(India This Week) Weekly Current Affairs for UPSC, IAS, Civil Service, State PCS, SSC, IBPS, SBI, RRB & All Competitive Exams (30th November - 6th December 2019)
इण्डिया दिस वीक कार्यक्रम का मक़सद आपको हफ्ते भर की उन अहम ख़बरों से रूबरू करना हैं जो आपकी परीक्षा के लिहाज़ से बेहद ही ज़रूरी है। तो आइये इस सप्ताह की कुछ महत्वपूर्ण ख़बरों के साथ शुरू करते हैं इस हफ़्ते का इण्डिया दिस वीक कार्यक्रम...
न्यूज़ हाईलाइट (News Highlight):
- इसरों ने शुरू की अपने दूसरे अंतरिक्ष केंद्र के लिये ज़मीन अधिग्रहण की प्रक्रिया। तमिलनाडु के थूथुकुडी में बनेगा इसरो का दूसरा अंतरिक्ष केंद्र
- नागरिकता संशोधन विधेयक को केंद्रीय कैबिनेट ने दी मंज़ूरी। एक बार फिर से होगी नागरिकता संशोधन विधेयक को संसद से पास कराने की कोशिश
- राज्यसभा के सांसदों ने की बहस के दौरान सभी सदस्यों को एक समान समय दिए की मांग। भारतीय राजनीति में राज्यसभा की भूमिका और आगे की राह पर हुई चर्चा के दौरान सदस्यों ने की है समान प्रतिनिधित्व की मांग
- विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO ने जारी की विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2019 । साल 2017 के मुकाबले भारत में आई है साल 2018 में कुल 28 फीसदी की कमी
- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दी व्यक्तिगत डाटा प्रोटेक्शन विधेयक को मंजूरी। अब निजी डाटा चुराने पर होगी तीन साल की जेल के अलावा 15 करोड़ रुपये या कम्पनी के वैश्विक टर्नओवर का चार फीसदी जुर्माना
- पर्यावरण थिंक टैंक जर्मनवाच ने जारी किया वैश्विक जलवायु जोखिम सूचकांक 2020 । इस बार के भी वैश्विक जलवायु जोखिम सूचकांक में है भारत शीर्ष - 5 जलवायु परिवर्तन से प्रभावित देशों की सूची में शामिल
- भारत और स्वीडन के बीच हुई पराली के अपशिष्टों को जैव-कोयले में परिवर्तित करने के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट पर सहमति। पंजाब के मोहाली में राष्ट्रीय कृषि खाद्य जैव प्रौद्योगिकी संस्थान के परिसर में स्थापित किया स्वीडिश तकनीकी का ये पहला संयंत्र
- इंडियन ग्रे नेवलों के संरक्षण के लिए शुरू हुआ ऑपरेशन क्लीन आर्ट। देश भर में नेवले के बालों से बनाए जाने वाले पेंट ब्रश के कारखानों को बंद कराने के लिए हुई है इस अभियान की शुरआत
खबरें विस्तार से:
इस हफ्ते के इंडिया दिस वीक कार्यक्रम की शुरुआत पिछले 2 हफ़्तों से चर्चा में रहे हैदराबाद सामूहिक दुष्कर्म मामले और देश में महिलओं के ख़िलाफ़ बढ़ते अपराध से करते हैं।
हैदराबाद में हुए जघन्य, सामूहिक दुष्कर्म ने मानवता को एक बार फिर से शर्मसार कर दिया है। दिल्ली के निर्भया कांड के बाद लोगों में आई जागरूकता, बदले कानून और सामाजिक पहल के बाद ऐसा माना जा रहा था कि शायद महिलाओं के ख़िलाफ़ होने वाले अपराधों में अब कमी देखी जाएगी। लेकिन हैदराबाद में हुई इस घटना ने एक बार फिर देश के सामने नारी अस्मिता और उसकी सुरक्षा का प्रश्न खड़ा कर दिया है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आकंड़ों के मुताबिक़ भारत में हर साल महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध की घटनाओं में बढ़ोतरी देखी जा रही है। इसके अलावा थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन के वार्षिक सर्वेक्षण की माने तो दुनिया भर में महिलाओं के ख़िलाफ़ होने वाली हिंसक घटनाओं की सूची में भारत पहले पायदान पर है।
26 जून 2018 को जारी थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन की रिपोर्ट के मुताबिक़ निर्भया कांड के बाद देश भर में फैले आक्रोश के बीच सरकार ने इस समस्या से निपटने का संकल्प लिया था। लेकिन भारत में महिलाओं के खिलाफ हिंसा में कोई कमी नहीं आई और अब वह इस मामले में विश्व में पहले पायदान पर पहुँच गया है, जबकि 2011 में भारत चौथे पायदान पर था। 2018 का ये सर्वे बताता है कि यौन हिंसा, सांस्कृतिक-धार्मिक कारण और मानव तस्करी के चलते भारत महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक देश बन चुका है।
इसके अलावा नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आकंड़ों के मुताबिक साल 2015 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 3.29 लाख मामले दर्ज किए गए। 2016 में इस आंकड़े में 9,711 की बढ़ोतरी हुई और इस दौरान 3.38 लाख मामले दर्ज किए गए। इसके बाद 2017 में 3.60 लाख मामले दर्ज किये गए। साल 2016 के एक आंकड़े के मुताबिक भारत में दुष्कर्म के रोज़ाना 106 मामले सामने आते हैं। इससे पूरी तस्वीर स्पष्ट नहीं होती, क्योंकि यहां दुष्कर्म के सभी मामलों की रपट नहीं दर्ज कराई जाती। कुछ मामले ऐसे भी होते हैं जिनमें सामाजिक पहलुओं और इंसाफ पाने के लिए जटिल न्यायिक प्रक्रिया के चलते यौन हिंसा से जुड़े सभी अपराध दर्ज नहीं हो पाते। उस पर प्रत्येक चार में से एक मामले में ही अपराध सिद्ध हो पाता है। दरअसल डीएनए विश्लेषण जैसी तकनीक से दोषसिद्धि दर बढ़ाई जा सकती है। लेकिन इसको लेकर 2018 की एक रिपोर्ट ये बताती है कि दुष्कर्म से जुड़े 12,000 मामले सिर्फ इसलिए लंबित हैं, क्योंकि नमूनों की जांच के लिए पर्याप्त प्रयोगशालाएं ही नहीं हैं।
