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Blog / 17 Dec 2019

(India This Week) Weekly Current Affairs for UPSC, IAS, Civil Service, State PCS, SSC, IBPS, SBI, RRB & All Competitive Exams (07th - 13th December 2019)

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(India This Week) Weekly Current Affairs for UPSC, IAS, Civil Service, State PCS, SSC, IBPS, SBI, RRB & All Competitive Exams (07th - 13th December 2019)



इण्डिया दिस वीक कार्यक्रम का मक़सद आपको हफ्ते भर की उन अहम ख़बरों से रूबरू करना हैं जो आपकी परीक्षा के लिहाज़ से बेहद ही ज़रूरी है। तो आइये इस सप्ताह की कुछ महत्वपूर्ण ख़बरों के साथ शुरू करते हैं इस हफ़्ते का इण्डिया दिस वीक कार्यक्रम...

न्यूज़ हाईलाइट (News Highlight):

  • जलवायु परिवर्तन पर संयुक्‍त राष्‍ट्र फ्रेमवर्क सम्‍मेलन के तहत आयोजित कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज का 25वां सत्र संपन्न। सम्मलेन के दौरान जारी जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक 2020 में मिला है भारत को 9 वां स्थान
  • संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम UNDP ने जारी किया मानव विकास सूचकांक 2019 । भारत 189 देशों की सूची में 129वें स्थान पर
  • ओडिशा में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रखी पाइका विद्रोह स्मारक की आधारशिला। 1817 में ब्रिटिश हुकूमत के ख़िलाफ़ हुए इस विद्रोह को केंद्र सरकार कर रही पाठ्यपुस्तकों में पहले स्वतंत्रता संग्राम के रूप में शामिल
  • इसरो ने किया एक और रडार इमेजिंग अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटलाइट रीसैट-2 बीआर1 का सफल प्रक्षेपण। सतीश धवन स्पेस सेंटर से PSLV - C 48 के ज़रिए लॉन्च की गई है ये सैटलाइट
  • गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और आवास वित्त कंपनियों को बड़ी राहत देते हुए केंद्र सरकार ने दी आंशिक ऋण गारंटी योजना को मंजूरी। बाजार नकदी की समस्या और अर्थव्यवस्था को गति देने में मदद करेगी ये योजना
  • मलेशिया में आयोजित हुई इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंज़र्वेशन ऑफ नेचर के 10वें एशियाई हाथी विशेषज्ञ समूह की बैठक। 130 से अधिक देशों के हाथी संरक्षणवादियों और साझेदार संगठनों ने की इस बैठक में शिरकत
  • जंगलों में रहने वाले जीवों की निगरानी के लिये वैज्ञानिकों ने तैयार किया फ्रॉगफोन नाम का एक डिवाइस । वन्यजीव संरक्षण की दिशा में नई रणनीति अख़्तियार करने और पर्यावरणीय स्वास्थ्य की स्थिति का पता लगाने में मदद करेगा ये डिवाइस

खबरें विस्तार से:

1.

जलवायु परिवर्तन पर संयुक्‍त राष्‍ट्र फ्रेमवर्क सम्‍मेलन के तहत आयोजित कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज का 25वां सत्र बीते 13 दिसम्बर को स्‍पेन के मैड्रिड में सम्‍पन्‍न हो गया। इस सम्मलेन में दुनिया भर के कुल 196 देशों ने शिरकत की। इस मौके पर यूएन महासभा अध्यक्ष तिजानी मोहम्मद-बांडे ने पेरिस समझौते में हुई उस सहमति का ज़िक्र किया। दरअसल पेरिस समझौते के तहत वैश्विक तापमान में अधिकतम बढ़ोत्तरी को औद्योगिक काल के पूर्व औसत तापमान से दो डिग्री सेल्सियम और यदि संभव हो तो 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने पर देशों ने सहमति जताई है। सम्मलेन में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि भारत जलवायु परिवर्तन को लेकर किए अपने वादे पर क़ायम है । पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि भारत ने जीडीपी की उत्सर्जन तीव्रता में 21 फीसदी की कमी की है। साथ ही भारत पेरिस में किए गए वादे के मुताबिक उत्सर्जन में 35 फीसदी कमी लाने के लक्ष्य की ओर भी आगे बढ़ रहा है।

दुनिया में जलवायु परिवर्तन को लेकर चिंताएं लगातार बढ़ रही हैं। संयुक्त राष्ट्र करीब तीन दशक पहले से ही जलवायु परिवर्तन की नीतियों से निपटने की कोशिशों में जुट गया था, लेकिन उसके प्रयास अभी भी अधूरे हैं। हर साल की तरह इस बार भी संयुत्तफ़ राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन का आयोजन हुआ जिसमें दुनिया के 196 देश हिस्सों ने शिरकत की। जलवायु परिवर्तन पर संयुत्तफ़ राष्ट्र फ्रेमवर्क सम्मेलन (यूएनएफसीसीसी) के तहत कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज (सीओपी)-25 इस बार 2 से 13 दिसंबर तक स्पेन में आयोजित किया गया। जलवायु परिवर्तन पर संयुत्तफ़ राष्ट्र फ्रेमवर्क सम्मेलन (यूएनएफसीसीसी) के तहत कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज का पहला सम्मेलन 1995 में जर्मनी के बर्लिन शहर में आयोजित हुआ था। संयुत्तफ़ राष्ट्र का ये जलवायु सम्मेलन कांफ्रेंस ऑफ द पार्टीज संयुत्तफ़ राष्ट्र से संबंधित देशों का वार्षिक सम्मेलन है। दरअसल धरती का तापमान बहुत तेजी से बढ़ रहा है जिसका मुख्य कारण ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन है। इस सम्मेलन का उद्देश्य भी सभी देशों को उनके वादों को याद दिलाना भी है जिसमें उन्होंने ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने की बात कही थी। साथ ही 2015 के पेरिस जलवायु समझौते को पूरी तरह से लागू करने की बात भी सम्मलेन में की गई।

सम्मलेन के दौरान ही जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक CCPI 2020 भी जारी हुआ। ये सूचकांक जर्मनवाच, न्यूक्लाइमेट इंस्टीट्यूट और क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क द्वारा जारी की गई है। भारत पहली बार जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक CCPI में शीर्ष दस देशों में शामिल हुआ है।

