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Blog / 12 Feb 2020

Daily Current Affairs for UPSC, IAS, State PCS, SSC, Bank, SBI, Railway, & All Competitive Exams - 12 February 2020

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Daily Current Affairs for UPSC, IAS, State PCS, SSC, Bank, SBI, Railway, & All Competitive Exams - 12 February 2020



कावेरी डेल्टा में कृषि या खनिज किसका उत्पादन किया जाये ?

  • दो दिन पहले तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ई. के. पलानीस्वामी द्वारा कावेरी डेल्दा क्षेत्र को SPECAIL PROTECTED AGRICULTURE ZONE घोषित किया गया।
  • इस घोषणा को विधिक स्वरूप प्रदान करने के लिए जल्द ही तमिलनाडु विधानसभा में विधेयक लाया जायेगा।
  • इस डेल्टा क्षेत्र के 8 जिलों को SPAZ का फायदा मिलेगा और यहाँ की कृषि और भी उन्नत होगी।
  • यह 8 जिले- Thanjarur, Thiruvarur, Nagappattinam, Pudukottai, Cuddolore, Ariyalur, Karur और Tiruchirappalli है
  • इस क्षेत्र को कृषि के लिए संरक्षित करने की मांग लंबे समय से की जा रही थी।
  • इस घोषणा का उद्देश्य यहाँ के किसान हितों की रक्षा करने के साथ-साथ राज्य की खाद्य सुरक्षा को बनाये रखना है।
  • यहाँ की खनिज और कृषि दोनों प्रकार की संपन्नता इस घोषणा का कारण है।
  • यह क्षेत्र लगभग 28 लाख एकड़ में विस्तृत है जहाँ की कृषि उत्पादता बहुत अधिक है।
  • इस क्षेत्र में 70% सिंचाई की सुविधा नहर के माध्यम से उपलब्ध है, अर्थात जल की आपूर्ति पर्याप्त है।
  • इस क्षेत्र में पूरे तमिलनाडु का लगभग 40% धान उत्पादित होता है।
  • धान के साथ साथ यह क्षेत्र मिथेन, हाइड्रोकार्बन, तेल और प्राकृतिक गैस के उत्पादन के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।
  • इस खनिज पदार्थो के निष्कासन के लिए कई एग्रीमेंट भी हुए है।
  • खनिज निकालने के लिए जमीन का अधिग्रहण और ग्र्राउन्डवाटर का उपयोग और कृषि VS खनिज प्राप्ति आदि यहाँ विवाद के प्रमुख मुद्दे हैं।
  • इस विवाद के कारण किसान और संस्थाएं और कंपनियाँ कई बार एक दूसरे के आमने सामने आ चुकी हैं।
  • इस तरह से 15 साल से यह क्षेत्र किसानों के लिए आंदोलन का क्षेत्र बना रहा है।
  • जुलाई 2013 में किसानों ने अपना विरोध तेज कर दिया। इस समय यहाँ की मुख्यमंत्री जयललिता थीं।
  • जयललिता ने 2015 में आदेश दिया कि Thanjarur और Tiruvarur में कोलबेड मिथेन का जो एक्सप्लोरेशन हो रहा है उसे रोक दिया जाये।
  • 2016 में जयललिता जी की मृत्यु होने के बाद 2017 से 2019 के बीच सैकड़ों क्षेत्रों से Hydrocarbon Extraction के एग्रीमेंट कई कंपनियों के साथ केन्द्र सरकार द्वारा किये गये।
  • इस कान्ट्रेक्ट के बाद किसानों का विरोध बढ़ गया। यह विरोध अभी तक चल रहा था।
  • इसी बीच केन्द्र सरकार द्वारा Environment Impact Assessment Notification 2006 में संशोधन कर दिया गया।
  • संशोधन में पब्लिक कंसलटेशन की अनिवार्यता को खत्म किया गया तो साथ ही हाइड्रोकार्बन को निकालने के लिए पहले पर्यावरण क्लियरेंस लेने की आवश्यकता नहीं है। अर्थात् क्लियरेंस से पहले भी खनन किया जा सकता है।
  • मुख्यमंत्री के नये घोषणा से यहाँ के कृषि के विकास के रास्ते खुलने की संभावना है तो साथ ही कृषि को लाभदायक पेशा बनाये रखने की कोशिश थी।
  • नये हाइड्रोकार्बन प्राजेक्ट को अनुमति नहीं दी जाने की घोषणा से कृषि में स्थायी निपेश बढ़ सकेगा।
  • हालांकि तमिलनाडु सरकार को अपने ही कुछ फैसलों को वापस लेना होगा।
  • 2017 में राज्य सरकार ने Cuddalore और Nagapattinam जिलों के 45 निवेश के लिए आमंत्रित किया था, जिसमें 90000 करोड़ रूपये का निवेश आने की संभावना थी।

