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Daily-current-affairs / 05 Feb 2024

भविष्य की रूपरेखाः भारतीय सेना के सैन्य सिद्धांत का विकास

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संदर्भ

युद्ध की विकसित होती गतिशीलता और उभरती भू-राजनीतिक चुनौतियों के संदर्भ में, भारतीय सेना (आईए) 2024 में आधुनिकीकरण हेतु तीव्र प्रयास किये जाने की योजना बना रही है। वर्तमान में भारतीय सेना में 1.4 मिलियन सैनिक हैं,लेकिन इस विशाल संख्या के बावजूद सेना को बहुआयामी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। भारतीय सेना को वैश्विक संघर्षों के तेजी से बदलते परिदृश्य में आगे बने रहने के लिए एक सक्रिय दृष्टिकोण की आवश्यकता है। सेना प्रमुख (सीओएएस) मनोज पांडे ने हाल ही में 2024 को भारतीय सेना के लिए प्रौद्योगिकी उन्नयन का वर्ष घोषित किया, यह 2023 को 'परिवर्तन के वर्ष' के रूप मनाने से एक निरन्तरता को चिह्नित करता है। सैन्य तकनीकी उन्नयन पर  यह बल एक दूरदर्शी रणनीति का संकेत देता है, जो पारंपरिक और अपरंपरागत सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए अनुकूलनीय और लचीला बने रहने हेतु सेना की प्रतिबद्धता के साथ संरेखित है।

तकनीकी एकीकरण और परिवर्तन के लिए प्रतिबद्धता

पैदल सेना, तोपखाने और बख्तरबंद बटालियनों में ड्रोन और काउंटर-ड्रोन प्रणालियों को एकीकृत करने का भारतीय सेना का निर्णय एक रणनीतिक दूरदर्शिता को दर्शाता है। यह दूरदर्शी दृष्टिकोण का ही परिणाम है ,कि सेना ने साइबर क्षमताओं को बढ़ाने के लिए कमांड साइबर ऑपरेशंस सपोर्ट विंग्स (सीसीओएसडब्ल्यू) की स्थापना की है। अग्निवीर भर्तियों के माध्यम से नए मानव संसाधनों का निर्माण और प्रादेशिक सेना के माध्यम से साइबर विशेषज्ञों सहित विभिन्न क्षेत्र के विशेषज्ञ अधिकारियों का निर्माण, उभरते खतरों के लिए सेना की अनुकूलन क्षमता को रेखांकित करता है। तकनीकी प्रगति के साथ मानव पूंजी का यह एकीकरण आधुनिक युद्ध चुनौतियों के लिए एक व्यापक और प्रभावी प्रतिक्रिया के लिए महत्वपूर्ण है।

संचार और आत्मनिर्भरता

आधुनिक सैन्य अभियानों में प्रभावी संचार एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारतीय सेना में हाल ही मे 2500 सिक्योर आर्मी मोबाइल भारत वर्जन (SAMBHAV) हैंडसेटों का शामिल किया गया है , यह प्रौद्योगिकी में सेना की आत्मनिर्भरता को दर्शाता है। संवेदनशील कार्यों को संभालने वाले अधिकारियों को 35,000 संभव हैंडसेट वितरित करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य सुरक्षित और कुशल संचार चैनल स्थापित करने के लिए भारतीय सेना की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह व्यापक रणनीति केवल मानव पूंजी को आधुनिक युद्ध की मांगों के अनुरूप बनाती है, बल्कि तकनीकी क्षमताओं में आत्मनिर्भरता के महत्व पर भी जोर देती है।