रिपोर्ट के मुताबिक़ भारत में प्रति व्यक्ति उत्सर्जन और ऊर्जा इस्तेमाल का मौजूदा स्तर उच्च श्रेणी में नौवें स्थान पर है। हालांकि यह अभी तुलनात्मक रूप से कम है। भारत के इस सूचकांक में शीर्ष दस देशों में शामिल होने के बावजूद भी जानकरों का कहना है कि भारत सरकार को अभी जीवाश्म ईंधन पर दी जा रही सब्सिडी को चरणबद्ध तरीके से कम करने के लिए रूपरेखा बनानी होगी जिसके परिणामस्वरूप कोयले पर देश की निर्भरता कम हो जाएगी। CCPI सूचकांक में इस बात का ज़िक्र है कि कोई भी देश पेरिस जलवायु लक्ष्यों के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर रहा है और रैंकिंग में पहले तीन स्थान खाली हैं। स्वीडन और डेनमार्क चौथे और पांचवें स्‍थान पर हैं। दुनिया के सबसे बड़े उत्‍सर्जक चीन ने सूचकांक में अपनी रैंकिंग में मामूली सुधार कर 30 वां स्थान बना लिया है। इस मौके पर पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है कि भारत सकल घरेलू उत्‍पाद के उत्‍सर्जन घनत्‍व में 21 प्रतिशत कमी लाने में सफल रहा है और 35 प्रतिशत का लक्ष्‍य हासिल कर लेगा।

देखा जाए तो 2017 में कार्बन उत्सर्जन में चीन पहले, अमेरिका दूसरे, भारत तीसरे और रूस चौथे स्थान पर था। इसमें चीन की हिस्सेदारी 27.2%, अमेरिका 14.6%, भारत की 6. 8 % और रूस 4.7% थी। इस तरह से दुनिया में कार्बन उत्सर्जन का आधे से ज्यादा हिस्सा इन्हीं देशों का था। संयुत्तफ़ राष्ट्र की तीन अलग-अलग रिपोर्ट के मुताबिक जलवायु परिवर्तन के कारण बाढ़, भूस्खलन, सूखा और चक्रवातों की संख्या बढ़ती जा रही है। इससे दुनिया के साढ़े तीन करोड़ लोगों के सामने खाद्य सुरक्षा का संकट खड़ा हो गया है। कार्बन उत्सर्जन को लेकर दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले भारत की स्थिति बेहतर हुई है। पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने की ओर भारत तेजी से बढ़ रहा है। संयुत्तफ़ राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम की रिपोर्ट के मुताबिक भारत न सिर्फ अपने लक्ष्यों को पाने में कामयाब हो रहा है बल्कि लक्ष्य पाने की दिशा में उसका काम 15 फीसद ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है।

2.

बीत दिनों 126वें संविधान संशोधन विधेयक 2019 को संसद से मंजूरी मिल गई है। 126वें संविधान संशोधन विधेयक 2019 के तहत लोकसभा और विधानसभाओं में अनुसूचित जातियों तथा जनजातियों के लिए आरक्षण की अवधि 25 जनवरी 2030 तक के लिए बढ़ा दी गयी है। इस मौके पर विधि और न्‍यायमंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार अनुसूचित जातियों और जनजातियों के आरक्षण के मामले में क्रीमी लेयर के मानदंड लागू करने के पक्ष में नहीं है। उन्‍होंने कहा कि समाज के इन वर्गों के लोगों को भेदभाव का सामना करना पड़ा है और वे बेहद उपेक्षित रहे हैं। उन्‍होंने आगे कहा कि इस बारे में सरकार के द़ृष्टिकोण को उच्‍चतम न्‍यायालय ने भी सही ठहराया है।

3.

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम UNDP ने मानव विकास सूचकांक 2019 जारी कर दिया है। इस सूचकांक में भारत 189 देशों की सूची में 129वें स्थान पर है। पिछले साल के मुक़ाबले भारत की स्थिति में एक पायदान का सुधार हुआ है। इससे पहले साल 2018 में भारत HDI इंडेक्स में 130वें स्थान पर था। आपको बता दें कि इस सूची में नॉर्वे, स्विटजरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, आयरलैंड और जर्मनी जैसे देश शीर्ष स्थान पर हैं। जबकि नाइजीरिया, दक्षिण अफ्रीकी गणराज्य, दक्षिण सूडान, चाड और बुरुंडी जैसे देश 2019 के मानव विकास सूचकांक में सबसे निचले पायदान पर हैं।

इस रिपोर्ट के मुताबिक़ भारत में 2005-06 से 2015-16 के दौरान लगभग 27.1 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकल आए हैं। हालांकि रिपोर्ट ये भी बताती है कि भारत में अभी भी 36.4 करोड़ गरीब रह रहे हैं, जो कुल दुनिया के गरीबों की आबादी का 28 फीसदी है। रिपोर्ट में ज़िक्र है कि 1990 से 2018 के दौरान भारत में मानव विकास सूचकांक मूल्यों में लगभग 50 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है। इसके अलावा पिछले तीन दशकों में भारत में जन्म के समय जीवन प्रत्याशा में 11.6 साल की वृद्धि, स्कूली शिक्षा की औसत संख्या में 3.5 वर्ष की वृद्धि और प्रति व्यक्ति आय भी 250 गुना बढ़ गई है।

मानव विकास सूचकांक 2019 के मुताबिक़ दक्षिण एशिया साल 1990 से 2018 के बीच दुनिया में सबसे तेज़ गति से विकास करने वाला क्षेत्र है। इस अवधि में मानव विकास सूचकांक के संदर्भ में दक्षिण एशिया में 46% की बढ़ोत्तरी देखी गई है। जबकि पूर्व एशिया और प्रशांत क्षेत्र में भी 43% की वृद्धि हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक़ दुनिया भर में समूह आधारित असमानता मौजूद है। समूह आधारित ये असमानता ख़ासकर महिलाओं को सबसे ज़्यादा प्रभावित करती है। इसके अलावा रिपोर्ट ये भी बताती है कि लैंगिक असमानता सूचकांक में भारत 162 देशों की सूची में 122वें स्थान पर है जबकि उसके पड़ोसी मुल्क चीन (39) श्रीलंका (86) भूटान (99) और म्यांमार जैसे देश 106 वे पायदान पर हैं जो कि भारत से काफी बेहतर हैं।

मानव विकास सूचकांक संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम UNDP द्वारा जारी किया जाता है। UNDP संयुक्त राष्ट्र के वैश्विक विकास का एक नेटवर्क है। UNDP हर साल मानव विकास सूचकांक जारी करता है। इस सूचकांक की गणना कुछ प्रमुख संकेतकों के आधार पर की जाती है। इनमें जीवन प्रत्याशा, पर कैपिटा इनकम और स्वास्थ्य एवं स्कूली शिक्षा के आधार पर विभिन्न देशों को रैंकिंग दी जाती है। आपको बता दें कि पहला मानव विकास सूचकांक वर्ष 1990 में जारी किया गया। HDI को पाकिस्तानी अर्थशास्त्री महबूब उल हक एवं भारतीय अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने मिलकर विकसित किया है। मौजूदा वक़्त में UNDP का मुख्यालय न्यूयॉर्क में स्थित है। UNDP गरीबी और असमानता को कम करने के लिए लगभग 70 देशों में काम करता है। इसके अलावा किसी देश के विकास को बढ़ावा देने के लिये नीतियां बनाना, नेतृत्व कौशल विकसित करना करने में भी संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम UNDP मदद करता हैं।

4.

