Brain-booster
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09 Aug 2022
यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए ब्रेन बूस्टर (विषय: नाटो (NATO)
चर्चा में क्यों?
- हाल ही में स्वीडन और फिनलैंड ने नाटो में शामिल होने के लिए आवेदन किया
है।
- शुरूआत में तुर्की इस प्रस्ताव के खिलाफ था लेकिन अब उसने भी समर्थन किया
है।
- रूस के साथ चल रहे युद्ध के कारण यूक्रेन भी सैन्य गठबंधन में शामिल होना
चाहता है।
- शीत युद्ध प्रतिद्वंद्विता से उभरे 30 देशों के क्षेत्रीय सुरक्षा गठबंधन,
उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन के नेताओं की मुलाकात 29-30 जून को मैड्रिड, स्पेन
में हुई।
नाटो के बारे में
- यह एक सैन्य गठबंधन है जिसे 4 अप्रैल, 1949 को द्वितीय विश्व युद्ध के बाद
12 सदस्य देशों ने पूर्वी और उत्तरी यूरोपीय क्षेत्र में तैनात सोवियत सेना के
खिलाफ स्थापित किया गया था।
- नाटो का मुख्यालय ब्रुसेल्स , बेल्जियम में है जबकि संबद्ध (ALLIED) कमांड
ऑपरेशन का मुख्यालय मॉन्स, बेल्जियम में स्थित है।
- इसे वाशिंगटन संधि के नाम से भी जाना जाता है।
- वर्तमान में नाटो के 30 सदस्य देश हैं। इस समूह में शामिल होने वाला अंतिम
देश उत्तर मैसेडोनिया है।
नाटो के उद्देश्य
नाटो के मूल रूप से दो मुख्य उद्देश्य हैं:
- राजनीतिक उद्देश्य - नाटो सदस्य देशों के बीच लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा
देता है और देशों को सुरक्षा संबंधी मुद्दों पर परामर्श और सहयोग करने में
सक्षम बनाता है ताकि सदस्य देशों के आपसी विश्वास और संप्रभुता को सर्वोच्च
स्तर पर रखा जा सके। नाटो के सैन्य उद्देश्य - नाटो विवादों के शांतिपूर्ण
समाधान के लिए प्रतिबद्ध है। यदि राजनयिक प्रयास विफल हो जाते हैं तो उसके पास
ऐसी स्थिति से निपटने हेतु सैन्य शक्ति मौजूद है। नाटो का प्रमुख लक्ष्य
सामूहिक सुरक्षा का है जोकि उसके संविधान के अनुच्छेद 5 में व्यक्त किया गया है
जिसमें प्रत्येक सदस्य देश सहमत हैं कि किसी भी एक सदस्य देश पर सशस्त्र हमले
को सभी के खिलाफ हमला माना जाएगा।
चल रहे युद्ध से पहले नाटो की स्थिति
- पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन के दौरान यह कमजोर होता
दिखाई दिया।
- असफल प्रबंधन और आपसी मतभेद का दूसरा झटका तब लगा जब राष्ट्रपति जो बाइडेन
ने अपने देश के सैनिकों को अफगानिस्तान से बाहर निकालने का निर्णय लिया जोकि
एकतरफा कदम था।
- यूएसएसआर के विघटन के बाद, रूस ने साम्राज्य को उत्तराधिकारी देश के रूप
में लिया और 2000 के दशक के अंत से सार्वजनिक रूप से नाटो के खिलाफ विद्रोह करने
लगा।
- रूस ने 2014 में क्रीमिया पर कब्जा कर लिया और वर्तमान समय में भी यूक्रेन
पर आक्रमण लगातार जारी है।
नाटो के हालिया घटनाक्रम
- नाटो संगठन की सैन्य जरूरतों के वित्तपोषण हेतु दृढ़ता से प्रतिबद्ध है।
- 2014-19 से उनके संयुक्त रक्षा निवेश में 130 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हुई है।
- नाटो ने घोषणा की है कि वह 2023 के मध्य तक अपनी सेना को 40,000 से बढ़ाकर
3,00,000 से अधिक करेगा।
- स्वीडन और फिनलैंड नाटो में शामिल होना चाहते हैं क्योंकि रूस के पड़ोसी के
रूप में वे सामरिक असुरक्षा का सामना कर रहे हैं।पहले इन दोनों देशों ने तटस्थ
स्थिति बनाए रखी थी।
- यदि वे सैन्य समूह में शामिल हो जाते हैं तो दोनों देशों को अपने सकल घरेलू
उत्पाद का 2% रक्षा बजट के रूप में खर्च करना पड़ेगा।
निष्कर्ष
- नाटो तब दृढ दिखाई दे रहा है जब रूस द्वारा लगातार आक्रामक रुख से चुनौती
मिल रही है।
- यह संगठन यूक्रेन को आर्थिक मदद तो कर ही रहा है साथ में यूक्रेन द्वारा
आवश्यक हथियारों और अन्य सैन्य समर्थन की मांग को भी पूरा करने का वादा किया
है।
- रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद की स्थिति को संभालना और फिर ऐसी कोई समस्या न
उत्पन्न हो, नाटो के समक्ष यह बड़ी चुनौती होगी।