वैश्विक बदलाव और क्षेत्रीय चुनौतियां

भारतीय सेना के लिए वर्ष 2024 काफी महत्वपूर्ण रहेगा, इस वर्ष भारतीय सेना युद्ध की प्रकृति को आकार देने वाले वैश्विक परिवर्तनों के अनुरूप स्वयं को रूपांतरित करने की कोशिश करेगी सेना के आधुनिकीकरण की इस प्रक्रिया में स्वायत्त प्रणालियाँ, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, हाइपरसोनिक हथियार, निर्देशित ऊर्जा, जैव प्रौद्योगिकी और क्वांटम प्रौद्योगिकी जैसी उन्नत तकनीकें महत्वपूर्ण हैं। चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ के अनुसार भारतीय सीमाओं के पास चीन की क्षमताओं के विस्तार के संदर्भ में 'ग्रे ज़ोन' रणनीति का उदय एक महत्वपूर्ण चुनौती है। सी. . . एस. द्वारा चीन और पाकिस्तान दोनों द्वारा नियोजित ग्रे ज़ोन रणनीति की स्वीकार करना महत्वपूर्ण रक्षा प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता और अनुसंधान एवं विकास में निवेश की आवश्यकता पर जोर देता है।

चीन से खतरे के अलावा, भारत पाकिस्तान से उत्पन्न हाइब्रिड आतंकवाद के खतरे से भी जूझ रहा है, जो पारंपरिक और अपरंपरागत खतरों का एक मिश्रण है। कश्मीर घाटी में उग्रवाद का यह संकर रूप सीमाओं के साथ-साथ देश के भीतर भी विघटनकारी तत्वों को दर्शाता है, इस स्थिति के कारण भारतीय सेना को  बहुआयामी प्रतिक्रिया अपनाने की आवश्यकता होगी।

रणनीतिक बदलाव और चुनौतियां

इन चुनौतियों का सामना करने के लिए सेना की प्रतिक्रिया में तकनीकी उन्नयन  के साथ पुराने उपकरणों  को बदलना, सामरिक क्षमताओं को बढ़ाना और महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है। मानव रहित वाहनों, ड्रोन रोधी प्रणालियों और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध में विशेषज्ञता रखने वाली समर्पित इकाइयों को भारतीय सेना में शामिल किया जा रहा है। उपग्रह इमेजरी, ड्रोन और उन्नत सेंसर सहित निगरानी प्रौद्योगिकियां विकसित खतरों से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इसके अलावा, ग्रे ज़ोन रणनीति से जुड़े डिजिटल खतरों से सेना के महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की रक्षा के लिए साइबर सुरक्षा उपाय अनिवार्य हो जाते हैं।

अनुकूलन विकसित करना

अत्याधुनिक सैन्य तकनीक को अपनाना भारतीय सेना के लिए एक अनिवार्यता है। यद्यपि तकनीकी प्रगति तीव्र गति से हो रही है, लेकिन इसके कार्यान्वयन और इसे अपनाने की प्रक्रिया धीमी है। सैन्य प्रौद्योगिकी के निरंतर विकसित होते परिदृश्य के साथ तालमेल बनाए रखने के लिए दीर्घकालिक प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है। इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस (आईडेक्स) जैसी पहलों के माध्यम से शिक्षाविदों और उद्योगों जैसे नागरिक संगठनों के साथ सेना का जुड़ाव सराहनीय प्रयासों को दर्शाता है। हालांकि, ऐसी अन्य व्यवस्थित और दीर्घकालिक पहलों की आवश्यकता है जो भारतीय सेना की जरूरतों के अनुरूप एक मजबूत और स्वतंत्र रक्षा औद्योगिक आधार को बढ़ावा दें।

प्रौद्योगिकी प्रवीणता के महत्व को स्वीकार करते हुए, मानव संसाधन के विशेष और अलग कैडर की स्थापना एक रणनीतिक निवेश के रूप में उभरी है। एआई, रोबोटिक्स और ड्रोन जैसी प्रौद्योगिकियों में विशेषज्ञता रखने वाले अधिकारियों को कर्नल के रूप में पदोन्नति किया जाना  सेना के भीतर विशेषज्ञता को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