पाइका विद्रोह के दो सौ साल पूरे होने के उपलक्ष्य में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ओडिशा में पाइका विद्रोह स्मारक की आधारशिला रखी। इस मौके पर राष्ट्रपति ने कहा कि ओडिशा के खुरदा जिले में मौजूद बरुनेई हिल की तलहटी में बन रहा ये स्मारक वीरता का प्रतीक होगा। इसके अलावा ये युवाओं और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत का भी काम करेगा। दरअसल पाइका समुदाय के लोगों ने 1817 में ब्रिटिश हुकूमत के ख़िलाफ़ एक विद्रोह किया था। पाइका विद्रोह को ब्रिटिश हुकूमत के ख़िलाफ़ की गई पहली बग़ावत के रूप में देखा जाता है। केंद्र सरकार का कहना है कि आने वाले दिनों में पाइका विद्रोह को पाठ्यपुस्तकों में शामिल किया जायेगा। ऐस में केंद्र सरकार अब भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम के रूप में जाने जाने वाले 1857 के स्वाधीनता संग्राम को पाठ्यपुस्तकों से बदलने की तैयारी कर रही है।

पाइका ओडिशा के गजपति शासकों के किसानों का असंगठित सैन्य दल था। पाइका नाम से जाने जाने वाले ये असंगठित सैन्य दल युद्ध के वक़्त राजाओं को सैन्य सेवाएं मुहैया कराते थे और बाकी समय में खेती किया करते थे। दरअसल 1803 में जब ईस्टइंडिया कंपनी ने मराठाओं को हराया कर ओडिशा पर कब्जा किया तो इसी दौरान अंग्रेजों ने खोरदा के तत्कालीन नाबालिग राजा मुकुंददेव-2 से प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर का प्रबंधन छीन लिया। ऐसे में राज्य की देख रेख कर रहे जयी राजगुरु ने ब्रिटिश शासन के ख़िलाफ़ जंग छेड़ दी। हालांकि उनके इस क़दम के बाद अंग्रेजों ने उन्हें फांसी की सज़ा सुना दी। जयी राजगुरु को फांसी दिए जाने के बाद लोगों में काफी आक्रोश देखने को मिला। इसके अलावा पाइका विद्रोह के कई सामाजिक, राजानीतिक और आर्थिक कारण भी मौजूद थे। इनमें अंग्रेजों ने विजय के बाद पाइकों की वंशानुगत लगान-मुक्त जमीन हड़प ली गई और उन्हें उनकी ज़मीन से बेदख़ल कर दिया। इसके अलावा जबरन वसूली और उत्पीड़न का दौर भी यहीं से शुरू हो गया था। इससे न केवल किसान बल्कि जमींदार तक भी प्रभावित होने लगे। यही नहीं कंपनी ने कौड़ी मुद्रा व्यवस्था तक खत्म कर दिया जो कि ओडिशा में प्रचलन में थी। ऐसे में लोगों को चांदी में टैक्स चुकाना अनिवार्य हो गया था।

इन हालातों को देखते हुए बक्शी जगबंधु विद्याधर नाम के एक शख़्स ने इस आक्रोश को आंदोलन में तब्दील कर दिया। 1817 में ओडिशा के खुर्दा में गुरिल्ला युद्ध के अंदाज में बक्शी के सैनिकों ने अंग्रेजों पर हमला किया जिसे इतिहास में पाइका विद्रोह का नाम दिया गया। इस विद्रोह में आदिवासियों, राजाओं, जमींदारों, ग्राम प्रधानों और आम किसानों का भी सहयोग मिला। हालाँकि बाद में अंग्रेज़ों ने इस विद्रोह पर क़ाबू पा लिया और इसके बाद दमन का व्यापक दौर चला।

5.

संसद से शस्‍त्र संशोधन विधेयक-2019 को भी मंज़ूरी मिल गई है। इस विधेयक के तहत शस्‍त्र अधिनियम 1959 में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। देखा जाए तो शस्‍त्र संशोधन विधेयक 2019 के तहत एक व्‍यक्ति को कई हथियार लेने के लाइसेंस में कटौती करना और संबंधित कानून के उल्‍लंघन पर दंड की सीमा बढाने का प्रावधान है। इसके अलावा हथियार प्राप्‍त करने के लाइसेंस की वैधता को तीन साल से बढाकर पांच साल किया जाना भी इस विधेयक के मक़सदों में शुमार है।

शस्‍त्र संशोधन विधेयक यानी आयुध संशोधन विधेयक 2019 में लाइसेंसी हथियार रखने की संख्या सीमित की गई है। इस संशोधन में अवैध तरीके से शस्त्र, गोला-बारूद एवं विस्फोटक रखने, बनाने तथा बेचने वालों के लिए आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है। दरअसल हथियारों के अवैध विनिर्माण और उनकी तस्‍करी चिंता का कारण रही है ऐसे में लोगों की सुरक्षा के लिए प्रभावशाली नियम कानून बनाना बेहद ही जरूरी था।

इस संशोधन में अब एक लाइसेंस पर केवल दो हथियार तक रखने का प्रावधान किया गया है जबकि इससे पहले शस्‍त्र अधिनियम 1959 के तहत एक लाइसेंस पर तीन हथियार रखे जा सकते थे। आयुध संशोधन विधेयक 2019 में गैर कानूनी हथियारों को बेचने और तस्करी करने वालों को आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा पुलिस से शस्त्र छीनने वाले और चुराने वालों के लिए भी सख्त सजा का प्रावधान किया गया है। साथ ही संशोधित विधेयक के मुताबिक़ त्योहार, शादी विवाह के मौकों पर हर्ष फायरिंग करने वालों को अब जेल जाना पड़ेगा।

6.