भारतीय दंड संहिता में महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों अर्थात हत्या, आत्महत्या के लिए उकसाना, दहेज़ मृत्यु, बलात्कार, अपहरण आदि को रोकने का प्रावधान है। इसके अलावा घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम 2005 और कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न रोकथाम निषेध और निवारण अधिनियम 2013 भी हैं। नाबालिग बच्चों के साथ होने वाले अपराधों के मामलों में कार्रवाई करने POCSO ACT 2012 पारित किया गया है। इन तमाम कानूनी उपायों के बावजूद भी न्याय में देरी, कानून का डर ना होना और अश्लील सामग्रियों की आसान उपलब्धता जैसे वजहों के चलते ऐसे अपराधों पर लगाम नहीं लग पा रहा है। इसके अलावा, पुरुषवादी मानसिकता, प्रशासनिक उदासीनता दूसरे ऐसे कारण हैं जिनसे महिलाएं सुरक्षित नहीं हो पा रही हैं। भारत में बीते एक दशक में बलात्कार के जितने भी मामले दर्ज हुए हैं उनमें केवल 12 से 20 फीसदी मामलों में ही सुनवाई पूरी हो पायी। बलात्कार के दर्ज मामलों की संख्या तो बढ़ रही है लेकिन सजा की दर नहीं बढ़ रही है।
1.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो ने अब अपने दूसरे अंतरिक्ष केंद्र के लिये ज़मीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसरो तमिलनाडु के कुलसेकरपट्टिनम के पास मौजूद थूथुकुडी में अपना दूसरा अंतरिक्ष केंद्र स्थापित करने के लिए काम कर रहा है। दरअसल ये नया अंतरिक्ष केंद्र ISRO के स्मॉल सैटलाइट लांच व्हीकल SSLV के लिए काफी अहम होगा। इसके अलावा इस जगह का चयन समुद्र तट व भूमध्य रेखा के क़रीब होने और तिरुनेलवेली ज़िले के महेंद्रगिरि में मौजूद इसरो के लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर - LPSC की वजह से किया गया है।
इसरो का थूथुकुडी में बनने वाला दूसरा अंतरिक्ष केंद्र इसरो के आने वाले लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान यानी Small Satellite Launch Vehicle- SSLV के लॉन्च के लिये बेहद अहम होगा। दरअसल थूथुकुडी इलाके के समुद्र के क़रीब होने के नाते ये रॉकेट को "सीधे दक्षिण की ओर" प्रक्षेपित करने के लिये सबसे बेहतर जगह होगी। जबकि श्रीहरिकोटा से रॉकेट के किसी अवशेष के गिरने की आशंका के चलते इसके Trajectory यानी प्रक्षेपवक्र को श्रीलंका के ऊपर उड़ान से बचना होता है। ऐसे में इसरो के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से रॉकेट के उड़ान भरने के बाद इसे श्रीलंका से बचाने के लिये पहले यह पूर्व की ओर उड़ान भरता है और बाद में ये वापस दक्षिण ध्रुव की ओर बढ़ता है। इन सब के चलते इस प्रक्रिया में काफी अधिक ईंधन ख़र्च होता है।
हालाँकि अब थूथुकुडी में इसरो के दूसरे अंतरिक्ष केंद्र की स्थापना के बाद Small Satellite Launch Vehicle- SSLV लक्षद्वीप के ऊपर से उड़ान भरेगा। इस नए केंद्र से प्रक्षेपित किए जाने वाले SSLV अधिक ऊँचाई पर जाने के साथ ही श्रीलंका के चारों ओर घूमकर जाएगा।
इसके अलावा थूथुकुडी को भूमध्य रेखा के क़रीब होने के नाते चुना गया है। इसरो के पहले सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र को भी भूमध्य रेखा के नज़दीक होने के चलते एक अंतरिक्ष केंद्र के रूप में चुना गया है। दरअसल रॉकेट लॉन्च का केंद्र पूर्वी तट और भूमध्य रेखा के पास होना चाहिये।
इस जगह के चयन में एक और सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि ये तिरुनेलवेली ज़िले के महेंद्रगिरि में मौजूद इसरो के लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर - LPSC के भी क़रीब है। दरअसल इसरो के लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर - LPSC से PSLV के लिये दूसरे और चौथे चरण के इंजन को असेंबल किया जाता है। ऐसे में अब दूसरे और चौथे चरण के इंजन को यदि कुलसेकरपट्टिनम में ही बनाया जाएगा तो इन्हें महेंद्रगिरि से श्रीहरिकोटा ले जाना नहीं पडेगा क्यूंकि थूथुकुडी से क़रीब 100 किमी० की दूरी पर मौजूद है अगर कुलसेकरपट्टिनम में ही इन्हें बनाया जाता है तो इन्हें लॉन्च पैड तक ले जाने में आसान होगी।
2.
