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Daily-current-affairs / 01 Sep 2023

ब्रिक्स का विस्तार: नए सदस्यों के साथ वैश्विक भूराजनीति को आकार - डेली न्यूज़ एनालिसिस

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तारीख (Date): 02-09-2023

प्रासंगिकता - जीएस पेपर 2 - अंतर्राष्ट्रीय संबंध

की-वर्ड - जोहान्सबर्ग घोषणा, गोल्डमैन सैक्स, स्वेज़ नहर

संदर्भ:

ब्रिक्स के सदस्यों द्वारा समूह को पांच से ग्यारह सदस्यों तक विस्तारित करने के हालिया निर्णय ने वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य में हलचल मचा दी है। इसकी घोषणा जोहान्सबर्ग सम्मेलन में की गई थी । अर्जेंटीना, मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) 1 जनवरी, 2024 से ब्रिक्स के पूर्ण सदस्य बन जाएंगे । ब्रिक्स के इस विस्तार की समीक्षा करने से पहके , ब्रिक्स की उत्पत्ति और विकास को गहराई से समझना आवश्यक है।

ब्रिक्स की उत्पत्ति

ब्रिक्स, पाँच प्रमुख विकासशील देशों(ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ़्रीका) के एक मजबूत गठबंधन का प्रतिनिधित्व करता है। सामूहिक रूप से, ये देश वैश्विक आबादी का 41% हिस्सा हैं, वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 24% का योगदान देते हैं और वैश्विक व्यापार में इन देशों की 16% हिस्सेदारी है। 2001 में गोल्डमैन सैक्स(दूसरा सबसे बड़ा निवेश बैंक) ने अनुमान लगाया था कि आने वाले दशकों में ये देश दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक बन जाएंगे । "ब्रिक" शब्द की उत्पत्ति यहीं से हुई । हालाँकि, ब्रिक्स की औपचारिकता की शुरुआत 2006 में रूस, भारत और चीन के बीच प्रारंभिक चर्चा के साथ शुरू हुई। 2009 में चार देशों (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन) के बीच पहला BRIC शिखर सम्मेलन हुआ और 2010 में दक्षिण अफ्रीका के शामिल होने के बाद यह BRICS के रूप में जाना जाने लगा ।

विस्तार प्रक्रिया

छह नए सदस्यों को शामिल करने के लिए ब्रिक्स का विस्तार विभिन्न मार्गदर्शक सिद्धांतों, मानकों, मानदंडों और आम सहमति पर आधारित है। विशेष रूप से, भारत ने रणनीतिक साझेदारों को समूह में जोड़ने के उद्देश्य से सदस्यता मानदंड और चयन प्रक्रिया को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। नए सदस्यों में से चार, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, ईरान और मिस्र के साथ भारत के गहन रणनीतिक संबंध ब्रिक्स के विस्तार में इसकी सक्रिय भूमिका को रेखांकित करते है। यह विस्तार ब्रिक्स को आसियान और शंघाई सहयोग संगठन जैसे संगठनों के समान स्तर पर पहुँच देगा ।

ब्रिक्स, पश्चिम-विरोधी गुट नहीं

इस बात पर जोर देना जरूरी है कि ब्रिक्स खुद को "पश्चिम विरोधी" गठबंधन के रूप में नहीं देखता है। इसके बजाय, यह पश्चिमी देशों सहित विभिन्न वैश्विक शक्तियों के साथ रचनात्मक रूप से जुड़ना चाहता है। जी7 के एक प्रमुख सदस्य फ्रांस ने ब्रिक्स के साथ अधिक सक्रिय जुड़ाव को बढ़ावा देने में गहरी रुचि व्यक्त की है। यह भू-राजनीतिक विभाजनों से परे, व्यापक अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए एक मंच के रूप में ब्रिक्स की भावी क्षमता को उजागर करता है।

अफ़्रीका और लैटिन अमेरिका से नये सदस्य

ब्राजील की शुरुआती अनिच्छा के बावजूद अर्जेंटीना, लैटिन अमेरिका से ब्रिक्स का नया पूर्ण सदस्य बनेगा । मजबूत सकल घरेलू उत्पाद और चीन के साथ मजबूत आर्थिक संबंधों वाले अर्जेंटीना का ब्रिक्स के साथ जुड़ाव वैश्विक क्षेत्र में इसके बढ़ते महत्व को दर्शाता है। अफ्रीका से, इथियोपिया और मिस्र, ब्रिक्स के नए सदस्य बनकर उभरे। इथियोपिया, अफ्रीका में दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है , साथ ही 6.4% अनुमानित आर्थिक विकास दर के साथ यह अफ्रीका महाद्वीप के सबसे तेजी से विकासशील देशों मे से एक है। वहीं मिस्र की स्वेज नहर से होकर गुजरने वाले वैश्विक व्यापार में 12% की हिस्सेदारी है, यह इसके भू-रणनीतिक महत्व को स्वयमेव दर्शाता है ।

