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Daily-current-affairs / 24 Apr 2024

नई दवाओं की खोज में नवाचार और बाधाएं - डेली न्यूज़ एनालिसिस

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संदर्भ
रोगों से निपटने के लिए नई दवाओं की खोज स्वास्थ्य सेवा में एक बहुआयामी और आवश्यक प्रयास है। दवाओं के विकास हेतु संभावित लक्ष्यों की पहचान करने से लेकर प्रभावी उपचार विकसित करने तक की यात्रा काफी जटिल होती है और अंतःविषय सहयोग की मांग करती है। नई दवाओं की खोज में हुई हाल की प्रगति ने इस क्षेत्र में हुए पिछले विकास को पीछे छोड़ दिया है। हालिया विकास दवा निर्माण प्रक्रिया के बाद के चरण के लिए आवश्यक उपकरणों और विशेषज्ञता के महत्व को रेखांकित करता है। इनमें मॉलिक्यूलर डॉकिंग सिमुलेशन, रासायनिक लैब्स और संस्थानों एवं उद्योगों के बीच सहयोग शामिल हैं। हालांकि प्रगति के बावजूद, नई दवाओं की आवश्यकता, विशेष रूप से रोगाणुरोधी प्रतिरोध का मुकाबला करने के लिए अनिवार्य है। 