बीते दिनों केंद्रीय कैबिनेट ने नागरिकता संशोधन विधेयक को मंज़ूरी दे दी। कहा जा रहा है कि ये विधेयक एक बार फिर से सदन में पेश किया जा सकता है। दरअसल इस विधेयक में पड़ोसी मुल्कों से शरण के लिए भारत आए हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता दिए जाने का प्रावधान है। हालांकि इस विधेयक को लेकर ख़ासकर पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में काफी रोष रहा है। पिछली लोकसभा में इस विधयेक को लेकर काफी विरोध हुआ था जिसके चलते ये संसद के निचले सदन लोकसभा में पारित होने के बावजूद भी ये राज्यसभा में पेश नहीं किया जा सका।
नागरिकता संशोधन विधेयक का मुख्य मक़सद अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से भारत आए 6 गैर-मुस्लिम समुदायों को भारतीय नागरिकता हासिल करने के नियमों में छूट प्रदान करना है। इन समुदायों में मुख्य रूप से हिंदू, बौद्ध, जैन, सिख, ईसाई और पारसी धर्मों के लोग शामिल हैं। नागरिकता संशोधन विधेयक के तहत नियमों में छूट देने से इन धर्मों के अवैध प्रवासियों को विदेशी अधिनियम, 1946 और भारत में प्रवेश के लिए बने पासपोर्ट अधिनियम 1920 के तहत अवैध प्रवासी नहीं माना जायेगा।
देखा जाए तो 1955 का अधिनियम कुछ विशेष शर्तों को पूरा करने वाले किसी भी व्यक्ति को देश की नागरिकता हासिल करने के लिये आवेदन करने की इजाज़त देता है। इसके तहत नागरिकता के लिये आवेदन करने वाले व्यक्ति को आवेदन की तारीख़ से 12 महीने पहले से भारत में रहना और 12 महीने से पहले, उसे 14 वर्षों में से 11 साल भारत में बिताना ज़रूरी है। हालाँकि ये विधेयक इन देशों से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी तथा ईसाई प्रवासियों के लिये 11 साल की शर्त को घटाकर 6 वर्ष करने का प्रावधान करता है।
नागरिकता संशोधन विधेयक को देश भर में लागू किया जाना है। लेकिन भारत के पड़ोसी देशों पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और बांग्लादेश से सटे राज्य इन पड़ोसी मुल्कों से शरण के लिए भारत आए हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने के लिए नियमों में ढील देने के कारण इसका विरोध कर रहे हैं। इन राज्यों में मुख्य रूप से पूर्वोत्तर भारत के कुछ राज्य असम, मेघालय, मणिपुर, मिज़ोरम, त्रिपुरा, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश शामिल हैं। इन राज्यों में विरोध की मुख्य वजह ये है कि यहां पर पड़ोसी देश बांग्लादेश से मुसलमान और हिंदू दोनों ही बड़ी संख्या में अवैध तरीक़े से आ कर रह रहें हैं। इन राज्यों के कई संगठन इस विधेयक का विरोध इस कारण भी कर रहे हैं कि मौजूदा सरकार हिंदू मतदाताओं को लुभाने और प्रवासी हिंदुओं के लिए भारत की नागरिकता लेकर यहां बसना आसान बनाना चाहती है।
3.
बीते दिनों संसद के उच्च सदन वाले राज्यसभा के सांसदों ने बहस के लिये अतिरिक्त समय की मांग की है। राज्यसभा के सांसदों की मांग है कि राज्यसभा में होने वाली बहस के दौरान सभी सदस्यों को अपनी बात रखने के लिए समान समय मुहैया कराया जाए। दरअसल राज्यसभा के सदस्यों का कहना है कि संसद में उच्च सदन यानी राज्यसभा राज्यों का प्रतिनिधित्त्व करने वाला सदन है। ऐसे में राज्यसभा में सभी सदस्यों का समान प्रतिनिधित्व होना ज़रुरी है। साथ ही समान प्रतिनिधित्व के ज़रिए ही असल मायनों में संघवाद की प्राप्ति होगी। आपको बता दें कि ये मांग राज्यसभा के ऐतिहासिक 250 वें सत्र के दौरान सदन में आयोजित भारतीय राजनीति में राज्यसभा की भूमिका और आगे की राह पर हुई एक बहस के दौरान उठाई गई है। इस बहस में हिस्सा लेने वाले सदस्यों में से क़रीब एक-चौथाई सदस्यों ने समान समय मुहैया कराए जाने की बात कही है।
राज्य सभा सांसदों की इस मांग के तहत हर सदस्य को अपना विचार रखने के लिए कम से कम पाँच मिनट का समय देने की मांग की गई है। दरअसल मौजूदा वक़्त में अलग - अलग दलों के सदस्यों को सदन में उनकी सामर्थ्य के हिसाब से समय मिलता है। इस प्रक्रिया के चलते संसद के उच्च सदन में स्वतंत्र, मनोनीत और छोटे दलों से ताल्लुक़ रखने वाले सदस्यों को बहस के दौरान बेहद ही कम समय मिल पाता है। सांसदों की इस मांग के बाद राज्यसभा सचिवालय अब अपने कुछ पुराने ऐसे मामलों का अध्ययन कर रहा है, जिसमें इससे पहले भी समान समय दिए जाने की मांग की गई है। इसके अलावा राज्यसभा सचिवालय का कहना है कि राज्यों को समान प्रतिनिधित्व प्रदान करने के लिये, हर सदस्य के लिये न्यूनतम समय सीमा तय करना ठीक तो है, लेकिन इसके लिए कानूनी राय और राजनीतिक इच्छाशक्ति की बेहद ही सख़्त ज़रूरत है।
आपको बता दें कि राज्यसभा राज्यों की एक परिषद है। यह अप्रत्यक्ष रूप से जनता का प्रतिनिधित्व करती है। वैसे तो राज्यसभा के वर्तमान सदस्यों की संख्या 238 हैं, लेकिन संविधान के अनुच्छेद 80 के मुताबिक, राज्यसभा के सदस्यों की कुल संख्या 250 तय की गई है। इनमें से 238 सदस्य राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों से चुनकर आते हैं और बाकी के 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किये जाते हैं। ये 12 सदस्य ऐसे लोग होते हैं जो साहित्य, कला, विज्ञान और समाज सेवा के क्षेत्र में विशेष ज्ञान या अनुभव रखते हों। इसके अलावा राज्य सभा के सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्षों का होता है और हर 2 साल बाद एक-तिहाई सदस्य सेवानिवृत्त हो जाते हैं। सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों की संख्या संविधान की चौथी अनुसूची में बताई गई है। संविधान के अनुच्छेद 80(4) के मुताबिक, राज्यों के प्रतिनिधियों का चुनाव सम्बंधित राज्यों की विधान-सभाओं के सदस्यों के द्वारा किया जाता है। मूल्यों की दृष्टि से देखें तो राज्यसभा के गठन में चार सिद्धांत दिखाई देते हैं। इनमें अर्ध संघीय, प्रतिनिधित्व सिद्धांत, संयुक्त पुनर्विचार और नियंत्रण एवं संतुलन के सिद्धांत के अलावा विशेषज्ञों को नीति-निर्माण में शामिल करने का सिद्धांत शामिल है।
4.
विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO ने 2019 की विश्व मलेरिया रिपोर्ट जारी कर दी है। रिपोर्ट के मुताबिक़ दुनिया भर में कुल क़रीब 228 मिलियन मलेरिया के मामले सामने आए हैं। विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2019 में बताया गया है कि ये मामले 93 फीसदी अफ्रीकी क्षेत्र, 3.4 फीसदी दक्षिण पूर्वी एशियाई क्षेत्र और 2.1 फीसदी मामले पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्र में पाए गए हैं। इस रिपोर्ट को भारत में मलेरिया की स्थिति के नज़रिए से देखे तो साल 2017 के मुकाबले साल 2018 में कुल 28 फीसदी की कमी आई है। विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2019 के मुताबिक़ हाई बर्डन टू हाई इम्पैक्ट सूची में शामिल रहे भारत और युगांडा जैसे देशों ने साल 2018 में मलेरिया के मामले में काफी कमी लाई है।
विश्व मलेरिया रिपोर्ट विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा WHO जारी की जाती है। विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2019 में दिए आकंड़ों के मुताबिक़ साल 2015 से 2018 के दौरान वैश्विक स्तर पर मलेरिया से जूझ रहे देशों में से सिर्फ 31 देशों में मलेरिया के मामलों में कमी आई है। इसके अलावा 5 साल से कम उम्र के बच्चे मलेरिया से ग्रसित होने के मामले में सबसे अधिक संवेदनशील पाए गए हैं। रिपोर्ट में बताया गया है मलेरिया से होने वाली मौतों के मामले में 67 प्रतिशत मौतें 5 साल से कम उम्र के बच्चों के रूप में ही हुई है। विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2019 के मुताबिक़ दुनिया भर में मलेरिया के कुल मामलों का क़रीब 50 फीसदी अकेले 6 देशों में पाया गया है। इन देशों में नाइजीरिया 24%, कांगो 11%, तंजानिया 5%, अंगोला (4%) और मोजाम्बिक व नाइजर जैसे देशों में 4 - 4% मलेरिया के मामले पाए गए हैं। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत दुनिया में मलेरिया से सबसे अधिक प्रभावित 4 देशों की सूची से बाहर हो गया है। हालाँकि भारत अभी भी सबसे अधिक प्रभावित 11 देशों की सूची में शामिल है जो कि अकेला गैर-अफ्रीकी देश है। रिपोर्ट में ज़िक्र है कि मलेरिया के मामले में भारत में साल 2017 के मुकाबले 2018 में कुल 28 फीसदी की कमी आई है। जबकि इससे पहले 2016 और 2017 के दौरान 24% की कमी देखी गई थी। बता दें कि मलेरिया परजीवी प्लाज़्मोडियम फाल्सीपेरम और प्लाज़्मोडियम विवैक्स के ज़रिए फैलता हैं। भारत में भी क़रीब 47% मामलों में मलेरिया की वजह प्लाज़्मोडियम विवैक्स रहा है।
5.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने व्यक्तिगत डाटा प्रोटेक्शन विधेयक को मंजूरी दे दी है। शीतकालीन सत्र में सरकार अब इस विधेयक को संसद में पेश करेगी। विधेयक में प्रावधान है कि निजी डाटा चुराने पर अब कंपनी के जिम्मेदार अधिकारियों को तीन साल की जेल हो सकती है। साथ ही कंपनी को 15 करोड़ रुपये तक या उसके वैश्विक टर्नओवर का चार फीसदी जुर्माना भी देना पड़ सकता है। केंद्र सरकार का कहना है इस विधेयंक में कई देशों के डेटा प्रोटेक्शन से संबंधित कानूनों को समझ - बूझ कर नया कानून बनाया गया है। इसके अलावा विधेयक में डेटा को शेयर करने में लोगों की सहमति पर सबसे ज्यादा ज़ोर दिया गया है, और इसको लेकर कड़े नियम बनाए गए हैं।
व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक का ड्राफ्ट सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बीएन श्रीकृष्णा की अध्यक्षता में तैयार किया गया है। इस विधेयक में उन सभी डेटा को शामिल किय गया हैं जिससे किसी व्यक्ति की पहचान ज़ाहिर होती है। देखा जाए इनमें मुख्य रूप से लोगों के नाम, फोटो, और पता के अलावा सरकारी आइडेंटिटी कार्ड्स, लोग क्या खरीद रहे हैं, कहां जा रहे हैं या कौन सी फ़िल्में देख रहे हैं, जैसी चीजें को भी शामिल किया गया है। इसके अलावा स्वास्थ्य, धर्म या राजनीतिक रुझान, बायोमेट्रिक, आनुवांशिक, यौन रुचियों, लैंगिक, और वित्तीय आदि से संबंधित डाटा को इस विधेयक में संवेदनशील डाटा माना गया है।
विधेयक में प्रावधान है कि हर कंपनी को ये बताना ज़रूरी होगा कि वो डेटा की जानकारी क्यों और कैसे ले रहे हैं। इसके अलावा सोशल मीडिया कंपनियों को अब अपने प्लेटफॉर्म से जुड़े उपभोक्ताओं की पहचान के लिए एक तंत्र विकसित करना होगा। साथ ही इस पहचान तंत्र को सिर्फ उन्हीं लोगों की पहचान करने की अनुमति होंगी जो स्वेच्छा से अपनी पहचान बताने को तैयार हैं। इसके अलावा इस विधेयक में ये भी प्रावधान होगा कि डाटा मालिक को अपने डाटा मिटाने, सुधारने या कहीं और ले जाने के अधिकार दिए जाएं। सिर्फ राष्ट्रीय सुरक्षा और अदालती आदेश आदि से जुड़े मामलों में ही निजी डाटा का इस्तेमाल किया जा सकता है। साथ ही केंद्र सरकार की इजाज़त से ही किसी डेटा को भारत से बाहर ट्रांसफर किया जा सकेगा। दरअसल अब बाहरी कंपनियों को भी भारत में ही डेटा सेंटर सर्वर बनाने होंगे। ऐसे में विदेश में भारतीय नागरिकों की सर्विलांस नहीं की जा सकेगी। इसकी निगरानी के लिए नेशनल लेवल की एक डेटा प्रोटेक्शन अथॉरिटी (DPA) का गठन किया गया है। इसके अलावा नियमों का उल्लंघन करने पर 5 साल तक की सजा के अलावा 15 करोड़ रुपये या कंपनी के वर्ल्डवाइड टर्नओवर का 4% तक जुर्माने दिए जाने का प्रावधान किया गया है। दरअसल अगस्त 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा था कि देश का संविधान राइट टू प्राइवेसी को मौलिक अधिकार राइट मानता है। ऐसे में बग़ैर अनुमति के किसी तरह का डेटा लेना या उसे शेयर करना कानूनन अपराध होगा। साथ ही सभी तरह के पर्सनल डेटा को सिर्फ और सिर्फ भारत में ही संग्रहित किया जा सकता है।
6.
