संदर्भ:
भारत की स्वास्थ्य प्रणाली लंबे समय से गुणवत्तापूर्ण उपचार की सीमित उपलब्धता और व्यक्तिगत बचत पर उच्च निर्भरता से प्रभावित रही है। हर साल लगभग 6 करोड़ भारतीय चिकित्सा खर्चों के कारण गरीबी में धकेल दिए जाते हैं। दशकों तक स्वास्थ्य बीमा गरीबों की पहुंच से बाहर रहा, जिससे परिवारों को आपातकालीन परिस्थितियों में उधार लेना या संपत्ति बेचनी पड़ती थी।
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- इसी पृष्ठभूमि में 2018 में आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB PM-JAY) का शुभारंभ एक महत्वपूर्ण मोड़ था। प्रति परिवार प्रति वर्ष ₹5 लाख का कैशलेस कवर देकर, इस योजना का उद्देश्य सबसे कमजोर वर्गों को वित्तीय सुरक्षा और गरिमा प्रदान करना था। 2025 में इसके सात वर्ष पूरे होने पर आंकड़े उल्लेखनीय हैं: 6.5 करोड़ से अधिक सर्जरी और उपचार, लगभग ₹82,000 करोड़ का सरकारी व्यय, और 32,000 से अधिक अस्पतालों का पैनल में शामिल होना। ये आँकड़े दर्शाते हैं कि पीएम-जेएवाई ने भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य वितरण को नए सिरे से परिभाषित किया है।
- इसी पृष्ठभूमि में 2018 में आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB PM-JAY) का शुभारंभ एक महत्वपूर्ण मोड़ था। प्रति परिवार प्रति वर्ष ₹5 लाख का कैशलेस कवर देकर, इस योजना का उद्देश्य सबसे कमजोर वर्गों को वित्तीय सुरक्षा और गरिमा प्रदान करना था। 2025 में इसके सात वर्ष पूरे होने पर आंकड़े उल्लेखनीय हैं: 6.5 करोड़ से अधिक सर्जरी और उपचार, लगभग ₹82,000 करोड़ का सरकारी व्यय, और 32,000 से अधिक अस्पतालों का पैनल में शामिल होना। ये आँकड़े दर्शाते हैं कि पीएम-जेएवाई ने भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य वितरण को नए सिरे से परिभाषित किया है।
योजना के बारे में:
यह योजना सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (UHC) की दिशा में एक कदम है, जो एसडीजी-3 (अच्छा स्वास्थ्य और कल्याण) के तहत भारत की प्रतिबद्धता से मेल खाती है। |
आयुष्मान भारत के दो स्तंभ:
1. आयुष्मान आरोग्य मंदिर (AAMs)
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- पूरे देश में 1.5 लाख से अधिक केंद्र।
- मुफ्त व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना — मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, गैर-संचारी रोग, मानसिक स्वास्थ्य, दंत और नेत्र देखभाल, तथा उपशामक समर्थन।
- उपचारात्मक से रोकथाम एवं संवर्धनात्मक देखभाल की ओर ध्यान केंद्रित कर दीर्घकालिक रोग भार को कम करने का प्रयास।
- पूरे देश में 1.5 लाख से अधिक केंद्र।
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2. पीएम-जेएवाई
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- प्रति परिवार प्रति वर्ष ₹5 लाख तक का कैशलेस और पेपरलेस कवर।
- इसमें भर्ती से पहले 3 दिन और भर्ती के बाद 15 दिन के खर्च भी शामिल — सरकारी योजनाओं में एक दुर्लभ विशेषता।
- सभी पूर्व-विद्यमान रोग पहले दिन से ही कवर — खासकर निम्न-आय वाले परिवारों के लिए महत्वपूर्ण, जहां पुरानी बीमारियां आम हैं।
- राष्ट्रव्यापी पोर्टेबिलिटी — देशभर में कहीं भी इलाज की सुविधा, प्रवासी मजदूरों और अंतरराज्यीय श्रमिकों के लिए विशेष रूप से अहम।
- प्रति परिवार प्रति वर्ष ₹5 लाख तक का कैशलेस और पेपरलेस कवर।
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सात वर्षों में प्रगति:
विस्तार का स्तर
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- 55 करोड़ आयुष्मान कार्ड जारी — भारत की लगभग 40% आबादी को कवर।
- 7.79 करोड़ अस्पताल में भर्ती का समर्थन।
- सरकार ने दावों के निपटान पर लगभग ₹82,000 करोड़ खर्च किए।
- 32,000 से अधिक अस्पताल पैनल में — विश्व स्तर पर एकल योजना के अंतर्गत सबसे बड़े अस्पताल नेटवर्क में से एक।
- 55 करोड़ आयुष्मान कार्ड जारी — भारत की लगभग 40% आबादी को कवर।
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क्षेत्रीय वितरण
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- तमिलनाडु: 90 लाख से अधिक भर्ती — उच्च संस्थागत भागीदारी।
- कर्नाटक: लगभग 66 लाख।
- राजस्थान: 57 लाख।
- केरल: लगभग 55 लाख।
- पश्चिम बंगाल — एकमात्र राज्य जिसने योजना लागू नहीं की।
- तमिलनाडु: 90 लाख से अधिक भर्ती — उच्च संस्थागत भागीदारी।
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आयु-आधारित लाभार्थी
