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Daily-current-affairs / 28 Jun 2025

भारत का अमृत मिशन: शहरी क्षेत्रों में बदलाव का एक दशक

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संदर्भ:

भारत में नगरीय विकास तेजी से हो रहा है। बेहतर रोजगार, शिक्षा और जीवन स्तर की तलाश में अधिक से अधिक लोग शहरों की ओर आ रहे हैं। लेकिन इस तेज़ वृद्धि से कई चुनौतियां भी सामने आ रही हैं। स्वच्छ पीने का पानी, अच्छी सीवर व्यवस्था, सुरक्षित सड़कें, हरित स्थल और भरोसेमंद सार्वजनिक परिवहन स्वस्थ और टिकाऊ शहरों के लिए जरूरी हैं।

  • इन ज़रूरतों को पूरा करने के लिए भारत सरकार ने 2015 में अटल मिशन फॉर रीजुवेनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन (AMRUT) शुरू किया जिसका जून 2025 में एक दशक पूरा हो गया है। पिछले दस वर्षों में, अमृत (AMRUT) ने सैकड़ों शहरों को उनकी बुनियादी सेवाएं सुधारने और भविष्य की योजना बनाने में मदद की है। जल शोधन संयंत्र बनाने से लेकर पार्क विकसित करने और साइक्लिंग को बढ़ावा देने तक, मिशन ने सभी के लिए खासकर शहरी गरीबों के लिए शहरों को अधिक रहने योग्य बनाने का लक्ष्य रखा है।

अमृत मिशन (AMRUT) के बारे में:
अमृत मिशन तीन मुख्य लक्ष्यों के साथ बनाया गया था:

1.        जल आपूर्ति और सीवर की सार्वभौमिक पहुंच: हर घर में पाइप से पानी की आपूर्ति और सीवर कनेक्शन सुनिश्चित करना।

2.      हरित और स्वस्थ शहर: बच्चों और बुजुर्गों के लिए पार्क और हरित स्थल विकसित करना।

3.      स्वच्छ शहरी वातावरण: सार्वजनिक परिवहन और पैदल चलने तथा साइकिल चलाने के लिए ढांचे में निवेश कर प्रदूषण कम करना।
इन लक्ष्यों को पाने के लिए अमृत मिशन ने 500 शहरों और कस्बों को कवर किया (अब विलय के बाद 485)। यह एक केंद्र प्रायोजित योजना थी, जिसमें फंडिंग केंद्र और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के बीच साझा की गई। धन वितरण शहरी आबादी और प्रत्येक राज्य में पात्र शहरों की संख्या के आधार पर हुआ।

मिशन के घटक-
अमृत मिशन ने सात मुख्य क्षेत्रों पर ध्यान दिया:

  • जल आपूर्ति: जल आपूर्ति प्रणालियों को अपग्रेड करना, शोधन संयंत्र बनाना, पुरानी पाइपलाइन नेटवर्क को ठीक करना, मीटरिंग सुनिश्चित करना और पीने के पानी के लिए जल स्रोतों को पुनर्जीवित करना। विशेष प्रावधान उन क्षेत्रों के लिए भी किए गए जहां पानी में आर्सेनिक या फ्लोराइड जैसी समस्याएं थीं।
  • सीवर और सेप्टेज प्रबंधन: विकेन्द्रीकृत सीवर नेटवर्क विकसित करना, सीवेज शोधन क्षमता बढ़ाना, अपशिष्ट जल का पुनर्चक्रण और यांत्रिक व जैविक सफाई के माध्यम से मल कीचड़ प्रबंधन को बेहतर बनाना।
  • वर्षा जल निकासी: भारी बारिश के दौरान बाढ़ रोकने के लिए नालियों का निर्माण और सुधार।
  • शहरी परिवहन: पैदल पथ, साइकिल ट्रैक, फुट ओवर-ब्रिज जैसे गैर-मोटर चालित परिवहन के लिए सुविधाएं सुधारना; बस सेवाएं और मल्टी-लेवल पार्किंग समाधान शुरू करना।
  • हरित स्थल और पार्क: बच्चों और बुजुर्गों के लिए सुविधाओं के साथ पार्क बनाना और बनाए रखना।
  • क्षमता निर्माण: मिशन शहरों के साथ-साथ सभी शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) में संस्थानों को मजबूत करना और व्यक्तियों को प्रशिक्षित करना।
  • सुधार कार्यान्वयन: शहरी शासन को अधिक कुशल और पारदर्शी बनाने के लिए नीतिगत और प्रशासनिक सुधारों को बढ़ावा देना।

