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Blog / 03 Apr 2019

(Global मुद्दे) गोलन हाइट्स अमेरिका का रुख (America's Stance on Golan Heights)

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(Global मुद्दे) गोलन हाइट्स अमेरिका का रुख (America's Stance on Golan Heights)


एंकर (Anchor): कुर्बान अली (पूर्व एडिटर, राज्य सभा टीवी)

अतिथि (Guest): पिनाक रंजन चक्रवर्ती (पूर्व राजदूत), सतीश जैकब (पश्चिम एशियाई मामलों के जानकार)

चर्चा में क्यूं है गोलन हाइट्स ?

  • इज़राइल और सीरिया के बीच लम्बे वक़्त से गोलन हाइट्स को लेकर विवाद रहा है
  • अमेरिका ने हाल ही में गोलन हाइट्स वाले इलाक़े को इज़राइल का पार्ट घोषित कर दिया है
  • इस ऐलान का संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक में ज़्यादातर देशों ने अमेरिका के रुख़ का विरोध किया है

डोनाल्ड ट्रम्प का बयान

  • 21 मार्च 2019 - "52 सालों के बाद अब समय आ गया है जब अमेरिका गोलन पहाड़ी क्षेत्र पर इज़राइल के प्रभुत्व को मान्यता दे
  • 25 मार्च 2019 - "ट्रंप ने गोलन हाइट्स पर इज़राइल की संप्रभुता की मान्यता से जुड़े ऐलान पर दस्तख़त किए
  • ट्रंप का कहना है कि - "गोलन पहाड़ियां इज़राइल और क्षेत्र की स्थिरता के लिए रणनीतिक और सुरक्षा के लिहाज़ से बेहद ख़ास है। किसी भी शांति समझौते में इज़राइल को सीरिया ईरान और दूसरे क्षेत्रीय ख़तरों से बचाव की ज़रूरत है। हम वहां कोई और हमला नहीं देखना चाहते

इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू का बयान

  • ऐसे समय में जब ईरान इज़राइल को बर्बाद करने के लिए सीरिया को प्लेटफार्म के रूपम में इस्तेमाल कर रहा है... राष्ट्रपति ट्रंप ने गोलन हाइट्स पर इजराइली सम्प्रभुता को मान्यता दे दी है। राष्ट्रपति ट्रंप का शुक्रिया। राष्ट्रपति ट्रंप का ये फैसला दोनों देशों के मज़बूत संबंध को दर्शाता है

सीरिया ने क्या कहा

  • गोलन हाइट्स पर इज़राइल को मान्यता देना अंतराष्ट्रीय क़ानून का उल्लंघन है
  • अमेरिका ने गोलन पहाड़ियों पर संयुक्त राष्ट्र के चार्टर का उल्लंघन किया है
  • अमेरिका के इस रुख़ से पूरी दुनिया में तनाव और बढ़ेगा

अन्य देशों का रुख़ अमेरिका के इस फैसले पर

  • फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी, बेल्जियम और पोलैंड ने अमेरिका के इस फैसले का विरोध किया
  • इन देशों का भी मानना है कि अमेरिका के इस फैसले का गंभीर परिणाम हो सकता है
  • सऊदी अरब, बहरीन, कुवैत और क़तर देशों ने भी अमेरिका के इस फैसले की आलोचना की और कहा कि ये क्षेत्र अरब में आता है
  • इन देशों का कहना हैं की इस पश्चिमी एशिया में शांति प्रक्रिया, सुरक्षा और स्थिरता पर नकारात्मक असर पड़ेगा
  • तुर्की ने भी अमेरिका के इस फैसले की आलोचना की और कहा कि अमेरिका इस मामले में और बढ़ा रहा है
  • फ़लिस्तीन - कोई भी फैसला संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और अर्ब शांति स्थापना का उल्लंघन नहीं कर सकता
  • रूस - गोलन हाइट्स सीरिया का हिस्सा है। ट्रंप का ये बयान इस क्षेत्र में अस्थिरता लाएगा।

गोलन हाइट्स क्या है?

