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Blog / 03 Feb 2020

(India This Week) Weekly Current Affairs for UPSC, IAS, Civil Service, State PCS, SSC, IBPS, SBI, RRB & All Competitive Exams (25th - 31st January 2020)

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(India This Week) Weekly Current Affairs for UPSC, IAS, Civil Service, State PCS, SSC, IBPS, SBI, RRB & All Competitive Exams (25th - 31st January 2020)



इण्डिया दिस वीक कार्यक्रम का मक़सद आपको हफ्ते भर की उन अहम ख़बरों से रूबरू करना हैं जो आपकी परीक्षा के लिहाज़ से बेहद ही ज़रूरी है। तो आइये इस सप्ताह की कुछ महत्वपूर्ण ख़बरों के साथ शुरू करते हैं इस हफ़्ते का इण्डिया दिस वीक कार्यक्रम...

न्यूज़ हाईलाइट (News Highlight):

  • रामसर कन्वेंशन के तहत दिया गया, भारत की 10 नई जगहों को आर्द्र भूमि यानी वेटलैंड का दर्जा, अब देश में मौजूद कुल आर्द्र भूमियों की संख्या बढ़कर हुई सैंतीस
  • बोडो अलगाववादी गुटों समेत कुल 9 संगठनों और असम व केंद्र सरकार के बीच हुआ समझौता, जिसके तहत बोडो अलगाववादी गुट अब अलग बोडोलैंड की मांग नहीं करेंगे।
  • रामटेक तालुका के नागार्धन में हुई हालिया पुरातात्विक खुदाई, तीसरी और पाँचवीं शताब्दी के बीच शासन करने वाले वाकाटक वंश से जुडी मिली बेहद ही ख़ास जानकारी
  • भारत के इकहत्तर वे गणतंत्र दिवस में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो , इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हुई मुलाकात में हुए करीब 15 समझौत
  • भारतीय रेलवे ने की कचरे से ऊर्जा उत्पादन करने वाली Technology,Poly Crack, PLANT की स्थापना, प्रतिदिन 500 किलोग्राम कचरे को PROCESS करके ऊर्जा उत्पादित करने में है सक्षम
  • संसद के बजट सत्र की हुई शुरुआत, मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का दूसरा बजट पेश कर रही हैं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, संसद में पेश किया वित्त वर्ष 2020-21 के लिए आर्थिक सर्वेक्षण ।
  • मोदी केबिनेट का बड़ा फैसल, Medical Termination of Pregnancy Amendment Bill) को दी मंजूरी , अब 24 हफ्ते में भी गर्भपात करा सकेंगी महिलाएं

खबरें विस्तार से:

1.

बीते दिनों भारत की दस नई जगहों को आर्द्रभूमि यानी वेटलैंड के रूप में मान्यता प्रदान की गई है। ऐसे में, अब देश में मौजूद कुल आर्द्रभूमियों की संख्या बढ़कर 37 हो गई है। आपको बता दें कि इन 10 जगहों को वेटलैंड का दर्ज़ा रामसर कन्वेंशन के तहत दिया गया है। वेटलैंड के बारे में आपको बताएं तो ये जल और किसी स्थल के बीच का संक्रमण क्षेत्र होता है। देखा जाए तो आर्द्रभूमि जैव विविधता के दृष्टिकोण से एक समृद्ध क्षेत्र होता है।

रामसर कन्वेंशन आर्द्रभूमियों के संरक्षण के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है। रामसर कन्वेंशन साइट का दर्जा पाने वाले 10 नए वेटलैंड स्थलों में महाराष्ट्र का 1, पंजाब के 3 और उत्तर प्रदेश की कुल 6 जगहें शामिल हैं। इन स्थलों के नामों को बताएं तो महाराष्ट्र का नंदुर मदमहेश्वर (Nandur Madhameshwar), पंजाब का केशोपुर-मियाँ (Keshopur-Mian), ब्यास कंज़र्वेशन रिज़र्व (Beas Conservation Reserve), और नांगल (Nangal) जैसी 3 जगहों को वेटलैंड घोषित किया गया है। इसके अलावा उत्तरप्रदेश के जिन 6 स्थलों को वेटलैंड घोषित किया गया है उनमें नवाबगंज (Nawabganj), पार्वती आगरा (Parvati Agara), उत्तर प्रदेश समन (Saman), समसपुर (Samaspur), सांडी (Sandi) सरसई नवार (Sarsai Nawar) जैसी जगहें शामिल हैं। इसके पहले भारत में 27 रामसर स्थल थे।

