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Blog / 11 Nov 2019

(India This Week) Weekly Current Affairs for UPSC, IAS, Civil Service, State PCS, SSC, IBPS, SBI, RRB & All Competitive Exams (1st - 7th November 2019)

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(India This Week) Weekly Current Affairs for UPSC, IAS, Civil Service, State PCS, SSC, IBPS, SBI, RRB & All Competitive Exams (1st - 7th November 2019)



इण्डिया दिस वीक कार्यक्रम का मक़सद आपको हफ्ते भर की उन अहम ख़बरों से रूबरू करना हैं जो आपकी परीक्षा के लिहाज़ से बेहद ही ज़रूरी है। तो आइये इस सप्ताह की कुछ महत्वपूर्ण ख़बरों के साथ शुरू करते हैं इस हफ़्ते का इण्डिया दिस वीक कार्यक्रम...

न्यूज़ हाईलाइट (News Highlight):

  • क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी RCEP का हिस्सा बनने से भारत ने किया इनकार। कई मुद्दों का सही समाधान नहीं हो पाने के कारण भारत हुआ है इस समझौते से बाहर।
  • अमेरिका ने शुरू की पेरिस जलवायु संधि से अलग होने की प्रक्रिया। साल 2017 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने किया था इस संधि से अलग होने का ऐलान
  • पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण एवं संरक्षण प्राधिकरण EPCA ने नई दिल्ली में घोषित की हेल्थ इमरजेंसी। दिल्ली-एनसीआर में गंभीर वायु प्रदूषण के चलते उठाया गया है ये क़दम
  • मेघालय मंत्रिमंडल ने दी मेघालय निवासी संरक्षा और सुरक्षा अधिनियम 2016 में संशोधन को मंजू़री। अब मेघालय में भी प्रवेश करने वाले बाहरी लोगों के लिए पंजीकरण होगा ज़रूरी
  • सरकार निर्यात को बढ़ावा देने के मक़सद से राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की तैयारी का एक सूचकांक लाने पर कर रही है विचार। नीति आयोग और वाणिज्य मंत्रालय के सहयोग से तैयार हो रहा ये सूचकांक अगले साल जनवरी तक हो सकता है जारी
  • राष्ट्रीय हरित अधिकरण NGT ने RO सिस्टम के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने सबंधी अधिसूचना के लिए जारी किया अल्टिमेटम । NGT के मुताबिक़ ऐसी जगहों पर न इस्तेमाल किए जाए RO सिस्टम जहां खारे पानी की नहीं है कोई समस्या।
  • राष्ट्रपति ने विवादास्पद आतंकवादरोधी क़ानून से संबंधित गुजरात आतंकवाद और संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक को दी मंज़ूरी। गुजरात आतंकवाद और संगठित अपराध नियंत्रण क़ानून के तहत अब जाँच एजेंसियाँ कर सकती हैं फ़ोन कॉल्स को रिकॉर्ड
  • चीन ने अल्ज़ाइमर रोग के इलाज के लिये तैयार की जी.वी.-971 नाम की एक घरेलू दवा । आधिकारिक अनुमोदन के बाद दिसंबर 2019 से चीन के अल्ज़ाइमर रोगियों के लिये उपलब्ध होगी ये दवा ।

खबरें विस्तार से:

1.

बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैंकॉक में आयोजित तीसरे RCEP शिखर सम्मेलन में शिरकत की। इस मौके पर उन्होंने भारत को रीजनल कॉम्प्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप RCEP के मुक्त व्यापार समझौते में शामिल नहीं होने का ऐलान किया है। ग़ौरतलब है कि भारत ने ये फैसला कुछ मुद्दों के समाधान न हो पाने की वजह से लिया है। मौजूदा वक्त में, सेवा क्षेत्र के लिहाज से भारत की स्थिति काफी मजबूत है, लेकिन RCEP समझौते में वस्तुओं की तुलना में सेवाओं के व्यापार में ज़्यादा छूट नहीं है। ऐसे में, भारत को इससे अधिक लाभ की उम्मीद नहीं है। साथ ही RCEP में शामिल होने के बाद दक्षिण कोरिया, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के साथ भी भारत का व्यापार घाटा बढ़ने की आशंका है।

इन सब के अलावा RCEP में बौद्धिक संपदा के कड़े नियम शामिल है। इसके चलते भी भारत का जेनेरिक दवा उद्योग प्रभावित हो सकता है। इसके अलावा आयात शुल्क खत्म करने से भारत के कृषि आधारित उद्योगों, वाहन, दवा और स्टील के प्रभावित होने की भी संभावनाएं विशेषज्ञों द्वारा ज़ाहिर की जाती रही हैं। साथ ही चीनी सामान की ज़्यादा आपूर्ति से भारतीय मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर प्रभावित हो सकता है, जबकि भारत का चीन के साथ व्यापार असंतुलन पहले से ही काफी अधिक है।

भारत में आरसीईपी को लेकर किसान और व्यापारी संगठन भी इसका विरोध कर रहे थे। दरअसल RCEP के तहत भारत को व्यापार करने वाली वस्तुओं पर शुल्क को 92% से घटा कर 80% करना था जोकि किसानों के लिए बड़ी मुसीबत थी। साथ ही इससे डेयरी व्यवसाय को भी बड़ा नुकसान होता। भारत का असंगठित डेयरी सेक्टर मौजूदा वक़्त में 15 करोड़ लोगों को आजीविका प्रदान करता है। लेकिन RCEP समझौता लागू होने के बाद देश के डेयरी उद्योग को ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड से कड़ी प्रतिस्पर्द्धा का सामना करना पड़ता।

