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Daily-current-affairs / 02 Apr 2024

चुनावी अखंडता पर एआई का प्रभावः नवाचार और विनियमों का संतुलन- डेली न्यूज़ एनालिसिस

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संदर्भ:

  • चुनावी प्रचार रणनीतियों को वैश्विक स्तर पर पुनर्परिभाषित करते हुए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और राजनीति का संगम, राजनीतिक दलों के लिए अवसरों और चुनौतियों का एक नया आयाम प्रस्तुत कर रहा है। आगामी तैयारियों के साथ, चुनावी अभियान रणनीति में एआई प्रौद्योगिकियों का एकीकरण आज सर्वत्र होता जा रहा है। सामाजिक मीडिया प्लेटफार्मों के प्रभावी उपयोग से लेकर उन्नत डेटा विश्लेषण तक, सभी स्तरों पर राजनीतिक दल मतदाताओं के साथ जुड़ने और जनमत को प्रभावित करने के लिए एआई-संचालित दृष्टिकोण अपना रहे हैं। वर्ष 2024 के चुनावी प्रक्रियाओं के दौरान एआई का प्रभाव राजनीतिक प्रचार के प्रत्येक पहलू में देखा जा सकेगा।

चुनावों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) की महत्वपूर्ण भूमिका:

  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) कई तरीकों से चुनावी परिदृश्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है:
    • राजनीतिक दल और उम्मीदवार व्यापक मतदाता डेटा का विश्लेषण करने के लिए एआई एल्गोरिदम का लाभ उठाते हैं, जिसमें जनसांख्यिकी, सोशल मीडिया गतिविधि और मतदान इतिहास शामिल हैं। यह विश्लेषण अभियान संदेशों को तैयार करने और विशिष्ट मतदाता समूहों को अधिक प्रभावी ढंग से लक्षित करने में मदद करता है।
    • चुनाव परिणामों का पूर्वानुमान लगाने के लिए एआई-संचालित पूर्वानुमान विश्लेषण का उपयोग किया जाता है, जिसमें मतदान डेटा, आर्थिक संकेतकों और सोशल मीडिया की भावना की जांच की जाती है। इससे दलों को रणनीतिक रूप से संसाधनों का आवंटन करने और महत्वपूर्ण निर्णायक क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने में सक्षम बनाता है।
    •  एआई चैटबॉट और वर्चुअल असिस्टेंट सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मतदाताओं के साथ जुड़ते हैं, उम्मीदवारों और नीतियों के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं, सवालों के जवाब देते हैं और मतदाता भागीदारी को बढ़ावा देते हैं। यह चुनावी प्रक्रिया में मतदाता जुड़ाव और भागीदारी को बढ़ाने में योगदान देता है।
    • एआई उपकरणों का उपयोग चुनावी धोखाधड़ी का पता लगाने और उसे रोकने के लिए किया जाता है, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक मतदान प्रणालियों के साथ छेड़छाड़ और गलत सूचना का प्रसार इत्यादि जैसे प्रकरण शामिल हैं। इसके अलावा डेटा पैटर्न और विसंगतियों का विश्लेषण करके, एआई एल्गोरिदम चुनावी प्रक्रिया की अखंडता सुनिश्चित करने में मदद करते हैं।
    • सरकारें और चुनाव अधिकारी राजनीतिक विज्ञापनों की निगरानी एवं विनियमन के साथ-साथ वित्तीय कानूनों के उल्लंघन की पहचान करने और चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता तथा जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए एआई का उपयोग करते हैं। साथ ही एआई-संचालित उपकरण चुनावी नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने में मदद करते हैं।
    • वर्ष 2021 में, बिहार चुनाव आयोग ने पंचायत चुनावों के दौरान मतगणना केंद्रों से सीसीटीवी फुटेज का विश्लेषण करने के लिए ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकग्निशन (ओसीआर) के साथ वीडियो एनालिटिक्स को लागू करने के लिए एआई फर्म स्टैक के साथ सहयोग किया। इस साझेदारी ने पूर्ण पारदर्शिता हासिल की और हेरफेर की संभावनाओं को समाप्त कर दिया।

एशियन जर्नल ऑफ पॉलिटिकल साइंस के 2015 के अंक में "इंडिया 2014: फेसबुक 'लाइक' एज़ प्रेडिक्टर ऑफ़ इलेक्शन आउटकम्स" शीर्षक से प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार किसी राजनीतिक दल या उसके नेता द्वारा अपने आधिकारिक फेसबुक पेज पर प्राप्त 'लाइक' की संख्या और लोकप्रिय वोट के उनके हिस्से के बीच सकारात्मक संबंध होता है। यह प्रवृत्ति केवल समकालीन वैश्विक राजनीति में बल्कि भारतीय राजनीतिक गतिशीलता के संदर्भ में भी सही प्रतीत होती है।

 

   

