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Brain-booster / 24 Nov 2022

यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए ब्रेन बूस्टर (विषय: राष्ट्रीय मिशन प्राकृतिक खेती प्रबंधन एवं ज्ञान पोर्टल (National Mission on Natural Farming Management and Knowledge Portal)


यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए ब्रेन बूस्टर (विषय: राष्ट्रीय मिशन प्राकृतिक खेती प्रबंधन एवं ज्ञान पोर्टल (National Mission on Natural Farming Management and Knowledge Portal)

विजन

  • खेती की लागत में कटौती करने, किसानों की आय बढ़ाने, संसाधन संरक्षण, सुरक्षित, स्वस्थ मिट्टी, पर्यावरण और भोजन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से खरीदे गए इनपुट से मुक्ति के लिए स्व-टिकाऊ तथा स्व-उत्पादक प्राकृतिक कृषि प्रणालियों को लागू करना।

मिशन

  • बाहरी खरीदे गए इनपुट्स से मुक्ति, लागत में कमी और इस तरह किसानों की आय में वृद्धि के लिए खेती की वैकल्पिक प्रणाली को बढ़ावा देना।
  • देसी गाय और स्थानीय संसाधनों पर आधारित एकीकृत कृषि-पशुपालन मॉडल को लोकप्रिय बनाना।
  • प्राकृतिक खेती के बारे में जागरूकता निर्माण, क्षमता निर्माण, संवर्धन और प्रदर्शन के लिए गतिविधियाँ शुरू करना।
  • राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों के लिए प्राकृतिक कृषि उत्पादों के लिए मानक, प्रमाणन प्रक्रिया तथा ब्रांडिंग तैयार करना।

राष्ट्रीय संचालन समिति

  • राष्ट्रीय स्तर पर, राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन कृषि मंत्री की अध्यक्षता में एक एनएससी के माध्यम से आगे बढ़ा।
  • एनएससी नीति बनाने वाला निकाय होगा जो मिशन को समग्र दिशा और मार्गदर्शन प्रदान करेगा, इसकी प्रगति और प्रदर्शन की निगरानी तथा समीक्षा करेगा।
  • एनएससी को संचालन संबंधी दिशा-निर्देशों को निर्धारित करने और उनमें संशोधन करने का अधिकार होगा।

संकल्पना

  • प्राकृतिक खेती एक हैः
  • रसायन मुक्त कृषि प्रणाली।
  • भारतीय परंपरा में निहित।
  • पारिस्थितिकी, संसाधन पुनर्चक्रण और ऑन-फार्म संसाधन अनुकूलन की आधुनिक समझ से समृद्ध।
  • इसे कृषि-पारिस्थितिकी आधारित विविध कृषि प्रणाली माना जाता है जो कार्यात्मक जैव विविधता के साथ फसलों, पेड़ों और पशुधन को एकीकृत करती है।
  • यह बड़े पैमाने पर ऑन-फार्म बायोमास रीसाइक्लिंग पर आधारित है जिसमें प्रमुख हैः
  • बायोमास पलवार (MULCHING)
  • खेत में गाय के गोबर-मूत्र का उपयोग।
  • मिट्टी के वातन (AERATION) को बनाए रखना।
  • सभी सिंथेटिक रासायनों का बहिष्कार।

परिदृश्य

  • वर्तमान में, प्राकृतिक कृषि प्रणालियों को स्वीकार करना और अपनाना प्रारंभिक चरण में है। यह धीरे-धीरे कृषक समुदाय के बीच स्वीकृति प्राप्त कर रही है।
  • आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश और केरल प्रमुख राज्यों में से हैं।

प्राकृतिक खेती के तरीक

प्राकृतिक खेती को अपनाने के लिए आवश्यक महत्त्वपूर्ण प्रथाओं में शामिल हैं:

  • कोई बाहरी इनपुट नहीं।
  • स्थानीय बीज (स्थानीय किस्मों) का उपयोग।
  • बीज उपचार के लिए खेत में उत्पादित माइक्रोबियल सूत्रीकरण।
  • मिट्टी के संवर्धन के लिए खेत में बने माइक्रोबियल इनोकुलेंट (जीवामृत)।
  • मिश्रित फसल।
  • पेड़ों के एकीकरण के माध्यम से फार्म पर विविधता का प्रबंधन।
  • विविधता और स्थानीय ऑन-फार्म वानस्पतिक मिश्रण के माध्यम से कीटों का प्रबंधन।
  • कई प्रथाओं के लिए आवश्यक आदानों के रूप में पशुधन का एकीकरण, विशेष रूप से गाय के गोबर और गोमूत्र के लिए देशी नस्ल का जल तथा नमी संरक्षण।

भारत में प्राकृतिक खेती का वर्तमान परिदृश्य

  • कई राज्यों ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए पहल की है।
  • आंध्र प्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु प्रमुख राज्यों में से हैं।
  • अभी तक भारत में 10 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र प्राकृतिक खेती के अंतर्गत आता है।