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Daily Current Affairs for UPSC, IAS, State PCS, SSC, Bank, SBI, Railway, & All Competitive Exams - 28 January 2020

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Daily Current Affairs for UPSC, IAS, State PCS, SSC, Bank, SBI, Railway, & All Competitive Exams - 28 January 2020



GANGA- VOLGA DIALOGUE

  • गंगा-वोल्गा डायलॉग का विचार सर्वप्रथम 2018 के भारत रूस सम्मेलन के दौरान आया।
  • इसमें यह निर्णय लिया गया कि आने वाले समय में दोनों के आर्थिक एवं सामाजिक विकास के लिए अपने संबंधों को और मजबूत करने के लिए कुछ और प्रयास किये जायेंगे।
  • इसी संबंध को मजबूत करने के लिए 22 जनवरी को नई दिल्ली में Ganga -Volga Dialogue Of Civilization के Inaugural Edition का आयोजन किया गया।
  • इसका आयोजन Minister of State for External Affairs द्वारा किया गया था।
  • इस डायलॉग में आने वाले समय में शिक्षा, अर्थव्यवस्था, संस्कृति, तकनीकी, स्वास्थ्य, पर्यटन, इंटरप्रेन्योरशिप, रणनीतिक, विनिर्माण, रक्षा आदि के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर बात चीत की गई।
  • गंगा और वोल्गा नाम दरअसल दो भिन्न एवं विशाल संस्कृतियों के बीच निकटता बढ़ाने एवं उनके महत्व को आपसी सहयोग के माध्यम से बढ़ाने के लिए प्रयोग किया गया है।
  • हमें ज्ञात है गंगा भारत की सबसे बड़ी नदी होने के साथ सर्वाधिक जनसंख्या का निवास क्षेत्र और अन्न प्रदान करने वाली प्राकृतिक धरोहर है।
  • गंगा न सिर्फ उत्तर भारत बल्कि दक्षिण भारत के लोगों के लिए भी संमृद्धि, संपन्नता और शक्ति का प्रतीक है।
  • गंगा की तरह वोल्गा यूरोप की सबसे बड़ी नदी है और इस नदी का बहुत महत्वपूर्ण प्रभाव रूस में दिखाई देता है। इसी कारण इसे रूस की National River के रूप में मान्यता प्राप्त है।
  • यह सुदूर पश्चिम से निकलकर सेंट्रल रूस से होती हुई कैस्पियन सागर में गिरती है। इसके किनारे के समीप रूस का राजधानी शहर Moscow स्थित है। इस डायलॉग के माध्यम से यह उम्मीद की जा रही है कि विश्व की दो संस्कृतियों और सभ्यताओं को और विकसित किया जा सकता है।
  • चर्चा के केन्द्र में निवेश और टूडे का विकास एक प्रमुख मुद्दा था।
  • International North- South Transport Corridor को विकसित करने पर सहमती और इच्छाशक्ति प्रकट की गई है।
  • यह 7200 किमी. लंबा एक ट्रांसपोर्ट मार्ग है जिसे जलमार्ग, सड़क मार्ग और रेलमार्ग के माध्यम से जोड़ा जायेगा। जो परंपरागत मार्ग की लंबाई लगभग 70% कम कर देगा।
  • यह भारत, ईरान, अफगानिस्तान, अर्मेनिया, अजरबेजान, रूस यूरोप और सेंट्रल एशिया को जोड़ेगा।
  • भारत पहले से ही संबंधित देशों के साथ इस प्रकार इस रूट को विकसित करने का हस्ताक्षर कर चुका है।
  • वर्तमान समय में अमेंरिका का प्रभुत्व जिस तरह से कम हो रहा है, चीन की अर्थव्यवस्था जिस दौर में प्रवेश कर रही है उसमें भारत के पास एक अच्छा अवसर है जब वह अपनी संस्कृति एवं आर्थिक संवृद्धि का प्रसार कर सकता है।
  • यहाँ पर इस मुद्दे पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है कि रूस और चीन जिस तरह एक दूसरे के समीप आ रहे हैं ऐसे में हमें अपने घनिष्ठ मित्र रूस के साथ संबंध को मजबूत बनाये रखने के लिए इस प्रकार के अवसर नही छोड़ना चाहिए था और भारत ने भी ऐसा ही किया।
  • अनुच्छेद 370 और जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर हमेशा हमे रूस का सहयोग मिला है।
  • भारत के महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन में रूस सहयोग कर रहा है।
  • हमेशा हमारी रक्षा आवश्यकता को समझने वाला रूस ब्रह्मोस में सहयोग तो दे ही रहा तो साथ ही AK-203 का उत्पादन रूस के सहयोग से जल्द ही प्रारंभ होने की संभावना है।

