होम > Daily-current-affairs

Daily-current-affairs / 21 Jul 2023

भारत में अनुसंधान को बढ़ावा देना - डेली न्यूज़ एनालिसिस

image

तारीख (Date): 22-07-2023

प्रासंगिकता - जीएस पेपर 3 - विज्ञान और प्रौद्योगिकी।

की-वर्ड - एनआरएफ बिल, 2023, एचआरडी, एनआईआरएफ, आईओई।

संदर्भ:

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एनआरएफ) विधेयक, 2023 को संसद में पेश करने की मंजूरी दे दी है । स्वीकृत विधेयक एनआरएफ की स्थापना का मार्ग प्रशस्त करेगा जो अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) को बढ़ावा देगा साथ ही यह भारत के विश्वविद्यालयों, कॉलेजों, अनुसंधान संस्थानों और आर एंड डी प्रयोगशालाओं में अनुसंधान और नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देगा।

भारत में अनुसंधान क्षेत्र की स्थिति

अनुसंधान व्यय:

  • अनुसंधान में भारत का निवेश कई वर्षों से लगातार उसके सकल घरेलू उत्पाद के 0.6% -0.8% के निचले स्तर पर बना हुआ है। यह राशि उन देशों द्वारा आवंटित 1%-2% से काफी कम है जिनकी अर्थव्यवस्थाएँ विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर बहुत अधिक निर्भर हैं।
  • उदाहरण के लिए, चीन, अमेरिका और इज़राइल जैसे देशों में निजी क्षेत्र का योगदान उनके अनुसंधान व्यय का लगभग 70% है। इसके विपरीत, भारत में, वित्तीय वर्ष 2019-20 में कुल अनुसंधान व्यय में निजी क्षेत्र का योगदान केवल 36% (लगभग ₹1.2 लाख करोड़) था ।

कम नामांकन:

  • विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और स्टैंडअलोन संस्थानों में स्नातक और स्नातकोत्तर कार्यक्रमों में पढ़ने वाले छात्रों द्वारा वर्ष 2018 में, पीएचडी कार्यक्रमों में नामांकित छात्रों की संख्या लगभग 161,412 थी। यह आंकड़ा पूरे देश में उच्च शिक्षा में कुल छात्र नामांकन का 0.5 प्रतिशत से भी कम था ।

बाधाएँ एवं चुनौतियाँ

  • प्रारंभिक स्कूली शिक्षा: भारत की शिक्षा प्रणाली के मूलभूत मुद्दों का पता प्रारंभिक स्कूली शिक्षा से लगाया जा सकता है। विश्लेषकों ने परीक्षाओं के दौरान छात्रों द्वारा आलोचनात्मक क्रिटिकल थिंकिंग को लागू किए बिना केवल पाठ्यपुस्तक सामग्री को याद करने और पुन: प्रस्तुत करने की समस्या पर लगातार प्रकाश डाला है। दुर्भाग्य से, यह संस्कृति कायम है और उच्च शिक्षा संस्थानों तक फैली हुई है।
  • वैज्ञानिक प्रशिक्षण का अभाव: अनुसंधान पद्धति में उचित वैज्ञानिक प्रशिक्षण का अभाव हमारे देश में शोधकर्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण बाधा उत्पन्न करता है, जिसके परिणामस्वरूप सक्षम शोधकर्ताओं की कमी हो जाती है।
  • अपर्याप्त समन्वय: भारत में विश्वविद्यालय अनुसंधान विभागों के साथ व्यावसायिक प्रतिष्ठानों, सरकारी विभागों एवं अनुसंधान संस्थानों के बीच प्रभावी समन्वय का आभाव है।
  • अपर्याप्त निवेश: भारत में ऐसी कंपनियों की संख्या सीमित है,जो विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों को अनुसन्धान के लिए समर्थन देती हों जबकि विभिन्न देशों में निजी क्षेत्र अनुसंधान में व्यापक योगदान देता है बदले में,संस्थाएं व्यक्तियों को ऐसी कंपनियों और संस्थानों की स्थापना के लिए प्रोत्साहित करती हैं जो अनुसंधान और विकास में निवेश को महत्व देते हैं।
  • आचार संहिता का अभाव: एक महत्वपूर्ण चुनौती शोधकर्ताओं के लिए एक अच्छी तरह से परिभाषित आचार संहिता की अनुपस्थिति है, जिससे अंतर-विश्वविद्यालय और अंतरविभागीय प्रतिद्वंद्विता पैदा होती है जो सहयोगात्मक प्रयासों में बाधा बन सकती है।
  • देरी: भारत में शोधकर्ताओं को अक्सर पर्याप्त और समय पर सचिवीय और कंप्यूटर सहायता प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, जिससे शोध अध्ययन पूरा करने में अनावश्यक देरी होती है।
  • पुरस्कारों का अभाव: भारतीय संस्थानों के निम्न अनुसंधान प्रदर्शन का एक महत्वपूर्ण कारक शोधकर्ताओं के लिए उचित मान्यता और पुरस्कार का अभाव है ।

भारत में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए सरकार की पहलें

भारत सरकार (जीओआई) ने उच्च शिक्षा में शोधकर्ताओं की संख्या बढ़ाने के लिए कई पहलें शुरू की हैं:

राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा):

