सन्दर्भ:
संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क कन्वेंशन के 30वें कॉन्फ्रेंस ऑफ द पार्टीज़ (COP30) का 22 नवंबर 2025 को ब्राज़ील के बेलेन में समापन हुआ। इस सम्मेलन को ब्राज़ीलियाई अध्यक्षता ने “इम्प्लीमेंटेशन COP” के रूप में प्रस्तुत किया अर्थात ऐसा COP जिसका उद्देश्य वादों से आगे बढ़कर वास्तविक कार्यान्वयन पर वैश्विक ध्यान केंद्रित करना है। इस वर्ष बहस क्या किया जाए पर नहीं, बल्कि मौजूदा प्रतिबद्धताओं को व्यवहार में कैसे बदला जाए, इस पर केंद्रित रही।
-
- उच्च अपेक्षाओं के बावजूद, अंतिम “बेलेन पॉलिटिकल पैकेज” ने कई देशों, विशेषकर छोटे द्वीपीय देशों और कुछ यूरोपीय राष्ट्रों को निराश किया। प्रारंभिक मसौदों में शामिल वैश्विक जीवाश्म ईंधन चरणबंदी का उल्लेख हटाकर, उसकी जगह देशों ने पेरिस समझौते के अनुच्छेद 9.1 सहित जलवायु वित्त दायित्वों पर दो-वर्षीय वार्ता प्रक्रिया शुरू करने पर सहमति दी। भारत ने परिणामों का स्वागत किया, क्योंकि अंतिम दस्तावेज़ ने जलवायु वित्त और न्यायसंगत कार्रवाई जैसे विकासशील देशों की मुख्य चिंताओं को मान्यता दी गई।
- उच्च अपेक्षाओं के बावजूद, अंतिम “बेलेन पॉलिटिकल पैकेज” ने कई देशों, विशेषकर छोटे द्वीपीय देशों और कुछ यूरोपीय राष्ट्रों को निराश किया। प्रारंभिक मसौदों में शामिल वैश्विक जीवाश्म ईंधन चरणबंदी का उल्लेख हटाकर, उसकी जगह देशों ने पेरिस समझौते के अनुच्छेद 9.1 सहित जलवायु वित्त दायित्वों पर दो-वर्षीय वार्ता प्रक्रिया शुरू करने पर सहमति दी। भारत ने परिणामों का स्वागत किया, क्योंकि अंतिम दस्तावेज़ ने जलवायु वित्त और न्यायसंगत कार्रवाई जैसे विकासशील देशों की मुख्य चिंताओं को मान्यता दी गई।
COP30 के प्रमुख परिणाम
बेलेन स्वास्थ्य कार्ययोजना-
ब्राज़ील की COP30 अध्यक्षता की प्रमुख उपलब्धियों में से एक बेलेन स्वास्थ्य कार्ययोजना थी, जिसे 13 नवंबर को “स्वास्थ्य दिवस” पर जारी किया गया। यह जलवायु परिवर्तन को बढ़ते हुए वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल के रूप में स्वीकार करती है और ऐसे स्वास्थ्य तंत्रों के निर्माण पर बल देती है जो हीटवेव, वेक्टर-जनित रोग, चरम मौसम, तथा आपूर्ति-श्रृंखला अवरोध जैसे जलवायु-जनित जोखिमों का सामना कर सकें।
यह योजना दो प्रमुख सिद्धांतों पर आधारित है:
• स्वास्थ्य समानता और जलवायु न्याय, ताकि संवेदनशील समुदाय बेहतर रूप से सुरक्षित हों।
• मजबूत शासन और नेतृत्व, जिसमें समुदाय की सक्रिय भागीदारी को केंद्र में रखा गया है।
ट्रॉपिकल फ़ॉरेस्ट्स फ़ॉरएवर फ़ैसिलिटी (TFFF)
