Home > InFocus

Blog / 24 Sep 2019

(इनफोकस - InFocus) स्ट्रेटेजिक पेट्रोलियम रिज़र्व (Strategic Petroleum Reserve)

image


(इनफोकस - InFocus) स्ट्रेटेजिक पेट्रोलियम रिज़र्व (Strategic Petroleum Reserve)


स्ट्रेटेजिक पेट्रोलियम रिज़र्व

  • सुर्ख़ियों में क्यों?
  • पेट्रोलियम रिज़र्व क्या है?
  • भारत के पेट्रोलियम रिज़र्व
  • पेट्रोलियम रिज़र्व के फायदे

सुर्ख़ियों में क्यों?

  • सऊदी अरब के 2 बड़े पेट्रोलियम संयंत्रों पर हुए हमले की वजह से ईरान और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ चुका है।
  • इस बीच अमेरिका ने इस बात की घोषणा है कि तेल आपूर्ति बाधा की स्थिति में वह अपने स्ट्रैटेजिक पेट्रोलियम रिजर्व का प्रयोग करेगा।
  • 1990-1991 के बाद भारत ने भी इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया था।
  • वर्तमान में,भारत के पास भी ऐसे स्ट्रैटेजिक पेट्रोलियम रिजर्व हैं, जिनमें इमरजेंसी के दौरान कच्चे तेल को सुरक्षित रखा जा सकता है।
  • गौरतलब है कि कैबिनेट ने पिछले साल जून में 2 अतिरिक्त स्ट्रैटेजिक पेट्रोलियम रिजर्व बनाने को स्वीकृति दी थी।

पेट्रोलियम रिज़र्व क्या है?

  • पेट्रोलियम आपूर्ति के दौरान आनेवाली आपातकालीन स्थिति हेतु कोई भी देश अपनी तेल भंडारण की क्षमता को विकसित करता है।
  • 1973-74 में आए तेल संकट के बाद से अमेरिका ने 1975 में भूमिगत तेल भंडार बनाने की शुरुआत की थी।
  • लुइसियाना और टेक्सास राज्य में भूमिगत रूप से बनाए गए तेल भंडार दुनिया की सबसे बड़ी आपातकालीन आपूर्ति है।
  • मौजूदा समय में यहां करीब 8.7 करोड़ टन तेल का भंडार है।
  • 1991 में, पहले खाड़ी युद्ध के दौरान यहां से तेल का इस्तेमाल किया गया था।
  • इसके बाद 2005 में कैटरीना तूफान और 2011 में लीबिया के साथ संबंध खराब होने के बाद एसपीआर का इस्तेमाल किया गया था।
  • अमेरिका के बाद दुनिया में कच्चे तेल का दूसरा सबसे बड़ा भूमिगत भंडार चीन के पास है।

भारत के पेट्रोलियम रिज़र्व की स्थिति

  • सऊदी पर हुए हमले ने, कच्चे तेल की कीमतों में अप्रत्याशित वृद्धि कर दिया है।
  • यह बढ़ी हुई कीमतें 1990-1991 के खाड़ी युद्ध के बाद सबसे अधिक है।
  • गौरतलब है कि भारत अपनी जरूरत का तीन चौथाई से अधिक कच्चा तेल आयात करता है।
  • 1990-1991 में भारत के बैलेंस ऑफ़ पेमेंट की स्थिति काफी ख़राब थी जिसके कारण भारत के पास महज 3 दिन का तेल भंडार था लेकिन आज स्थिति अलग है।
  • मौजूदा समय में भारत के पास 2 महीने से अधिक का तेल-भंडार है।
  • इसका कारण भारत की आर्थिक स्थिति का सुधरना और दूसरी तरफ तेल स्टोरेज इन्फ्रास्ट्रक्चर का बेहतर होना है।
  • इंडियन स्ट्रैटेजिक पेट्रोलियम रिजर्व लिमिटेड अब तक तीन जगहों पर पेट्रोलियम भंडार विकसित कर चुका है।
  • इन तीन जगहों में,विशाखापत्तनम में 13.3 लाख टन, मंगलोर में 15 लाख टन और पदुर (कर्नाटक) में 25 लाख टन क्षमता वाले भंडार विकसित कर चुकी है।
  • 2017-18 के बजट भाषण में ओडिशा के चंदीखोल और राजस्थान के बीकानेर में इस तरह के दो और पेट्रोलियम भंडार बनाने की घोषणा की गई थी।
  • इसके अलावा गुजरात के राजकोट में भी भूमिगत तेल भंडार बनाने की योजना पर काम चल रहा है।

पेट्रोलियम रिज़र्व के फायदे

  • कच्चे तेल के ऐसे भूमिगत भंडारण के कई फायदे हैं।
  • पहला तो यह कि किसी हमले या आपदा की स्थिति में देश की ऊर्जा सुरक्षा अचानक खतरे में नहीं पड़ती।
  • 1991 में खाड़ी युद्ध के समय ये भंडार अमेरिका के काफी काम आए थे।
  • दूसरा यह कि कच्चे तेल की कीमतें अचानक बहुत ज्यादा होने पर इस रिजर्व स्टॉक के इस्तेमाल से देश में तेल की कीमतें काबू में रखी जा सकती हैं।
  • इसके अलावा भूमिगत भंडारण कच्चे तेल को रखने का सबसे कम खर्चीला तरीका है।
  • चूंकि भंडार काफी गहराई में होता है, इसलिए बड़े पैमाने पर जमीन के अधिग्रहण और सुरक्षा इंतजाम की जरूरत नहीं पड़ती।
  • इसमें तेल बहुत ही कम मात्रा में उड़ता है।
  • ये भंडार समुद्र किनारे भी बने होते हैं तो इनमें जहाजों से कच्चा तेल भरना भी आसान होता है।