बीते दिनों पर्यावरण थिंक टैंक जर्मनवाच ने वैश्विक जलवायु जोखिम सूचकांक 2020 जारी किया । इस रिपोर्ट के मुताबिक़ पिछले 20 सालों में कुल क़रीब 12 हज़ार मौसम संबंधी घटनाओं में लगभग 5 लाख लोग मरे गए हैं। साथ ही क़रीब 3.54 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान भी हुआ है। वैश्विक जलवायु जोखिम सूचकांक 2020 के आकंड़ों के अनुसार जापान, फिलीपींस और जर्मनी जैसे देश साल 2018 में सबसे ज़्यादा जलवायु परिवर्तन से प्रभावित देश पाए गए हैं। इसके अलावा मेडागास्कर, भारत और श्रीलंका जैसे देश भी इन देशों की सूची में शुमार रहे हैं।
वैश्विक जलवायु जोखिम सूचकांक 2020 के तहत भारत इस वैश्विक सूची में पांचवें स्थान पर है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु पर्यावरण का भारत पर काफी बुरा प्रभाव पड़ा है। इस रिपोर्ट की चौंकाने वाली बात ये भी है कि भारत जलवायु परिवर्तन के चलते जनहानि के अलावा धनहानि के मामले में दूसरे पायदान पर है। भारत में हुई भारी बारिश जलवायु परिवर्तन का ही नतीजा थी। इसके चलते देश के कई इलाकों में भयंकर बाढ़ और भूस्खलन देखने को मिला है। इसके अलावा 2018 में अक्टूबर और नवंबर में आए दो बड़े चक्रवात भी जलवायु परिवर्तन का नतीजा रहे हैं। इसके अलावा इस रिपोर्ट में भारत में प्रदूषण के चलते पैदा होने वाले रोगों से मरने वालों की संख्या दुनिया में सबसे अधिक बताई गई है। दरअसल प्रदूषण के कारण भारत को हर साल करोड़ों डॉलर का नुकसान हो रहा है। गौर करने वाली बात ये है कि साल 2018 में भी भारत पांचवें स्थान पर था।
वैश्विक जलवायु जोखिम सूचकांक 2020 के मुताबिक़ साल 1999 से 2018 तक जलवायु परिवर्तन से सबसे अधिक प्रभावित देश प्यूर्टो रिको, म्याँमार और हैती रहे हैं। इसके बाद फिलीपींस, पाकिस्तान और वियतनाम जैसे देश भी इस दौरान जलवायु परिवर्तन से सबसे अधिक प्रभावित देशों की सूची में शामिल हैं। वैश्विक जलवायु जोखिम सूचकांक 2020 के मुताबिक़ साल 2018 में जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली नुक्सान का एक प्रमुख कारण हीटवेव रही है। आपको बता दें कि वैश्विक जलवायु जोखिम सूचकांक के ज़रिए जलवायु परिवर्तन के चलते पैदा मौसम सम्बन्धी समस्याओं के वैश्विक स्तर पर पड़ने वाले प्रभाव का विश्लेषण किया जाता है।
7.
दिल्ली में प्रदूषण को ख़त्म करने की कोशिशें लगातार जारी है। पराली जलाने से पैदा होने वाली समस्या को दूर करने के लिये अब एक स्वीडिश तकनीक का परीक्षण किया जा रहा है। दरअसल स्वीडिश तकनीक के ज़रिए धान के फसल अवशेष को जैव-कोयला में परिवर्तित किया जा सकता है। ऐसे में स्वीडन की कंपनी बायोएंडेव ने पंजाब में अपनी पहली पायलट परियोजना शुरू कर दी है। बता दें कि इस पायलट परियोजना के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और स्वीडन के राजा कार्ल गुस्ताफ के बीच इसके क्रियान्वयन को लेकर भी किए जा चुके हैं । इसके अलावा भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय द्वारा इस परियोजना के लिए धन उपलब्ध कराया जायेगा।
स्वीडिश कंपनी बायोएंडेव ने अपना पहला संयंत्र पंजाब के मोहाली में राष्ट्रीय कृषि खाद्य जैव प्रौद्योगिकी संस्थान के परिसर में स्थापित किया है। बायोएंडेव के मुताबिक़, इस तकनीक के ज़रिए फसल अवशेष के क़रीब 65% बायोमास को उर्जा में परिवर्तित किया जा सकता है। दरअसल इस तकनीकि में पुआल, घास, मिलों के अवशेषों व लकड़ी के अवशेषों को 250°C-350°C पर गर्म किया जाता है। इस तकनीकि से बायोमास के तत्त्व कोयले के समान छर्रेनुमा आकार में तब्दील हो जाते हैं। इन छर्रेनुमा आकार के पदार्थ को सीमेंट उद्योगों और स्टील में कोयले के साथ इस्तेमाल किया जा सकता है। ख़बरों के मुताबिक़ मोहाली में राष्ट्रीय कृषि खाद्य जैव प्रौद्योगिकी संस्थान के परिसर में मौजूद ये संयंत्र हर घंटे में लगभग 150 - 200 किलोग्राम धान के पुआल को जैव-कोयला में बदल सकता है। साथ ही CO2 के उत्सर्जन में 95 फीसदी तक की कमी ला सकता है।
8.