कार्यान्वयन और वित्तीय प्रगति:
पिछले दशक में निवेश का दायरा काफी बड़ा रहा:
अमृत मिशन के तहत ₹77,640 करोड़ के राज्य वार्षिक कार्य योजना (SAAP) को मंजूरी दी गई।
केंद्र सरकार ने ₹35,990 करोड़ की सहायता का वादा किया।
• 2025 के मध्य तक ₹79,401 करोड़ के प्रोजेक्ट पूरे हुए, जिन पर ₹72,656 करोड़ खर्च हुए।
कुल मिलाकर, AMRUT और इसके उत्तराधिकारी AMRUT 2.0 के तहत ₹2,73,649 करोड़ की लागत वाली 14,828 परियोजनाएं मंजूर की गईं।

अमृत मिशन के तहत उपलब्धियां (2015–2021)

  • पानी की आपूर्ति: करोड़ों परिवारों को पाइप से जलापूर्ति मिली। जल शोधन क्षमता में भारी वृद्धि हुई।
  • सीवर: सीवर नेटवर्क और शोधन सुविधाओं के बड़े पैमाने पर विस्तार से अपशिष्ट जल का शोधन सुनिश्चित हुआ।
  • पार्क और हरित स्थल: परियोजना लागत का 2.5% तक पार्क और हरित क्षेत्रों के निर्माण में लगाया गया।
  • क्षमता निर्माण: हजारों नगर अधिकारियों, इंजीनियरों और अन्य हितधारकों को प्रशिक्षण दिया गया।

अमृत मिशन 2.0 का शुभारंभ:
1 अक्टूबर 2021 को सरकार ने AMRUT 2.0 शुरू किया ताकि इन सुधारों को और गहरा किया जा सके। इस नए चरण का दायरा और बजट काफी बड़ा है:

  • कवरेज: पूरे भारत के सभी शहरी स्थानीय निकाय (ULBs)
  • लक्ष्य: पुराने AMRUT शहरों में पानी और सीवर की सार्वभौमिक कवरेज, जल सुरक्षा हासिल करना और शहरों को आत्मनिर्भर बनाना।
  • बजट: पांच सालों में ₹2,99,000 करोड़, जिसमें ₹76,760 करोड़ केंद्र से।

अमृत मिशन T 2.0 की मुख्य विशेषताएं:

1.        पानी की आपूर्ति:
o ₹1,14,220 करोड़ की लागत वाली 3,568 परियोजनाएं मंजूर।
o 181 लाख नए नल कनेक्शन मंजूर।
o 10,647 MLD नई जल शोधन संयंत्र क्षमता स्वीकृत।
o बेहतर निगरानी के लिए SCADA तकनीक के साथ 1,487 जल आपूर्ति परियोजनाएं।

2.      सीवर और सेप्टेज प्रबंधन:
o ₹67,608 करोड़ की लागत वाली 592 परियोजनाएं स्वीकृत।
o 67 लाख नए सीवर कनेक्शन योजना में।
o 6,739 MLD सीवेज शोधन क्षमता मंजूर।
o रीयल-टाइम नियंत्रण के लिए SCADA के साथ 235 परियोजनाएं।