आर्द्रभूमि के बारे में आपको बताएं तो नमी या दलदली ज़मीन वाले इलाकों को आर्द्रभूमि या वेटलैंड (Wetland) कहा जाता है। आर्द्रभूमियों को मुख्य रूप से दो वर्गों में बांटा जाता है- जिनमें सागर तटीय आर्द्रभूमि और अंत:स्थलीय आर्द्रभूमि शामिल हैं। दरअसल, वेटलैंड्स वैसे इलाके होते हैं जहाँ नमी की मात्रा काफी ज़्यादा पाई जाती है। देखा जाए तो आर्द्रभूमि के कई लाभ भी हैं। आर्द्रभूमि को बायोलॉजिकल सुपर मार्केट कहा जाता है, क्योंकि ये विस्तृत भोज्य-जाल यानी Food-Webs का निर्माण करते हैं। इसके अलावा किडनीज ऑफ द लैंडस्केप भी आर्द्रभूमियों को कहा जाता है। साथ ही वेटलैंड महत्वपूर्ण वनस्पतियों और औषधीय पौधों के उत्पादन में सहायक होते हैं। लोगों की आजीविका के लिये भी आर्द्र-भूमि को काफी अहम माना जाता है। इसके अलावा सबसे ज़रूरी ये कि पर्यावरण सरंक्षण के लिये वेटलैंड सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण होते हैं।

बात अगर रामसर कन्वेंशन की करें तो ये 2 फरवरी, 1971 में ईरान के एक शहर रामसर में हुई अंतर्राष्ट्रीय संधि है। देखा जाए तो ये अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमियों के संरक्षण के मक़सद से दुनिया के देशों के बीच पहली संधि है। यह संधि वैश्विक स्तर पर हो रहे आर्द्रभूमियों के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है। भारत 1 फरवरी, 1982 को इस संधि में शामिल हुआ था।

2.

पिछले हफ़्ते बोडो अलगाववादी गुटों समेत कुल नौ संगठनों और असम व केंद्र सरकार के बीच एक समझौता हुआ है। समझौते के तहत बोडो अलगाववादी गुट अब अलग बोडोलैंड की मांग नहीं करेंगे। समझौते के तहत एक ओर जहां बोडो गुट के करीब 1500 उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण कर दिया तो वहीं सरकार उनके पुनर्वास की जिम्मेदारी उठाने का वादा किया है। इसके साथ ही असम के मुख्यमंत्री ने असम में सक्रिय उग्रवादी संगठन उल्फा को भी बातचीत करने का न्यौता दिया है।

बोडो असम का सबसे बड़ा जनजातीय समूह है जो की राज्य की कुल जनसँख्या का करीब 5 से 6 फीसदी है। असम के 4 जिले कोकराझार, बक्सा, उदालगुरी और चिरांग मिलकर बोडोलैंड प्रांतीय क्षेत्रीय जिले का निर्माण करते है जिसमे कई सारे नृजातीय समूह रहते हैं। ग़ौरतलब है कि बोडो लोगों का सशस्त्र संघर्ष और अलगाववादी मांगों का एक लंबा इतिहास रहा है।

साल 1966-67 में, एक राजनैतिक संगठन प्लेन ट्राइबल कौंसिल ऑफ़ असम (पीटीसीए), ने बोडोलैंड नामक एक अलग राज्य की मांग उठायी। साल 1987 में, ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन (ABSU) बोडोलैंड राज्य की मांग को फिर से उठाया। एबीएसयू के तत्कालीन नेता, उपेंद्र नाथ ब्रह्मा ने असम को दो बराबर भागों में बांटने का प्रस्ताव रखा । असम में फ़ैली अशांति और अराजकता का मुख्य कारण साल 1979 से 1985तक चला असम आंदोलन था जिसकी परिणति असम समझौते के रूप में हुई। असम समझौते ने जहाँ एक ओर असम के नागरिकों की सुरक्षा की मांगों को सुनिश्चित किया, वहीं दूसरी ओर इसने बोडो लोगों को अपनी पहचान बनाने के लिए आंदोलन करने के लिए भी प्रेरित किया। साल 2014 के दिसंबर के महीने में अलगाववादियों ने कोकराझार और सोनितपुर में 30 से अधिक लोगों की हत्या कर दी। 2012 में हुए बोडो मुस्लिम दंगों में सैकड़ों लोग मारे गए और तकरीबन 5 लाख के आसपास लोग बेघर हो गए। बोडो गुट की इन्हीं सब हरकतों के चलते पिछले साल केंद्र सरकार ने इस संगठन पर पांच साल का प्रतिबन्ध लगा दिया था।