ब्लैक और ग्रे-:आतंकी वित्त पोषण पर पाकिस्तान

  • FATF की एशिया प्रशांत संयुक्त समूह से बीजिंग ने विमर्श करके पाकिस्तान को उत्साहजनक सूचना देते हुये, पाकिस्तान को FATF की ब्लैकलिस्ट से बचने की संभावना की ओर संकेत किया है।
  • पाकिस्तान के ब्लैकस्टिंग से सम्बन्धित फैसला अगले महीने पेरिस में FATF की बैठक में लिया जायेगा।
  • इसकी ब्लैकलिस्टिंग का निर्णय एक 39 सदस्यीय निकाय लेगी। ध्यातव्य है कि 2018 में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाला गया था तथा 27 बिन्दुओं पर कारवाई करने की बात की थी। जिसमें 26/11 के मास्टरमाइंड हाफिज सईद और लश्कर जैश- ए - मोहम्मद तथा अन्य तालिबान से जुड़े समूहों के फंडो को फ्रीज करना शामिल।
  • उपरोक्त समूहों के विरूद्ध कार्यवाई करने के लिए पाकिस्तान ने अपने कानूनों में वैश्विक मानकों के अनूरूप बदलाव किया है।
  • पाकिस्तान की यह प्रगति भारत के लिए निराशाजनक है, क्योंकि भारत चाहता है, कि पाकिस्तान समर्थित आतंकी समूहों की और गहराई से जाँच हो, क्योंकि पाकिस्तान की ग्रे लिस्टिंग नई नहीं है, इससे पहले 2012 में पाकिस्तान को इसमें रखा गया था, किन्तु 2015 में पेशावर में आतंकी हमला के बाद पाकिस्तान ने आतंक से लड़ने के लिए कार्ययोजना पारित किया था, जिससे इसे ग्रे लिस्ट से हटा दिया गया था।
  • मुम्बई हमले के बाद (2008-2012) भी पाकिस्तान को गम्भीर प्रतिबंधों से गुजरना पड़ा था।
  • हालांकि ग्रे लिस्टिंग से पहले भारत द्वारा की गयी मांगे भी लगभग पूरी होती दिख रही है। जैसे -
  • आतंकी वित्तपोषण हेतु हाफिज सईद की चार्जशीट तथा मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 सूची में शामिल करना।
  • हालांकि यह भी सही है कि पाक का द्विपक्षीय संबंध भी परिणाम पर प्रभाव डालते हैं क्योंकि FATF एक तकनीकी संगठन है।
  • यद्यपि नई दिल्ली को पाकिस्तान की FATF की प्रगति को जांचना चाहिए। हालांकि यह भी माना जाता है कि तालिबान से बातचीत एक सफल निष्कर्ष तक पहुँचाने में भी पाकिस्तान की अहम भूमिका है, जिससे US भी मदद कर सकती है।
  • इतना ही नहीं चीन, तुर्की, मलेशिया भी पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट से बचाने का प्रयास करेंगे।
  • पिछले 5 माह में चीन 2 बार UNSC में कश्मीर का मामला उठा चुका है, इसलिए यह भी एक कारण हो सकता है, कि बीजिंग की चर्चा में भारत की बात को कम महत्व दिया गया है।