दवा की खोज प्रक्रिया
नई दवा की खोज आमतौर पर किसी बीमारी के लिए संभावित लक्ष्यों की पहचान के साथ शुरू होती है। एक शोध केंद्र में हाल ही में किए गए शोध इस दृष्टिकोण का उदाहरण हैं। दवा विकास में लगे हुए विशेषज्ञों में से एक समूह बैक्टीरिया के जीव विज्ञान को समझने पर ध्यान केंद्रित करता है, जबकि दूसरा समूह मलेरिया परजीवी के विकास तंत्र की जांच करता है। आणविक स्तर पर इन जीवों का अध्ययन करके, उनके अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण विशिष्ट एंजाइमों की पहचान की गई, जो नई दवाओं के लिए लक्ष्य के रूप में कार्य कर सकते हैं।
अगले चरण में ऐसे अणुओं की खोज की जाती है, जो इन लक्षित एंजाइमों को रोक सकते हैं। संभावित दवा की प्रभावकारिता का परीक्षण करने के लिए परीक्षण किया जाता है, इस दौरान शोधकर्ता लक्षित एंजाइमों की संरचनाओं की जांच करते हैं। हालांकि, इन एंजाइमों की संरचनाओं का निर्धारण करना विशेष रूप से कई प्रोटीनों से युक्त बड़े अणुओं के लिए चुनौतियां पैदा करता है। नतीजतन, वैज्ञानिक प्रायः यह अनुमान लगाने के लिए कि संभावित दवा अपने लक्ष्यों के साथ कैसे प्रतिक्रिया करती हैं, आणविक डॉकिंग सिमुलेशन जैसी कम्प्यूटेशनल तकनीकों का प्रयोग करते हैं।
दवा की खोज में प्रयुक्त उपकरण और तकनीकें
संरचनात्मक जीवविज्ञान लक्षित अणुओं की त्रि-आयामी संरचनाओं को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यद्यपि कुछ प्रोटीन संरचनाएँ डेटाबेस में उपलब्ध होती हैं, जबकि अन्य को समरूप प्रोटीन के आधार पर कम्प्यूटेशनल तरीकों का प्रयोग कर पहचाना जाता है। इसके पश्चात आणविक डॉकिंग सिमुलेशन के माध्यम से शोधकर्ता को अणुओं की रासायनिक संरचना की जांच करते हैं, जो प्रोटीन को लक्षित करने के लिए प्रभावी ढंग समन्वित प्रतिक्रिया में सहायक होते हैं। इन संरचनाओं में ज्ञात सुरक्षा प्रोफाइल के साथ-साथ विशिष्ट रोगों के लिए संश्लेषित या पहचाने गए यौगिकों के साथ अनुमोदित दवाएं शामिल होती हैं।
नई दवाओं की खोज में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) एक मूल्यवान उपकरण के रूप में उभरा है, जो संभावित दवा अणुओं की संरचनाओं की भविष्यवाणी करने और मौजूदा यौगिकों को अनुकूलित करने में सक्षम है। एआई-संचालित कम्प्यूटेशनल प्लेटफार्मों का लाभ उठाकर, शोधकर्ता आगे के विकास के लिए लीड यौगिकों की पहचान करने की प्रक्रिया में तेजी ला सकते हैं। इसके अतिरिक्त, शिक्षाविदों और उद्योग के बीच सहयोग दोनों क्षेत्रों की विशेषज्ञता का लाभ उठाते हुए, संभावित दवा उम्मीदवारों के संश्लेषण और परीक्षण की सुविधा प्रदान करता है।
चुनौतियां और अवसर
प्रौद्योगिकी और सहयोग में प्रगति के बावजूद, दवा की खोज कई चुनौतीयाँ बनी हुई है। सुरक्षा और प्रभावकारिता के लिए संभावित दवा उम्मीदवारों के परीक्षण के लिए कोशिका संवर्धन मॉडल से लेकर पशु अध्ययन और अंततः नैदानिक परीक्षणों तक कठोर प्रयोग की आवश्यकता होती है। यह प्रक्रिया संसाधन-गहन है, और सख्त नियामक निरीक्षण के अधीन है, जिससे शोधकर्ताओं, नियामक एजेंसियों और दवा कंपनियों के बीच सावधानीपूर्वक समन्वय की आवश्यकता होती है।
हालांकि, नवीन दवा की खोज कई नवाचार और सहयोग के अवसर भी पैदा करता है। स्टार्टअप और अनुबंध अनुसंधान प्रयोगशालाएं पूर्व नैदानिक अध्ययन करने और विशेष विशेषज्ञता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इसके अलावा, वैश्विक अनुसंधान समुदाय दक्षिण एशिया में मलेरिया और तपेदिक जैसी स्थानीय स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने पर तेजी से ध्यान केंद्रित कर रहा है। क्षेत्रीय विशेषज्ञता और संसाधनों का लाभ उठाकर, शोधकर्ता दवा की खोज की गति को तेज कर सकते हैं और जरूरतमंद लोगों के लिए आवश्यक उपचार उपलब्ध करा सकते हैं।
निष्कर्ष
अंत में हम कह सकते है दवा की खोज एक बहुआयामी प्रक्रिया है, जो विभिन्न विषयों और क्षेत्रों में सहयोग की मांग करती है। संभावित लक्ष्यों की पहचान करने से लेकर नए उपचारों के परीक्षण और विकास तक, प्रत्येक कदम पर कई चुनौतियों और अवसरों को प्रस्तुत करता है। कम्प्यूटेशनल मॉडलिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सहित प्रौद्योगिकी में प्रगति ने दवा की खोज प्रक्रिया में क्रांति ला दी है, जिससे शोधकर्ता संभावित दवा युग्मों की पहचान करने में तेजी लाने में सक्षम हुए हैं। हालांकि, रोगाणुरोधी प्रतिरोध और अन्य बीमारियों से उत्पन्न वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने के लिए निरंतर नवाचार, निवेश और सहयोग की आवश्यकता है। एक साथ कार्य करके, शोधकर्ता दवा की खोज में गति को तेज कर सकते हैं और दुनिया भर के लाखों लोगों के लिए स्वास्थ्य परिणामों में सुधार कर सकते हैं।

यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न

1.    आणविक जीव विज्ञान और कम्प्यूटेशनल तकनीकों में हाल की प्रगति के संदर्भ में दवा की खोज प्रक्रिया को तेज करने में अंतःविषय सहयोग की भूमिका पर चर्चा करें। शिक्षाविदों, उद्योग और नियामक एजेंसियों के बीच साझेदारी दवा विकास प्रयासों की दक्षता को कैसे बढ़ा सकती है?(10 marks, 150 words)

2.    रोगाणुरोधी प्रतिरोध एक महत्वपूर्ण वैश्विक स्वास्थ्य खतरा पैदा करता है, जिससे संक्रामक रोगों से निपटने के लिए नई दवाओं की खोज की आवश्यकता होती है। संभावित दवा लक्ष्यों की पहचान करने और उन्हें मान्य करने से जुड़ी चुनौतियों और अवसरों का विश्लेषण करें और रोगाणुरोधी प्रतिरोधी रोगजनकों के लिए प्रभावी उपचार में वैज्ञानिक खोजों के प्रयोग में तेजी लाने के लिए रणनीतियों का प्रस्ताव दें।(15 marks, 250 words)

Source – The Hindu

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