3.      नवाचार और स्टार्ट-अप समर्थन:
o तकनीकी उप-मिशन के तहत 82 शहरों में 120 स्टार्ट-अप को नई परियोजनाओं के लिए चुना गया।
o इन परियोजनाओं का उद्देश्य जल संरक्षण, शोधन और सेवा वितरण में नवाचार लाना है।

4.     जल ही अमृत पहल:
o राज्यों को सीवेज शोधन सुधारने और उपचारित जल का सुरक्षित पुनः उपयोग बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन।

कुल उपलब्धियां (2015–2025):
AMRUT और AMRUT 2.0 का संयुक्त प्रभाव उल्लेखनीय रहा:
• 2.03 करोड़ नल कनेक्शन और 1.50 करोड़ सीवर कनेक्शन।
• 9,500 एकड़ से अधिक क्षेत्र में फैले 544 जल निकाय पुनर्जीवित।
• 1.09 लाख एकड़ में 3,032 जल निकायों के पुनर्जीवन को मंजूरी।
केंद्र, राज्य और ULBs द्वारा परियोजनाओं पर ₹97,000 करोड़ से अधिक खर्च।
परियोजनाओं में मदद के लिए ₹47,625 करोड़ की केंद्रीय सहायता जारी।

विशेष पहलें-
अमृत मिशन के भीतर कई लक्षित कार्यक्रम शुरू हुए:
अमृत  मित्र: 10,000 से अधिक महिला स्वयं सहायता समूह सदस्यों को छोटी परियोजनाओं में शामिल किया गया। ₹147 करोड़ की लागत वाली 1,762 परियोजनाएं स्वीकृत।
ड्रिंक फ्रॉम टैप (DFT): 381 परियोजनाओं पर ₹23,490 करोड़ खर्च हो रहे हैं ताकि 8 लाख घरों को सुरक्षित नल से जल मिले।
क्षमता निर्माण: 90,000 से अधिक लोगों को प्रशिक्षण दिया गया, जिनमें ठेकेदार, प्लंबर, इंजीनियर, महिलाएं और युवा शामिल हैं।

चुनौतियां और आगे की राह-
हालांकि AMRUT ने उल्लेखनीय प्रगति की है, लेकिन कुछ चुनौतियां बनी हुई हैं:
शहरी क्षेत्रों में जल संकट और प्रदूषण की समस्या जारी है।
परियोजनाओं को लागू करने की गति राज्यों के बीच भिन्न है।
नई अवसंरचना का रखरखाव निरंतर निवेश और स्थानीय क्षमता मांगता है।
इन कमियों को दूर करने के लिए AMRUT 2.0 में SCADA प्रणाली के जरिए निगरानी मजबूत की गई है और तकनीकी उप-मिशन के जरिए नवाचार पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

निष्कर्ष:
दस वर्षों में अमृत मिशन ने शहरी विकास के प्रति भारत की सोच को बदल दिया। ढांचागत निवेश के साथ संस्थागत मजबूती और क्षमता निर्माण को जोड़कर, इसने अधिक रहने योग्य, लचीले और समावेशी शहरों का ढांचा तैयार किया। जैसे-जैसे शहरीकरण बढ़ता रहेगा, मिशन की सीख और उपलब्धियां ऐसे शहर बनाने की नींव रखती रहेंगी जो न केवल आधुनिक हों बल्कि समानता और टिकाऊ विकास भी सुनिश्चित करें।

 

मुख्य प्रश्न: विकेंद्रीकरण शहरी सुधारों की कुंजी है, फिर भी अमृत मिशन मूल रूप से ऊपर से नीचे की ओर (Top to Down) बनी रही।शहरी स्थानीय निकाय (ULBs) और नागरिक सहभागिता को सशक्त बनाने के संदर्भ में अमृत मिशन AMRUT के तहत शहरी विकेंद्रीकरण की प्रभावशीलता का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें।