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Blog / 24 Jul 2020

(इनफोकस - InFocus) तीसरी G20 FMCBG बैठक (Third G20 FMCBG Meeting)

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(इनफोकस - InFocus) तीसरी G20 FMCBG बैठक (Third G20 FMCBG Meeting)



सुर्ख़ियों में क्यों?

बीते 18 जुलाई को सऊदी अरब की अध्यक्षता में G-20 देशों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक गवर्नरों की तीसरी बैठक का आयोजन किया गया. भारत की तरफ से इसमें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और आरबीआई गवर्नर शक्तिकांता दास ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए भाग लिया.

बैठक से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदु

  • बैठक के दौरान COVID-19 महामारी संकट के बीच वैश्विक आर्थिक दृष्टिकोण के समेत साल 2020 के लिये अन्य G-20 वित्तीय प्राथमिकताओं पर चर्चा की गई।
  • G-20 कार्य योजना की अहमियत और प्रासंगिकता का जिक्र किया गया। 15 अप्रैल 2020 को आयोजित हुए बैठक में G-20 कार्ययोजना की शुरुआत की गई थी। इसमें स्वास्थ्य प्रतिक्रिया, आर्थिक कदम, मज़बूत और सतत् रिकवरी और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय समन्वय जैसे बिंदुओं पर सामूहिक प्रतिबद्धताओं की एक सूची बनाई गई है. इसका मकसद कोरोना महामारी से लड़ने में G-20 के प्रयासों में समन्वय स्थापित करना है।
  • भारत ने कार्य योजना में कुछ और बिंदुओं को जोड़ने की बात कही, मसलन COVID-19 के दौरान देश अपने आपूर्ति पक्ष और मांग के उपायों के बीच संतुलन किस तरह स्थापित कर रहे हैं, इस बात का भी जिक्र होना चाहिए.
  • भारत ने क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों द्वारा क्रेडिट रेटिंग डाउनग्रेड करने की प्रवृत्ति के हानिकारक प्रभाव की भी चर्चा की और बताया कि किस तरह से उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं और नीतिगत विकल्पों पर इसका बुरा असर पड़ रहा है।
  • भारत ने महिलाओं, युवाओं और SME के लिये अवसरों तक पहुँच बढ़ाने की वकालत की.
  • भारत ने अंतर्राष्ट्रीय कराधान खासकर डिजिटल टैक्सेशन को लेकर भी चर्चा की.

क्या है G-20?

  • -20 बीस देशों का एक समूह है, जिसकी बैठक हर साल अलग-अलग देशों में आयोजित की जाती है। G–20 का गठन सितंबर 1999 में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय स्थिरता को बनाए रखने के लिहाज़ से किया गया था। साथ ही G–20 ब्रेटन वुड्स संस्थागत प्रणाली की रूपरेखा के भीतर आने वाले अहम् देशों के बीच अनौपचारिक बातचीत और सहयोग को बढ़ावा देने का काम भी करता है। 1997 के पहले एशियाई संकट के बाद दुनिया के कई देशों ने इसकी ज़रूरत महसूस की।
  • G-20 समिट में सदस्य देशों के प्रमुखों के साथ वित्त मंत्रियों और सेंट्रल बैंक के गवर्नर्स की भी बैठक होती है। इस बैठक में मुख्य रूप से आर्थिक विषयों पर चर्चा होती है।

जी-20 के सदस्य

जी20 में 19 देश और यूरोपियन यूनियन शामिल हैं। 19 देशों में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, जर्मनी, फ्रांस, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका शामिल हैं।

बदलते वक़्त के साथ G-20 की एहमियत

समय के साथ वैश्वीकरण बढ़ता जा रहा है और ढेर सारे मुद्दे दिन-ब-दिन जटिल होते जा रहे हैं। ऐसे में जी-20 ने न केवल व्यापक आर्थिक और व्यापारिक मुद्दों को छुआ है, बल्कि वैश्विक मुद्दों की एक लम्बी फ़ेहरिस्त पर अपना ध्यान केंद्रित किया है। इन मुद्दों का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव देखने को मिलता है, मसलन विकास, जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा, स्वास्थ्य, आतंकवाद, पलायन और शरणार्थी समस्या। G-20 जैसे मंच ने इन वैश्विक मुद्दों को हल करने की दिशा में बेहतर कोशिश की है।

ग़ौरतलब है कि G-20 देशों की अर्थव्यवस्था दुनिया के 90 प्रतिशत उत्पाद, 80 प्रतिशत विश्व व्यापार, दो-तिहाई जनसंख्या और दुनिया के लगभग आधे क्षेत्रफल का हिस्सा है। 2008 में जब दुनिया मंदी की गिरफ्त में आई थी तो जी-20 ने उससे बाहर निकलने में अहम भूमिका निभाई थी।