भारत की डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) की वैश्विक स्तर पर सराहना की गई है। प्रमुख प्लेटफॉर्म हैं:
यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) – प्रतिवर्ष 100 बिलियन से अधिक लेन-देन करता है।
डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) – ₹44 लाख करोड़ से अधिक स्थानांतरण संभव हुए, जिससे ₹3.48 लाख करोड़ की बचत हुई।
स्वामित्व योजना – 2.4 करोड़ से अधिक संपत्ति कार्ड जारी, 6.47 लाख गांवों का नक्शांकन।
सरकारी ई-मार्केटप्लेस (GeM) – केवल 50 दिनों में ₹1 लाख करोड़ का GMV दर्ज किया।
ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) – 200 मिलियन लेन-देन पार; MSMEs और महिला नेतृत्व वाले उद्यमों को बढ़ावा मिला।
कोविन, डिजीलॉकर, फास्टैग सार्वजनिक स्वास्थ्य, दस्तावेज़ भंडारण और टोलिंग के लिए व्यापक रूप से अपनाए गए।

सुलभता और पहुँच
इंटरनेट डेटा की लागत ₹10 प्रति जीबी से भी कम हो गई है, जिससे यह अधिक किफायती बना है।
पीएम-ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान (PMGDISHA) जैसे अभियानों ने 6 करोड़ ग्रामीण परिवारों को लक्षित किया है।
आरोग्य सेतु जैसे प्लेटफॉर्म ने COVID-19 महामारी के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

आर्थिक योगदान
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2022–23 में भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था का जीडीपी में योगदान 11.74% रहा।
यह 2024–25 तक 13.42% और 2030 तक लगभग 20% तक पहुंचने का अनुमान है।
डिजिटल पहल ने भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम को भी समर्थन दिया है, जो अब विश्व के शीर्ष तीन में शामिल हैजिसे IndiaAI मिशन और 34,000+ GPUs की सस्ती पहुंच का समर्थन प्राप्त है।

डिजिटल इंडिया के तहत प्रमुख पहलें

1.        भीम ऐप दिसंबर 2016 में लॉन्च किया गया, UPI प्रणाली के माध्यम से आसान डिजिटल भुगतान संभव बनाता है।

2.      जीएसटीएन (GSTN) – केंद्रीकृत जीएसटी पोर्टल, जिसमें 44 करोड़ से अधिक रिटर्न फाइल हुए और ₹23.84 लाख करोड़ से अधिक कर भुगतान हुआ।

3.      डिजिटल इंडिया भाषिणी – 2022 में शुरू की गई, जिससे भारतीय भाषाओं में डिजिटल सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित होती है।

4.     डिजीलॉकर डिजिटल दस्तावेजों की क्लाउड-आधारित सुरक्षित पहुंच प्रदान करता है।

5.      डिजिटल साक्षरता – IT for Jobs स्तंभ के तहत युवाओं के लिए कौशल और रोजगार पर केंद्रित।

डिजिटल इंडिया के नवीनतम विस्तार

1. इंडिया एनर्जी स्टैक (IES)
जून 2025 में प्रस्तावित, यह उत्पादकों, उपभोक्ताओं, नियामकों और ग्रिड ऑपरेटरों को जोड़ते हुए पूरे ऊर्जा तंत्र को डिजिटल रूप से एकीकृत करने की योजना है।
यह निम्नलिखित को सक्षम करेगा:
o समकक्ष ऊर्जा व्यापार
o डिमांड-रिस्पॉन्स कार्यक्रम
o कार्बन ऑफसेट अनुपालन
इस कार्यबल का नेतृत्व इन्फोसिस के सह-संस्थापक नंदन नीलेकणी कर रहे हैं, और इसे आधार तथा UPI की तरह एक DPI के रूप में स्थापित किया जा रहा है।
मुख्य चुनौतियाँ:
ऊर्जा हितधारकों के लिए अद्वितीय पहचानकर्ताओं की अनुपस्थिति
विखंडित, गैर-परस्पर संचालन योग्य डिजिटल प्रणाली
रीयल टाइम डेटा का अभाव
तकनीकी समाधानों का सीमित स्केलेबिलिटी

2. डिजिटल कृषि मिशन (2024)
सितंबर 2024 में ₹2,817 करोड़ के बजट के साथ स्वीकृत, यह कृषि क्षेत्र में डिजिटल अवसंरचना का निर्माण कर रहा है।
शामिल पहलें:
एग्रीस्टैक तीन प्रमुख रजिस्टर:
o किसान रजिस्टर
o भू-संदर्भित ग्राम मानचित्र
o फसल बुवाई रजिस्टर
o एक अद्वितीय किसान आईडी, विभिन्न डेटासेट को जोड़कर लक्षित सहायता प्रदान करेगी।
कृषि निर्णय सहायता प्रणाली (DSS) – रिमोट सेंसिंग और भू-स्थानिक डेटा का उपयोग करके:
o सूखा, बाढ़ और पैदावार की निगरानी
o फसल बीमा तंत्र में सुधार
मृदा प्रोफ़ाइल मानचित्र – 142 मिलियन हेक्टेयर कृषि भूमि के लिए विस्तृत नक्शे बनाए जा रहे हैं; अब तक 29 मिलियन एकड़ क्षेत्र कवर हो चुका है।

वैश्विक मान्यता और नेतृत्व
G20 की अध्यक्षता के दौरान भारत के डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर नेतृत्व को मान्यता मिली। भारत ने:
एक वैश्विक DPI रिपॉजिटरी लॉन्च की
अन्य देशों को समावेशी तकनीकी प्रणालियों के विकास में सहायता हेतु $25 मिलियन का कोष शुरू किया
भारत के डिजिटल प्लेटफॉर्म, विशेष रूप से UPI, को सिंगापुर, फ्रांस, UAE और भूटान जैसे देशों में अपनाया जा रहा है।

निष्कर्ष
शुरुआत के दस वर्षों में, डिजिटल इंडिया एक सरकारी कार्यक्रम से एक राष्ट्रीय आंदोलन में बदल गया है। इसने देश के सबसे दूरस्थ कोनों को डिजिटल सेवाओं से जोड़ा है, समावेशी प्लेटफार्मों के माध्यम से करोड़ों लोगों को सशक्त बनाया है, और एक मजबूत व लचीली डिजिटल अर्थव्यवस्था बनाने में मदद की है।
फिर भी, कुछ चुनौतियाँ शेष हैंग्रामीण-शहरी डिजिटल अंतर को पाटना, डेटा गोपनीयता सुनिश्चित करना, साइबर सुरक्षा में सुधार और डिजिटल स्किलिंग को बढ़ावा देना। जैसे-जैसे सरकार ऊर्जा और कृषि जैसे नए क्षेत्रों में डिजिटल इंडिया का विस्तार कर रही है, लक्ष्य स्पष्ट रहना चाहिए: तकनीक का उपयोग केवल दक्षता के लिए नहीं, बल्कि समानता, समावेशन और सशक्तिकरण के लिए करना।
भारत की डिजिटल यात्रा इस बात का सशक्त उदाहरण प्रस्तुत करती है कि एक बड़ा, विविधतापूर्ण और विकासशील देश किस प्रकार प्रौद्योगिकी का उपयोग करके परिवर्तनकारी शासन और समावेशी विकास प्राप्त कर सकता है।

मुख्य प्रश्न: डिजिटल इंडिया एक शासकीय पहल से विकसित होकर आर्थिक और सामाजिक समावेशन का प्रमुख आधार बन गया है। उदाहरण सहित चर्चा करें।