बीते दिनों इसरो ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से रीसैट-2बीआर1 सैटलाइट को लांच किया। PSLV - C 48 QL के ज़रिए लॉन्च किए गया रीसैट- 2 बीआर 1 सैटलाइट एक रडार इमेजिंग अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटलाइट है जो ऊपर आसमान से धरती की साफ़ तस्वीरें लेने में सक्षम है। बता दें कि ये PSLV की 50वीं उड़ान थी। पृथ्वी से 576 किलोमीटर की ऊंचाई यानी लो अर्थ ऑर्बिट में स्थापित ये सैटलाइट पांच सालों तक काम करेगी। इस दौरान के लांच के दौरान जापान, इटली और इजराइल की एक-एक सैटेलाइटों के साथ ही और अमेरिका की भी छह सैटेलाइटों को इसरो ने सफलतापूर्वक लांच किया है। इसरो ने अब तक कुल क़रीब 319 विदेशी उपग्रहों को इस कक्षा में स्थापित कर चुका है।

रीसैट-2बीआर1 रडार इमेजिंग अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट है जिसे 576 किलोमीटर ऊपर मौजूद भू स्थितिक कक्षा । यह बादलों और अंधेरे में भी साफ तस्वीरें ले सकता है। यह 35 सेंटीमीटर की दूरी पर मौजूद दो चीजों की अलग-अलग और साफ पहचान भी कर सकता है। 628 किलोग्राम वज़न वाला ये सैटलाइट जानकारों के मुताबिक़ यह उपग्रह सीमा की सुरक्षा के लिहाज से बेहद खास है। रीसैट-2बीआर1 सैटेलाइट से भारत की राडार इमेजिंग ताकत कई गुना तक बढ़ जाएगी। साथ ही इसकी मदद से सीमा की निगरानी और सुरक्षा भी काफी आसान हो जाएगी। इसरो के मुताबिक़ इस सैटलाइट से आपदा प्रबंधन, खेती और जंगलों की बेहतरी में मदद मिलेगी।

इससे पहले इसरो ने कार्टोसैट सीरीज की 9वीं सैटलाइट कार्टोसेट 3 किया लांच किया था। कार्टोसेट 3 में लगा हाई रिजोल्यूशन स्पेशियल कैमरा और बेहतर ग्रांउड रिजोल्यूशन के चलते कार्टोसेट 3 धरती से करीब 509 किमी की ऊंचाई से यह बेहद साफ तस्वीरें ले सकता है। आपको यहां पर ये भी बता दें कि भारत के पास अब तक जितने ऑब्जरवेटरी सैटेलाइट्स मौजूद हैं उनमें कार्टोसेट 3 सबसे उन्नत किस्म का है। इसके अडवांस्ड स्पेशियल रिजोल्यूशन (Advanced Spatial Resolution) को आप इस तरह से भी देख सकते हैं कि जमीन पर मौजूद एक फीट की चीज को भी इस सैटेलाइट की मदद से आसानी से पहचाना जा सकता है।

7.

केंद्र सरकार ने मुश्किलों का सामना कर रही गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों NBFC और आवास वित्त कंपनियों HFC को बड़ी राहत देते हुए आंशिक ऋण गारंटी योजना को मंजूरी दे दी। आंशिक ऋण गारंटी योजना को मंजूरी मिलने के बाद NBFC और HFC कम्पनियाँ आसानी से कर्ज मुहैया करा पाएंगे। कहा जा रहा है कि सरकार के इस क़दम से बाजार नकदी की समस्या दूर होगी और अर्थव्यवस्था को भी गति मिलेगी।

गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियां ऐसी संस्थाएं होती हैं जो कंपनी अधिनियम 1956 के तहत रजिस्टर्ड होती हैं और जिनका मुख्य काम उधार देना और विभिन्न प्रकार के शेयरों, प्रतिभूतियों, बीमा कारोबार और चिटफंड से जुड़े कामों में निवेश करना है। ग़ौरतलब है कि आरबीआई रेग्युलेशन के तहत देश में 12 हजार से अधिक एनबीएफसी पंजीकृत हैं। आईएलएंडएफएस समूह IL&FS Group की कंपनियों के डिफॉल्ट करने के बाद एनबीएफसी क्षेत्र नकदी की किल्लत का सामना कर रहा है। इसके अलावा एनबीएफसी और भी कई चुनौतियाँ का सामना कर रहीं थी। इनमें सॉल्वेंसी जोखिम और फंडिंग की उच्च लागत।

कुछ एनबीएफसी प्रवर्तक के स्तर पर भी चुनौतियों का सामना कर रही हैं। साथ ही कुछ एनबीएफसी की संपत्ति-इक्विटी का अनुपात आठ गुने से ज्यादा है यानी इनका क़र्ज़ बहुत ज़्यादा है। आईएलएंडएफएस मामले के बाद कई एनबीएफसी की क्रेडिट रेटिंग घटाई गई है ऐसे में इनकी मुश्किलें और बढ़ गई हैं। कुछ को लेनदारों से फंड मिलने में मुश्किल हो रही है। ग़ौरतलब है कि आंशिक ऋण गारंटी योजना की घोषणा 2019-20 के बजट में की गयी थी।

8.

केंद्रीय भू-जल बोर्ड भूमि जलस्तर के मापन के लिये एक राष्ट्रीय जलभृत प्रबंधन योजना शुरू कर रही है। जल शक्ति मंत्रालय की पहल पर शुरू हो रही ये योजना देश के संपूर्ण भूजल स्तर मापन प्रणालियों के मानचित्रण और प्रबंधन का काम करगी। इसके अलावा सूक्ष्म स्तर पर भूमि जल स्तर की पहचान करना, मौजूद भूजल संसाधनों की मात्रा निर्धारित करना और भागीदारी प्रबंधन के लिये संस्थागत व्यवस्था के अलावा भूमि जल स्तर की विशेषताओं के मापन के लिये बेहतर योजनाओं का प्रस्ताव करना भी राष्ट्रीय जलभृत प्रबंधन योजना के मकसदों में शुमार है।

भूजल वह जल होता है जो चट्टानों और मिट्टी से रिस जाता है और भूमि के नीचे जमा हो जाता है। जिन चट्टानों में भूजल जमा होता है, उन्हें जलभृत या एक्विफर कहा जाता है। देखा जाए तो जलभृत बजरी, रेत, बलुआ पत्थर या चूना पत्थर से बने होते हैं। इन चट्टानों से पानी नीचे बह जाता है क्योंकि चट्टानों के बीच में ऐसे बड़ी और परस्पर जुड़ी हुई जगहें होती हैं, जो चट्टानों को पारगम्य (प्रवेश के योग्य) बना देती हैं। बता दें कि राष्ट्रीय जलभृत प्रबंधन योजना की शुरुआत जल शक्ति मंत्रालय की पहल पर की जा रही है। देश के अलग - अलग हिस्सों में क़रीब 25 लाख वर्ग किमी के कुल मानचित्रण योग्य क्षेत्र में से अब तक लगभग 11.24 लाख वर्ग किमी के क्षेत्र के लिये जलभृत प्रबंधन योजना तैयार की जा चुकी है। केंद्रीय भूमि जल बोर्ड और राज्य भू-जल विभागों द्वारा संयुक्त रूप से किये गए भूजल संसाधन मूल्यांकन द्वारा देश में 1186 मूल्यांकित इकाइयों को अति-शोषित स्थान के रूप में बांटा गया है। इनमें से से लगभग 75% इकाइयों में जलभृत मानचित्रण की प्रक्रिया भी पूरी हो गई है।

9.

बीते दिनों इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंज़र्वेशन ऑफ नेचर के 10वें एशियाई हाथी विशेषज्ञ समूह की बैठक का आयोजन हुआ। मलेशिया में आयोजित हुई इस बैठक में 130 से ज़्यादा हाथी संरक्षणवादियों, साझेदार संगठनों और विशेषज्ञों ने शिरकत की। बैठक के दौरान एशियाई एलीफैंट रेंज में शामिल राज्यों में एशियाई हाथियों की बेहतरी के कई मुद्दों पर चर्चा हुई। इनमें हाथी संरक्षण के लिये राष्ट्रीय कार्य योजना, मानव-हाथी संघर्ष को कम करने के लिए विशेष अभ्यास और हाथियों की अवैध हत्या को रोकने जैसे मुद्दे शामिल रहे हैं। इसके अलावा बैठक में हाथी संरक्षण के सन्दर्भ में अफ्रीकी देशों के अनुभवों को साझा कर इनसे सीख लेने की भी बात कही गई।

इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंज़र्वेशन ऑफ नेचर का एशियाई हाथी विशेषज्ञ समूह एशियाई हाथियों के अध्ययन, निगरानी, प्रबंधन और उनके संरक्षण के लिए वैज्ञानिक और गैर-वैज्ञानिक दोनों तरह के विशेषज्ञों का एक वैश्विक नेटवर्क है। एशियाई हाथी विशेषज्ञ समूह का मुख्य मक़सद एशियाई हाथियों की आबादी को भविष्य में एक निश्चितं संख्या में बनाए रखने के लिए इनके संरक्षण को बढ़ावा देना है। इसके अलावा ये समूह एशियाई हाथी के लिये रेड लिस्ट प्राधिकरण के रूप में एशियाई हाथी विशेषज्ञ समूह, IUCN की रेड सूची का नियमित आकलन भी करता है। साथ ही एशियाई हाथी विशेषज्ञ समूह इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंज़र्वेशन ऑफ नेचर IUCN के स्पीशीज़ सर्वाइवल कमीशन SSC का एक अभिन्न अंग भी है। बता दें कि एशियाई हाथी विशेषज्ञ समूह में कुल 18 देशों के क़रीब 110 विशेषज्ञ शामिल हैं। मौजूदा वक़्त में एशियाई हाथी विशेषज्ञ समूह के अध्यक्ष भी भारत के विवेक मेनन हैं।

10.

प्रकृति संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ IUCN का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण महासागरों में ऑक्सीजन की मात्रा में लगातार कमी हो रही है। IUCN के मुताबिक़ इसका महासागरीय जीवों, और दूसरे तटीय जीवों पर बुरा असर पड़ रहा है। इसके अलावा IUCN ने वैश्विक स्तर पर क़रीब 700 ऐसी समुद्री जगहों की पहचान की गई है जहाँ ऑक्सीजन का स्तर कम है। प्रकृति संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ IUCN की माने तो साल 1960 में ऐसे स्थानों की संख्या महज़ 45 थी।

IUCN के इस अध्ययन में बताया गया है कि समुद्रों में डीऑक्सीकरण के चलते ख़ासकर उन समुद्री जीवों पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है, जिन्हें अधिक ऑक्सीजन की ज़रूरत होती है। IUCN द्वारा ही जारी एक अध्ययन के मुताबिक़ मानवीय हरक़तों की वजह से विश्व के 10 लाख जीव-जंतु विलुप्ति के कगार पर हैं। इसके अलावा विश्व मौसम संगठन ने भी अपनी एक हालिया रिपोर्ट में ये कहा है कि मानवजनित कारणों के चलते से समुद्रों की अम्लीयता यानी Acidification में पूर्व-औद्योगिक काल के मुकाबले में 26 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है।

देखा जाए तो जीवाश्म ईंधन जनित दुनिया के कुल उत्सर्जन का क़रीब एक-चौथाई हिस्सा महासागरों के ज़रिए ही अवशोषित किया जाता है। परन्तु ईंधन की बढ़ती मांग से ये आशंका ज़ाहिर की जा रही है कि आने वाले वक्त में दुनिया के ज़्यादातर समुद्र संतृप्त अवस्था यानी Saturation Point में पहुँच जाएंगे। ऐसे में यदि मौजूदा हालात बने रहे तो महासागर आने वाले कुछ ही सालों में अपने कुल ऑक्सीजन का 3-4 फीसदी ऑक्सीजन खो देंगे। दरअसल ऑक्सीजन में होने वाली ये कमी मुख्य तौर पर समुद्र की ऊपरी सतह में 1000 मीटर तक होती है और ये जैव-विविधता के लिहाज़ से बेहद ही ज़रूरी है। इसके अलावा इन हालातोँ के चलते कुछ समुद्री प्रजाति जो ऑक्सीजन की कमी को लेकर बेहद संवेदनशील हैं। इनमें मुख्य रूप से शामिल शार्क, मर्लिन और टूना जैसे प्रजातियों का आस्तित्व ख़तरे में है। दरअसल बड़े शरीर और अधिक उर्जा की मांग के कारण इन्हें ऑक्सीजन की ज़रूरत ज़्यादा होती है।

बता दें कि महासागरों में ऑक्सीजन की मात्रा में हो रही लगातार कमी की वजह घरेलू कचरे, औद्योगिक इकाइयों और कृषि से उत्सर्जित अपशिष्ट को नदियों में बहाया जाना है। इन अपशिष्टों में फास्फोरस और नाइट्रोजन जैसे उर्वरक मौजूद होते हैं। ऐसे में इन तत्त्वों के पानी में मौजूद होने के कारण इसकी उर्वरता बढ़ जाती है। इससे पाने में शैवाल और दूसरे वनस्पतियों का काफी विकास हो जाता है और जल में ऑक्सीजन की मात्रा में कमी हो जाती है।

11.

विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO का कहना है कि साल 2018 में खसरे के चलते दुनिया में 1 लाख 40 हज़ार लोगों की मौत हो गई। WHO के इन आकंड़ों में बताया गया है कि मरने वालों में सबसे ज़्यादा पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चे शामिल थे। WHO ने इसके लिए टीकाकरण योजनाओं की व्यापक पहुँच न होने को दुनिया में खसरे के बढ़ते संक्रमण का कारण बताया है। WHO का कहना है कि इसमें वे देश भी शामिल हैं जहाँ पहले खसरा समाप्त हो चुका था। खसरा रोग को भारत के नज़रिए से देखें तो मोर्बिडिटी एंड मोर्टेलिटी वीकली रिपोर्ट बताती है भारत बच्चों में खसरे की समस्या से जूझ रहे दुनिया के छह देशों में दूसरे स्थान पर है।

खसरा तेज़ी से फैलने वाली एक संक्रामक बीमारी है। खसरा बीमारी के पीछे मुख्य रूप से रूबेला विषाणु जिम्मेदार होता है। दरअसल ये विषाणु उन बच्चों को आसानी से अपनी जद में ले लेता है, जिन्हें खसरा यानी मिजिल्स का टीका नहीं लगा होता है। खसरा से ग्रसित बच्चों में शरीर पर धब्बे, अंधापन, निमोनिया और इन्सेफेलाइटिस की शिकायत दर्ज़ की जाती है, हालाँकि ये जब ये अपने चरम पर हो तो इससे मौत की भी संभावना होती है। खसरे से बचाव के लिये खसरा-रूबेला वैक्सीन यानी Measles Rubella-MR का इस्तेमाल होता है। बता दें कि जन्म के समय भी किसी शिशु में खसरे की शिकायत रूबेला विषाणु की वजह से हो सकती है। WHO का इस मामले में कहना है कि साल 2018 में खसरे के मामले में साल 2017 के मुक़ाबले दोगुना बढ़ोतरी हुई है। इसके अलावा खसरा रोग को लेकर WHO ने कोई आंकड़ा जारी नहीं किया है लेकिन ये अनुमान है कि इस साल भी पिछले साल के मुक़ाबले तीन गुना बढ़ोत्तरी देखने को मिले। यूनीसेफ (UNICEF) और WHO का कहना है कि पिछले एक दशक में खसरा के टीके का कवरेज बिलकुल रुक सा गया है जिसकी वजह से मौजूदा वक़्त में खसरे के मामलों में लगातार बढ़ोत्तरी देखी जा रही है।

WHO ने खसरा रोग के इतने व्यापक स्तर पर पहुंचने के लिए कुछ कारणों को ज़िम्मेदार ठहराया है। इनमें टीकाकरण योजनाओं की व्यापक पहुँच न होना आतंरिक संघर्ष, सुरक्षा और नागरिक सेवाओं का नष्ट होने के अलावा वैक्सीनों के प्रति लोगों में गलत धारणा रखने और इसके प्रति विश्वास की कमी से भी कुछ बच्चों के माता-पिता इसके इस्तेमाल से बचते हैं। इन्हीं सब समस्याओं के चलते भारत खसरा से प्रभावित शीर्ष 6 देशों की सूची में शुमार है। इनमें शामिल अन्य देशों में नाइजीरिया (24 लाख), भारत (23 लाख), पाकिस्तान (14 लाख), इथियोपिया (13 लाख) और इंडोनेशिया व फिलिपींस क्रमशः 12 व 7 लाख खसरा से ग्रसित मरीज़ों के साथ शीर्ष 6 देशों की सूची में शुमार हैं।

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वैज्ञानिकों ने जंगलों में रहने वाले जीवों की निगरानी के लिये एक नया डिवाइस फ्रॉगफोन तैयार किया है। दरअसल ये डिवाइस मेंढकों की निगरानी के लिये काफी बेहतर माना जा रहा है ऐसे में इस डिवाइस को "फ्रॉगफोन" नाम दिया गया है। इस डिवाइस की ख़ासियत ये है कि ये दुनिया की पहली ऐसी सौर-संचालित रिमोट सर्वेक्षण डिवाइस है जो मेंढकों की आवाज़ को पहचान सकती है। इसके अलावा 3G और 4G सेलफोन के ज़रिये उनका सर्वेक्षण कर सकती है। साथ ही इसके लिये न तो प्री-रिकार्डिंग की ज़रूरत है और न ही किसी तरीके की आवाज़ को ही अपलोड करना ज़रूरी है। बता दें कि इस डिवाइस को ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय और कैनबरा विश्वविद्यालय की एक टीम द्वारा तैयार किया गया है।

इस डिवाइस को तैयार करने वाले शोधकर्त्ताओं की माने तो ये इस डिवाइस को तालाबों, पोखरों और नदियों के आसपास एक बार इंस्टाल करने के बाद कभी भी मेंढकों की आवाज़ को सेलफोन के ज़रिए सुना जा सकता है। इस डिवाइस की मदद से शोधकर्त्ता फ्रॉगफोन को दूर से डायल करने के बाद प्राप्त डेटा का विश्लेषण करके मेंढकों से जुडी हर जानकारी को बड़ी ही आसानी से इकठ्टा क्र सकते हैं। दरअसल फ्रॉगफोन को डायल करने के कुछ ही सेकंडों के दौरान डिवाइस का तापमान सेंसर सक्रिय हो जाएगा। इससे शोधकर्ता को पर्यावरण से जुड़े डेटा जैसे हवा, जल का तापमान और बैटरी वोल्टेज टेक्स्ट मैसेज के रूप में मिल जायेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि ये डिवाइस लागत और जोखिमों दोनों को कम करेगा। इसके अलावा फ़ील्ड साइट पर मानव मौजूदगी के प्रतिकूल प्रभावों से भी इस डिवाइस की मदद से बचा जा सकेगा। साथ ही वन्यजीव संरक्षण की दिशा में ये डिवाइस नई रणनीति अख़्तियार करने के अलावा स्थानीय मेंढकों की जनसंख्या की निगरानी करके पर्यावरणीय स्वास्थ्य की स्थिति का पता लगाने में भी सहूलियतें प्रदान करेगा।

तो ये थी पिछली सप्ताह की कुछ महत्वपूर्ण ख़बरें...आइये अब आपको लिए चलते हैं इस कार्यक्रम के बेहद ही ख़ास सेगमेंट यानी इंडिया राउंडअप में.... जहां आपको मिलेंगी हफ्ते भर की कुछ और ज़रूरी ख़बरें, वो भी फटाफट अंदाज़ में...

फटाफट न्यूज़ (India Roundup):

1- 10 दिसम्बर को मनाया गया मानवाधिकार दिवस। हर साल 10 दिसंबर को मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा के मौके पर मनाया जाता है मानवाधिकार दिवस।

इस साल के मानवाधिकार दिवस के लिए संयुक्‍त राष्‍ट्र का विषय – ‘यूथ स्‍टेंडिंग अप फॉर ह्यूमन राइट्स’ रहा है । बता दें कि दुनिया भर में मानवाधिकारों की रक्षा के मानक के रूप में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1948 में इसे अपनाया और मान्यता दी।

2- भारत के तेल और गैस क्षेत्र में एमएसएमई परितंत्र के विकास के लिए NSICऔर अरामको एशिया के बीच समझौता । वैश्विक स्‍तर पर भारतीय एमएसएमई कंपनियों को वि‍क्रेता के रूप में स्‍थापित होने में मदद करेगा ये समझौता

बता दें कि National Small Industries Corporation NSIC सूक्ष्‍म, लघु व मध्‍यम उद्यम मंत्रालय के अंतर्गत एक मिनी रत्‍न कंपनी है। जबकि अरामको सउदी अरब सरकार की कंपनी है जो विश्‍व की सबसे बड़ी तेल और गैस कंपनी है।

