(इनफोकस - InFocus) इंडिया आयोडीन सर्वे 2018- 2019 (India Iodine Survey 2018- 2019)
इंडिया आयोडीन सर्वे 2018-19
- सुर्ख़ियों में क्यों?
- इंडिया आयोडीन सर्वे क्या है?
- आयोडीन नमक की जरुरत क्यों है?
- सरकारी कदम
सुर्ख़ियों में क्यों
- 10 सितम्बर को इंडिया आयोडीन सर्वे जारी किया गया।
- आयोडीन के प्रयोग को लेकर किया गया यह पहला राज्यवार सर्वे है।
- सर्वे में सुदूर गांवों और अंचलों में आयोडीन-युक्त नमक की खपत मात्रा का पता लगाया गया।
इण्डिया आयोडीन सर्वे क्या है
- इस सर्वे को न्यूट्रीशन इंटरनॅशनल द्वारा जारी किया गया।
- कथित संस्था द्वारा देशभर में इंडिया आयोडीन सर्वे 2018-19 नाम से यह सर्वे सम्पन्न हुआ।
- भारत में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्था और आयोडीन डेफ़िशिएन्सि डिसआर्डर के सहयोग से इस सर्वे किया गया।
सर्वे के मुख्य बिन्दु
- सर्वे के अनुसार देश के 76.3 फीसदी घरों में ही आयोडीन युक्त नमक पहुँच रहा है।
- 80 लाख नवजात शिशु हर वर्ष आयोडीन की कमी के साथ जन्म ले रहे हैं।
- भारत में 5 वर्ष तक के 3 करोड़ से ज्यादा बच्चों में आयोडीन की कमी पायी गई है।
- आयोडीन की कमी वाले क्षेत्रों में पैदा होने वाले बच्चों में 13.5 अंक कम IQ की शिकायत पाई गई है।
- आयोडीन की कमी से मुक्त हुए राज्य हैं-जम्मू कश्मीर,मणिपुर,मेघालय,मिजोरम और नागालैंड।
- प्रमुख नमक उत्पादक राज्यों में आयोडीन-रहित नमक का सर्वाधिक उपयोग हो रहा है।
- देश में तीसरा नमक उत्पादक राज्य तमिलनाडु में आयोडीन-युक्त नमक की खपत सबसे कम यानि 61.9% है।
- सरकारी प्रयास के बावजूद 57 साल बाद भी केवल पांच राज्यों में ही सौ फीसदी आयोडीन का प्रयोग हो रहा है।
- यूपी,उत्तराखंड,दिल्ली और हिमाचल प्रदेश में आज भी क्रिस्टल नमक का ही ज्यादा इस्तेमाल होता है।
- गौरतलब है कि क्रिस्टल नमक में आयोडीन नहीं होता है।
आयोडीन नमक की जरुरत क्यों
- आयोडीन मानव के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए एक महत्वपूर्ण सूक्ष्म पोषक तत्व है।
- एक व्यक्ति को रोजाना 500 माइक्रोग्राम तक आयोडीन सेवन की आवश्यकता होती है।
- आयोडीन की कमी से घेंघा, हाइपोथायरायडिज्म, क्रेटिनिज्म मानसिक कमजोरी और साइकोमोटर जैसे रोग हो सकते हैं।
- आयोडीन की कमी से गर्भपात और स्टीलबर्थ जैसी समस्याएं भी होती हैं
- 15 से 49 वर्ष की आयु के बीच महिलाओं को आयोडीन की विशेष जरुरत होती है।
सरकारी प्रयास
- स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय नेशनल आयोडीन डेफिसिएंसी डिसआर्डर कंट्रोल प्रोग्राम के क्रियान्वयन के लिए नोडल मंत्रालय है।
- आयोडीन की कमी से होने वाले रोगों के खिलाफ नॅशनल गवाईटर प्रोग्राम की शुरुआत वर्ष 1962 में किया गया।
- वर्ष 1984 में केन्द्रीय स्वास्थ्य परिषद् ने देश के सम्पूर्ण खाद्य नमक को आयोडेट करने का नीतिगत निर्णय लिया।
- खाद्य नमक को आयोडेट करने का यह कार्यक्रम चरणबद्ध तरीके से 1986 में प्रारंभ किया गया।
- वर्ष 1992 में नेशनल गवाईटर कंट्रोल प्रोग्राम का नाम बदलकर आयोडीन नेशनल आयोडीन डेफिसिएंसी डिसआर्डर कंट्रोल प्रोग्राम कर दिया गया।
- गंभीर स्थिति वाले राज्यों में राष्ट्रीय पोषण अभियान के तहत कार्यक्रम किये जाएँगे।
- सरकार ने 2022 तक देश के 90 फीसदी घरों में आयोडीन पंहुचाने का लक्ष्य रखा है।