एशियाई देशों का समावेश

एशिया से सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, ईरान और मिस्र ब्रिक्स मे नए सदस्य के रूप मे शामिल होंगे ।एक तरफ जहां सऊदी अरब और यूएई संयुक्त राज्य अमेरिका के मजबूत साझेदार हैं। वहीं दूसरी ओर, ईरान और अमेरिका के बीच अच्छे संबंध नहीं है, लेकिन हाल के वर्षों में ईरान ने खुद को चीन के साथ जोड़ लिया है। यह बदलाव काफी हद तक ईरान की आर्थिक अनिवार्यताओं से प्रेरित है, क्योंकि तेहरान चीनी निवेश का दोहन करना चाहता है और बीजिंग के साथ मजबूती से जुड़ना चाहता है। ब्रिक्स मे इन चार देशों को शामिल करना पश्चिम एशिया मे आर्थिक,रणनीतिक और शक्ति संतुलन को नया आयाम प्रदान करेगा ।

निहितार्थ और चुनौतियाँ

यद्यपि यह विस्तार ब्रिक्स के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोलता है,लेकिन साथ ही समूह के भीतर संभावित विरोधाभासों को भी दर्शाता है। समूह के सदस्य देशों के अलग-अलग भू-राजनीतिक हित हैं। चीन का उद्देश्य वैश्विक भू-राजनीति मे अमेरिका के प्रभुत्व को चुनौती देना है और रूस , यूक्रेन युद्ध के बाद लगाए गए पश्चिम के प्रतिबंधों को चीन और ईरान जैसे देशों के साथ संबंध प्रगाढ़ करके संतुलित करने की कोशिश कर रहा है। जबकि भारत की मुख्य चिंता चीन की बढ़ती आक्रामकता और अमेरिका, रूस, चीन के बीच संबंधों को संतुलित करना है । सदस्य देशों के बीच विद्यमान यह विरोधाभास संभावित रूप से समूह की एकजुट क्षमता को सीमित करता है। इसके अलावा, ब्रिक्स के भीतर चीन का बढ़ता प्रभाव बीजिंग के इरादों और गठबंधन के भीतर शक्ति संतुलन के बारे में वैध चिंताएं पैदा करता है।

रूस का परिप्रेक्ष्य

कज़ान में 2024 में होने वाले अगले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के मेजबान के रूप में रूस, विस्तारित समूह को अपनी वैश्विक प्रासंगिकता को रेखांकित करने के अवसर के रूप में देखता है,। शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले ग्यारह सदस्यों का एक विस्तारित ब्रिक्स पश्चिमी दबाव और अलगाव के बावजूद, मास्को को वैश्विक मंच पर अपने महत्व को प्रदर्शित करने के लिए एक रणनीतिक मंच प्रदान करेगा।

निष्कर्ष

अर्जेंटीना, मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात को शामिल करने के लिए ब्रिक्स का विस्तार वैश्विक भूराजनीति के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण विकास है। यह विस्तार अंतरराष्ट्रीय संबंधों के उभरते परिदृश्य को रेखांकित करता है, क्योंकि उभरती अर्थव्यवस्थाएं अपने हितों को मजबूत करने के साथ वैश्विक एजेंडे को आकार देना चाहती हैं। हालाँकि, यह स्वीकार करना आवश्यक है कि नए सदस्य देशों की विविध भू-राजनीतिक संबद्धताएँ और ब्रिक्स के भीतर चीन का बढ़ता प्रभाव समूह के भविष्य के लिए अवसर और चुनौतियाँ दोनों पैदा करता है। चूंकि ब्रिक्स के विस्तार मे वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था पर पर्याप्त प्रभाव डालने की क्षमता है। इसकी सफलता इस विविधता से उत्पन्न होने वाली जटिलताओं से निपटने और गठबंधन के भीतर प्रमुख सदस्यों विशेष रूप से चीन ,रूस और भारत के बीच शक्ति का एक नाजुक संतुलन बनाने की क्षमता पर निर्भर करेगी।

यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न -

  1. "वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य में ब्रिक्सके महत्व पर प्रकाश डालते हुए इसकी उत्पत्ति और विकास की व्याख्या करें। छह नए सदस्यों को शामिल करने के लिए ब्रिक्स के हालिया विस्तार के निहितार्थ और इसके विविध सदस्य देशों के बीच सामंजस्य बनाए रखने में आने वाली चुनौतियों का विश्लेषण करें। ।" (10 अंक, 150 शब्द)
  2. "ब्रिक्स के विस्तार में चीन और रूस की भूमिका और गठबंधन के भीतर संभावित शक्ति संतुलन पर चर्चा करें। ब्रिक्स की भविष्य की दिशा को आकार देने में अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका के नए सदस्य देशों के रणनीतिक महत्व का मूल्यांकन करें, और उनके भू-राजनीतिक संबद्धताएं और आर्थिक हितों पर विचार करें।" ।" (15 अंक, 250 शब्द)

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