असम में उग्रवाद समाप्ति की ओर

  • 11 जनवरी 2020 को NOFB ने सरकार से शांति समझौता करने की सहमति जताई जिससे असम में उग्रवाद के समाप्ति की उम्मीद एक बार फिर से जगी है इसमें निम्न शर्तें रखी गयी हैं।
  • NDFB (S) हिंसा को छोड़कर शांति के रास्ते पर चलेंगे।
  • सरकार से शांति समझौता पर NDFB (S) राजी होगा।
  • दरअसल असम में बोडोलैण्ड की मांग के उद्देश्य से बना NDFB (S) के उग्रवाद का एक लम्बा इतिहास रहा है, इसलिए हमें सबसे पहले बोडोलैण्ड एवं NDFB (S) की पृष्टभूमि समेंत सभी पहलुओं को जानना आवश्यक है।
  • बोडो क्या है?
  • दरअसल बोडो असम की सबसे बड़ी जनजाति है, जिसका असम की जनसंख्या में लगभग 6% योगदान है।
  • बोडो स्वयं को असम की अहोम जनजाति की संस्कृति एंव सभ्यता से अलग मानते हैं, इसी अलगाव की पृष्टभूमि में एक अलग से बोडोलैण्ड के मांग का जन्म हुआ।
  • इस बोडोलैण्ड में असम की कोकराझार बक्सा, उदालगुदी तथा चिरांग जिला शामिल है। इस बोडोलैण्ड को एक संप्रभु देश की तरह मांग किया जाता है।
  • बोडोलैण्ड तथा इससे सम्बन्धित समूहों का इतिहास क्या है ?
  • 1966-67 में प्लेन ट्राइबल काउंसिल ऑफ असम (PTCA) ने अलग बोडोलैण्ड राजय की मांग की, जिसे 1987 में आल बोडो स्टूडेन्ट यूनियन (ABSU) ने हवा दे दी तथा ABSU के नेता उपेन्द्र ब्रह्मा ने असम को दो बराबर बराबर भागों में बांटने की मांग की, हालांकि बांग्लादेश से आये अवैध प्रवासी से असम की संस्कृति को बचाने के लिए केन्द्र सरकार ने ABSU से असम समझौता कर लिया जिसमें असम के नागरिकों के लिए एक राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NRC) तैयार करने की बात की जिससे अवैध प्रवासियों को बाहर निकालने का रास्ता साफ होगा जिसे हाल ही में अंतिम रूप से तैयार किया गया है। जिससे NRC से लगभग 20 लाख लोग बाहर हो गये हैं।
  • असम समझौते से असम की संस्कृति को संरक्षित करने की बात की गयी किन्तु बोडोलैण्ड की मांग और तीव्र हो गयी और एक सशस्त्र अग्रवादी समूह नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैण्ड (NDFB) का जन्म हुआ।
  • NDBD ने अब एक स्वतंत्र संप्रभु बोडोलैण्ड की मांग हिंसात्मक तरीके से करनी शुरू की, जिससे भारत सरकार ने इस समूह को आतंकवादी समूह में डाल दिया।
  • NDFB को म्यांमार स्थित समूहों से हथियार मिलता रहा, यहाँ तक की अघोषित रूप से चीनी समूह भी इसका समर्थन करते थे, इसका नेटवर्क भारत, भूटान, म्यांमार, बांग्लादेश और चीन तक फैला था।
  • भारत सरकार के अपील पर भूटानी सेना ने ऑपरेशन ऑल क्लीनर की सहायता से इन्हें भूटान में तो अपंग बना दिया किन्तु अन्य जगहों पर ये सक्रिय रहे।
  • 2003 में उग्रवाद को शांत करने तथा शिक्षा स्वास्थ्य आदि को प्रोत्साहित करने के लिए केन्द्र सरकार ने बोडोलैण्ड के चारों जिलों को मिलाकर बोडोलैण्ड प्रांतीय क्षेत्रीय जिला का