बीते दिनों सरकार ने इंडियन ग्रे नेवलों के संरक्षण के सन्दर्भ में ऑपरेशन क्लीन आर्ट की शुरुआत की। इस ऑपरेशन के ज़रिए सरकार ने देश भर में नेवले के बालों से बनाए जाने वाले पेंट ब्रश के कारखानों को बंद कर दिया है। दरअसल देश में इंडियन ग्रे नेवले काफी तादात में पाए जाते हैं। ऐसे में पेंट ब्रश बनाने वाली कई कम्पनियाँ नेवले के बालों का इस्तेमाल पेंट ब्रश बनाने में करती थी। आपको बता दें कि देश में नेवले के बालों से ब्रश बनाना संगठित अपराध की श्रेणी में रखा गया है। हालाँकि कुछ पारंपरिक शिकारी समुदाय के लोग इनका शिकार करते रहे हैं। इनमें तमिलनाडु के नारिकुरुवास और कर्नाटक के हक्की पक्की समुदाय के अलावा आंध्र और कर्नाटक में पाए जाने गोंड और मध्य व उत्तर भारत में गुलिया, सपेरा और नाथ समुदाय शामिल हैं।
वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो द्वारा चलाया गए इस ऑपरेशन क्लीन आर्ट में अलग - अलग राज्यों में बड़ी तादात में नेवले के बालों से बने ब्रश बरामद किये गए हैं। इस रिपोर्ट में इस बात का भी ख़ुलासा हुआ है कि नेवले के बालों की तस्करी में कोरियर कंपनियों की सेवाएं इस्तेमाल की जाती है।
दरअसल देश में नेवलों की कुल 6 प्रजातियाँ पाई जाती हैं। भारत में पाई जाने वाली नेवले की इन प्रजातियों में इंडियन ग्रे, स्माॅल इंडियन, रूडी, केकड़ा खाने वाले, धारीदार गर्दन वाले और भूरे नेवले शामिल हैं। हालाँकि नेवलों की इन सभी 6 प्रजातियों में से इंडियन ग्रे नेवला भारत में सबसे अधिक पाया जाता है।ऐसे में उनका शिकार भी सबसे ज़्यादा होता है। जानकारों का कहना है कि पेंट ब्रश के लिए कई अन्य विकल्प भी उपलब्ध हैं। लेकिन नेवलों की बालों की अच्छी गुणवत्ता, स्थायित्व और उनके बालों में मौजूद भुरभुरेपन को देखते हुए ख़रीददार इसे ज़्यादा तरज़ीह देते हैं। इसके अलावा नेवलों के बालों से बनाए जाने वाले ब्रशों की संवेदनशीलता, महीन परिष्करण और पेंट को अवशोषित करने की क्षमता को देखते हुए भी बाजार में इसकी मांग काफी अधिक रहती है।
नेवलों को भारत के वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के भाग 2 के तहत सूचीबद्ध किया गया है। वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 में नेवले पालने, इनका शिकार करने और इनको व्यापार में इस्तेमाल करने के लिये सात साल तक की जेल का प्रावधान है। इसके अलावा नेवले के बालों से ब्रश बनाना भी संगठित अपराध की श्रेणी में रखा गया है। साथ ही नेवलों को लुप्तप्राय प्रजाति की वनस्पतियों और वन्य जीवों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संबंधी अभिसमय यानी The Convention of International Trade in Endangered Species of Wild Fauna and Flora द्वारा भी संरक्षित किया गया है।
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बीते दिनों भारत निर्वाचन आयोग ने ऑनलाइन पोर्टल के ज़रिए एक राजनीतिक दल पंजीकरण ट्रैकिंग प्रबंधन प्रणाली की शुरुआत की है। इस पोर्टल की मुख्य विशेषता ये होगी अब आवेदक अपने आवेदन की प्रगति का पता ऑनलाइन ही लगा सकेगा। इसके लिए आवेदक को अपने आवेदन में दल या आवेदक का मोबाइल नम्बर और ई-मेल का पता दर्ज करना होगा। बता दें कि भारत निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दल पंजीकरण ट्रैकिंग प्रबंधन प्रणाली की शुरुआत राजनीतिक दलों के पंजीकरण की प्रणाली और प्रक्रिया की समीक्षा के बाद की है।
राजनीतिक दलों का पंजीकरण जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29(A) के प्रावधानों के अंतर्गत होता है। इस धारा के तहत भारत निर्वाचन आयोग में पंजीकरण के लिये इच्छुक दल को अपने गठन की तिथि के 30 दिनों की बाद की अवधि में अपने नाम, पता, अलग - अलग इकाइयों की सदस्यता का विवरण और पदाधिकारियों के नाम आदि मूलभूत विवरण सहित निर्धारित प्रारूप में आयोग के पास एक आवेदन करना होता है। ऐसे में निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों के पंजीकरण की प्रणाली को सरल बनाने के लिए राजनीतिक दल पंजीकरण ट्रैकिंग प्रबंधन प्रणाली की शुरुआत की है। इस ऑनलाइन पोर्टल के ज़रिए अब 1 जनवरी, 2020 के बाद राजनीतिक दल के पंजीकरण के लिए आवेदन करने वाले आवेदक दल अपने आवेदनों की स्थिति का जायज़ा ऑनलाइन ही ले सकेंगे।
आपको बता दें कि भारत निर्वाचन आयोग से जुड़े उपबंधों का ज़िक्र संविधान के अनुच्छेद 324 में किया गया है। इसके अलावा भारत निर्वाचन आयोग एक स्थायी संवैधानिक निकाय है। भारत निर्वाचन आयोग में एक मुख्य निर्वाचन आयुक्त और दो निर्वाचन आयुक्त होते हैं। भारत के राष्ट्रपति मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति करते है। इसके अलावा भारत निर्वाचन आयोग का अध्यक्ष ही मुख्य निर्वाचन आयुक्त होता है।
तो ये थी पिछली सप्ताह की कुछ महत्वपूर्ण ख़बरें...आइये अब आपको लिए चलते हैं इस कार्यक्रम के बेहद ही ख़ास सेगमेंट यानी इंडिया राउंडअप में.... जहां आपको मिलेंगी हफ्ते भर की कुछ और ज़रूरी ख़बरें, वो भी फटाफट अंदाज़ में...