आपको बता दें कि साल 2012 में शुरू RCEP चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और भारत का 10 सदस्यीय आसियान गुट के साथ एक व्यापार समझौता है। हालाँकि भारत ने अब ख़ुद को इस समझौते से बाहर कर लिया है। इसके अलावा RCEP का उद्देश्य व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के लिए इसके सदस्य देशों के बीच व्यापार नियमों को सरल बनाना है। साथ ही इस मेगा मुक्त व्यापार समझौते में वस्तु, सेवाओं, निवेश, आर्थिक और तकनीकी सहयोग के अलावा प्रतिस्पर्धा और बौद्धिक संपदा अधिकारों से जुड़े मुद्दे को शामिल किए जाने का प्रावधान है।

2.

बीते 4 नवंबर को अमेरिका ने पेरिस जलवायु संधि से अलग होने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस संदर्भ में अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र को सूचित करते हुए ये कार्रवाई शुरू की है। अमेरिका अपनी इस कार्रवाई के बाद पेरिस जलवायु समझौते से अलग होने वाला पहला और अकेला एकमात्र देश होगा। ग़ौरतलब है कि अमेरिका पेरिस समझौते के अनुच्छेद-28 के तहत इस समझौते से अलग हो रहा है। दरअसल पेरिस जलवायु समझौते का अनुच्छेद - 28 इसमें शामिल किसी भी देश को इससे अलग होने की इजाज़त देता है। अनुच्छेद-28 के तहत पेरिस समझौते के गठन के तीन साल बाद कोई भी देश इससे अलग होने की सूचना दे सकता है। इसके अलावा सूचित करने के एक साल बाद ही उस देश को इस समझौते से अलग मान लिया जाता है। इस हिसाब से अमेरिका इस समझौते से 2020 तक औपचारिक रूप से बाहर हो जायेगा।

अमेरिका के इस समझौते से बाहर होने के बाद पेरिस जलवायु संधि के लक्ष्यों को हासिल करना काफी चुनौतीपूर्ण होगा। दरअसल इस समय सबसे ज़्यादा कार्बन उत्सर्जन करने वाले देशों की सूची में चीन 27 फीसदी के बाद अमेरिका का ही नम्बर आता है। अमेरिका क़रीब 15 - 16 % कार्बन का उत्सर्जन करता है। पेरिस समझौते के मुताबिक़ अमेरिका को अपने कार्बन उत्सर्जन को 2005 के मुक़ाबले 2025 तक 26-28 प्रतिशत तक कम करना था। इसके अलावा अमेरिका के इस समझौते से अलग होने का असर वित्तीय संसाधनों पर भी दिखेगा। इस समझौते के तहत हरित जलवायु कोष में अमेरिका की सबसे अधिक भागीदारी थी लेकिन अब अमेरिका के इससे अलग होने से अन्य देशों पर अतिरिक्त भार बढ़ेगा।

आपको बता दें कि 4 नवंबर, 2016 को पेरिस में एक ऐतिहासिक अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरणीय समझौता हुआ था। इस समझौते के तहत दुनिया भर के कुल 200 देश ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी लाने और जलवायु परिवर्तन पर क़ाबू पाने के लिए राज़ी हुए थे। इस समझौते के तहत वैश्विक तापमान वृद्धि को पहले के औद्योगिक स्तर से 2 डिग्री सेल्सियस से कम रखने का लक्ष्य रखा गया था। साथ ही आगे चल कर इस तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक निर्धारित करने का भी लक्ष्य तय हुआ था। ग़ौरतलब है कि पेरिस जलवायु समझौते में इस बात का भी ज़िक्र था कि विकसित और अमीर देश जलवायु परिवर्तन के इन लक्ष्यों की हासिल करने में विकासशील देशों को आर्थिक और तकनीकी मदद मुहैया कराएंगे।

3.

दिल्ली की आबोहवा बीते दिनों एक बार फिर से काफी ख़राब हो गई। दिल्ली-NCR में वायु प्रदूषण का स्तर अत्यंत गंभीर श्रेणी में पहुँच गया था जिसके कारण पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण एवं संरक्षण प्राधिकरण को हेल्थ इमरजेंसी का ऐलान करना पड़ा। दरअसल बीते 1 नवंबर को दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स का स्कोर 504 के स्तर पर पहुँच था। इसके अलावा दिल्ली से सटे इलाकों में भी प्रदूषण का स्तर 500 AQI के ही क़रीब था। केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा संचालित वायु गुणवत्ता निगरानी संस्था सफर के आंकड़ों के मुताबिक़ भी दिल्ली में वायु गुणवत्ता में गिरावट का ये सर्वाधिक निम्न स्तर है।