मौजूदा समझौते के मुताबिक़ बोडो वर्चस्व वाले गाँव जो इस समय Bodoland Territorial Area Districts वाले इलाकों से बाहर हैं उन्हें इसमें शामिल किया जायेगा। साथ ही, गैर-बोडो आबादी के वाले लोगों को इससे बाहर रखा जाएगा। इस समझौते के मुताबिक़ गैर-जघन्य अपराधों यानी Non-Heinous Crimes के लिये NDFB समूहों के सदस्यों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले अब असम सरकार द्वारा वापस लिये जाएंगे। इसके अलावा जघन्य अपराध से जुड़े संबंधी मामलों की समीक्षा की जाएगी। समझौते में इस बात का भी ज़िक्र है कि असम की एकता बरकरार रहेगी और उसकी सीमाओं में कोई छेड़छाड़ नहीं होगा। साथ ही ये समझता बोडो आंदोलन के दौरान मारे गए लोगों के परिवार को 5 लाख रुपए प्रदान किए जाने का प्रावधान करता है। इसके अलावा बोडो इलाकों के विकास के लिये केंद्र सरकार द्वारा 1500 करोड़ रुपए का विशेष आर्थिक पैकेज भी इस समझौते के तहत दिया जायेगा। समझौते में बताया गया है कि देवनागरी लिपि के साथ बोडो पूरे असम के लिये सहयोगी आधिकारिक भाषा होगी।

मौजूदा वक़्त में सरकार का बोडो अलगाववादी गुटों के साथ संपन्न हुआ समझौता और उल्फा को बातचीत करने का निमंत्रण देना एक सार्थक कदम है। लेकिन अभी भी असम समस्याएं कम नहीं हुई हैं। अवैध प्रवासियों की समस्या, सांप्रदायिक संघर्ष, नागरिकता रजिस्टर और उससे पैदा होने वाली चुनौतियां अभी भी सामने हैं.

नागरिकता संशोधन कानून का विरोध, अलगाववादियों गुटों के द्वारा शांति समझौतों को नहीं मानना और चीन व पाकिस्तान के द्वारा आतंकवादियों के परोक्ष सहायता पर रोक लगाने जैसी कुछ ऐसी मुश्किलें हैं जो आने वाले दिनों में पूर्वोत्तर को अशांत कर सकती हैं।

3.

रामटेक तालुका के नागार्धन में पुरातात्विक खुदाई के दौरान कुछ ऐतिहासिक साक्ष्य मिले हैं। ये साक्ष्य तीसरी और पाँचवीं शताब्दी के बीच मध्य और दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों पर शासन करने वाले वाकाटक वंश से जुड़े हैं। इनमें उस वक़्त के जीवन, धर्म और व्यापार प्रथाओं से जुड़े तथ्य मिले हैं। आपको बता दें कि इस खुदाई में 1500 साल पुरानी एक सील भी मिली है जिससे रानी प्रभावती गुप्त के शासन के बारे में समझने में मदद मिल सकती है।

नागरधन नागपुर जिले में एक बड़ा गाँव है। नागरधन किले को एक गोंड राजा के शासन काल में बनवाया गया था और फिर इसे नागपुर के भोसले राजाओं द्वारा नवीनीकृत करवाया गया। वाकाटक वंश के राजा शैव थे और मध्य भारत में इन्होने तीसरी और पांचवी शताब्दी के दौरान राज किया लेकिन इसके बावजूद इनके बारे में बहुत कम जानकारी हासिल है। जो भी जानकारी इस वंश के बारे में है वो विदर्भ क्षेत्र से मिले साहित्य और ताम्रपत्रों के आधार पर है। ऐसा माना जाता है की वाकाटक के पूर्वी भाग की राजधानी नदीवर्धन हुआ करती थी । बाद में उत्खनन से मिले साक्ष्यों के आधार पर ये साबित हुआ की इनकी राजधानी नागरधन थी।

उत्खनन विभाग महाराष्ट्र सरकार दकन कॉलेज और पुणे के कॉलेज के संयुक्त रूप से किये गए उत्खनन में वाकाटक जीवन शैली के कुछ नए तथ्यों को उजागर किया गया है। खुदाई से न सिर्फ इस वंश के राजाओं के धार्मिक संबंधों के बारे में जानकारी मिली है बल्कि इस वंश के शासनकाल के दौरान घरों, राजा के महलों, सिक्कों मोहरों और व्यापार आदि की भी जानकारी भी मिली है। ये पहली बार है जब नागरधन की खुदाई में मिट्टी की बनी मोहरें मिली हैं। अंडे के आकार की मोहरे उस युग की है जब वाकाटक वंश में प्रभावतीगुप्त का शासन चलता था। इस मोहर पर ब्राह्मी लिपि में प्रभावतीगुप्त का नाम उकेरा हुआ मिला है। इसके साथ ही मोहरों पर शंख की भी आकृति गुदी हुई मिली है। मोहरों पर शंख की आकृति से ये पता चलता है की वाकाटक वंश वैष्णव धर्म को मानता था।