  • गोलन हाइट्स दक्षिणी-पश्चिमी सीरिया में स्थित एक पहाड़ी इलाका है
  • इज़राइल और सीरिया के बीच का विवादित क्षेत्र है गोलन हाइट्स
  • गोलन हाइट्स के पूर्व में सीरिया और पश्चिम में इज़राइल है
  • गोलन हाइट्स के उत्तर में लेबनॉन और दक्षिण में जॉर्डन है
  • गोलन हाइट्स पर यहूदियों की 30 से ज्यादा बस्तियां हैं, जिनमें क़रीब 20,000 लोग रहते हैं
  • गोलन हाइट्स इलाके में 20,000 सीरियाई लोग भी रहते हैं
  • 1967 के पहले गोलन हाइट्स सीरिया का पार्ट था
  • इज़राइल मुताबिक़ गोलन हाइट्स के 1150 वर्ग किलोमीटर इलाक़े पर उसका कब्ज़ा है
  • सीरिया का मानना है की इज़राइल का गोलन हाइट्स के 1500 वर्ग किलोमीटर इलाक़े पर उसका कब्ज़ा है
  • इज़राइल ने 1967 में सीरिया के साथ हुए '6 DAY WAR' के बाद गोलन हाइट्स पर कब्ज़ा कर लिया

क्यूं महत्वपूर्ण है गोलन हाइट्स

  • ये इलाका राजनीतिक और सामरिक नज़रिए से बेहद ख़ास है
  • गोलन हाइट्स से दक्षिणी सीरिया और सीरिया की राजधानी दमिश्क साफ़ नज़र आती है
  • गोलन हाइट्स से सीरिया सिर्फ 60 किलोमीटर ही दूर है
  • गोलन हाइट्स इस सूखे इलाके में पानी का मुख्य ज़रिया है।
  • गोलन हाइट्स के ज़रिए इज़राइल एक तिहाई अपनी पानी की ज़रूरत को पूरा करता है साथ ही गोलन की ज़मीन भी उपजाऊ है

6 DAY WAR - अरब और इज़राइल युद्ध (1967)

  • 5 जून 1967 को अरब देशों (इजिप्ट, जॉर्डन, मिस्र, इराक़ और सीरिया जैसे देश) ने इज़राइल पर हमला किया
  • लेकिन इज़राइल की मज़बूत सैन्य शक्ति के चलते इन देशों को पीछे हटना पड़ा
  • 9 जून 1967 को इज़राइल ने सीरिया पर हमला कर के गोलन हाइट्स को अपने कब्ज़े में कर लिया
  • इसके अलावा इज़राइल ने इजिप्ट की - सिनाई प्रायद्वीप और गाज़ा पट्टी, सीरिया - गोलन हाइट्स और जॉर्डन के वेस्ट बैंक के साथ यरूशलम इलाके पर कब्ज़ा जमा लिया था।
  • संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप के बाद 10 जून 1967 को युद्ध विराम का ऐलान हुआ
  • इस युद्ध ने मध्य पूर्व के संघर्ष को बदल दिया था

अरब और इज़राइल युद्ध (1967) के कारण

  • 1967 का युद्ध इज़राइल और फ़िलिस्तीन के बीच होने वाले सीमा विवादों की वजह से शुरू हुआ था
  • 1960 के दशक में मध्य में सीरियाई समर्थित फ़िलिस्तीनी लोग इज़राइल की सीमा के भीतर हमले कर रहे थे
  • मध्य पूर्व देशों की गतिविधियां भी इज़राइल के ख़िलाफ़ थी
  • मिस्र ने समुद्री मार्गों से होकर जाने वाली इजराइली जहाज़ों पर प्रतिबन्ध लगा दिया था

संयुक्त राष्ट्र और इज़राइल

  • संयुक्त राष्ट्र शुरु से ही इज़राइल के गोलन हाइट्स पर कब्ज़े को नकारता आया है
  • इज़राइल का गोलन हाइट्स के लंबे भूभाग पर नियंत्रण है
  • गोलन हाइट्स के 'युद्धविराम रेखा' पर संयुक्त राष्ट्र के सैनकों को भी मौजूदगी है
  • 1974 में सीरिया और इज़राइल ने इस इलाके में युद्ध विराम का ऐलान किया था जिसके बाद से संयुक्त राष्ट्र की सेना 1974 से युद्धविराम रेखा पर तैनात है
  • सीरिया कई बार गोलन हाइट्स को लेकर संयुक्त राष्ट्र (UN) जा चुका है
  • संयुक्त राष्ट्र की कई आम सहमतियों (1967, 1973, और 1981) में गोलन हाइट्स वाले इलाके को सीरिया को हिस्सा बताया है और इज़राइल को यहां से पीछे हटने की बात कही है
  • लेकिन 1981 में इज़राइल ने गोलन हाइट्स को अपने क्षेत्र में मिलाने की एकतरफा घोषणा कर दी और यहां अपना प्रशासन स्थापित कर लिया
  • अंतराष्ट्रीय नियम के मुताबिक़ इज़राइल की इस क्षेत्र में मौजूदगी अवैध है
  • इज़राइल के इस कदम को अंतराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता नहीं दी गई