3 - दुनिया की सबसे युवा प्रधानमंत्री बनी फिनलैंड की 34 साल की सना मरीन। फिनलैंड के इतिहास में भी हैं सना मरीन सबसे युवा प्रधानमंत्री

फिनलैंड उत्तरी यूरोप में स्थित है। जिसकी राजधानी हेलसिंकी है। इसकी सीमा पश्चिम में स्वीडन, पूर्व में रूस और उत्तर में नार्वे से मिलती है। इस देश की आबादी करीब 53 लाख है।

4- वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी WADA ने रूस पर लगाया चार साल का प्रतिबंध। टोक्यो में 2020 में होने वाले ओलंपिक में नहीं ले पायेगा रूस अब हिस्सा

वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी ने रूस पर चार साल का प्रतिबंध रूसी अधिकारियों द्वारा कई संभावित डोपिंग मामलों को छिपाने के लिए मास्को प्रयोगशाला डेटाबेस में छेड़छाड़ करने की वजह से लगाया है। हालाँकि अभी भी रूसी एथलीट जो अब तक डोपिंग उल्लंघन से मुक्त हैं, वो इन चार साल के लिए अपने ध्वज या गान के बिना प्रमुख अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं।

5 - दक्षिण अफ्रीका की जोजिबिनी तुंजी बनी ने मिस यूनिवर्स 2019 । अमेरिका के अटलांटा में आयोजित इस समारोह में 90 देशों की प्रतियोगियों ने लिया था हिस्सा।

भारत की ओर से वर्तिका सिंह ने हिस्सा लिया था और वो टॉप-20 में शामिल रहीं। मिस यूनिवर्स के लिए भारत का प्रतिनिधित्व कर रही लखनऊ की 26 साल की वर्तिका सिंह पब्लिक हेल्थ में मास्टर्स हैं और वो यूपी के राज्य पोषण मिशन की ब्रांड ऐम्बेसडर हैं। इसके अलावा वर्तिका ने 2015 में फेमिना मिस इंडिया का खिताब जीता था।

6 - सूख रहा है विक्टोरिया वॉटर फॉल। दुनिया के सबसे बड़े जल प्रपातों में शुमार विक्टोरिया फॉल का क़रीब 50 प्रतिशत तक कम हुआ है पानी

दक्षिण अफ्रीका में मौजूद विक्टोरिया वॉटर फॉल जाम्बिया और जिम्बॉब्वे के बीच सीमारेखा का काम करता है। जानकार इसकी वजह ग्लोबल वार्मिंग को बता रहे हैं। बता दें कि विक्टोरिया फॉल्स को The Smoke that Thunders के रूप में भी जाना जाता है और यह यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थलों में भी शामिल है।

7- भारतीय रेलवे ने बनाया दुनिया का सबसे बड़ा रेलवायर वाई-फाई नेटवर्क उपलब्ध कराने वाला नेटवर्क। देश भर के 5500 स्टेशनों पर मुफ्त सार्वजनिक वाई-फाई उपलब्ध कराने के काम को किया भारतीय रेलवे ने पूरा।

भारतीय रेलवे ने अपने सभी रेलवे स्टेशनों को डिजिटल हब बनाने के लिए एक बड़ा अभियान शुरू कर रखा है. रेलवे का उपक्रम रेलटेल इस व्यवस्था को देख रहा है। रेलटेल कॉरपोरेशन रेल मंत्रालय की एक मिनी रत्न श्रेणी - वन का पीएसयू है। यह देश का सबसे बड़ा तटस्थ दूरसंचार सेवा प्रदाता भी है।

8 - गृहमंत्रालय ने जारी किया देश में सर्वश्रेष्‍ठ कार्य करने वाले 10 पुलिस थानों की सूची। अंडमान निकोबार द्वीप समूह का अबरडीन पुलिस थाना है देश में सर्वश्रेष्‍ठ कार्य करने वाला पुलिस थाना

अबरडीन पुलिस थाना को संपत्ति विवाद, महिलाओं और कमज़ोर वर्ग के लोगों के खिलाफ अपराध से निपटने के मामलों में पहले स्‍थान पर है। इसके अलावा देश में हज़ारों पुलिस थानों में से चयनित अधिकांश थाने छोटे शहरों या ग्रामीण इलाकों में मौजूद हैं। बता दें कि देश के 15 हज़ार पाँच सौ पुलिस थानों में से 10 पुलिस थानों की रैंकिंग डाटा विश्‍लेषण, प्रत्‍यक्ष निरीक्षण और जनता के फीडबैक के आधार पर की गई है।

9 - सूचना और प्रसारण मंत्रालय के तहत फोटो प्रभाग, प्रेस सूचना ब्यूरो ने मांगी 8वें राष्ट्रीय फोटोग्राफी पुरस्कारों के लिये प्रविष्टियाँ। फोटो प्रभाग हर साल फोटोग्राफी के माध्यम से कला, संस्कृति, विकास, विरासत, इतिहास, जीवन, लोक, समाज और परंपरा जैसे देश के विभिन्न पहलुओं को बढ़ावा देने के लिये और पेशेवर और एमेच्योर फोटोग्राफरों को प्रोत्साहित करने के लिये ये पुरस्कार प्रदान करता है।

10 - ज़ोया अख्तर के निर्देशन में बनी फिल्म 'गली बॅाय' को मिला एशियाई अकादमी क्रिएटिव अवार्ड्स में सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का पुरस्कार। गली बॅाय फिल्म का 92वें ऑस्कर अकादमी अवार्ड्स के लिये भी किया गया है नामांकन

11 - भारत की युवा निशानेबाज़ एलावेनिल वालारिवान को मिला गोल्डन टारगेट अवॉर्ड। अंतर्राष्ट्रीय निशानेबाज़ी महासंघ ISSF ने साल 2019 में 10 मीटर एयर राइफल महिला स्पर्द्धा में उनके शानदार प्रदर्शन के लिये दिया है उन्हें ये परुस्कार

12 - भरता करेगा मार्च 2020 में होने वाले 36वें अंतर्राष्‍ट्रीय भूवैज्ञानिक कॉन्ग्रेस IGC की मेज़बानी। इससे पहले 2016 में हुआ था 35वें अंतर्राष्‍ट्रीय भूवैज्ञानिक कॉन्ग्रेस का दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन में आयोजन