रानी प्रभावती गुप्त के द्वारा ताम्रपत्रों से पता चलता है की उनकी वंशावली की शुरुआत गुप्तों से हुई थी और उनके पितामह समुद्रगुप्त जबकि उनके पिता का नाम चन्द्रगुप्त द्वितीय था। इन चिन्हों से ये पता चलता है की प्रभावतीगुप्त एक प्रभावशाली महिला शासक थीं। चूँकि वाकाटक वंश के लोग ईरान से और भूमध्यसागर के ज़रिये व्यापार करते थे, इसलिए विद्वानों का मानना है की इन मोहरों का प्रयोग व्यापार के लिए आधिकारिक तौर पर शाही फरमान के तौर पर किया जाता था।

वाकाटक वंश के शासकों ने अपने समकालीन कई अन्य राजवंशों के साथ वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित किये थे। इनमे से एक मुख्य वैवाहिक सम्बन्ध शक्तिशाली गुप्त वंश की प्रभावतीगुप्त के साथ किया गया सम्बन्ध था। ऐसा माना जाता है की उत्तर में राज कर रहे गुप्त वंश की ताक़त वाकाटक वंश से कई गुने ज्यादा थी। वाकाटक शासक रुद्रसेना II से विवाह के बाद प्रभावतीगुप्त को महारानी बनाया गया। लेकिन रुद्रसेन की अचानक हुई मृत्यु ने प्रभावतीगुप्त को इस वंश की पहली महिला शासक बना दिया जिसके बाद उनका कद और ऊंचा हो गया जिसका पता वाकाटक की राजधानी नागरधन से प्रभावती गुप्त के नाम से जारी की गयी मोहरों से चलता है। रानी प्रभावतीगुप्त ने 10 वर्षों तक शासन किया जिसके बाद उनके पुत्र प्रवरसेन II ने सत्ता संभाली। नागरधन की शुरुआत की खुदाई से प्राप्त चीज़ों में चीनी मिट्टी के बर्तन, कांच की बालियां, कटोरे और गमले, एक मिट्टी का मंदिर और टैंक एक हिरन का चित्रण करने वाला पत्थर और टेराकोटा की चूड़ियां मिली हैं।

4.

बीते 26 जनवरी को भारत ने अपना 71 वां गणतंत्र दिवस समारोह मनाया। इस समारोह के लिए ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो को बतौर मुख्य अतिथि बुलाया गया था। 'ट्रंप ऑफ ट्रॉपिक्स' कहे जाने वाले राष्ट्रपति बोलसोनारो की यह पहली भारत यात्रा थी। बता दें कि इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बोलसोनारो से मुलाकात हुई थी. इस दौरान दोनों नेताओं के बीच करीब 15 समझौते हुए थे।

हर साल 26 जनवरी को हम अपना गणतंत्र दिवस मनाते हैं। दरअसल, भारत के संविधान को औपचारिक रूप से 26 जनवरी 1950 को अपनाया गया था। तब से, हर साल, इस दिन को भारत के गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है. भारतीयों के लिए भारतीयों द्वारा बनाए गए संविधान ने देश को एक संप्रभु, लोकतांत्रिक और गणराज्य के रूप में स्थापित किया। संविधान को हमारे देश के गवर्निंग डॉक्यूमेंट के रूप में भारत सरकार अधिनियम, 1935 के स्थान पर लाया गया था। 1930 में 26 जनवरी को ही वह दिन था जब भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज की बात स्वीकार की थी. इस दिन देश के सभी राज्यों में सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जाता है।

गणतंत्र दिवस के समारोह के दौरान कई तरह की खूबसूरत झांकियां निकाली जाती हैं. इस बार जल शक्ति मंत्रालय और एनडीआरफ द्वारा प्रस्तुत झांकी को संयुक्त रूप से सर्वश्रेष्ठ झांकी चुना गया है. जल शक्ति मंत्रालय द्वारा ‘जल जीवन मिशन’ को सुंदरता से दिखाया गया था।

पिछले साल स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण के दौरान ‘जल जीवन मिशन’ की घोषणा की थी। इस कार्यक्रम के तहत साल 2024 तक हर ग्रामीण परिवार को नियमित आधार पर, निर्धारित गुणवत्‍ता और पर्याप्‍त मात्रा में पीने के लिए पानी उपलब्‍ध कराने का लक्ष्य रखा गया है।

5.