बोडोलैण्ड

  • कल (दिनांक 27 जनवरी) गृहमंत्री अमितशाह, असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल, असम सरकार में केबिनेट मंत्री हिमंता विश्व शर्मा और बोडो आंदोलन से जुड़े नेताओं की मोजूदगी में बोडोलैण्ड शांति समझौता संपन्न हुआ।
  • गृहमंत्री ने जानकारी दी कि 30 जनवरी को 1535 कैडर हथियारों के साथ समर्पण करेंगे।
  • इस समझौते से असम और बोडो समुदाय के लोगों का स्वर्णिम भविष्य तय होगा।
  • दूसरी तरफ असम में नोन बोड़ो संगठनों ने शांति समझौते के विरोध में बंद बुलाया है।

Background-

  • बोडो असम के उत्तरी भाग में निवास करते हैं, जिसे यह भारत के अंदर एक स्वायत्त राज्य बनाना चाहते हैं।
  • यह क्षेत्र ब्रह्मपुत्र नदी के उत्तर और कुछ दक्षिण में है।
  • यह क्षेत्र लगभग 25500 वर्ग किलोमीटर का है।
  • Bodas असम के Ethno-Linaistic group है जो असम के सबसे पुराने निवासी लोगों में से एक है।
  • इनका संबंध Indo- Mangoid समुदाय से है। इनका अपना एक गौरवशाली इतिहास रहा है। इनका विस्तार पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों के साथ- साथ।
  • समय के साथ इनका प्रभाव कम होने लगा और यह अपने आप को संरक्षित करने का प्रयास करने लगे।
  • बांग्लादेश से बढ़ते प्रवास और इनके क्षेत्र में अतिक्रमण ने समस्या को बढ़ा दिया ।
  • समस्या ने विकराल स्वरूप धारण कर लिया जब इनकी भाषा और संस्कृति खतरे में पड़ती दिखाई दी।
  • धीरे-धीरे जनांकिकी संरचना भी परिवर्तित होने लगी। फलस्वरूप उग्रता बढ़ने लगी।

इतिहास

  • 1920 के दशक में गुरूदेव कालीचरण ब्रह्मा ने साइमन कमीशन के सामने एक अलग राजनीतिक संरचना का निर्माण करें।
  • 1980 के दशक में फिर से यह मांग बलवती हुयी। 1971 के बाद बांग्लादेश से प्रवास तेजी से बढ़ा।
  • 2 मार्च 1987 को उपेन्द्र नाथ ब्रह्मा ऑल बोडो स्टूडेंट यूनियन (ABSU) का निर्माण किया।
  • बोडो पिपल एक्शन कमेटी एक राजनीतिक संगठन की भी स्थापना की गई।
  • असम को आधा आधा दो भागों में विभाजित कर दिया जाये।
  • 1993 में बोडोलैण्ड ऑटोनोमस काउंसिल का निर्माण किया गया।
  • लेकिन यह बहुत लंबे समय तक शांति स्थापित करने में असफल सिद्ध हुई।
  • 2003 में भारत सरकार ने फिर से शांति स्थापित करने का प्रयास किया गया।
  • फिर से बोडोलैण्ड टेरिटोरियल काउंसिल 6 वीं अनुसूची के तहत स्वायत्ता दी गई।
  • Kokrajhar, Chirang, Udalguri और Baksa को इसके अंदर रखा गया।
  • BTC के बनने के बाद इसके नेतृत्व को लेकर विवाद उभरने लगे और फिर कुछ लोगों ने बोडोलैण्ड की मांग आगे बढ़ा दी।