  • मानव संसाधन विकास (HRD) मंत्रालय ने राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान की शुरुआत की है , जिसे राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा मिशन के रूप में भी जाना जाता है। यह कार्यक्रम रणनीतिक रूप से देश भर के उच्च शिक्षा संस्थानों को धन आवंटित करता है।

रैंकिंग में 'शोध' को शामिल करना:

  • भारत सरकार ने वर्ष 2015 में राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) लॉन्च किया, जो विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों को उनके अनुसंधान आउटपुट और प्रदर्शन सहित विभिन्न मापदंडों के आधार पर रैंकिंग प्रदान करता है।

'उत्कृष्ट संस्थान (IoE)' योजना:

  • इसके बाद, भारत सरकार ने 'इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस (IoE)' योजना शुरू की है , जिसका लक्ष्य 20 संस्थानों को विश्व स्तरीय विश्वविद्यालय बनने में सहायता करना है। जिसमें छह संस्थानों को पहले ही यह प्रतिष्ठित संस्थान का दर्जा मिल चुका है, जबकि एक 12 से अधिक अन्य संस्थान अपग्रेड होने के क्रम में हैं ।

नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (एनआरएफ) विधेयक, 2023 के बारे में

  • प्रस्तावित विधेयक एक नए केंद्रीकृत निकाय, नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (एनआरएफ) की स्थापना का प्रावधान करता है है, जिसके लिए अगले पांच वर्षों में ₹50,000 करोड़ का बजट आवंटित किया जायेगा। एनआरएफ संयुक्त राज्य अमेरिका के नेशनल साइंस फाउंडेशन जैसे सफल मॉडलों से प्रेरित है, जिसका बजट लगभग $8 बिलियन है, जो कॉलेज और विश्वविद्यालय अनुसंधान के लिए एक प्रमुख वित्त पोषण स्रोत के रूप में कार्य करता है, जबकि इसी प्रकार यूरोप में यूरोपीय अनुसंधान परिषद है जो बुनियादी और व्यावहारिक अनुसंधान दोनों का समर्थन करती है।
  • प्रशासकों द्वारा दिए गए बयानों के अनुसार, एनआरएफ की रणनीति में अपने बजट का अधिकांश हिस्सा, (₹36,000 करोड़) निजी क्षेत्र से प्राप्त करना है। कई विकसित देशों में निजी क्षेत्र लगभग 70% अनुसंधान व्यय का वित्तपोषण करते हुए महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। परिणामस्वरूप , सरकार का मानना है कि अधिक निजी निवेश आकर्षित करना भारत में विश्वविद्यालय अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण है।

भावी रणनीति

  • वास्तव में , अन्य देशों के अनुभवों का अध्ययन मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकता है,परन्तु हमें यह समझना आवश्यक है कि भारतीय शिक्षा प्रणाली की अपनी अनूठी जटिलताएं और विविधतायें है। किसी भी नई पहल को भारतीय संदर्भ की विशिष्ट आवश्यकताओं और चुनौतियों के अनुरूप ही तैयार किया जाना चाहिए।
  • भारतीय शिक्षा प्रणाली को सीखने के प्रति अपने दृष्टिकोण को उन्नत करने के लिए नवीन तरीकों का पता लगाना चाहिए जो अधिक व्यावहारिक और अनुसंधान-उन्मुख हो।
  • शैक्षणिक संस्थानों में स्नातक स्तर पर अनुसंधान के अवसरों की शुरूआत छात्रों और संकाय दोनों की गुणवत्ता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। इस तरह की पहल से प्रासंगिक विद्वतापूर्ण शोध का सृजन हो सकता है जो न केवल भारत के लिए बल्कि ज्ञान के वैश्विक निकाय में भी योगदान दे सकता है।
  • इसके अतिरिक्त, एनआरएफ जैसे संगठनों को ऐसी स्थितियाँ बनाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जो निजी क्षेत्र के संगठनों को अनुसंधान, नवाचार और प्रौद्योगिकी के विकास में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करें। यह समर्थन आविष्कार और तकनीकी उन्नति की संस्कृति को बढ़ावा दे सकता है, जिससे निजी क्षेत्र और पूरे देश दोनों को लाभ होगा।

मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न -

  • प्रश्न 1. एक मजबूत अनुसंधान वातावरण को बढ़ावा देने में भारतीय शिक्षा प्रणाली के सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियों की चर्चा कीजिये । इन चुनौतियों से निपटने और उच्च शिक्षा में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (एनआरएफ) विधेयक, 2023 और 'इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस (आईओई)' योजना सहित सरकार की पहल का विश्लेषण कीजिये । (10 अंक, 150 शब्द)
  • प्रश्न 2. अनुसंधान में कम निवेश और भारत में शोधकर्ताओं की सीमित संख्या लगातार चिंता का विषय रही है। अन्य विकसित देशों की तुलना में देश में अनुसंधान व्यय में निजी क्षेत्र के अपर्याप्त योगदान के पीछे के कारणों की जांच कीजिये । राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एनआरएफ) विधेयक, 2023 के संभावित प्रभाव और भारत में अनुसंधान परिदृश्य को मजबूत करने के लिए निजी क्षेत्र के निवेश को आकर्षित करने की रणनीति का मूल्यांकन कीजिये । (15 अंक, 250 शब्द)

Source – The Hindu

किसी भी प्रश्न के लिए हमसे संपर्क करें