हाल ही में, भारतीय रेलवे ने कचरे से ऊर्जा उत्पादन करने वाली टेक्नोलॉजी पॉलीक्रैक प्लांट की स्थापना की है. यह प्लांट ईस्ट कोस्ट रेलवे में भुवनेश्वर के मानचेस्वर कैरिज रिपेयर वर्कशॉप में स्थापित किया गया है. यह प्रतिदिन 500 किलोग्राम कचरे को प्रोसेस करके ऊर्जा उत्पादित करने में सक्षम है।

कचरे से ऊर्जा उत्पादित करने वाली यह टेक्नोलॉजी एक पेटेंटेड तकनीक है जिसे पॉलीक्रैक कहा जाता है। इस टेक्नॉलजी की मदद से तमाम तरह के कचरे को हाइड्रोकार्बन तरल ईंधन, गैस, कार्बन और पानी में बदला जा सकता है। इसमें सभी तरह के प्लास्टिक, पेट्रोलियम अपशिष्ट, 50 फ़ीसदी तक की नमी वाले ठोस कचरे और ई-कचरा डालकर ईंधन बनाया जा सकता है. इसके अलावा इसमें ऑटोमोबाइल कचरा, बांस और बगीचे के कचरे समेत सभी जैविक कचरे और जेट्रोफा फल को भी डाला जा सकता है।

ग़ौरतलब है कि इस प्लांट में शामिल प्रक्रिया एक बंद लूप सिस्टम है जो वायुमंडल में किसी भी प्रकार का खतरनाक प्रदूषक नहीं उत्सर्जित करता है। इसमें कचरे को अलग-अलग करने की जरूरत भी नहीं होती यानी कचरे को जिस तरह इकट्ठा किया जाता है उसी तरह सीधे पॉलीक्रैक प्लांट में डाला जा सकता है. साथ ही, इस टेक्नोलॉजी में कचरे को सुखाने की भी जरूरत नहीं होती. इसके अलावा इस मशीन को चलाने के लिए किसी ख़ास योग्यता की जरूरत नहीं होती और इसकी लागत भी कम आती है. अभी तक इस तरह के कुल 4 प्लांट स्थापित किए जा चुके हैं.

6.

संसद के बजट सत्र की शुरुआत हो चुकी है। इस दौरान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित किया। अपने अभिभाषण में राष्ट्रपति ने आतंकवाद, राम जन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला, नागरिकता कानून, अनुच्छेद 370 और 35ए हटाने जाने समेत तमाम मुद्दों का जिक्र किया। इसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में वित्त वर्ष 2020-21 के लिए आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया गया। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस आर्थिक सर्वेक्षण में 130 करोड़ भारतीयों के लिए धन उपार्जन पर जोर दिया गया है.

बीते 31 जनवरी को संसद के दोनों सदनों में आर्थिक सर्वेक्षण-2019-2020 पेश किया गया। सर्वेक्षण में अगले वित्‍त वर्ष के दौरान विकास दर छह से साढ़े छह फिशरी के बीच रहने का अनुमान जाहिर किया गया है। चालू वित्‍त वर्ष के लिए विकास दर 5 फ़ीसदी रहने की बात कही गई है। विकास को बढ़ावा देने के लिए राजकोषीय घाटे में बढ़ोतरी होने का भी जिक्र है।

आम तौर पर बजट से एक दिन पहले वित्त मंत्री द्वारा आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया जाता है। आर्थिक सर्वेक्षण भारत सरकार का एक अहम सालाना दस्तावेज होता है, जो चालू वित्त वर्ष के पिछले साल से भारतीय अर्थव्यवस्था में विकास का मूल्यांकन करता है। ये देश की आर्थिक स्थिति की दशा और दिशा को बताता है। इसमें अर्थव्यवस्था के क्षेत्रवार हालात की रूपरेखा और सुधार के उपायों के बारे में भी बताया जाता है। आर्थिक समीक्षा मुख्य आर्थिक सलाहकार के साथ वित्त और आर्थिक मामलों की जानकारों की टीम द्वारा तैयार की जाती है।

7.

