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Blog / 01 Oct 2019

(इनफोकस - InFocus) प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (Prime Minister Economic Advisory Council)

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(इनफोकस - InFocus) प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (Prime Minister Economic Advisory Council)


  • चर्चा में क्यों?
  • क्या है आर्थिक सलाहकार परिषद
  • परिषद का गठन क्यों?
  • परिषद के कार्य
  • आगे की राह

चर्चा में क्यों?

  • 26 सितम्बर को भारत सरकार ने आर्थिक सलाहकार परिषद का पुनर्गठन किया।
  • यह पुनर्गठन 26 सितम्बर 2019 से 2 साल के लिए मान्य होगा।

क्या है आर्थिक सलाहकार परिषद?

  • परिषद एक स्वतंत्र निकाय है।
  • पूर्व में इसकी नोडल एजेंसी योजना आयोग हुआ करती थी।
  • आम तौर पर प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण के बाद परिषद के सदस्यों की नियुक्ति होती है।
  • प्रधानमंत्री के त्याग-पत्र के साथ समिति के सदस्य भी त्याग-पत्र दे देते हैं।
  • इसमें एक अध्यक्ष और चार सदस्य होते हैं।
  • इसमें उच्च स्तर के आर्थिक विशेषज्ञों को लिया जाता है।
  • नव पुनर्गठित परिषद के अध्यक्ष विवेक देवराय होंगे।
  • इसके अलावा साजिद चिनॉय और आशिमा गोयल इसके सदस्य बने रहेंगे।

परिषद का गठन क्यों किया गया?

  • आज़ादी के बाद आर्थिक जरूरतों को देखते हुए समय-समय पर इसका गठन किया जाता है।
  • वर्तमान सरकार ने सलाहकार परिषद का गठन साल 25 सितम्बर 2017 को किया।
  • तत्कालीन परिस्थितियों में आर्थिक चुनौतियों से निपटना इसका लक्ष्य था,इन चुनौतियों में-
  1. आर्थिक विकास की धीमी रफ़्तार।
  2. मुद्रास्फीति में वृद्धि।
  3. राजस्व में कमी।
  4. निर्यात में गिरावट।
  5. चालू खाते में बढ़ोतरी।
  6. भारतीय रूपये पर वैश्विक दवाब।

परिषद के कार्य

  • प्रधानमंत्री द्वारा निर्देशित आर्थिक मामलों पर तटस्थ दृष्टिकोण देना इसका मुख्य कार्य है ।
  • इसके अतिरिक्त-
  1. महत्वपूर्ण आर्थिक मुद्दों को प्रधानमंत्री के समक्ष प्रस्तुत करना।
  2. व्यापक आर्थिक मुद्दों का विश्लेषण करना।
  3. प्रधानमंत्री को समय-समय पर आर्थिक सुधार सम्बन्धी मुद्दों पर रिपोर्ट सौंपना।
  4. आर्थिक विकास सम्बन्धी मासिक रिपोर्ट तैयार करना।

आगे की राह

  • आर्थिक सलाहकारी परिषद की राह में क्षेत्राधिकारों के अतिक्रमण और दोहरी भूमिका के कारण नीति निर्णयन में अस्पष्टता की समस्या दिखाई देती है।
  • इसके साथ-साथ आर्थिक विकास हेतु परिषद का गठन कर देना ही पर्याप्त नहीं,इस से अधिक महत्वपूर्ण काम करने की आज़ादी देना है।
  • परिषद के गठन के बाद नीति आयोग की भूमिका पर भी कई सवाल खड़े हुए है।
  • जिसमें से पहला सवाल दायित्वों के स्पष्टता को लेकर बना हुआ है।
  • प्रशासनिक एवं बजट संबंधी उद्देश्य हेतु पूर्व में योजना आयोग इसकी नोडल एजेंसी हुआ करती थी लेकिन परिषद और आयोग की भूमिकाओं में किसी प्रकार का भ्रम की स्थिति नहीं थी।
  • वर्तमान में परिषद नीति आयोग का प्रयोग नोडल एजेंसी के तौर पर कर सकती है लेकिन अध्यक्ष और सचिवों की दोहरी भूमिकाओं पर भी कदम उठाने होंगे।
  • ताकि दायित्व के टकराहट को रोका जाए और संबंधित संस्था अपने लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्ध बना रहे।