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- 45–59 वर्ष: 1.15 करोड़ भर्ती — मध्यम आयु वर्ग में जीवनशैली संबंधी रोगों का भारी बोझ।
- 60 वर्ष से ऊपर: 1 करोड़ से अधिक भर्ती।
- 2024 से: 70 वर्ष से अधिक आयु के सभी नागरिक (आय से परे) योजना में शामिल — वरिष्ठ नागरिकों को बड़ी राहत।
- 45–59 वर्ष: 1.15 करोड़ भर्ती — मध्यम आयु वर्ग में जीवनशैली संबंधी रोगों का भारी बोझ।
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उपचार और विशेषज्ञता
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- हीमोडायलिसिस: 64 लाख से अधिक भर्ती; सरकार का खर्च ₹2,521 करोड़ — मधुमेह और उच्च रक्तचाप से जुड़े किडनी रोगों का बढ़ता प्रसार।
- अन्य प्रमुख उपचार: हृदय शल्यक्रिया, स्टेंटिंग, सिजेरियन डिलीवरी, आर्थोपेडिक प्रक्रियाएं (हिप और नी रिप्लेसमेंट), एनीमिया और तीव्र ज्वर संबंधी बीमारियां।
- विशेषता-वार व्यय:
- कार्डियोलॉजी – ₹4,222 करोड़।
- जनरल मेडिसिन – ₹4,102 करोड़।
- कैंसर देखभाल (मेडिकल + रेडिएशन ऑन्कोलॉजी) – ₹4,800 करोड़।
- कार्डियोलॉजी – ₹4,222 करोड़।
- हीमोडायलिसिस: 64 लाख से अधिक भर्ती; सरकार का खर्च ₹2,521 करोड़ — मधुमेह और उच्च रक्तचाप से जुड़े किडनी रोगों का बढ़ता प्रसार।
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पीएम-जेएवाई का महत्व:
1. वित्तीय कठिनाइयों में कमी
o पहले परिवारों को अस्पताल में भर्ती के लिए जमीन बेचनी या ऊँचे ब्याज पर कर्ज लेना पड़ता था। अब ₹5 लाख कवर से उन्हें ऐसे विनाशकारी खर्चों से सुरक्षा।
2. पहुंच में समानता
o सबसे गरीब 40% पर ध्यान देकर, योजना ने उन लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं दिलाई जिन्हें खर्च के कारण इलाज छोड़ना पड़ता था।
3. प्राथमिक और निवारक देखभाल को मजबूती
o आयुष्मान आरोग्य मंदिर कल्याण और रोग-निवारण पर जोर देते हैं।
4. राष्ट्रव्यापी पोर्टेबिलिटी
o प्रवासी श्रमिकों, ट्रक चालकों और मजदूरों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण।
5. महिला-केंद्रित कवरेज
o लगभग आधे आयुष्मान कार्ड महिलाओं के नाम पर — ग्रामीण क्षेत्रों में लैंगिक स्वास्थ्य असमानता कम करने में मदद।
6. स्वास्थ्य अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन
o अस्पताल सेवाओं की मांग बढ़ाकर, इस योजना ने स्वास्थ्य अवसंरचना और रोजगार में निवेश को प्रोत्साहित किया।
प्रमुख चुनौतियां:
1. आउटपेशेंट केयर का बहिष्कार
o परामर्श, डायग्नोस्टिक टेस्ट और दवाइयां कवर नहीं, जबकि परिवारों के स्वास्थ्य खर्च का लगभग 70% इन्हीं पर होता है।
2. अस्पताल की भागीदारी संबंधी मुद्दे
o कई निजी अस्पताल कम प्रतिपूर्ति दर और विलंबित दावों के कारण हिचकिचाते हैं।
3. धोखाधड़ी और दुरुपयोग
o फर्जी लाभार्थी, फुलाए गए बिल, और अनावश्यक सर्जरी की रिपोर्टें।
4. जागरूकता की कमी
o लाखों योग्य परिवार अब भी योजना से अनजान, विशेषकर ग्रामीण और दूरदराज क्षेत्रों में।
5. वित्तीय स्थिरता
o बढ़ते दावे सरकारी बजट पर दबाव डालते हैं। कमजोर वित्तीय स्थिति वाले राज्य अपने हिस्से को वहन करने में संघर्ष करते हैं।
6. देखभाल की असमान गुणवत्ता
o कुछ अस्पताल उच्च गुणवत्ता का इलाज देते हैं, जबकि अन्य में विशेषज्ञ और संसाधनों की कमी।
व्यापक प्रभाव:
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- स्वास्थ्य सुरक्षा = सामाजिक सुरक्षा: स्वास्थ्य को विशेषाधिकार नहीं बल्कि गारंटी मानने की सोच का उदय।
- संघीय सहयोग: अधिकांश राज्यों द्वारा अपनाए जाने से यह सहकारी संघवाद का उदाहरण।
- वैश्विक नेतृत्व: पीएम-जेएवाई विश्व की सबसे बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य आश्वासन योजनाओं में से एक।
- यूएचसी की राह: अस्पताल में भर्ती के साथ प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा विस्तार — सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज की दिशा में कदम।
- निजी क्षेत्र की भागीदारी: गरीब तबकों की सेवा हेतु निजी अस्पतालों को प्रोत्साहित किया, यद्यपि चुनौतियां बाकी।
- स्वास्थ्य सुरक्षा = सामाजिक सुरक्षा: स्वास्थ्य को विशेषाधिकार नहीं बल्कि गारंटी मानने की सोच का उदय।
निष्कर्ष:
सात वर्षों की यात्रा यह दर्शाती है कि कैसे सुसंरचित सार्वजनिक नीति बड़े पैमाने पर जीवन बदल सकती है। पीएम-जेएवाई ने विनाशकारी स्वास्थ्य व्यय से सुरक्षा देकर करोड़ों गरीब परिवारों को गरिमा और आत्मविश्वास दिया। इसने किडनी रोग, हृदय रोग और कैंसर जैसी गंभीर स्थितियों के लिए जीवन-रक्षक उपचार तक पहुंच भी बढ़ाई।
यूपीएससी/पीएससी मुख्य प्रश्न: |