इज़राइल और अरब सम्बन्ध

  • दूसरे विश्व युद्ध के दौरान हिटलर ने यहूदियों पर हमले किए
  • इस हमले के बाद पूरे विश्व ने यहूदियों को उनके लिए ज़मीन और उनके लिए एक मुल्क़ की बात की
  • कठिन लड़ाई के बाद 14 मई 1948 को यहूदियों का एक मुल्क़ बना - इज़राइल
  • इज़राइल चारो ओर से अरब देशों से घिरा एक मुल्क़ है
  • इज़राइल के कोई भी पड़ोसी देश इज़राइल को मान्यता देने को तैयार नहीं थे और इसी कारण अरब और इज़राइल के बीच युद्ध हुआ
  • 1967 के युद्ध में इज़राइल ने फिलिस्तीनियों को हरा कर अपना वज़ूद क़ायम रखा
  • हज़ारों फिलिस्तीनियों को इज़राइल बनने के युद्ध के बाद लेबनॉन और मिस्र भागना पड़ा था
  • 1964 में इज़राइल से लड़ने के लिए फिलिस्तीन लिबरेशन आर्गेनाईजेशन PLO का गठन किया था
  • बाद में एक फ़तह नामक संगठन भी बना जिसका मक़सद इज़राइल के ख़िलाफ़ हमला करना था
  • सीरिया ने 1973 में हुए मध्य पूर्व युद्ध के दौरान गोलन हाइट्स को दोबारा हासिल करने की कोशिश की
  • लेकिन युद्ध में इज़राइल को भारी नुकसान पहुंचाने के बावजूद सीरिया ऐसा करने में नाकाम रहा
  • 1982 में हुए शांति समझौते के तहत इज़राइल ने इजिप्ट के सिनाई प्रायद्वीप को वापस लौटा दिया
  • मिस्र नवम्बर 1977 में इज़राइल को मान्यता देने वाला पहला अरब देश था

इज़राइल - अरब संबंधो को बेहतर बनाने के लिए पहल

  • 1991 में अमेरिका की पहल पर मैड्रिड शिखर सम्मलेन
  • 1993 में नर्वे के शहर ओस्लो में भी शांति की वार्ता हुई और व्हाइट हाउस में घोषण के पत्रों पर हस्ताक्षर हुए
  • 4 मई 1994 के बीच इज़राइल और PLO के बीच काहिरा में सहमति भी हुई कि इज़राइल अपने कब्ज़े वाले क्षेत्रों को खाली करा देगा लेकिन इस मामले में अभी तक कोई प्रगति नहीं हुई है
  • इज़राइल अरब देशों की नीति के साथ ही सीरिया और ईरान की ओर से लगातार होते हमलों का हवाला देते हुए अपनी सुरक्षा के मसाले को अंतराष्ट्रीय स्तर पर उठता रहा है। पिछले कुछ सालों में इज़राइल ने अरब मुल्क़ों मिस्र और जॉर्डन के अपने संबंधों को बेहतर किया है।

अमेरिका और इज़राइल

  • इज़राइल यहूदियों का देश है
  • इज़राइल में करीब 6.5 मिलियन यहूदी रहते हैं
  • अमेरिका और इज़राइल के सम्बन्ध में ये यहूदी समुदाय ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं
  • दरअसल अमेरिका में भी करीब 5.3 मिलियन यहूदी रहते हैं
  • यही वजह है कि अमेरिका शुरू से ही इज़राइल का हिमायती रहा है
  • मौजूदा समय में इज़राइल में चुनाव (9 अप्रैल 2019) होने वाले हैं ऐसे में अमेरिका का ये ऐलान नेतन्याहू को फिर से जीत दिला सकता है
  • साथ ही इसका फायदा अमेरिका को भी होगा क्यूंकि अमेरिका में रहने वाले 5.3 बिलियन लोग इज़राइल के यहूदी धर्म से ही सम्बन्ध रखते हैं
  • इसलिए तमाम नियमों को दरकिनार करते हुए साल 2017 में ट्रंप ने यरुशलम को इजरायल की राजधानी के तौर पर मान्यता दे दी थी ।
  • इसके साथ ही अमेरिकी दूतावास को तेल अवीव से यरुशलम शिफ्ट करने का भी ऐलान किया था।
  • ट्रंप के इस कदम का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी विरोध हुआ था