स्वास्थ्य आपातकाल लागू होने के बाद दिल्ली, फरीदाबाद, गुरुग्राम, गाजियाबाद, नोएडा और ग्रेटर नोएडा में निर्माण कार्यो पर रोक लगा दी गई है। इसके अलावा कोयला आधारित और गैर पीएनजी औद्योगिक इकाइयां भी बंद रहेंगी और पूरी सर्दी भर दिल्ली में पटाखे जलाने पर भी प्रतिबन्ध लगाया गया है। साथ ही वायु प्रदुषण को लेकर दिल्ली सरकार ने ऑड-ईवन व्यवस्था भी लागू कर दी है । इससे पहले पर्यावरण प्रदूषण प्राधिकरण EPCA ने भी दिल्ली में ग्रेडेड एक्शन रिस्पांस प्लान लागू किया था। हाल ही में पर्यावरण प्रदूषण प्राधिकरण EPCA ने ग्रेडेड एक्शन रिस्पांस के तहत वायु प्रदूषण की आपातकालीन श्रेणी के दौरान ट्रकों के आवाजाही पर रोक लगाने की बजाए पर्यावरण क्षतिपूर्ति शुल्क लागू कर दिया है। ग़ौरतलब है कि क्षतिपूर्ति शुल्क लागू होने से पहले रोज़ाना क़रीब 8000 ट्रक प्रतिदिन दिल्ली में प्रवेश करते थे, हालाँकि अब इस प्रणाली के लागू होने के बाद इनकी संख्या साढ़े तीन हज़ार के ही क़रीब रह गई है।

आपको बता दें कि हवा की गुणवत्ता को एयर क्वालिटी इंडेक्स AQI के ज़रिए मापा जाता है। एयर क्वालिटी इंडेक्स मुख्य रूप से 8 प्रदूशकों PM10, PM2.5, NO2, SO2, CO, O3, NH3, और Pb की हवा में मौजूदगी की जाँच करता है। PM10 और PM2.5 के बारे में आपको बताएं तो इन्हें पार्टिकुलेट मैटर यानी अभिकणीय पदार्थ के नाम से जाना जाता है। ये हमारे वायुमंडल में उपस्थित बहुत छोटे कण होते हैं जिनकी मौजूदगी ठोस या तरल अवस्था में हो सकती है।

इसके अलावा AQI इंडेक्स में हवा की गुणवत्ता के आधार पर 6 श्रेणियां बनाई गईं हैं। इसमें 0-50 के बीच हवा की गुणवत्ता को अच्छा, 51-100 के बीच संतोषजनक, 101-200 के बीच थोड़ा प्रदूषित और 201-300 के बीच के AQI को ख़राब माना जाता है। साथ ही इसकी तीन अन्य श्रेणियों में 301-400 के बीच के AQI को बेहद ख़राब और 401-500 के बीच के AQI को गंभीर और यदि AQI 500 से भी ज़्यादा है तो इसे बेहद गंभीर-आपातकालीन श्रेणी में रखा जाता है।

4.

ख़राब चिकित्सकीय उपकरणों और प्रतिरोपण के ग़लत प्रभावों से जूझ रहे मरीज़ अब इन उपकरणों के विनिर्माताओं या उनका आयात करने वाली कंपनी से मुआवजा मांगने में सक्षम होंगे। बीते दिनों नीति आयोग ने इसके लिए एक चिकित्सकीय उपकरण विधेयक, 2019 शीर्षक वाले मसौदे को अलग - अलग मंत्रालयों के बीच विचार-विमर्श के लिए रखा है। इस मसौदे का मकसद स्थानीय रूप से निर्मित एवं आयातित चिकित्सकीय उपकरणों का नियमन करना है। इसके अलावा विधेयक में मरीजों पर प्रतिकूल असर डालने वाले त्रुटिपूर्ण चिकित्सकीय उपकरणों के विनिर्माताओं और आयातकों पर एक करोड़ रुपए तक का जुर्माना लगाए जाने का प्रस्ताव रखा गया है। ग़ौरतलब है कि अभी तक इस प्रकार का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है जिसके तहत त्रुटिपूर्ण प्रतिरोपण या चिकित्सकीय उपकरणों के कारण स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे मरीज मुआवजा मांग सकें।

इस मसौदा विधेयक के ज़रिए नीति आयोग ने ये सुझाव दिया गया है कि बिना लाइसेंस के बाजार में चिकित्सकीय उपकरण पेश करने और प्रस्तावित विधेयक के तहत शर्तों का पालन नहीं करने पर तीन साल की कैद या 50 लाख रुपए जुर्माना या दोनों का प्रावधान होगा। इसके अलावा इस मसौदा विधेयक में चिकित्सकीय उपकरण क्षेत्र की निगरानी के लिए स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक के तहत अलग नियामक का भी प्रस्ताव रखा गया है। साथ ही मसौदा विधेयक में चिकित्सकीय उपकरणों को बाजार में लाने से पहले इनका राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण रजिस्टर में पंजीकरण कराने और उत्पाद के लेबल पर अद्वितीय पहचान संख्या प्रदर्शित किए जाने का भी प्रस्ताव रखा गया है।

5.

बीते दिनों मेघालय मंत्रिमंडल ने दी मेघालय निवासी संरक्षा और सुरक्षा अधिनियम 2016 में संशोधन को मंजू़री दे दी। इस अधिनयम में संसोधन के बाद अब मेघालय में दाख़िल होने वाले बाहरी लोगों को को भी पूर्वोत्तर भारत के कुछ राज्यों में लागू इनर लाइन प्रणाली के तहत तहत पंजीकरण कराना होगा। आपको बता दें कि इस अधिनियम में संशोधन को मंजू़री NRC प्रक्रिया को देखते हुए मिली है। दरअसल यहाँ के लोगों को डर है कि असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर NRC से बाहर किये गए लोग मेघालय में प्रवेश करने की कोशिश कर सकते हैं।

मेघालय सरकार के मुताबिक़ इस अधिनियम में हुए संशोधनों को जल्द ही एक अध्यादेश के ज़रिए प्रभाव में जाया जायेगा और इसे अगले विधानसभा सत्र में अधिनियमित किया जाएगा। ग़ौरतलब है कि पहले ये अधिनियम किरायेदारों के रजिस्ट्रेशन और डोक्युमेंटेशन्स पर केंद्रित था। हालाँकि अब इसमें संशोधन के बाद बाहरी लोगों और किरायेदारों को कवर करने के लिये नियमों में विस्तार किया जा सकेगा।

