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Blog / 02 Sep 2019

(इनफोकस - InFocus) बैंकों का मर्जर (Merger of Banks)

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(इनफोकस - InFocus) बैंकों का मर्जर (Merger of Banks)


बैंकों का मर्जर

  • सुर्खियों में क्यों?
  • किन बैंकों का हुआ मर्जर?
  • मर्जर से क्या लाभ होंगे?
  • मर्जर में निहित चिंताएं?

सुर्खियों में क्यों?

  • सुस्त होती अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए ने सरकारी बैंकों के मेगा कंसॉलिडेशन प्लान की घोषणा की।
  • सरकार ने कहा कि आने वाले समय में सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों को मर्ज करके चार बड़े बैंक बनाए जाएंगे।
  • सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में भी बैंकों का विलय किया था।
  1. स्टेट बैंक में उसके 5 सहयोगी बैंकों- (स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर और स्टेट बैंक ऑफ पटियाला) के अलावा महिला बैंक का विलय किया गया। 1 अप्रैल 2017 से स्टेट बैंक में सहयोगी बैंकों का विलय प्रभावी हो गया।
  2. इसी साल 1 अप्रैल को बैंक ऑफ बड़ौदा में विजया बैंक और देना बैंक का विलय हुआ था।

किन बैंकों का हुआ मर्जर?

एंकर बैंक विलय होने वाले बैंक
पंजाब नेशनल बैंक ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया
केनरा बैंक सिंडिकेट बैंक
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया आंध्र बैंक, कॉर्पोरेशन बैंक
इंडियन बैंक इलाहाबाद बैंक
  • पीएनबी, ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनिटेड बैंक का विलय (देश का दूसरा सबसे बड़ा बैंक, 17.95 लाख करोड़ रुपए का कारोबार)
  • केनरा बैंक के सिंडिकेट बैंक का विलय(देश का चौथा सबसे बड़ा बैंक, 15.20 लाख करोड़ रुपए का कारोबार)
  • यूनियन बैंक, आंध्रा बैंक और कॉरपोरेशन बैंक का विलय (देश का पांचवां सबसे बड़ा बैंक 14.59 लाख करोड़ रुपए का कारोबार)
  • इंडियन बैंक और इलाहाबाद बैंक का विलय (देश का सातवां सबसे बड़ा बैंक, 8.08 लाख करोड़ रुपए का कारोबार)
  • सरकार बैंकों को पूंजी भी उपलब्ध करवा रही है जिससे बड़े बैंकों पर मर्जर का नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ें
  1. पंजाब नैशनल बैंक को 16,000 करोड़, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया को 11,700 करोड़, बैंक ऑफ बड़ौदा को 7,000 करोड़, केनरा बैंक को 6,500 करोड़ रुपये, इंडियन बैंक को 2,500 करोड़ रुपये मिलेंगे।
  2. इसके अलावा इंडियन ओवरसीज बैंक को 3,800 करोड़, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया 3,300 करोड़, यूको बैंक 2,100 करोड़ रुपये, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया को 1,600 करोड़ और पंजाब ऐंड सिंध बैंक को 750 करोड़ रुपये मिलेंगे।

मर्जर से क्या लाभ होंगे?

  • विलय के बाद बैंक बढ़ती अर्थव्‍यवस्‍था की ऋण जरूरतों को पूरा करने, आघात सहन करने और संसाधन बढ़ाने की क्षमता को पूरा करने में बेहतर तरीके से लैस होगा।
  • बैंक का व्‍यवसाय और मुनाफा बढ़ेगा, व्‍यापक पहुंच के माध्‍यम से लागत क्षमता, जोखिम प्रबंधन और वित्‍तीय समावेश सुधार होगा।
  • विलय से वैश्विक बैंकों की तुलना में बड़े आकार का बैंक बनेगा, जो भारत और विश्‍व में क्षमता के साथ स्‍पर्धा में सक्षम होगा।
  • वैश्विक नेटवर्क और पेशकश से बाजार पहुंच, संचालन क्षमता और व्‍यापक उत्‍पाद और सेवा देने के संदर्भ में लाभ होगा।
  • बैंकों के विलय के बाद प्रतिभा का व्‍यापक पूल प्राप्‍त होगा और बड़ा डाटाबेस मिलेगा, जिसका लाभ तेजी से डिजिकृत हो रही बैंकिंग प्रणाली में स्‍पर्धी लाभ लेने के लिए उठाया जा सकता है।
  • व्‍यापक पहुंच के कारण लाभ में प्रवाह आएगा। वितरण नेटवर्क बढ़ेगा और सहायक संस्‍थाओं के साथ उत्‍पाद और सेवाओं के लिए वितरण लागत में कमी आएगी।
  • जन साधारण की पहुंच मजबूत नेटवर्क के माध्‍यम से व्‍यापक बैंकिंग सेवाओं तक होगी और उन्‍हें विभिन्‍न प्रकार के उत्‍पाद सेवाएं मिलेगी तथा उनके लिए ऋण सहजता होगी।

मर्जर में निहित चिंताएं?

  • छोटे बैंकों की निहित कमजोरियां (उदा. NPA , घाटा) बड़े बैंकों को हस्तांतरित हो सकती हैं
  • विलय से बैंकिंग की क्षेत्रीय फोकस की निति(वित्तीय समावेशन) प्रभावित होगा।
  • जब एक बड़े बैंक धरासायी होगा तो पूरे बैंकिंग सिस्टम पर आघात
  • विलय से विभिन्न बैंकों की संगठनात्मक कार्य संस्कृतियों का टकराव होगा
  • वर्तमान में बैंकिंग समेकन के बजाय बैंकिंग प्रतियोगिता की आवश्यकता है।