यरुशलम और इज़राइल

  • धार्मिक लिहाज से बेहद संवेदनशील शहर है यरुशलम
  • भूमध्य और मृत सागर से घिरा यरुशलम को यहूदी, मुस्लिम और ईसाई तीनों ही धर्म के लोगों का पवित्र स्थल है
  • यहां मौजूद टेंपल माउंट - यहूदियों, अल-अक्सा मस्जिद - मुसलमानों और सपुखर चर्च को ईसाई बहुत ही पवित्र मानते हैं
  • एक तरफ जहां इजरायल यरुशलम को अपनी राजधानी बताता है, वहीं दूसरी तरफ फिलिस्तीनी भी इजरायल को अपने भविष्य के राष्ट्र की राजधानी बताते हैं।
  • संयुक्त राष्ट्र और दुनिया के ज्यादातर देश पूरे यरुशलम पर इजरायल के दावे को मान्यता नहीं देते।
  • 1967 में इजरायल ने 6 दिनों तक चले युद्ध के बाद पूर्वी यरुशलम पर कब्जा किया था
  • 1980 में इजरायल ने यरुशलम को अपनी राजधानी बनाने का ऐलान किया था।
  • लेकिन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने एक प्रस्ताव पास करके पूर्वी यरुशलम पर इजरायल के कब्जे की निंदा की।
  • यही वजह थी कि यरुशलम में किसी भी देश का दूतावास नहीं है। इजरायल को मान्यता देने वाले देशों के दूतावास तेल अवीव में हैं।
  • तेल अवीव में कुल 86 देशों के दूतावास हैं। लेकिन साल 2017 में ट्रंप ने यरुशलम को इजरायल की राजधानी के तौर पर मान्यता दे दी थी ।
  • इसके साथ ही अमेरिकी दूतावास को तेल अवीव से यरुशलम शिफ्ट करने का भी ऐलान किया था।
  • दूतावास शिफ्ट करना ट्रंप का चुनावी वादा था
  • तेल अवीव स्थित दूतावास को यरुशलम शिफ्ट किए जाने की ट्रंप की योजना से फिलिस्तीनियों में काफी नाराज़गी थी
  • फिलिस्तीन पूर्वी यरुशलम को अपनी राजधानी मानता हैं।

गाजा पट्टी और इज़राइल

  • गाजा पट्टी एक फिलिस्तीनी क्षेत्र है
  • फिलिस्तीन अरबी और बहुसंख्य मुस्लिम बहुल इलाका है
  • 1947 में UN ने फिलिस्तीन को यहुदी और अरब राज्य में बांट दिया था और यही से फिलिस्तीन और इजराइल के बीच संर्घष जारी है
  • गाजा पट्टी मिस्त्र और इजरायल के मध्य भूमध्यसागरीय तट पर स्थित है
  • गाजा पट्टी पर हमास द्वारा शासन किया जाता है जो इजरायल विरोधी आतंकवादी समूह है
  • जून 1967 के युद्ध के बाद इजरायल ने फिर से गाजा पट्टी पर कब्जा कर लिया
  • इजरायल ने 25 सालों तक इस पर कब्जा बनाए रखा लेकिन दिसंबर 1987 में गाजा के फिलिस्तिनियों के बीच दंगों और हिंसक झड़प ने एक विद्रोह का रूप ले लिया
  • 1994 में इजरायल ने फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन (पीएलओ) द्वारा हस्ताक्षरित ओस्लो समझौते की शर्तों के तहत फिलिस्तीनी अथॉरिटी (पीए) को गाजा पट्टी में सरकारी प्राधिकरण का चरणबद्ध स्थानांतरण शुरू किय
  • साल 2000 की शुरुआत में, पीए और इजरायल के बीच वार्ता नकाम होने के कारण हिंसा अपने चरम पर पहुंच गई
  • इसे खत्म करने के लिए इजरायल के तत्कालीन प्रधानमंत्री एरियल शेरोन ने एक योजना की घोषणा की
  • इस योजना के तहत गाजा पट्टी से इजरायल सैनिकों को वापस हटने और स्थानीय निवासियों को बसाने की बात की गई थी
  • लेकिन अभी भी यहां आए दिन हिंसक झड़पें देखने को मिलती रहती हैं जिससे यहां रहने वाले लोगों को काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है