इनर लाइन परमिट के बारे में आपको बताएं ये एक आधिकारिक यात्रा दस्तावेज़ है। ये दस्तावेज किसी संरक्षित क्षेत्र के मूल निवासियों की पहचान को बनाए रखने और वहां की ज़रूरतों के मुताबिक़ लागू होता है। इसके अलावा इनर लाइन परमिट भारत सरकार द्वारा किसी भारतीय नागरिक को संरक्षित क्षेत्र में एक तय समय के लिये आंतरिक यात्रा की मंजू़री देने के लिए जारी किया जाता है। साथ ही इनर लाइन परमिट के तहत किसी बाहरी व्यक्ति को को किसी संरक्षित क्षेत्र में संपत्ति खरीदने का भी अधिकार नहीं होता है। मौजूदा वक़्त में इनर लाइन परमिट अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड और मिज़ोरम जैसे भारत के पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में लागू है।

6.

सरकार निर्यात को बढ़ावा देने के मक़सद से राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की तैयारी का एक सूचकांक लाने पर विचार कर रही है। कहा जा रहा है कि ये सूचकांक अगले वर्ष जनवरी महीने तक जारी किया जा सकता है। इस सूचकांक के ज़रिए ये पता लगाने की कोशिश की जाएगी कि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए किस राज्य ने अपने स्तर पर कितनी तैयारी की है। साथ ही कदम से निर्यात को बढ़ावा देने में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच स्वस्थ स्पर्धा शुरू करने में भी मदद मिलेगी।

दरअसल पिछले कुछ सालों के दौरान भारत का निर्यात रुक सा गया है। वित्त वर्ष 2011-12 से ही निर्यात का आंकड़ा 300 अरब डॉलर के क़रीब रहा है। इसके अलावा पिछले वित्त वर्ष 2018-19 में भी कुल निर्यात 331 अरब डॉलर के ही आसपास रह गया था। इसके अलावा दुनियाभर में भी निर्यात के मामले में भारत की हिस्सेदारी इस वक्त महज 1.7 प्रतिशत की है।

आपको बता दें कि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए मक़सद से शुरू होने जा रहे इस सूचकांक के लिए नीति आयोग और वाणिज्य मंत्रालय काम कर रहा है। इस सूचकांक में कारोबारी माहौल, इन्फ्रास्ट्रक्चर, परिवहन संपर्क, वित्त उपलब्धता, निर्यात इन्फ्रास्ट्रक्चर और व्यापार समर्थन जैसे महत्वपूर्ण मानक शामिल किए जाएंगे। इसके अलावा इस सूचकांक में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के अलावा समुद्र-तटीय और पहाड़ी राज्यों के लिए भी अलग से रैंकिंग जारी की जाएगी।

जानकारों के मुताबिक इस तरह के सूचकांक से कई फायदे होंगे। एक ओर जहां राज्य निर्यात और निवेशकों को आकर्षित करने के अनुकूल नीतियां बनाने को प्रेरित होंगे तो वहीं इस तरह के सूचकांक से राज्यों को आत्मनिरीक्षण करने का भी मौका मिलेगा। इसके अलावा इस सूचकांक के ज़रिए निर्यातकों को भी सही दिशा मिल सकेंगी। ग़ौरतलब है कि सरकार ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के मामले में एक ऐसा ही एक सूचकांक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए पहले से जारी कर रही है।

7.

बीते दिनों राष्ट्रीय हरित अधिकरण NGT ने एक अल्टिमेटम जारी किया है। ये अल्टिमेटम पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को RO सिस्टम के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने से संबंधित अधिसूचना के सन्दर्भ में जारी किया गया है।

राष्ट्रीय हरित अधिकरण का पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को निर्देश है कि वो ऐसे इलाकों में RO सिस्टम का उपयोग बंद कर दे जहां का पानी खारा नहीं है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण के मुताबिक़ जिन जगहों पर पानी में टोटल डिजॉल्व्ड सॉलिड्स TDS की मात्रा 500 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम है, उन जगहों पर RO सिस्टम के इस्तेमाल को प्रतिबंधित कर दिया जाए। राष्ट्रीय हरित अधिकरण के दिशा - निर्देशों में इस बात का भी ज़िक्र है सरकार की प्रस्तावित नीति में इसका प्रावधान होना चाहिये कि RO सिस्टम में वेस्ट होने वाले पानी के 60% से अधिक का दोबारा से इस्तेमाल किया जा सके।
आपको बता दें कि रिवर्स ऑस्मोसिस RO जल को शुद्ध करने की एक प्रक्रिया है। RO पानी में मौजूद हानिकारक पदार्थों को दबाव के ज़रिए अर्धचालक झिल्ली के माध्यम से बाहर निकालती है। इसके अलावा जल के मानकों की बात करें तो विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक़ 300 मिलीग्राम प्रति लीटर से नीचे के टीडीएस स्तर वाले जल को उत्कृष्ट, 900 मिलीग्राम प्रति लीटर टीडीएस स्तर वाले जल को खराब और 1200 मिलीग्राम से ऊपर के टीडीएस स्तर वाले जल को नहीं पीने योग्य माना गया है।

8.