  •  उल्लेखनीय उदाहरण:
    • निम्नांकित दो उल्लेखनीय उदाहरण इस बात को रेखांकित करते हैं, कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) निर्वाचन गतिशीलता को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। यह लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की रक्षा के लिए सतर्कता और विनियमन की आवश्यकता को भी रेखांकित करती है।
      • पहला, न्यू हैम्पशायर की घटना कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) की मतदाता व्यवहार में हेरफेर करने की क्षमता को दर्शाती है। एक चालाकी से रचे गए रोबोकॉल के माध्यम से, जिसमें राष्ट्रपति जो बाइडेन की नकल की गई थी; कृत्रिम बुद्धिमत्ता ने मतदाताओं को वोटिंग से दूर रहने का आग्रह करके उनका मताधिकार के हनन का प्रयास किया। यह परिष्कृत रणनीति बताती है, कि कैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर भ्रम फैलाने और चुनावी भागीदारी को बाधित करने में सक्षम है। यह घटना लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की सत्यता के नैतिक और कानूनी प्रावधानों को संदेहास्पद बनता है।
      • इसी तरह, स्लोवाकिया का मामला कृत्रिम बुद्धिमत्ता द्वारा निर्मित दुष्प्रचार अभियानों के दुष्प्रभावों को उजागर करता है। संलिप्त पक्षों के तुरंत इनकार के बावजूद, कृत्रिम बुद्धिमत्ता द्वारा बनाई गई रिकॉर्डिंगों ने चुनाव में धांधली के संदेह को जन्म दिया, जिससे चुनावी नतीजों पर संदेह किया जाने लगा। हालाँकि यह घटना कृत्रिम बुद्धिमत्ता से संचालित गलत सूचना का पता लगाने और उसका मुकाबला करने के लिए मजबूत तंत्रों की तत्काल आवश्यकता को भी रेखांकित करती है, जो चुनावी परिणामों की सत्यता की रक्षा करती है और लोकतांत्रिक संस्थाओं में जनता के विश्वास को बनाए रखने का प्रयास करती है।

चुनावों में एआई दुरुपयोग को कम करना:

  • पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए दिशानिर्देशः
    • एआई द्वारा फैलाई गई गलत सूचना के प्रसार के प्रत्युत्तर में, भारतीय चुनाव आयोग को वर्ष 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए दिशा-निर्देश लागू करना अनिवार्य है। इन दिशानिर्देशों को राजनीतिक उद्देश्यों के लिए एआई एल्गोरिदम के उपयोग संबंधी पारदर्शिता लागू करनी चाहिए। इसमें राजनीतिक विज्ञापनों के लिए धन स्रोतों के प्रकटीकरण को अनिवार्य करना और एल्गोरिदम उपयोगकर्ताओं के सामने आने वाली कंटेंट सामग्री को आकार देने सम्बंधित अंतर्दृष्टि प्रदान करना शामिल है।
  • शिक्षा और मीडिया साक्षरता को बढ़ावा देनाः
    • ऑनलाइन जानकारी का प्रभावी ढंग से मूल्यांकन करने के लिए आवश्यक कौशल के साथ नागरिकों को जागरूक करने के उद्देश्य से शैक्षिक पहलों हेतु संसाधनों का आवंटन किया जाना चाहिए। सूचना के विश्वसनीय और अविश्वसनीय स्रोतों के बीच के अंतर करने हेतु मतदाताओं को सशक्त बनाने के लिए मीडिया साक्षरता को बढ़ावा देना चाहिए।
  •  तथ्य-जांच तंत्र को मजबूत करनाः
    • चुनावों के दौरान फर्जी खबरों, नकली और गलत सूचना के अन्य रूपों के प्रसार को तुरंत समाप्त करने के लिए समर्पित एक त्वरित प्रतिक्रिया दल की स्थापना की जानी चाहिए। ऑनलाइन उपलब्ध सामग्री की सटीकता को सत्यापित करने के लिए स्वतंत्र संगठनों और पत्रकारों को सहायता प्रदान करके तथ्य-जांच के प्रयासों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। भ्रामक सामग्री को कुशलता से पहचानने और चिह्नित करने में सक्षम एआई-संचालित उपकरण विकसित किया जाना चाहिए।
  •  काउंटर-नैरेटिव्स और डिबंकिंग अभियान लागू करना:
    • झूठी जानकारी को समाप्त कर सटीक जवाबी-प्रक्रियाएं प्रदान करने पर केंद्रित जन जागरूकता पहल शुरू की जानी चाहिए। यह ट्रेंडिंग गलत सूचनाओं की पहचान करने के लिए एआई क्षमताओं का उपयोग करें और अधिकतम प्रभावकारिता के लिए काउंटर-मैसेज तैयार करें।
  • नैतिक एआई विकास को बढ़ावा देनाः
    • नैतिक विचारों के साथ एआई प्रौद्योगिकियों के विकास को बढ़ावा देना, पूर्वाग्रह शमन, गोपनीयता संरक्षण और पारदर्शिता बढ़ाने पर जोर दिया जाना चाहिए। राजनीतिक संदर्भों में एआई के जिम्मेदार उपयोग के लिए मानकों और दिशानिर्देशों की स्थापना की जानी चाहिए।
  •  अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देनाः
    • एआई-संचालित दुष्प्रचार अभियानों द्वारा उत्पन्न वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के लिए सरकारों, तकनीकी कंपनियों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के बीच सहयोग की सुविधा प्रदान की जानी चाहिए। सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान को बढ़ावा देकर सीमाओं के पार चुनाव हस्तक्षेप का मुकाबला करने के प्रयासों का समन्वय किया जाना चाहिए।