हाल ही में, केंद्रीय कैबिनेट ने संशोधित गर्भपात विधेयक यानी मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी बिल 2020 (Medical Termination of Pregnancy Amendment Bill-2020) को मंजूरी दे दी। इस विधेयक में गर्भपात की अधिकतम सीमा 20 हफ्ते से बढ़कर 24 हफ्ते करने की बात कही गई है। यानी अब मह‍िलाएं प्रेगनेंसी के 24वें हफ्ते में भी गर्भपात करा सकेंगी। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कैबिनेट के इस फैसले के बारे में जानकारी दी।

लंबे समय से महिलाओं, डॉक्टरों और अदालत द्वारा इस बात पर जोर दिया जा रहा था कि गर्भपात की सीमा 20 हफ्ते से बढ़ाकर 24 हफ्ते किया जाए। इस विधेयक के लिए साल 2014 से ही विभिन्‍न हितधारकों से चर्चा की जा रही थी। इसके लिए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Union Minister Nitin Gadkari) की अध्यक्षता में मंत्रियों के एक समूह का भी गठन किया गया था। प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की हालिया बैठक में विधेयक के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई। इसके लिए गर्भपात अधिनियम (मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट 1971) में संशोधन किया जाएगा। हालांकि अभी इस विधेयक को कानून बनने के लिए लंबा रास्‍ता तय करना होगा।

इस विधेयक में गर्भपात की सीमा बढ़ाकर 24 हफ्ते किए जाने की योजना है। इसके साथ ही 20-24 हफ्ते गर्भ वाली महिलाओं को 1 के बजाय 2 चिकित्सकों का परामर्श लेना होगा। यह विशेष रूप से बलात्कार पीड़ित महिलाओं, अनाचार और अन्य कमजोर महिलाओं के शिकार समेत कमजोर और संवेदनशील महिलाओं को ध्यान में रखते हुए किया गया है।

मेडिकल बोर्ड के द्वारा निर्धारित असामान्य भ्रूण विसंगतियों की दशा में गर्भपात की ऊपरी सीमा नहीं लागू होगी। मेडिकल बोर्ड के गठन, कार्य और अन्य विवरण इस कानून के नियमों से निर्धारित किये जाएंगे। इस कानून में इस क्लॉज़ को रखने की वजह ऐसे मामलों को अदालतों की जद से बाहर रखना है।

गुट्टमाकर संस्थान के 2018 के एक अध्ययन के मुताबिक, भारत के छह बड़े राज्यों - असम, बिहार, गुजरात, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में 50 फ़ीसदी गर्भधारण अनपेक्षित हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 4 के आंकड़े बताते हैं कि देश में सिर्फ 47.8% जोड़े आधुनिक गर्भनिरोधक विधियों का उपयोग करते हैं. अनअपेक्षित गर्भधारण के मामलों पर इसलिए ध्यान दिया जाना चाहिए कि कई दफे ये गर्भपात का कारण बनते हैं। ऐसा माना जाता है कि सस्ती और सुरक्षित गर्भपात सुविधा उन्नत और मज़बूत स्वस्थ्य प्रणाली की पहचान है।

एमटीपी कानून 1979 में बदलाव की जरूरत महसूस हुई, जब साल 2008 में हरेश और निकेता मेहता ने बॉम्बे उच्च न्यायलय में अपने 26 हफ्ते के भ्रूण का गर्भपात कराने की याचिका दायर की। दरअसल निकिता को दिल की बीमारी थी जिसके चलते उसको गर्भपात कराना जरूरी था. याचिका में इस बात का जिक्र किया गया कि भ्रूण से जुड़ी कुछ ऐसी बीमारियाँ होती हैं जिनका पता 20 हफ्ते पूरे होने के बाद ही चलता है। उस वक्त तो मेहता दम्पतियों की ये याचिका विशेषज्ञ की सलाह पर खारिज कर दी गयी, लेकिन कोर्ट ने इस बात को स्वीकार किया कि केवल विधायिका के ज़रिये ही गर्भपात की अवधि में बदलाव किया जा सकता है। फैसले के कुछ दिन बाद ही निकेता मेहता का गर्भ गिर गया था।

विधेयक के मूल मसौदे में सिर्फ विवाहित महिलाओं के लिए गर्भनिरोधन की विफलता का क्लॉज़ था, लेकिन बाद में इसमें अविवाहित महिलाओं को भी शामिल किया गया, जिन पर गर्भपात के लिए सामाजिक दबाव सबसे ज्यादा होता है। इसलिये साल 2016 में ये सिफारिश भेजी गयी कि गर्भनिरोधन के असफल होने की दशा में सिर्फ विवाहित ही नहीं बल्कि अविवाहित महिलाओं को भी कानूनी गर्भपात का अधिकार दिया जाये।

सरकार के मुताबिक़ संशोधित गर्भपात विधेयक 2020 का मकसद महिलाओं के लिए सुरक्षित और कानूनन गर्भपात की सुविधा उपलब्ध कराना है। यानी इसके जरिए महिलाओं की सुरक्षा और भलाई सुनिश्चित करने की कोशिश की जाएगी ताकि ज्यादा से ज्यादा महिलाएं इससे लाभान्वित हो सके।