ब्राज़ील ने 6 नवंबर को TFFF की शुरुआत की, जिसने अमेज़न को वैश्विक जलवायु नीति का केंद्रीय तत्व बना दिया। यह पेमेंट-फॉर-परफॉर्मेंस मॉडल का अनुसरण करता है, जिसमें समान उपग्रह-आधारित निगरानी से उन उष्णकटिबंधीय देशों को भुगतान किया जाएगा जो अपने वन आवरण को संरक्षित रखते हैं।
मुख्य विशेषताएँ:
• सार्वजनिक और निजी निवेशकों से 125 अरब अमेरिकी डॉलर जुटाने का लक्ष्य।
• वन आवरण बनाए रखने वाले देशों को भुगतान।
• ब्राज़ील द्वारा 1 अरब अमेरिकी डॉलर का प्रारंभिक योगदान।
यदि प्रभावी रूप से लागू हुआ, तो TFFF वन-समृद्ध विकासशील देशों के लिए दीर्घकालिक और स्थिर वित्तपोषण उपलब्ध करा सकता है।
बेलेन राजनीतिक पैकेज
राजनीतिक वार्ताएँ सबसे विवादास्पद रहीं। अंतिम मसौदे ने जीवाश्म ईंधन चरणबंदी का उल्लेख छोड़ दिया, जिसके चलते छोटे द्वीपीय और यूरोपीय देशों समेत 29 देशों ने इसे अस्वीकार किया। चार प्रमुख मुद्दे अनसुलझे रहे:
i. जलवायु वित्त (Climate Finance – Article 9.1)
विकासशील देशों ने अनुच्छेद 9.1 के तहत विकसित देशों पर जलवायु वित्त उपलब्ध कराने की कानूनी बाध्यता की पुनर्स्मृति कराई। वित्त की मात्रा, समयसीमा और वितरण पर अब भी स्पष्टता नहीं है।
ii. जलवायु-संबंधी व्यापार उपाय
भारत, चीन और अन्य देशों ने यूरोपीय संघ के CBAM जैसे एकतरफा कदमों को “छिपी हुई व्यापार बाधाएँ” बताया, न कि वास्तविक जलवायु समाधान।
iii. 1.5°C लक्ष्य के प्रति सामूहिक प्रतिक्रिया
विकसित देशों ने अधिक आक्रामक शमन कार्रवाई की मांग की।
विकासशील देशों ने कहा कि यह तभी संभव है जब विश्वसनीय वित्त, तकनीक और समानता आधारित भार-साझेदारी सुनिश्चित हो।
iv. पारदर्शिता एवं रिपोर्टिंग ढाँचा
विकसित देशों ने सख्त रिपोर्टिंग मानकों की मांग की। विकासशील देशों ने चेतावनी दी कि क्षमता-विकास समर्थन के बिना यह उन पर अतिरिक्त बोझ बन सकता है।
जीवाश्म ईंधनों से न्यायपूर्ण संक्रमण सम्मेलन, सांता मार्टा-
कोलंबिया ने घोषणा की कि 28–29 अप्रैल 2026 को, नीदरलैंड्स के साथ मिलकर अंतर्राष्ट्रीय “जस्ट ट्रांज़िशन” सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। यह सम्मेलन निम्नलिखित मुद्दों पर विचार करेगा:
• जीवाश्म ईंधन चरणबंदी के कानूनी व आर्थिक प्रभाव
• व्यापार और वैश्विक बाज़ारों पर असर
• जीवाश्म ईंधन सब्सिडी सुधार
• ऊर्जा सुरक्षा एवं नवीकरणीय ऊर्जा विस्तार
• श्रम और आजीविका का संक्रमण
ओपन प्लेनेटरी इंटेलिजेंस नेटवर्क
COP30 में OPIN की शुरुआत की गई जो एक वैश्विक प्लेटफ़ॉर्म जिसका उद्देश्य डिजिटल तकनीकों, जलवायु मॉडल, एनालिटिक्स और निगरानी प्रणालियों को जोड़कर एकीकृत वैश्विक जलवायु डेटा पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है।
इससे वैज्ञानिक आकलन तेज़ होंगे और नीति-निर्माण अधिक सटीक हो सकेगा।