फटाफट न्यूज़ (India Roundup):
1. 3 दिसंबर को मनाया गया अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस। समाज में दिव्यांग जनों का विकास सुनिश्चित करना है अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस का मुख्य मक़सद
अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस मुख्य रूप से दिव्यागों के प्रति लोगों के व्यवहार में बदलाव लाने और उन्हें उनके अधिकारों के प्रति जागरुक करने के लिए मनाया जाता है। इसके लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 1992 में हर साल3 दिसम्बर को अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस के रूप में मनाने घोषणा की गई थी। इस बार के अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस 2019 की थीम दिव्यांग जनों का सशक्तिकरण तथा समावेश व समानता सुनिश्चित करना रही है। इस मौके पर नई दिल्ली के विज्ञान भवन में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन जहां देशभर के 65 दिव्यागों को सम्मानित किया गया। ग़ौरतलब है कि साल 2011 की जनगणना के मुताबिक़ देश की आबादी के करीब 2 से 3 फीसदी लोग दिव्यांग हैं।
2. बिहार की सब लेफ्टिनेंट शिवांगी स्वरूप हुई प्रथम महिला पायलट के रूप में नौसेना में शामिल। बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर की रहने वाली हैं सब लेफ्टिनेंट शिवांगी स्वरूप
3. भारत और चीन के बीच 07 से 20 दिसंबर के बीच आयोजित होगा 8वाँ संयुक्त प्रशिक्षण अभ्यास हैंड-इन-हैंड 2019 संयुक्त राष्ट्र के आदेश के तहत आतंकवाद का मुकाबला करने के आयोजित हो रहा ये प्रशिक्षण अभ्यास मेघालय के उमरोई में होगा आयोजित। बता दें कि इस 14 दिवसीय संयुक्त प्रशिक्षण अभ्यास हैंड-इन-हैंड का मुख्य मक़सद उपनगरीय इलाके के लिए संयुक्त योजना बनाना और आतंकवाद रोधी अभियानों के संचालन का अभ्यास करना है।
4. 24वीं लेखा महानियंत्रक बनी सोमा रॉय बर्मन। CGA यानी CONTROLLER GENERAL OF ACCOUNTS का धारण करने वाली सातवीं महिला हैं सोमा रॉय बर्मन
5. मलयालम के मशहूर कवि अक्कीथम को दिया जायेगा साल 2019 का ज्ञानपीठ पुरुस्कार। अक्कीथम अचुथन नम्बूदरी है मलयालम के मशहूर कवि अक्कीथम का पूरा नाम
बता दें कि अक्कीथम को जिस ज्ञानपीठ पुरुस्कार से नवाज़ा जा रहा है वो देश का सर्वोच्च साहित्यिक पुरस्कार है। ज्ञानपीठ पुरुस्कार की स्थापना 1961 में की गयी थी। इस पुरस्कार के तहत भारतीय ज्ञानपीठ संविधान में शामिल 22 भारतीय भाषाओँ में रचना करने वाले साहित्यकारों को सम्मानित करती है।
7. रूस और चीन ने शुरू की महत्वाकांक्षी गैस पाइपलाइन परियोजना Power of Siberia ।वैश्विक ऊर्जा बाजार के लिहाज़ से रूस व चीन के लिए काफी महत्वपूर्ण है ये गैस पाइपलाइन परियोजना
8. गुजरात के लोथल में स्थापित किया जाएगा एक राष्ट्रीय समुद्री विरासत संग्रहालय। नाव निर्माण, समुद्री इतिहास के पुनर्निर्माण और व्यापार किए गए सामग्रियों के पुरातत्व के लिए एक स्वतंत्र अनुसंधान केंद्र के रूप में कार्य करेगा ये राष्ट्रीय समुद्री विरासत संग्रहालय। बता दें कि इस संग्रहालय को पुर्तगाली समुद्री विरासत संग्रहालय की तकनीकी मदद से स्थापित किया जा रहा है ।
10. 1 दिसम्बर से हुई नागालैण्ड के सबसे बड़े त्यौहार हार्नबिल के 20वें संस्करण की शुरूआत । साल 2000 से शुरू इस त्यौहार का मक़सद नागा जनजातियों को आपस में एक दूसरे से परिचित कराना और देश व दुनिया को नागा समाज की संस्कृति से करना है रूबरू। बता दें कि यह त्यौहार हर वर्ष 1 दिसंबर से 10 दिसंबर तक नागालैण्ड की राजधानी कोहिमा से कुछ दूरी पर स्थित किसामा नामक विरासत स्थल में मनाया जाता है। इसके अलावा इस त्यौहार का आयोजन राज्य पर्यटन, कला एवं संस्कृति विभाग नागालैण्ड द्वारा कराया जाता है।
11. 1 दिसम्बर को मनाया गया WORLD AIDS DAY । एचआईवी संक्रमण की वजह से होने वाली एड्स बीमारी के बारे में लोगों को जागरुक करना है विश्व एड्स दिवस का मक़सद
इस बार के विश्व एड्स दिवस की थीम “कम्युनिटीज़ मेक द डिफरेंस” रही है। एड्स (Aids) मौजूदा वक़्त की सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में शुमार है। यह मानव इम्यूनोडिफीसिअन्सी वायरस यानी एचआईवी के संक्रमण के कारण होने वाली एक महामारी है। UNICEF के मुताबिक दुनिया भर में क़रीब 37.9 मिलियन लोग HIV के शिकार हैं। इसके अलावा दुनिया भर में रोज़ाना हर दिन 980 बच्चों एचआईवी वायरस के संक्रमित होते हैं, जिनमें से 320 की मौत हो जाती है। भारत सरकार के आकड़ों के मुताबिक भी भारत में एचआईवी के रोगियों की संख्या लगभग 2.1 मिलियन है।