एआई मॉडलों द्वारा गलत सूचना के प्रसार को सीमित करने के लिए भारत द्वारा हाल ही में किए गए उपाय:

  • भारत सरकार एआई नियामक चिंताओं के बीच गलत सूचना से निपटने के लिए निम्नलिखित रूपों में समाधान चाहती है:
    • भारत सरकार ने समाज और लोकतंत्र के लिए खतरा उत्पन्न करने वाली गलत सूचनाओं को चिन्हित कर उसे समाप्त करने के लिए, तकनीकी और प्रक्रियात्मक उपाय तैयार करने हेतु डिजिटल प्लेटफार्मों के उपयोग का आह्वान किया है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने चुनावों के बाद डीपफेक और गलत सूचना को लक्षित करने के लिए एक कानूनी ढांचा स्थापित करने की योजना की घोषणा की है।
    • MeitY ने गूगल और ओपनएआई जैसे तकनीकी दिग्गजों के लिए परामर्श किया, जिसमें उनसे यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया कि उनकी सेवाएं भारतीय कानून के तहत अवैध प्रतिक्रियाएं उत्पन्न करें या चुनावी प्रक्रिया की अखंडता को कमजोर करें। हालांकि, इस निर्देश ने उत्पादक एआई क्षेत्र में काम करने वाले कुछ स्टार्टअप्स की आलोचना को जन्म दिया, जो अत्यधिक विनियमन के डर से उद्योग के विकास को रोक सकता है।
    • सरकार के इस स्पष्टीकरण के बावजूद, कि परामर्श मुख्य रूप से स्टार्टअप के बजाय प्रमुख प्लेटफार्मों को लक्षित करता है; यह घटना उस संवेदनशीलता को रेखांकित करती है, जो विभिन्न नियामकों को एआई-संचालित गलत सूचना का मुकाबला करने और नवाचार के लिए पर्यावरण को संरक्षित करने के बीच बनाए रखने हेतु प्रेरित करती है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से संबंधित भारत की पहलें:

  •  INDIAai
  • यूएस इंडिया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इनिशिएटिव।
  • युवाओं के लिए जिम्मेदार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस।
  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस रिसर्च, एनालिटिक्स एंड नॉलेज एसिमिलेशन प्लेटफॉर्म।
  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मिशन।

निष्कर्ष:

  • निर्वाचन प्रचार अभियानों को कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) निरंतर रूप से प्रभावित कर रही है, ऐसे में लोकतंत्र की रक्षा के लिए इसके लाभों का जोखिमों के साथ संतुलन बनाना अत्यावश्यक है। वर्ष 2024 का चुनाव इस विकासक्रम में व्यापक महत्त्व रखता है। अतः पारदर्शिता, जवाबदेही और नैतिकता के सिद्धांतों को लोकतांत्रिक भागीदारी और सूचित निर्णय लेने को बढ़ावा देने के लिए एआई के उपयोग का मार्गदर्शन करना चाहिए। सरकारों, तकनीकी कंपनियों और नागरिक समाज को यह सुनिश्चित करने के लिए सहयोग करना चाहिए कि एआई सार्वजनिक हित को समर्पित हो और निर्वाचन की शुचिता बनाए रखे। इस संतुलन को प्राप्त करना एक अधिक समावेशी, पारदर्शी और लोकतांत्रिक भविष्य की राह प्रशस्त करेगा।

यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न:

1.    दुनिया भर में चुनावी रणनीतियों को नया आकार देने में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) की महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा करें, इसके अवसरों और चुनौतियों पर प्रकाश डालें। सरकारें चुनावी अखंडता की रक्षा करते हुए राजनीतिक अभियानों में एआई का जिम्मेदार उपयोग कैसे सुनिश्चित कर सकती हैं? (10 अंक, 150 शब्द)

2.    चुनावी प्रक्रियाओं में गलत सूचना से निपटने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) से संबंधित भारत की पहल और उनके संभावित प्रभावों का मूल्यांकन करें। सरकार एआई-संचालित प्रौद्योगिकियों को विनियमित करने और एआई क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देने के बीच संतुलन कैसे बना सकती है? (15 अंक, 250 शब्द)

स्रोत - हिंदू

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