बीते दिनों क्लाइमेट सेंट्रल संगठन ने जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ते समुद्री जल स्तर के ख़तरों से सम्बन्धित एक शोध जारी किया है। इस शोध के मुताबिक़ 2050 तक भारत के तटीय इलाकों में रहने वाले क़रीब 36 मिलियन लोगों के इससे प्रभावित होने की आशंका है। इसके अलावा इससे बुनियादी ढाँचे और आजीविका के नुकसान समेत स्थायी विस्थापन जैसी समस्याएँ सामने आ सकती हैं।

इस शोध में इस बात का ज़िक्र है कि भारत में पश्चिमी तट रेखा पर मौजूद भुज, जामनगर, सूरत, पोरबंदर, भरूच और मुंबई जैसे क्षेत्र बढ़ते हुए समुद्र जल स्तर के प्रति अधिक संवेदनशील हैं। इसके आलावा पूर्वी तटीय क्षेत्र में मौजूद पश्चिम बंगाल और ओडिशा की पूरी तटीय सीमा और कोलकाता भी विशेष रूप से संवेदनशील स्थिति में है।

आपको बता दें कि क्लाइमेट सेंट्रल के वैज्ञानिकों ने ये शोध कोस्टलडैम नाम के उपकरण से किया है। इनमें ज़्यादातर भूमि उत्थान के आँकड़े नासा के शटल रडार टोपोग्राफी मिशन द्वारा उपग्रह के ज़रिए उपलब्ध कराए गए हैं। शटल रडार टोपोग्राफी मिशन के बारे में आपको बताएं तो इसके ज़रिए पृथ्वी की लगभग 80% भूमि के स्थलाकृतिक आँकड़े एकत्रित किये गए हैं। इसके अलावा इसे अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा 11 फरवरी, 2000 को अंतरिक्ष में लॉन्च किया गया था।

9.

बीते दिनों राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने विवादास्पद आतंकवादरोधी क़ानून से संबंधित गुजरात आतंकवाद और संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक को मंज़ूरी दे दी। इस क़ानून में प्रावधान है कि अब जाँच एजेंसियाँ फ़ोन कॉल्स को रिकॉर्ड कर सकती हैं, साथ ही उन्हें सबूत के तौर पर न्यायालय में पेश भी कर सकती हैं। इसके अलावा इस क़ानून में कई ऐसे कामों का ज़िक्र है जिन्हें करने पर उसे आतंकवाद की श्रेणी में रखा जायेगा। इन कामों में कानून व्यवस्था या सार्वजनिक व्यवस्था में व्यवधान डालना, राज्य की एकता, अखंडता और सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करना और किसी भी वर्ग के ख़िलाफ़ आतंक फैलाने जैसे इरादों को भी आतंकवाद की श्रेणी में रखा गया है। इस क़ानून में आर्थिक अपराधों को भी शामिल किया गया है। इनमें पॉन्जी स्कीम, मल्टी-लेवल मार्केटिंग स्कीम और संगठित सट्टेबाज़ी जैसे काम शुमार हैं। इसके अलावा ज़बरन वसूली, ज़मीन हथियाना, अनुबंध हत्याएँ, साइबर अपराध और मानव तस्करी जैसे कृत्यों को लेकर भी इस क़ानून में सज़ा का ज़िक्र है।

ग़ौरतलब है कि गुजरात आतंकवाद और संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक साल 2003 में गुजरात विधानसभा में पेश किया गया। इससे पहले ये विधेयक साल 2004, 2008 और 2015 में राष्ट्रपति द्वारा ख़ारिज किया जा चुका है। दरअसल इस विधेयक में जाँच एजेंसियों द्वारा फोन कॉल रिकॉर्ड करने और उसे सबूत के रूप में न्यायालय में पेश करने के नियम को अनुच्छेद 21 के तहत निजता के मौलिक अधिकार का हनन माना जा रहा था। इसके अलावा पुलिस द्वारा किसी अभियुक्त से लिये गए बयान को भी सबूत के रूप में पेश करना संविधान के अनुच्छेद 20 के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। साथ ही अनुच्छेद 20 (3) के ही तहत किसी भी अपराध में शामिल व्यक्ति को खुद के खिलाफ गवाह बनने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।

10.

पिछले हफ़्ते चीन ने अल्ज़ाइमर रोग के निदान के लिये एक घरेलू दवा तैयार की है। जी.वी - 971 नाम की इस घरेलू दवा को आधिकारिक अनुमोदन के बाद चीन में मौजूद अल्ज़ाइमर रोगियों के इलाज़ में इस्तेमाल किया जायेगा। चीन अल्ज़ाइमर रोग के इलाज़ के लिए पिछले 22 सालोँ से इस दवा पर शोध कर रहा था। द चाइनीज़ एकेडमी ऑफ साइंसेज़ और शंघाई इंस्टीट्यूट ऑफ मैटेरिआ मेडिका ने ग्रीन वैली फार्मास्यूटिकल और ओशियन यूनिवर्सिटी ऑफ चाइना के साथ मिलकर इस दवा को तैयार किया है।

आपको बता दें कि जी.वी.-971, भूरे शैवाल से बनी दुनिया की पहली बहु-लक्ष्यीय और कार्बोहाइड्रेट आधारित ओरल दवा है। जी.वी.-971 दवा शुरुआती और मध्यम स्तरीय अल्ज़ाइमर रोग के इलाज़ और यादाश्त क्षमता में सुधार के लिये उपयोगी है। वैज्ञानिकों के मुताबिक़ ये दवा मस्तिष्क में सूजन कम करने और आँत में मौजूद सूक्ष्मजीवों की संख्या को संतुलित करके मस्तिष्क में होने वाली संज्ञानात्मक क्षति को कम करती है।