केंद्रीय मंत्री जावड़ेकर ने बताया कि कैबिनेट के इस फैसले से दुष्‍कर्म पीड़िताओं और नाबालिगों को अनचाहे गर्भ से निजात पाने में मदद मिलेगी। यही नहीं, कुछ अन्‍य मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि इस विधेयक से गैर शादी-शुदा महिलाओं को विधि सम्‍मत कारणों के तहत गर्भपात की इजाज़त

तो ये थी पिछली सप्ताह की कुछ महत्वपूर्ण ख़बरें...आइये अब आपको लिए चलते हैं इस कार्यक्रम के बेहद ही ख़ास सेगमेंट यानी इंडिया राउंडअप में.... जहां आपको मिलेंगी हफ्ते भर की कुछ और ज़रूरी ख़बरें, वो भी फटाफट अंदाज़ में...

फटाफट न्यूज़ (India Roundup):

1. देश का पहला जानवरों का युद्ध स्मारक: रक्षा मंत्रालय मेरठ के आरवीसी सेंटर एंड कॉलेज में देश का पहला वार मेमोरियल फॉर एनिमल बनाने की योजना बना रहा है. यह स्मारक सेना की मदद में तैनात उन पशुओं के योगदान को समर्पित किया जाएगा जिन्होंने कारगिल युद्ध में देश की आन-बान और शान को बढ़ाया है. इन जांबाज़ कैटल के साहस और वीरता को देखते हुए ऐसा मेमोरियल बनाने की योजना बनाई जा रही है. इन पशुओं ने, न केवल कारगिल युद्ध में, बल्कि कश्मीर में चल रहे कई आतंकवाद विरोधी अभियानों में भी सेना के साथ अपनी बहादुरी की मिसाल पेश की है.

2. जे0815 प्लस 4729 तारा: हाल ही में, अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने एक तारे के वायुमंडल में बड़ी मात्रा में ऑक्सीजन की मौजूदगी का पता लगाया है। इस खोज के लिए शोधकर्ताओं ने जे0815 प्लस 4729 नाम के एक पुराने तारे की रासायनिक बनावट का विश्लेषण किया, और पता लगाया कि ब्रह्मांड में शुरुआती दौर के तारों में ऑक्सीजन और दूसरे अहम तत्वों का निर्माण किस तरह होता है।

शोधकर्ताओं के मुताबिक, ब्रह्मांड में हाइड्रोजन और हीलियम के बाद ऑक्सीजन तीसरा सबसे ज्यादा मात्रा में पाया जाने वाला तत्व है। हालांकि, उन्होंने आगे कहा, यह तत्व प्रारंभिक ब्रह्मांड में मौजूद नहीं था। इनका निर्माण बड़े पैमाने पर तारों के अंदर न्यूक्लियर रिएक्शन होने पर अल्ट्राहाई एनर्जी के उत्सजर्न के जरिए हुआ, जिनका द्रव्यमान सूर्य के मुकाबले करीब 10 गुना ज्यादा है। इस खोज के जरिए अन्य तारों में भी जीवन संभव होने की उम्मीद जग गई है.

3. राष्‍ट्रीय मतदाता दिवस 2020: बीते 25 जनवरी को निर्वाचन आयोग ने 10वां राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाया. इस मौके पर, मानेकशॉ केंद्र दिल्‍ली कैंट में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए. इस बार यह समारोह इस लिहाज से खास रहा कि भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में भारत का निर्वाचन आयोग अपनी यात्रा के 70 साल पूरे कर रहा है.
इस दिवस को साल 2011 से हर साल 25 जनवरी को भारतीय निर्वाचन आयोग के स्‍थापना दिवस के उपलक्ष्‍य में मनाया जाता है। इसका मकसद मतदाताओं में जागरूकता फैलाना है। राष्‍ट्रीय मतदाता दिवस 2020 का विषय ‘मजबूत लोकतंत्र के लिए चुनावी साक्षरता’ है।

4. तीसरा वैश्विक आलू सम्मेलन: बीते 28 से 30 जनवरी के दौरान गुजरात के गांधीनगर में तीसरे वैश्विक आलू सम्मेलन का आयोजन किया गया. प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इस सम्मेलन को संबोधित किया। इस सम्मेलन का आयोजन भारतीय आलू संघ द्वारा भारतीय कृषि अनुसन्धान संघ, शिमला के साथ संयुक्त रूप से किया गया। इस तीन दिवसीय सम्मेलन में आलू अनुसन्धान के क्षेत्र में उपलब्धियों को प्रदर्शित किया गया।