वैश्विक नैतिक स्टॉकटेक (GES)
तकनीकी ग्लोबल स्टॉकटेक से अलग, GES जलवायु निर्णयों में नैतिकता, न्याय, सामुदायिक अनुभव और नागरिक समाज की आवाज़ को शामिल करता है।
इसका एशिया संस्करण 2025 में नई दिल्ली में आयोजित हुआ। इसका उद्देश्य है कि जलवायु कार्रवाई न्याय, ज़िम्मेदारी और समुदाय की वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करे।
सतत ईंधनों पर बेलेन 4X प्रतिज्ञा:
ब्राज़ील की अगुवाई में शुरू यह प्रतिज्ञा 2024 के स्तर की तुलना में 2035 तक सतत ईंधनों के उपयोग को चार गुना बढ़ाने की मांग करती है। इसमें बायोफ्यूल, बायोगैस, हाइड्रोजन और अन्य निम्न-कार्बन ईंधन शामिल हैं।
भुखमरी, गरीबी और जन-केंद्रित जलवायु कार्रवाई पर बेलेन घोषणा (Belem Declaration)
43 देशों और यूरोपीय संघ ने इस घोषणा का समर्थन किया। यह घोषणा जलवायु नीति में कमजोर समुदायों को केंद्र में रखने पर बल देती है।
मुख्य अनुशंसाएँ:
• शमन में निरंतर निवेश
• अनुकूलन पर अधिक ध्यान
• मज़बूत सामाजिक सुरक्षा प्रणाली
• फसल बीमा और जोखिम-न्यूनकरण साधन
• समुदाय-आधारित लचीलापन कार्यक्रम
यह घोषणा जलवायु कार्रवाई को गरीबी उन्मूलन और मानव विकास से स्पष्ट रूप से जोड़ती है।
राष्ट्रीय अनुकूलन योजना (NAP) कार्यान्वयन एलायंस
यह एलायंस “प्लान टू एक्सेलरेट सॉल्यूशंस (PAS)” का हिस्सा है। इसके उद्देश्य हैं:
• अनुकूलन पर काम करने वाली संस्थाओं का समन्वय
• सार्वजनिक और निजी वित्त को जुटाना
• राष्ट्रीय क्षमता-विकास
• अनुकूलन प्राथमिकताओं के लिए दीर्घकालिक समर्थन
ब्राज़ील की मुतिराओ रणनीति (Brazil’s Mutirão Strategy)
ब्राज़ील ने ग्लोबल मुतिराओ प्लेटफ़ॉर्म शुरू किया, जो सामुदायिक सहयोग की ब्राज़ीलियाई परंपरा से प्रेरित है। इसका लक्ष्य जलवायु प्रतिबद्धताओं और वास्तविक कार्रवाई के बीच अंतर को कम करना है।
मुख्य प्राथमिकताएँ:
• ऊर्जा संक्रमण
• जलवायु वित्त
• व्यापार सुधार
COP30 की मुख्य कमियाँ-
• जीवाश्म ईंधन चरणबंदी का उल्लेख नहीं
• 1.5°C मार्ग के लिए कमजोर NDC प्रक्रिया
• पेरिस समझौते के सत्यापन नियम अनसुलझे
• महत्वपूर्ण खनिज शासन हटा दिया गया
• भू-राजनीतिक विभाजन ने महत्वाकांक्षा सीमित की
विश्व जब 2.4–2.7°C तापवृद्धि की दिशा में बढ़ रहा है, सार्थक कार्रवाई की खिड़की बेहद संकरी हो रही है।
निष्कर्ष
बेलेन में COP30 महत्वाकांक्षा और निराशा दोनों से भरा रहा। सम्मेलन ने कई नवाचारों जैसे वन-वित्त, स्वास्थ्य-लचीलापन, नैतिक स्टॉकटेक, सतत ईंधन और उन्नत डेटा नेटवर्क को जन्म दिया।
लेकिन राजनीतिक वार्ताओं ने जलवायु वित्त, जीवाश्म ईंधन और व्यापार उपायों पर गहरे मतभेद उजागर किए।
| UPSC/PCS मुख्य परीक्षा प्रश्न: |