ग़ौरतलब है कि अल्ज़ाइमर रोग ‘डिमेंशिया’ नामक सिंड्रोम का सामान्य रूप है। अल्ज़ाइमर रोग के चलते ब्रेन डिसऑर्डर होता है और इसी कारण किसी भी व्यक्ति के दिमाग़ की तंत्रिका कोशिकाएँ नष्ट हो जाती हैं। इसके अलावा अल्ज़ाइमर रोग से पीड़ित व्यक्ति के सोचने, आसान कामों को करने और यादाश्त के साथ ही निर्णय क्षमता भी घट जाती है। एक आंकड़े के मुताबिक़ दुनिया में लगभग 44 मिलियन लोग डिमेंशिया से प्रभावित हैं। इसके अलावा अगर भारत में अल्ज़ाइमर रोग के मरीज़ों की स्थिति के बारे में देखे तो यहां क़रीब 4 मिलियन लोग किसी-न-किसी तरह से डिमेंशिया के शिकार हैं। इतनी बड़ी तादात में अल्ज़ाइमर रोग से पीड़ित लोगों के कारण हर साल दुनिया भर में अल्ज़ाइमर रोग क प्रति जागरुकता फ़ैलाने के लिए 21 सितंबर को अल्ज़ाइमर दिवस भी मनाया जाता है।

तो ये थी पिछली सप्ताह की कुछ महत्वपूर्ण ख़बरें...आइये अब आपको लिए चलते हैं इस कार्यक्रम के बेहद ही ख़ास सेगमेंट यानी इंडिया राउंडअप में.... जहां आपको मिलेंगी हफ्ते भर की कुछ और ज़रूरी ख़बरें, वो भी फटाफट अंदाज़ में...

फटाफट न्यूज़ (India Roundup):

1. केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का जारी किया नया राजनीतिक मानचित्र। 31 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के प्रभावी होने के बाद जारी हुए ये मानचित्र

2. बेंगलुरु के 15 वर्षीय प्रांजल श्रीवास्तव ने हासिल किया दुनिया की सबसे कठिन मानी जानी वाली प्रतियोगिता इंटरनेशनल मैथमैटिक्स ओलंपियाड IMO में स्वर्ण पदक। पिछले महीने ब्रिटेन में यह सफलता हासिल करने वाले प्रांजल इस प्रतियोगिता में सबसे कम उम्र में स्वर्ण पदक जीतने वाले बन हैं भारतीय

3. 50वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के दौरान विशेष स्वर्ण जयंती पुरस्कार से सम्मानित किए जायेंगे साउथ के सुपरस्टार रजनीकांत। बीते दिनों सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने की है आइकॉन ऑफ़ गोल्डन जुबली से सम्मानित किए जाने का ऐलान

4. रग्बी वर्ल्ड कप फाइनल में दक्षिण अफ्रीका ने दिए इंग्लैंड की टीम को क़रारी शिकस्त। अब तक तीन बार रग्बी वर्ल्ड कप फाइनल जीते चुकी है दक्षिण अफ्रीका की टीम

5. अमेरिकी विदेश विभाग ने जारी की कंट्री रिपोर्ट ऑन टेररिज्म 2018। इस रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान अपनी जमीन पर आतंकियों को फंडिंग, भर्ती और उनकी ट्रेनिंग रोकने में रहा है नाकाम।
रिपोर्ट में पाकिस्तान को अफगान तालिबान और हक्कानी नेटवर्क के लिए सुरक्षित पनाहगार बताया गया है । इसके अलावा इस रिपोर्ट में इस बात का भी ज़िक्र है कि यहां के राजनेताओं ने तालिबान को खुलेआम समर्थन दिया है। साथ ही आतंकी संगठनों ने बलूचिस्तान और सिंध प्रांत में सरकारी, गैर-सरकारी संगठनों और डिप्लोमेटिक मिशनों को लगातार निशाना बनाया है और आतंकी संगठन पाकिस्तान के अलावा पड़ोसी देशों में भी हमलों को भी अंजाम देते रहे हैं।

6. चीन के उत्तरी हिस्से में मौजूद ताइयुआन उपग्रह प्रक्षेपण केंद्र ने लांच किया उन्नत श्रेणी का निगरानी सेटेलाइट गाओफेन-7। धरती के किसी भी हिस्से की निगरानी करने में सक्षम है सेटेलाइट गाओफेन-7
ऑप्टिकल फाइबर से लैस यह उपग्रह दूर अंतरिक्ष से पृथ्वी पर मौजूद चीजों की सटीक तस्वीर लेने में सक्षम है। उपग्रह गाओफेन-7 के साथ तीन और सेटेलाइट भी अंतरिक्ष में भेजे गए। इन उपग्रहों को भी वैज्ञानिक प्रयोग के उद्देश्य से भेजा गया है।

7. अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद ICC जारी किया 7वें पुरुष टी-20 वर्ल्ड कप 2020 का शेड्यूल। 18 अक्टूबर से 15 नवंबर 2020 तक होने वाला ये खेल पहली बार ऑस्ट्रेलिया में खेला जा रहा है

8. 2022 से बदल जाएगी राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद NCERT की मूल्यांकन प्रणाली। NCERT के मुताबिक़ स्कूली शिक्षा में मौजूदा मूल्यांकन प्रणाली के हैं हानिकारक प्रभाव

