Brain-booster
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27 May 2021
यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए ब्रेन बूस्टर (विषय: वैश्विक प्रेषण पर विश्व बैंक की रिपोर्ट (World Bank Report on Global Remittances)
यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए
करेंट अफेयर्स
ब्रेन बूस्टर (Current
Affairs Brain Booster
for UPSC & State PCS Examination)
विषय (Topic): वैश्विक
प्रेषण पर विश्व बैंक की रिपोर्ट (World Bank Report on Global Remittances)

सुर्खियों में क्यों?
- हाल ही में विश्व बैंक ने माइग्रेशन एंड डेवलपमेंट ब्रीफ (Migration and
Development Brief) रिपोर्ट जारी किया है। इस रिपोर्ट के अनुसार कोविड महामारी
के बावजूद वर्ष 2020 में भारत प्रेषित धन का सबसे बड़ा प्राप्तकर्त्ता रहा है
जिसने प्रेषित धन के रूप में 83 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक प्राप्त किया, जो
पिछले वर्ष (2019) की तुलना में केवल 0.2 प्रतिशत कम है।
प्रमुख बिन्दु
- वर्ष 2019 में, भारत को 83.3 बिलियन डॉलर का प्रेषण प्राप्त हुआ था। इसके
अतिरिक्त वर्ष 2020 में भारत को प्रेषित धन में केवल 0.2% की गिरावट आई है,
जिसमें संयुक्त अरब अमीरात से प्रेषित धन में 17% की कमी के कारण सर्वाधिक
गिरावट हुई है।
- पाकिस्तान में, प्रेषण में 17% की वृद्धि हुई। पाकिस्तान के लिए प्रेषण में
सबसे बड़ी वृद्धि सऊदी अरब से हुई।
- भारत और चीन के बाद क्रमशः मेक्सिको, फिलीपींस, मिस्र, पाकिस्तान, फ्राँस
तथा बांग्लादेश का स्थान है।
- संयुक्त राज्य अमेरिका (68 बिलियन अमेरिकी डॉलर) से प्रेषित धन का बहिर्वाह
सर्वाधिक था, इसके बाद यूएई (43 बिलियन), सऊदी अरब (34.5 बिलियन), स्विट्जरलैंड
(27.9 बिलियन), जर्मनी (22 बिलियन)तथा चीन (18 बिलियन) का स्थान है।
प्रेषित धन या रेमिटेंस क्या है?
- प्रेषण विकासशील देशों के लिए आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत होता है।
- जब एक प्रवासी अपने मूल देश को बैंक, पोस्ट ऑफिस या ऑनलाइन ट्रांसफर से
धनराशि भेजता है तो उसे रेमिटेंस कहते हैं। विकासशील देशों में इस धनराशी का
निर्धनता उन्मूलन में काफी महत्व होता है।
- भारतीय अर्थव्यवस्था में रेमिटेंस की महत्वपूर्ण भूमिका है। वर्तमान में
विश्व के कई विकासशील देशों में रेमिटेंस विदेशों से होने वाली आय का सबसे बड़ा
स्रोत बन गया है।
धन प्रेषण से लाभ
- धन प्रेषण से परिवारों को भोजन, स्वास्थ्य देखभाल और बुनियादी जरूरतों को
पूरा करने में मदद मिलती है।
रेमिटेंस में गिरावट के नुकसान
- दुनिया के सारे प्रवासी भारतीय बहुत धनी नहीं हैं। अधिकांश देशों में इनकी
आर्थिक हालत बहुत अच्छी नहीं है। खासतौर से विभिन्न खाड़ी देशों में लाखों
कुशल-अकुशल भारतीय श्रमिक इस बात से त्रस्त हैं कि वहां पर इन्हें न्यूनतम वेतन
और जीवन के लिए जरूरी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। ऐसे मे धन प्रेषण मे कमी
से उनके परिवारों को विभिन्न परेशानियों से गुजरना पड़ता है।
- विश्व बैंक के अनुसार, वैश्विक अर्थव्यवस्था में गिरावट के साथ ही देशों
में संरक्षणवादी विचारधारा को बढ़ावा मिल सकता है, जिससे आने वाले दिनों में
प्रवासी कामगारों के लिये रोजगार के अवसरों में गिरावट देखी जा सकती है।