12. शिपिंग मंत्रालय ने केन्द्रीय क्षेत्र की योजना के तहत दी मणिपुर में लोकतक अंतर्देशीय जलमार्ग सुधार परियोजना के विकास को मंजूरी। पूर्वोत्तर राज्यों में अंतर्देशीय जल परिवहन कनेक्टिविटी को विकसित करना और पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देना है इस परियोजना का उद्देश्य
लोकतक झील दरअसल पूर्वोत्तर में ताजे पानी की सबसे बड़ी झील है, जो मणिपुर के मोइरंग में मौजूद है। ऐसे में पूर्वोत्तर अत्यंत आकर्षक भू-परिदृश्य वाला एक मनोरम क्षेत्र है जहां पर्यटन के लिए अपार अवसर हैं।
13. ई सिगरेट को प्रतिबंधित करने वाले विधेयक को संसद से मिली मंजूरी। इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट प्रतिषेध विधेयक 2019 के तहत ई सिगरेट के उत्पादन, विनिर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, विक्रय, वितरण, भंडारण और विज्ञापन पर लगा है पूर्ण रूप से प्रतिबन्ध
इन बातों का उलंघन करने वाले दोषी को छह महीने तक की सजा या 50 हजार रूपये तक जुर्माना अथवा दोनों का प्रावधान किया गया है। दरअसल ई सिगरेट का उपयोग सक्रिय उपयोगकर्ता के लिये जोखिम वाला है। देखा जाए तो युवाओं में ई सिगरेट काफी लोकप्रिय है। ऐसे में देश की युवा शक्ति को इस खतरे से बचाने के लिये सरकार ने इस पर प्रतिबंध लगाया है।
14. 2 दिसंबर को दुनिया भर में मनाया गया अंतर्राष्ट्रीय गुलामी उन्मूलन दिवस । बाल श्रम, आधुनिक गुलामी और मानव तस्करी जैसे कई संबंधित मुद्दों के बारे में लोगों को करना है जागरूक।
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक़ हर 4 में से 1 बच्चा आधुनिक गुलामी का शिकार है। इसके अलावा अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के आंकड़ों के मुताबिक़ दुनिया में क़रीब 40 मिलियन लोग आधुनिक गुलामी के शिकार हैं। संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2 दिसंबर, 1929 को अंतर्राष्ट्रीय गुलामी उन्मूलन दिवस की शुरुआत की गई थी।
15. हर साल की तरह 4 दिसंबर को मनाया गया भारतीय नौसेना दिवस । एक मजबूत राष्ट्र के लिये सुरक्षित समुद्र और सुरक्षित तट विषय के साथ मनाया जाता है हर साल भारतीय नौसेना दिवस
16. 5 दिसंबर को मनाया गया विश्व मृदा दिवस । बेहतर ,मिट्टी मृदा के महत्व पर ध्यान केंद्रित करने और मृदा संसाधनों के स्थायी प्रबंधन के लिए जागरूकता फैलाना है विश्व मृदा दिवस
इस साल के विश्व मृदा दिवस की थीम मृदा का कटाव बंद करो, हमारे भविष्य को बचाओ’ रही है। गौरतलब है कि जून 2013 में संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन FAO ने सबसे पहले विश्व मृदा दिवस का समर्थन किया था। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा के 68वें सम्मलेन में इसे आधिकारिक रूप से स्वीकारा गया जिसके बाद दिसंबर 2013 में ही संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस घोषित किया। बता दें कि पहला आधिकारिक विश्व मृदा दिवस 5 दिसंबर, 2014 को मनाया गया था।
17. भारत और रूस के बीच होगा संयुक्त सैन्य अभ्यास इन्द्र। 10- 19 दिसंबर के दौरान होने वाला ये संयुक्त सैन्य अभ्यास भारत में होगा आयोजित
इस सैन्य अभ्यास का मक़सद दोनों देशों की सेनाओं के बीच सामरिक कौशल, अनुभव और सैन्य तकनीक को साझा करना है। साथ ही ये सैन्य अभ्यास भारत और रूस के बीच रणनीतिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिहाज़ से भी महत्वपूर्ण है।
18. यूनिसेफ ने किया बॉलीवुड अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा को ‘डैनी काये ह्यूमैनिटेरियन अवॉर्ड’ से सम्मानित । कई सालों तक यूनिसेफ की गुडविल एंबेसडर रहीं हैं प्रियंका
19. संसद ने पारित हुआ विशेष सुरक्षा दल संशोधन विधेयक, 2019 । विशेष सुरक्षा दल अधिनियम, 1988 में किया गया है इस संशोधन विधेयक के ज़रिए कुछ महत्वपूर्ण बदलाव
20. यूरोपीय संघ बना जलवायु आपातकाल की घोषणा करने वाला पहला बहुपक्षीय गुट । बीते दिनों आए संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण की वार्षिक उत्सर्जन गैप रिपोर्ट के बाद यूरोपीय संघ ने लिया है ये फैसला
तो इस सप्ताह के इण्डिया दिस वीक कर्यक्रम में इतना ही। परीक्षा के लिहाज़ से ज़रूरी और भी तमाम महत्वपूर्ण ख़बरों के लिए सब्सक्राइब कीजिए हमारे यूट्यूब चैनल ध्येय IAS को। नमस्कार।