36वें अंतर्राष्‍ट्रीय भूवैज्ञानिक कॉन्ग्रेस की थीम है- “भू-विज्ञान: समावेशी विकास के लिये मूलभूत विज्ञान है। इसके अलावा International Geological Congress-IGC पृथ्वी विज्ञान की उन्नति का एक प्रतिष्ठित वैश्विक मंच है। IGC को भू-वैज्ञानिकों का ओलम्पिक के नाम से भी जाना जाता है। इस प्रति‍ष्‍ठित वैश्विक भूवैज्ञानिक सम्‍मेलन का आयोजन चार सालों में एक बार किया जाता है। इस सम्‍मेलन में दुनिया के लगभग 5000-6000 भूवैज्ञानिक हिस्सा लेते हैं। भारत पहला ऐसा एशियाई देश है जो दूसरी बार इस सम्मलेन की मेज़बानी करेगा। इससे पहले 1964 में 22वें IGC का आयोजन भारत में हुआ था।

13 - केरल की नर्स लिनी पीएन को किया गया राष्ट्रीय फ्लोरेंस नाइटिंगेल पुरस्कार- 2019 से सम्मानित । भारत सरकार ने साल 1973 में नर्सों द्वारा प्रदान की जाने वाली सराहनीय सेवाओं को मान्यता प्रदान करने के लिए की थी राष्ट्रीय फ्लोरेंस नाइटिंगेल पुरस्कार की स्थापना।

केरल की नर्स लिनी पीएन ये सम्मान मरणोपरांत दिया है। लिनी पीएन केरल में एक नर्स थीं जिनकी वर्ष 2018 में निपाह वायरस के प्रकोप के दौरान एक मरीज का इलाज करते समय संक्रमण से मृत्यु हो गई थी।

14 - सत्रिया नृत्य को को लोकप्रिय बनाने के लिये माधवदेव पुरस्कार से नवाज़े जायेंगे नृत्य समीक्षक एवं इतिहासकार डॉ सुनील कोठारी। पूर्वोत्तर भारत के असम की प्रसिद्ध नृत्य शैली है सत्रिया नृत्य शैली।

सत्रिया नृत्य की उत्पत्ति 15वीं शताब्दी में श्रीमंत शंकरदेव द्वारा शुरू किये गए नव-वैष्णव आंदोलन के एक हिस्से के रूप में ‘सत्र’ मठ में हुई थी। इसमें पौराणिक कथाओं का समावेश होता है।

15 - 1-3 दिसंबर के बीच आयोजित हुआ नाट्यशास्त्र उत्सव का आयोजन । संगीत नाटक अकादमी द्वारा कलाक्षेत्र फाउंडेशन और भरत इलांगो फाउंडेशन फॉर एशियन कल्चर के सहयोग से आयोजित हुआ था ये कार्यक्रम

नाट्यशास्त्र एक प्राचीन ग्रंथ है। इसमें नाट्य कला के विभिन्न पहलुओं और नाट्य सिद्धांतों का विस्तृत वर्णन किया गया है। कहा जाता है कि ऋग्वेद से पाठ्य वस्तु, सामवेद से गान, यजुर्वेद से अभिनय और अथर्ववेद से रस योजना लेकर भरत मुनि ने तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व नाट्यशास्त्र की रचना की थी।नाट्यशास्त्र को ‘पंचम वेद’ भी कहा जाता है।

16 - कीर्ति मठ की 25वीं स्थापना वर्षगाँठ के उद्घाटन समारोह में धर्मशाला पहुंचे 14वें दलाई लामा । साल 1472 में त्सोंगखापा के एक शिष्य रोंगपा चेनाकपा ने की थी कीर्ति मठ की स्थापना

17 - JAGA Mission’ के लिये ओडिशा ने जीता वर्ल्ड हैबिटेट अवार्ड । दुनिया भर से अभिनव, उत्कृष्ट और क्रांतिकारी आवासीय विचारों और परियोजनाओं के लिए प्रदान किया जाता है वर्ल्ड हैबिटेट अवार्ड

ओडिशा सरकार ने 7 मई, 2018 को JAGA Mission मिशन की शुरुआत की थी। इस मिशन का मक़सद आत्म-सम्मान और मलिन बस्तियों में रहने वाले एक लाख शहरी गरीबों को लाभान्वित करना है। इससे पहले भारत भू-स्थानिक उत्कृष्टता पुरस्कार से भी ओडिशा को इस काम के लिए किया गया है सम्मानित

18 - संस्कृति मंत्रालय ने लांच किया भारतीय संस्कृति पोर्टल। भारत की समृद्ध मूर्त और अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की जानकारी प्राप्त करने के लिये हुआ है भारतीय संस्कृति पोर्टल की शुरुआत ।

यह पहला सरकारी अधिकृत पोर्टल है जहाँ संस्कृति मंत्रालय के विभिन्न संगठनों जैसे- भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार, गांधी स्मृति और दर्शन स्मृति, भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के ज्ञान एवं सांस्कृतिक संसाधन एक ही मंच पर सार्वजनिक क्षेत्र में उपलब्ध हैं।

19 - 12-13 दिसंबर के बीच आयोजित हुआ नौसेना हथियार प्रणाली का 4 वां संसकरण “नवआर्म्स - 2019 मेक इन इंडिया – युद्ध श्रेणी : अवसर और आवश्यकताएँ रहीं हैं इस संगोष्टी का विषय

20 - ताज़ ट्रेपेज़ियम ज़ोन (TTZ) में किसी भी तरह के निर्माण पर लगाई गई रोक को सुप्रीम कोर्ट नई लिया वापस। मार्च 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने ताज ट्रेपेज़ियम ज़ोन में निर्माण पर लगाई थी रोक

ताज ट्रैपेज़ियम ज़ोन TTZ स्मारक को प्रदूषण से बचाने के लिये ताजमहल के चारों ओर 10,400 वर्ग किमी. का परिभाषित क्षेत्र है। यह उत्तर प्रदेश के आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा, हाथरस एवं एटा और राजस्थान के भरतपुर ज़िले में फैला हुआ है। ताजमहल के चारों ओर स्थित एक समलम्ब (Trapezoid) के आकार का होने के कारण इसे ताज ट्रैपेज़ियम ज़ोन (TTZ) का नाम दिया गया है। ताज ट्रैपेज़ियम ज़ोन (TTZ) में तीन विश्व धरोहर स्थल ताजमहल, आगरा का किला और फतेहपुर-सीकरी शामिल हैं।

21 - और आईबीएम कंपनी ने तैयार किया पूरे विश्व के लिये एक उच्च-रिज़ॉल्यूशन मौसम पूर्वानुमान मॉडल IBM GRAF। मौसम पूर्वानुमान टूल IBM GRAF कराएगा उच्च-रिज़ॉल्यूशन मौसम पूर्वानुमान से संबंधित जानकारी

तो इस सप्ताह के इण्डिया दिस वीक कर्यक्रम में इतना ही। परीक्षा के लिहाज़ से ज़रूरी और भी तमाम महत्वपूर्ण ख़बरों के लिए सब्सक्राइब कीजिए हमारे यूट्यूब चैनल ध्येय IAS को। नमस्कार।