सैद्धांतिक अनुकूलन

तकनीकी परिवर्तनों को अपनाना और अनुकूलित करना महत्वपूर्ण है, यह भारतीय सेना की सैद्धांतिक सोच में परिलक्षित होना चाहिए। 2018 में जारी किये गए भूमि युद्ध सिद्धांत ने भारत के लिए चुनौतियों की गैर-संपर्क और संकर प्रकृति पर बल दिया था। हालांकि, गलवान के बाद की झड़पों और रूस-यूक्रेन युद्ध के लिए युद्ध और प्रौद्योगिकी के क्षेत्रीय एवं वैश्विक संदर्भ में सीखे गए सबक को शामिल करने के लिए सिद्धांत के पुनर्मूल्यांकन की आवश्यकता है। सैन्य सिद्धांतों का आवधिक मूल्यांकन प्रासंगिक है, लेकिन अधिक महत्वपूर्ण एक ऐसा सिद्धांत है जो सिद्धांत को निर्देशित करने वाली प्रौद्योगिकी के बजाय तकनीकी उन्नति और अनुकूलनशीलता को संचालित करता हो।

निष्कर्ष

2024 में प्रौद्योगिकी उन्नयन को अपनाने की की दिशा में सेना का बदलाव महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाता है। उन्नत उपकरणों और साइबर सुरक्षा को एकीकृत करने पर बल उभरती चुनौतियों के लिए एक सक्रिय प्रतिक्रिया है। एक व्यापक परिवर्तनकारी एजेंडा से एक केंद्रित तकनीकी उन्नयन रणनीति में परिवर्तन हेतु सावधानीपूर्वक विचार करने की आवश्यकता है। वैश्विक सैन्य रुझानों के कारण तात्कालिकता और चीनी क्षमताओं के विस्तार की निकटता तेजी से तकनीकी अनुकूलन की आवश्यकता को रेखांकित करती है। हालांकि, प्रौद्योगिकी एकीकरण की अंतर्निहित जटिलताओं और आवश्यक दीर्घकालिक प्रतिबद्धता जैसी संभावित कमियों को कम करके नहीं आंका जाना चाहिए। जैसा कि सेना परंपरा और नवाचार को संतुलित करते हुए इस रास्ते पर आगे बढ़ेगी, इसके परिणामों का आकलन करने के लिए नीति नियंताओं को सतर्क रहना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि तकनीकी कौशल की खोज राष्ट्रीय सुरक्षा अनिवार्यताओं के साथ निर्बाध रूप से संरेखित हो। इस रणनीतिक बदलाव की सफलता केवल प्रौद्योगिकी को अपनाने पर निर्भर करेगी, बल्कि इस तरह की परिवर्तनकारी यात्रा के साथ आने वाली जटिलताओं और चुनौतियों का सामना करने की सेना की क्षमता पर भी निर्भर करेगी।

यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न

  1. ड्रोन, एंटी-ड्रोन सिस्टम और साइबर सुरक्षा जैसी उन्नत तकनीकों को अपने परिचालन ढांचे में एकीकृत करने के भारतीय सेना के निर्णय के रणनीतिक महत्व का विश्लेषण करें। यह वैश्विक संघर्षों की विकसित प्रकृति और एक व्यापक प्रतिक्रिया रणनीति की आवश्यकता के साथ कैसे संरेखित होता है?(10 marks, 150 words)
  2.   तकनीकी उन्नयन की दिशा में भारतीय सेना के बदलाव से जुड़ी चुनौतियों और अवसरों का मूल्यांकन करें। हाल की नीति में अधिकारियों को पारंपरिक कमांड असाइनमेंट को छोड़ते हुए एआई, रोबोटिक्स और ड्रोन जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञता प्राप्त करने की अनुमति दी गई है इस संदर्भ में सेना के भीतर विशेषज्ञता को बढ़ावा देने के प्रभावों पर चर्चा करें (15 marks, 250 words)

 

 

Source – Indian Express

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