MUKTOSHRI

  • यह एक आर्सेनिक प्रतिरोधी उच्च पैदावार और गुणवत्ता की चावल की एक प्रजाति है।
  • इसका एक दूसरा नाम IET 21845 है।
  • इसका संयुक्त विकास चावल अनुसंधान केन्द्र (पश्चिम बंगाल कृषि विभाग) और लखनऊ के (उत्तर प्रदेश) के नेशनल बोटानिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा किया गया है।
  • इस चावल की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यदि इसका उत्पादन ऐसे पानी में भी किया जाता है जिसमें आर्सेनिक की मात्रा ज्यादा है तो भी आर्सेनिक इस चावल में नहीं पहुँचेगा।
  • सामान्य प्रकार के चावल और फसलों को जब इस प्रकार के पानी में उपजाया जाता है तो वह खाद्य श्रंखला में शामिल हो जाते हैं।
  • इस चावल से पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तरप्रदेश, के उन क्षेत्रों को सबसे ज्यादा फायदा मिलेगा जहाँ पर किसान आर्सेनिक की वजह से चावल की कृषि नहीं कर पा रहे थे।
  • भारत के साथ-साथ अनेक देशों में आर्सेनिक की मात्रा जल में बढ़ी है जिसके वजह से इसका दुष्प्रभाव भी बढ़ा है।
  • दरअसल यह धरती में प्रचूर मात्रा में पाये जाने वाला 26वाँ तत्व है। लेकिन इसकी अधिक मात्रा जानलेवा साबित हो सकती है।
  • इसकी वजह से त्वचा का फटना, त्वचा केंसर, फेफड़ें और मूत्राशय का केंसर के साथ-साथ मधुमेह, प्रजनन संबंधी अनेक बिमारिया उत्पन्न होती है।
  • WHO के अनुसार उसके उपयोग की सीमा प्रति लीटर 0.01 मिलिग्राम है।
  • पश्चिम बंगाल में 9.6 मिलियन लोग असम में लगभग 1.5 मिलियन लोग, बिहार में 1.2 मिलियन लोग इससे प्रभावित है। इसी के साथ साथ लगभग 16 अन्य राज्य की कम और ज्यादा आबादी इसका दुष्प्रभाव झेल रही है।
  • इन सभी क्षेत्रों में यदि इस फसल को उपजाया जाता है तो आर्सेनिक प्रभाव को कम किया जा सकता है।
  • बांग्लादेश, थाइलैण्ड, वियतनाम, ताइवान, जैसे देशों में इस किस्म को पहुँचाकर भारत अपने संबंध मजबूत कर सकता है।

यूएन की चेतावनी ईरान पाकिस्तान भारत पर टिड्डियों का हमला बढ़ सकता है

  • यूनाइटेड नेशन की एक संस्था खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) द्वारा टिड्डियों के दल द्वारा ईरान, पाकिस्तान और भारत के कृषि फसल पर हमले की चेतावनी जारी की गई है !
  • हॉर्न ऑफ अफ्रीका से चला यह टिड्डियों का समूह यमन, सऊदी अरब होते हुए भारत की ओर तेजी से चल रहा है !
  • पहले से ही खाद्य सुरक्षा के अभाव से गुजर रहे पूर्वी अफ्रीका में इन टिड्डियों द्वारा इतनी बड़ी मात्रा में फसलों को नुकसान हुआ है जिससे आने वाले समय में भुखमरी की अवस्था तक उत्पन्न हो सकती है !
  • यदि भारत में इसका हमला इसी तरह होता है तो भारतीय कृषि, किसान और खाद्य सुरक्षा पर भी चुनौती उत्पन्न हो सकती है !
  • टिड्डियों का यह दल इसलिए घातक होते हैं क्योंकि इनकी एक झुंड या दल मे टिड्डियों की संख्या करोड़ों में होती है !
  • संख्या ज्यादा होने के साथ-साथ लंबी दूरी तक उड़ने की क्षमता इनमें बहुत ज्यादा होती है !
  • यह प्रतिदिन 130 -150 किलोमीटर की दूरी तय कर सकते हैं !
  • टिड्डियों का जीवनकाल 8-10 हफ्ते होता है तो साथ ही प्रजनन क्षमता बहुत ज्यादा होती है !
  • इनका ज्यादा प्रभाव मानसून के समय (गर्मी) देखा जाता है लेकिन इस बार इमके प्रभाव को जलवायु परिवर्तन से जोड़कर देखा जा रहा है !
  • टिड्डियों के दल का प्रभाव यदि भारत में देखें तो यहां सघन कृषि की जाती है जिसके वजह से टिड्डियों का एक बहुत छोटा दल 1 दिन में इतना फसल खा सकता है जितने से हजारों लोगों को भोजन हो सकता था !
  • इस समय जिस टिड्डी प्रजाति का भारत की कृषि पर हमला बताया जा रहा है वह Desert Locust है जिसे रोकना या मारना सबसे ज्यादा खतरनाक होता है !
  • समय-समय पर भारत में चिड़ियों की 4 प्रजातियों के हमले को देखा गया है यह Desert Locust, Migratory Locust, Bombay Locust और Tree Locust.
  • मिनिस्ट्री आफ एग्रीकल्चर एंड फार्मर्स वेलफेयर की वेबसाइट पर इसके प्रभाव को रोकने के लिए जो तरीका बताया गया है वह सर्वाधिक अनुकूल है -
  • दो देशों का आपसी सहयोग इसके लिए उपयोगी हो सकता है यदि भारत पाकिस्तान और ईरान मिलकर इस से संयुक्त रूप से निपट सकते हैं !
  • सैटेलाइट, इमेज, ड्रोन, दवाओं का छिड़काव इसकी गति को कम कर सकते हैं !
  • भारत के गुजरात, पंजाब, हरियाणा, और पश्चिमी उत्तर-प्रदेश में इधर के दिनों में प्रशासन के द्वारा चेतावनी जारी पहले ही कर दी गई है क्योंकि टिड्डियों के कुछ दल भारत में प्रवेश कर चुके है !
  • इसका भारत पर सबसे घातक हमला सबसे पहले 1993 में हुआ था उस समय सितंबर-अक्टूबर माह में राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, मे भारी नुकसान पहुंचाया था !