5. मिशन होप : सूफिया खान: हाल ही में, राजस्थान के अजमेर की रहने वाली सूफिया खान का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्डस में शामिल किया गया है। दरअसल पिछले साल सूफिया ने कश्मीर से कन्याकुमारी तक की यात्रा करीब 87 दिनों में पूरा किया था. उनकी इसी उपलब्धि के लिए उनके नाम को गिनीज बुक में शामिल किया गया है।

अपनी दौड़ को सूफिया ने ‘मिशन होप’ का नाम दिया था, जिसका मकसद मानवता, एकता, शांति और समानता को बढ़ावा देना था। इस लक्ष्य को 100 दिन में पूरा किया जाना था लेकिन यह 87 दिनों में ही पूरा हो गया।

6. चीतों के पुनर्वासयोजना को मिली उच्चतम न्यायालय से मंजूरी: उच्चतम न्यायालय ने अफ्रीकी देश नामीबिया से चीतों को बसाने वाली याचिका को मंजूरी प्रदान कर दी है। आपको बता दें यह याचिका राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की ओर से दाखिल की गई थी। उच्चतम न्यायालय ने इसके लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन भी किया है।

7. गंगोत्री नेशनल पार्क में बनेगा देश का पहला स्नो लेपर्ड कंजर्वेशन सेंटर: इस कंजर्वेशन सेंटर की स्थापना संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के प्रोजेक्ट 'सिक्योर हिमालय' के तहत की जाएगी। आपको बता दें स्नो लेपर्डमध्य एशिया के पर्वत श्रृंखलाओं में समुद्र तल से 3,350 से 6,700 मीटर की ऊंचाई पर रहने वाला जानवर है। यह आईयूसीएन के रेड लिस्ट में शामिल है।

8. जारी हुआ ट्रैफिक इंडेक्स। दुनिया में सबसे खराब ट्रैफिक व्यवस्था बेंगलुरु की: इस ट्रैफिक इंडेक्स को नीदरलैंड की नेविगेशन कंपनी टॉम टॉम द्वारा जारी किया गया। इस सूची में मुंबई चौथे, पुणे 5वें और दिल्ली 8वें नंबर पर है।

9. भारत सरकार ने की पद्म पुरस्कार 2020 की घोषणा: इस बार 7 हस्तियों को पद्म विभूषण 16 हस्तियों को पद्म भूषण व 118 हस्तियों को पद्मश्री अवार्ड से नवाजा जाएगा। पद्म विभूषण सम्मान से सम्मानित शख्सियतों में जार्ज फर्नाडीज (मरणोपरांत), अरुण जेटली (मरणोपरांत), मॉरीशस के पूर्व प्रधानमंत्री अनिरुद्ध जगन्नाथ, मेरी काम, छन्नू लाल मिश्रा, सुषमा स्वराज (मरणोपरांत) और श्री विश्वेशतीर्थ स्वामी जी (मरणोपरांत) शामिल हैं।

10. भारत में मेडागास्कर की मदद के लिए चलाया ऑपरेशन वनीला: चक्रवात डायने द्वारा मचाई गई तबाही से मेडागास्कर ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद की अपील की थी। भारत सरकार ने ऑपरेशन वनीला के तहत अपने जहाज एरावत को मदद के लिए किया रवाना।

11. दक्षिण एशिया के चुनाव प्रबंधन निकाय का नए अध्यक्ष के रूप में नियुक्त हुआ भारत: मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा ने इस फोरम के अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाल लिया है । सार्क देशों के निर्वाचन संस्थाओं के द्वारा 2012 में इस फोरम का गठन किया गया था। फोरम में भारतीय निर्वाचन आयोग के अलावा अफगानिस्तान, भूटान, बांग्लादेश, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका के निर्वाचन संस्थाएं भी सदस्य हैं।

12. प्रख्यात भारतीय पर्यावरण अर्थशास्त्री पवन सुखदेव को मिला टायलर पुरस्कार: यह पुरस्कार उन्हें हरित अर्थव्यवस्था पर उनके प्रयासों के लिए प्रदान किया गया। आपको बता दें टायलर पुरस्कार को पर्यावरण का नोबेल पुरस्कार माना जाता है। पवन सुखदेव संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) के सद्भावना दूत भी हैं।

तो इस सप्ताह के इण्डिया दिस वीक कर्यक्रम में इतना ही। परीक्षा के लिहाज़ से ज़रूरी और भी तमाम महत्वपूर्ण ख़बरों के लिए सब्सक्राइब कीजिए हमारे यूट्यूब चैनल ध्येय IAS को। नमस्कार।