9. चीन में बढ़ रहा है अफ्रीकी स्वाइन फीवर। घरेलू और जंगली सुअरों को प्रभावित करता है ये संक्रामक रोग। इस रोग का कोई एंटीडोट या वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। इसके अलावा चीन दुनिया में सूअर के मांस का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता देश है।

10. विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के मुताबिक़ कुलिकोइड्स मक्खी के काटने से हो रही है जानवरों की मौत। चींटियों से भी कई गुना छोटी होती हैं कुलिकोइड्स मक्खी। ये मक्खी ब्लूटंग वायरस की वाहक है जो दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया से क्रॉस ब्रीड कर लाई गई भेड़ों में पाया गया। इसके अलावा इसके काटने के बाद जानवरों की जीभ नीली पड़ जाती है और वे कमज़ाेर हो जाते हैं। इसके कारण उत्तर प्रदेश में ही हर साल लगभग 400 जानवरों की मौत हो रही है। इसके अलावा आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, जम्मू-कश्मीर, गुजरात, हरियाणा और महाराष्ट्र आदि राज्य भी इससे प्रभावित हो रहे हैं।

11. महिला और बाल विकास मंत्रालय ने यूनिसेफ द्वारा चलाई गई युवाह पहल को किया लॉन्च। 10 से 14 वर्ष के किशोरों के लिए शिक्षा और कौशल विकास को बढ़ावा देना है इस योजना का मक़सद

युवाह पहल के लक्ष्यों में साल 2030 तक निजी क्षेत्रों के साथ काम करके 50 मिलियन युवा महिलाओं और 50 मिलियन युवाओं को इच्छुक आर्थिक अवसर भी प्रदान कराना है। ग़ौरतलब है कि दुनिया के किशोरों की कुल जनसंख्या का 21% हिस्सा भारत में निवास करता है। ये पहल भारत में लिंगानुपात की चुनौती को भी कम करने में मददगार साबित होगी। भारत इस प्रकार की पहल की शुरूआत करने वाला विश्व का पहला देश है।

12. हैदराबाद और मुंबई को यूनेस्को के क्रिएटिव सिटी में किया गया शामिल। यूनेस्को के क्रिएटिव सिटीज़ में उन शहरों को शामिल किया जाता है, जिन्होंने अपनी क्रिएटिविटी के दम पर किया है विकास।
आपको बता दें कि मुंबई का चयन सिनेमा की दुनिया में योगदान के लिए और हैदराबाद का पाक कला के लिए किया गया है। इसके अलावा अब ये दोनों शहर अब 246 सदस्यों वाले क्रिएटिव सिटी संगठन के नेटवर्क का हिस्सा होंगे। यूनेस्को के क्रिएटिव सिटीज़ में संगीत, कला, लोक शिल्प, डिजाइन, सिनेमा, साहित्य, डिजिटल कला और पाक कला आदि क्षेत्रों में विकास करने वाले शहरों को शामिल किया जाता है।

13. केके बिरला फाउंडेशन की ओर से साल 2018 के 28वे व्यास सम्मान से सम्मानित किए सुप्रसिद्ध साहित्यकार लीलाधर जगूड़ी। हिंदी की उत्कृष्ट साहित्यिक कृति के लिए मिले इस सम्मान के तहत उन्हें प्रशस्ति पत्र, समेत 4 लाख रुपये की राशि समेत केके बिरला फाउंडेशन का प्रतीक चिन्ह किया जायेगा भेंट

14. 2 नवम्बर को पत्रकारों के ख़िलाफ़ अपराधों की समाप्ति के लिए मनाया गया अंतराष्ट्रीय दिवस। पत्रकारों और मीडियाकर्मियों के खिलाफ हिंसक अपराधों की वैश्विक सज़ा दर को कम करने के ,मक़सद से आयोजित होता है ये अंतराष्ट्रीय दिवस ग़ौरतलब है कि इस साल के अंतरराष्ट्रीय दिवस का फोकस स्थानीय पत्रकारों पर रहा है।

15. अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी सेल स्थापित करने के लिए IIT दिल्ली ने की ISRO के साथ साझेदारी। स्पेस टेक्नोलॉजी सेल STC स्थापित करने के लिए सहमत हुए हैं IIT दिल्ली और ISRO। इस सहमति के बाद आईआईटी-दिल्ली आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), नैनो टेक्नोलॉजी, कार्यात्मक वस्त्र, स्मार्ट विनिर्माण या संयुक्त हित के किसी भी क्षेत्र जैसे अनुसंधान क्षेत्रों में इसरो का एक शैक्षणिक भागीदार बन जाएगा।

16. भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच संपन्न हुई आर्थिक एवं वित्तीय भागीदारी EFP की 7वीं बैठक। EFP की बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने की है भारत के आर्थिक दृष्टिकोण, वैश्विक ऋण स्थिरता, वित्तीय क्षेत्र में सुधार, पूंजी प्रवाह और निवेश जैसे कई मुद्दों पर चर्चा

17. 02-04 नवंबर तक थाईलैंड की आधिकारिक यात्रा पर रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। इस दौरान 16वें भारत-आसियान शिखर सम्मेलन और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन और म्याँमार, थाईलैंड एवं इंडोनेशिया के राष्ट्रप्रमुखों से की प्रधानमंत्री ने द्विपक्षीय मुलाक़ात

18. शंघाई सहयोग संगठन के राष्ट्राध्यक्षों की परिषद की 18वीं बैठक उज़्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद में हुई संपन्न । भारत की ओर से केंद्रीय रक्षा मंत्री ने की इस बैठक में शिरकत

19. उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने तटीय बाढ़ चेतावनी प्रणाली के लिए किया रेड एटलस एक्शन प्लान मैप का अनावरण। रेड एटलस एक्शन प्लान मैप का उद्देश्य बाढ़ शमन, प्रबंधन, तैयारियों और संचालन संबंधी कामों को बनाना है आसान

20. आपको बता दें कि रेड एटलस एक्शन प्लान मैपको पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा विकसित किया गया है। इसका अनौपचारिक प्रयोग तमिलनाडु की सरकार द्वारा चेन्नई में प्रभावी बाढ़ शमन में मदद करने के लिये तैयार किया गया था।

21. 5 नवंबर को मनाया गया विश्व सुनामी जागरूकता दिवस। दुनिया भर में 5 नवंबर को सुनामी जागरूकता दिवस सुनामी जागरूकता बढ़ाने और जोखिम कम करने के लिए नवीन दृष्टिकोण साझा करने के लिए मनाया गया था। साल 2019 विश्व सुनामी जागरूकता दिवस सेंदाई सात अभियान पर लक्ष्यों को बढ़ावा देने पर केंद्रित रहा है।

22. वित्त मंत्रालय ने शुरू की आइसडैश और अतिथि नामक दो नई सूचना तकनीक की पहल। भारतीय बंदरगाहों और हवाई-अड्डों पर आयातित वस्तुओं के कस्टम क्लियरेंस’ को गति प्रदान करने और उसकी निगरानी करने के लिये शुरू हुआ है आइसडैश नामक ऑनलाइन डैशबोर्ड

23. इसके अलावा अतिथि नामक मोबाइल एप को अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों की सुविधा के लिए लॉन्च किया गया है। आपको बता दें कि केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड ने राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र NIC के साथ मिलकर इस डैशबोर्ड को विकसित किया है।

24. 7-8 नवम्‍बर के बीच आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में हुआ पहले बिम्‍सटेक बंदरगाह सम्मेलन का आयोजन। दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों ने की है इस सम्मेलन में शिरकत। बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग बिम्‍सटेक एक अंतर्राष्‍ट्रीय संगठन है, जिसमें दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया के देश, भारत, बांग्‍लादेश, म्‍यामांर, श्रीलंका, थाईलैंड, भूटान और नेपाल शामिल हैं। सम्‍मेलन में इन देशों के क्षेत्रीय बंदरगाहों के प्रतिनिधि शामिल रहे हैं। सम्‍मेलन में आयात-निर्यात और तटीय जहाजरानी को प्रोत्‍साहित कर आर्थिक सहयोग बढ़ाने पर विचार हुआ।

25. अंतर्राष्ट्रीय वॉचडॉग, द फ्रीडम हाउस ने जारी किया 2019 के लिए अपनी फ़्रीडम ऑन द नेट रिपोर्ट। 'द क्राइसिस ऑफ़ सोशल मीडिया' के नाम से जारी हुई है ये रिपोर्ट । रिपोर्ट के मुताबिक जून 2018 से लेकर मई 2019 के बीच वैश्विक इंटरनेट स्वतंत्रता में भारी गिरावट दर्ज की गई। इस रिपोर्ट में पाकिस्तान को सबसे खराब देशों की श्रेणी, जिनमें इंटरनेट की आजादी नहीं है, उनमें 26 नंबर पर रखा गया है।

26. संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम ने प्लास्टिक से होने वाले नुकसान के बारे में जागरूकता फैलाने के मक़सद से शुरू किया - "What's in Your Bathroom?" अभियान। दरअसल रोजमर्रा इस्तेमाल होने वाली चीजों में अक्सर प्लास्टिक का बहुत बड़ा हिस्सा होता है और ये चीजें लोगों के स्वास्थ्य के लिए खासा नुकसान कर सकती हैं।

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के मुताबिक़ हर साल लगभग 80 लाख टन प्लास्टिक कूडा-कचरा समुद्रों में फेंका जाता है। इसका मतलब ये है कि एक बड़े ट्रक में समाने वाले कूड़े-कचरे के बराबर ये हर मिनट समुद्र में फेंका जाता है।

27. बंगाल की खाड़ी में उठे चक्रवात बुलबुल का है आंध्र प्रदेश और ओडिशा में सबसे अधिक खतरा। बुलबुल इस साल का है 7वां चक्रवाती तूफान है जो भारत के तट से टकराएगा।

28. ग्रामीण पत्रकारिता में उत्कृष्ट आयाम प्रस्तुत करने के लिए दैनिक जागरण को मिला राष्ट्रीय उत्कृष्ट पत्रकारिता पुरस्कार-2019 । भारतीय प्रेस परिषद द्वारा दिया जाता है राष्ट्रीय उत्कृष्ट पत्रकारिता पुरस्कार

29. पराली प्रबंधन पर सुप्रीम कोर्ट ने दिया पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों को 100 रुपये प्रति क्विंटल प्रोत्साहन राशि देने का दिया आदेश। कहा राज्य सरकारें फंड की कमी का बहाना बनाकर नहीं बच सकतीं हैं इस आदेश से । ग़ौरतलब है कि पराली की वजह से दिल्ली एनसीआर में प्रदुषण का स्तर काफी बढ़ गया है।

तो इस सप्ताह के इण्डिया दिस वीक कर्यक्रम में इतना ही। परीक्षा के लिहाज़ से ज़रूरी और भी तमाम महत्वपूर्ण ख़बरों के लिए सब्सक्राइब कीजिए हमारे यूट्यूब चैनल ध्येय IAS को। नमस्कार।